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आपने क्लीनिक में चेकअप के दौरान या हॉस्पिटल विजिट के दौरान, कई बच्चों और शिशुओं को अपने चेहरे पर प्लास्टिक मास्क लगाए हुए देखा होगा। ये नेबुलाइजर कहलाते हैं, जो कि बच्चों को ठीक तरह से सांस लेने में मदद करते हैं और यह ट्रीटमेंट नेबुलाइजेशन कहलाता है।
साधारण शब्दों में कहा जाए, तो नेबुलाइजेशन एक तरह का ट्रीटमेंट है, जो कि सांस लेने में मदद करता है। इसमें बच्चे को जिस दवा की जरूरत होती है, उसे नेबुलाइजर के द्वारा दी जाती है और बच्चा सांस के द्वारा उसे अंदर ले लेता है। इस प्रकार यह सीधे शरीर में पहुँच जाती है और शरीर इसे आसानी से अब्सॉर्ब कर लेता है, जिससे तुरंत असर होता है।
नेबुलाइजेशन अधिकतर बच्चों के लिए बिल्कुल सुरक्षित होता है। बच्चे का चेकअप करने के बाद, अगर डॉक्टर को नेबुलाइजेशन सही लगता है, केवल तब ही इसकी सलाह दी जाती है।
नेबुलाइजर एक मशीन होती है, जिसके द्वारा नेबुलाइजेशन किया जाता है। बच्चे को जिस दवा की जरूरत होती है, वह दवा इस मशीन से आमतौर पर नेबुलाइजेशन मास्क के द्वारा बच्चे को दी जाती है।
नेबुलाइजर का इस्तेमाल जब बच्चों के लिए किया जाता है, तो दवा इस मशीन में डाल दी जाती है। फिर नेबुलाइजर दवा का इस्तेमाल करता है और उसे एक एरोसोल या एक ऐसे रूप में कन्वर्ट कर देता है, जिसमें मशीन के एरियल ड्रॉपलेट्स मौजूद होते हैं। गैस और लिक्विड का यह कॉन्बिनेशन ऑक्सीजन, अल्ट्रासोनिक या मशीन के द्वारा कंप्रेस की गई हवा के इस्तेमाल से प्राप्त होता है। जब एरोसोल तैयार हो जाता है, तो इसे नेबुलाइजेशन मास्क के द्वारा बाहर निकाला जाता है, जिसे बच्चे के चेहरे पर लगाया जाता है।
आमतौर पर नेबुलाइजेशन के लिए दो प्रकार की दवाएं इस्तेमाल की जाती हैं, जो कि इस प्रकार हैं:
जब बच्चे की नाक सूखी होती है और उसके म्यूकस मेंब्रेन को नमी की जरूरत होती है, तो दवा के बजाय एक सिंपल सेलाइन लिक्विड के इस्तेमाल से नेबुलाइजेशन किया जाता है। यह मेंब्रेन को गीला कर देती है और सूखापन कम करती है।
राइनाइटिस, अस्थमा या ऐसी ही किसी बीमारी से ग्रस्त बच्चों को बीमारी के इलाज के लिए जरूरी केमिकल युक्त मेडिकेटेड लिक्विड के इस्तेमाल से नेबुलाइजेशन लेने की सलाह दी जाती है। गंभीर अस्थमा के मामलों में, मेडिकेटेड लिक्विड में कॉर्टिकोस्टेरॉइड या ब्रोंकोडाईलेटर्स के एक कॉम्बिनेशन के इस्तेमाल से नेबुलाइजेशन किया जाता है।
बच्चे को कितनी बार नेबुलाइज किया जा सकता है, इसका कोई सटीक जवाब नहीं है। कभी-कभी दो खुराक ही काफी होती है, वहीं कभी-कभी इसे कई बार करवाना पड़ सकता है। यह समस्या और उसकी गंभीरता पर निर्भर करता है। डॉक्टर नेबुलाइजर को अपने पास रखने की सलाह देते हैं, क्योंकि ऐसे मामलों में तुरंत दवा देना जरूरी हो जाता है। दवा की खुराक के बारे में बच्चे के डॉक्टर से संपर्क बनाए रखना बेहतर है।
सामान्य खांसी-जुकाम होने पर, नाक अंदर से सूखने लगती है और बहुत अधिक भर जाती है। इसके कारण नाक बंद हो जाती है और बच्चा मुँह से सांस लेने लगता है।
एक सिंपल सेलाइन सॉल्यूशन के साथ, नेबुलाइजर का इस्तेमाल करने से नाक की अंदरूनी मेंब्रेन को नमी देने में मदद मिलती है। यह अंदर फंसे हुए बलगम को ढीला करता है और नाक के पैसेज को फैलाता है। बंद नाक से राहत पाने का यह सबसे आसान तरीका है और बहुत जल्द बच्चा सामान्य रूप से सांस लेने लगता है।
आपके बच्चे की समस्या की गंभीरता, नेबुलाइजेशन की उसकी जरूरत की फ्रीक्वेंसी, खर्च, आराम आदि के आधार पर यह तय किया जाता है, कि आपको घर पर नेबुलाइजर की जरूरत है या नहीं। क्लीनिक और हॉस्पिटल में नेबुलाइजेशन का चुनाव करना हमेशा मददगार होता है, क्योंकि ऐसे में आपको हॉस्पिटल के स्टाफ से जरूरी सुरक्षा और निर्देश मिल जाते हैं। जब किसी बीमारी में केवल कुछ बार ही नेबुलाइजेशन की जरूरत होती है, तो ऐसे में यह विकल्प फायदेमंद और किफायती होता है।
अगर आपके पास अपना नेबुलाइजर हो, तो यह घर के सुरक्षित और पहचाने हुए वातावरण में संभव हो जाता है। साथ ही अगर बार-बार दवा देने की जरूरत हो, तो ऐसे में होम नेबुलाइजर सबसे बेहतर होता है और यह कम खर्चीला भी होता है।
बाजार में कई तरह के नेबुलाइजर उपलब्ध होते हैं। आपके बच्चे की स्थिति के अनुसार, डॉक्टर आपको बच्चों के लिए सबसे बेहतरीन नेबुलाइजर की सलाह दे सकते हैं।
नेबुलाइजर के किसी भी हिस्से को छूने से पहले, अपने हाथों को अच्छी तरह से धोकर साफ कर लें। इससे किसी भी बाहरी ऑर्गेनिज्म के नेबुलाइजर में प्रवेश करने से बचाव होता है।
नेबुलाइजर और फेशियल मास्क को हर इस्तेमाल के बाद साफ करना जरूरी है। फिर चाहे इसे कितनी बार ही क्यों न करना पड़े।
कुछ आम और सामान्य साइड इफेक्ट इस प्रकार हैं:
नहीं, नेबुलाइजेशन के द्वारा कई अन्य बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। बच्चे को खांसी होने पर एक सिंपल सेलाइन सॉल्यूशन के इस्तेमाल से भी नेबुलाइजेशन किया जा सकता है।
नेबुलाइजर का इस्तेमाल घर पर आसानी से किया जा सकता है। हालांकि, डॉक्टर के रिकमेंडेशन के बिना स्टेराइल सेलाइन सॉल्यूशन के अलावा कोई भी दवा नहीं दी जानी चाहिए।
इनहेलर के इस्तेमाल में बिजली की आवश्यकता नहीं होती है और आमतौर पर अस्थमा से संबंधित दवाओं के लिए हाथ में पकड़ कर इसका इस्तेमाल किया जाता है। नेबुलाइजर का इस्तेमाल कई बीमारियों में होता है, जिनमें अस्थमा भी शामिल है।
हाँ, अगर दवा, खुराक और इसके इस्तेमाल की फ्रीक्वेंसी को लेकर आपके डॉक्टर ने सलाह दी हो, तो इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
बिल्कुल नहीं, इसके लिए सामान्य रूप से सांस लेना ही काफी है।
इसकी कोई लत नहीं लगती है, क्योंकि यह दवा देने का केवल एक अलग माध्यम है।
इसके विपरीत, इसमें टेबलेट या सिरप में मौजूद दवा से भी कम खुराक का इस्तेमाल होता है।
एक ऐसे नेबुलाइजर का चुनाव करें, जो कि किफायती हो, जिसे साफ करना और हैंडल करना आसान हो, जो एक जाने-माने ब्रांड से हो और जिसका इस्तेमाल कई तरह से किया जा सके।
अगर आपके बच्चे को रेस्पिरेटरी दिक्कतें हैं, तो एक सही जांच और इलाज के लिए, अपने पेडिअट्रिशन से परामर्श लें। शुरुआत में शिशु के लिए नेबुलाइजेशन की प्रक्रिया डरावनी लग सकती है और वह घबरा भी सकता है। लेकिन, सही वातावरण और सही सहयोग से बच्चे को नेबुलाइजर की प्रक्रिया की आदत हो जाएगी और उसे बीमारी से जल्दी और आसानी से राहत भी मिलेगी।
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