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जब आपका बच्चा डायरिया या उल्टियों से ग्रस्त होता है, तो जल्दी ही उसके शरीर में तरल पदार्थों की कमी हो सकती है और उसे डिहाइड्रेशन हो सकता है। कुछ मिनटों के अंतराल पर पानी के छोटे-छोटे घूंट भरना अच्छा होता है। लेकिन अगर डायरिया की स्थिति गंभीर हो, तो थोड़े ही समय में अधिक मात्रा में तरल पदार्थों की कमी हो सकती है। ऐसे समय में ओआरएस देने से आपके बच्चे को डिहाइड्रेशन और उसके गंभीर प्रभावों से बचाया जा सकता है।
ओआरएस यानी ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन। यह ओरल इलेक्ट्रोलाइट का एक घोल होता है और यह उन बच्चों को दिया जाता है, जिनके शरीर में डायरिया और उल्टी होने की स्थिति में तरल पदार्थों की कमी के कारण डिहाइड्रेशन हो जाता है। ओआरएस में सोडियम, पोटैशियम, शुगर और दूसरे जरूरी इलेक्ट्रोलाइट्स का एक मिश्रण होता है, जो कि शरीर के लिए आवश्यक होते हैं। जब इन्हें सही मात्रा में मिलाया जाता है और दिया जाता है, तो वह शरीर से खो चुके इलेक्ट्रोलाइट और फ्लूइड की आपूर्ति करता है और शरीर को फिर से हाइड्रेट करता है।
डिहाइड्रेशन के गंभीर मामलों में शिशुओं को ओआरएस दिया जाता है। हल्के-फुल्के डिहाइड्रेशन के अधिकतर मामलों में मेडिकल अटेंशन की जरूरत नहीं होती है और इसे ब्रेस्ट मिल्क, पानी, फार्मूला या पतले जूस से ही ठीक किया जा सकता है। हालांकि वायरल गैस्ट्रोएंट्राइटिस, जिसे स्टमक फ्लू के नाम से भी जानते हैं, के कारण होने वाले गंभीर डिहाइड्रेशन की स्थिति में इलाज के लिए ओआरएस की जरूरत होती है। साथ ही बच्चों में डिहाइड्रेशन के निम्नलिखित लक्षणों की जांच करनी चाहिए:
ओआरएस शिशुओं में डायरिया का एक असरदार इलाज है। यह उस तरह के डिहाइड्रेशन को भी ठीक कर सकता है, जिसका इलाज केवल पानी से नहीं किया जा सकता है। शरीर में फ्लुइड अब्सॉर्प्शन किस तरह से काम करता है, यह समझने के लिए, ऑस्मोलेरिटी के कांसेप्ट को समझना जरूरी है और ऑस्मोलेरिटी फ्लूइड में घुले हुए नमक के कंसंट्रेशन का एक माप होता है, जो कि फ्लुइड पर ऑस्मोटिक प्रेशर डाल सकता है। जब दो विभिन्न ऑस्मोलेरिटी के घोल को एक दूसरे के संपर्क में रखा जाता है, तो लो ऑस्मोलेरिटी सॉल्यूशन का फ्लुएड हाई ऑस्मोलेरिटी सॉल्यूशन की ओर जाता है। यह पानी में भीग कर फूले हुए किशमिश की तरह ही होता है।
ओआरएस थेरेपी के पीछे एक सिंपल प्रिंसिपल होता है: जब शिशुओं को डायरिया होता है, तब तरल पदार्थ उनकी आंतों के द्वारा काफी तेजी से गुजरते हैं और सामान्य रूप से अब्सॉर्ब नहीं हो पाते हैं। उनकी आंतों की सतह ‘सोडियम-ग्लूकोज को-ट्रांसपोर्टर्स’ नामक एक पदार्थ से ढकी होती है। यह एक प्रोटीन होता है, जो कि ग्लूकोज की उपस्थिति में नमक को अब्सॉर्ब करता है। इस तरह ओआरएस ग्लूकोज, नमक और पानी का सही मिश्रण देता है, जिससे नमक और तरल पदार्थ अधिक मात्रा में अब्सॉर्ब हो पाता है। इसके फायदे संक्षेप में नीचे दिए गए हैं:
ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट्स आमतौर पर ओरल रिहाइड्रेशन पाउडर या प्रीमिक्स बोतल के रूप में फार्मेसी, हेल्थ सेंटर्स, मार्केट और दुकानों में उपलब्ध होते हैं। आमतौर पर इसके एक सैशे को 200 मिलीलीटर पानी में मिलाया जाता है और बच्चे को दिया जाता है। इस पाउडर के प्रभाव को अधिक से अधिक बढ़ाने के लिए, इसके पैकेट पर दी गई पानी की उचित मात्रा के साथ ही मिलाने की जरूरत होती है। सभी ओआरएस पाउडर में थोड़ी मात्रा में शक्कर भी मौजूद होता है और इसमें अलग से कुछ भी मिलाने की जरूरत नहीं होती है। आमतौर पर ये पाउडर सस्ते होते हैं और इनकी शेल्फ लाइफ भी लंबी होती है। ओआरएस के कुछ कमर्शियल ब्रांड के नाम है इंफालाइट, पीडियालाइट, रेसॉल आदि।
यह सोचना आसान होता है, कि हमारे बच्चे को खोए हुए फ्लुइड की पूर्ति के लिए जितना संभव हो उतना अधिक तरल पदार्थ लेना चाहिए लेकिन उसे उल्टियां हो सकती हैं और हो सकता है, कि वह ओआरएस की रेकमेंडेड मात्रा भी एक बार में नहीं पीना चाहता हो। नीचे दी गई ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट्स की खुराक की मात्रा एक स्टैंडर्ड मात्रा है, जिसे फॉलो करना चाहिए:
कितना फ्लूइड देना चाहिए
अगर केमिस्ट के पास ओआरएस उपलब्ध न हो या आपके पास कोई इनग्रेडिएंट उपलब्ध न हो, तो अपने बच्चे को पेडिअट्रिशन के पास या हॉस्पिटल ले जाएं। शिशुओं में डिहाइड्रेशन जानलेवा हो सकता है, इसलिए जल्द ही उचित कदम उठाएं।
एक सिंपल ओआरएस घोल नीचे दी गई पद्धति के साथ घर पर बनाया जा सकता है:
एक कटोरी में शक्कर और नमक को डालें और उसमें पानी डालें। पूरी तरह से घुलने तक मिलाएं। आप इसमें एक्स्ट्रा पोटैशियम के लिए थोड़ा सा मसला हुआ केला भी डाल सकते हैं। सभी चीजों को सही अनुपात में डालना बहुत जरूरी है। नमक या शक्कर की मात्रा अधिक होने से इसका प्रभाव कम हो सकता है या डायरिया और भी बढ़ सकता है।
ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट्स तुरंत काम करना शुरू करता है और आमतौर पर 3 से 4 घंटे में डिहाइड्रेशन बेहतर होने लगता है।
जब आपका बच्चा स्टमक बग का शिकार होता है, तो अक्सर ही उल्टी और डायरिया एक साथ आते हैं। जब पतली पॉटी और उल्टियों के कारण उसके शरीर से तरल पदार्थ बाहर निकल रहे होते हैं, तो ओआरएस घोल अच्छी मात्रा में तैयार करना चाहिए और बार-बार थोड़ी थोड़ी मात्रा में जैसे कि 10 से 20 मिलीलीटर हर 5 से 10 मिनट के बीच में देते रहना चाहिए। एक बार में अधिक मात्रा में घोल पिलाने पर बच्चे को बीमार महसूस हो सकता है और वह उल्टी कर सकता हैं। लंबे समय के बाद पूरी मात्रा में इसे देना जरूरी है। साथ ही इन बातों का भी ध्यान रखें:
अगर आप बच्चे को इसकी खुराक देना भूल जाते हैं, तो जब कभी भी आपको याद आए, जल्द से जल्द उसे दूसरी खुराक दे दें।
अधिक मात्रा में ओरल रिहाइड्रेशन घोल देने से हाइपरनेट्रिमिया हो सकता है, बच्चे में फ्लुएड रिटेंशन के संकेत दिख सकते हैं, जो कि आल्टर्ड सेंसोरियम का संकेत हो सकता है। ऐसी स्थिति में आपको अपने पेडिअट्रिशन से संपर्क करना चाहिए।
अगर सही मात्रा में दिया जाए, तो ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट्स के कोई साइड इफेक्ट्स नहीं होते हैं। अगर आपको कोई भी बात परेशान कर रही है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। साथ ही यह भी याद रखें, कि अगर आपने ओआरएस को पानी में मिलाया है, लेकिन एक घंटे का समय बीतने के बाद भी इसका इस्तेमाल नहीं किया है, तो इसे फेंक देना चाहिए। अगर फ्रिज में रखा जाए, तो इसका इस्तेमाल 24 घंटों तक किया जा सकता है।
हाँ, ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट्स के साथ दूसरी दवाएं भी दी जा सकती हैं, बशर्ते वे नीचे दिए गए बिंदुओं के साथ मेल खाते हो:
ओरल रिहाइड्रेशन साल्ट्स के रूप में सभी फार्मेसी में उपलब्ध होते हैं, जो कि सस्ते होते हैं।
ओआरएस के कुछ विकल्प भी उपलब्ध होते हैं, जिनका इस्तेमाल कुछ माँएं कई वर्षों से घरेलू दवाओं के तौर पर करती आ रही हैं। नीचे दिए गए घरेलू उपचार ओआरएस के जैसे ही हैं और शिशुओं के रिहाइड्रेशन घोल के जितने ही असरदार भी है:
याद रखें, ओआरएस का इस्तेमाल केवल डायरिया और उल्टी के कारण होने वाले भी डिहाइड्रेशन से बचाव के लिए ही किया जाता है। इसे किसी छुपी हुई स्थिति के इलाज के लिए उपयोग नहीं किया जा सकता है, इसलिए इसका इस्तेमाल हमेशा एक डॉक्टर की निगरानी में ही करें।
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