छोटे बच्चों को ऑंखों की समस्या होना

छोटे बच्चों को ऑंखों की समस्या होना

बच्चों का स्वास्थ्य पेरेंट्स के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है। पेरेंट्स अपने बच्चे को स्वस्थ और खुश देखना चाहते हैं। ऐसे में जन्म के बाद से माता-पिता को जिस चीज की सबसे ज्यादा चिंता लगी रहती है वो है बच्चे की हेल्थ। बच्चा जब डेवलप हो रहा होता है तो शुरुआती दौर में उसे आमतौर पर ऑंखों से संबंधित समस्या का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में पेरेंट्स अपने बच्चे के स्वास्थ्य को लेकर घबरा जाते हैं लेकिन बच्चों में होने वाली ऑंखों की समस्या गंभीर समस्या नहीं होती है। सही उपचार के बाद यह समस्या ठीक हो जाती है। यह एक आम दिक्कत है जिसका उपचार आसानी से संभव है। पेरेंट्स की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए हम बच्चों में होने वाली ऑंखों की समस्या और उसके उपचार के बारे में जानकारी देंगे। 

छोटे बच्चों में ऑंखों की समस्या को कैसे पहचाने  

पैदा होने के बाद शुरुआती कुछ दिनों में बच्चा अपनी ऑंखों के साथ सही तरह से तालमेल नहीं बैठा पाता है और उसे कुछ समय तक विजन प्रॉब्लम होती है। ऐसे समय में ऑंखों से ज्यादा पानी आने की समस्या और क्रॉस्ड आई जैसी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इनमें से कुछ समस्याओं के बारे में विस्तार से नीचे बताया गया हैं।

  • जब बच्चे का जन्म होता है तो ऐसा अक्सर देखा जाता है कि बच्चे की दोनों ऑंखे एक-दूसरे से खुद ही मूव हो रही है। इसे देख कर पेंरेट्स घबरा जााते हैं। दरअसल यह एक साधारण समस्या है। कुछ बच्चों की ऑंखों की नसें डेवलप और स्ट्रांग होने में समय लेती हैं जिसकी वजह से ऐसा होता है। आमतौर पर यह समस्या जन्म के तीन महीने बाद खुद सही हो जाती है।  
  • कुछ बच्चों की ऑंखे ऐसी दिखती हैं जैसे वह एक दूसरे को क्रॉस कर रही हो इस समस्या को क्रॉस्ड आई कहते हैं। इसमें बच्चे की दोनों ऑंखों की पुतलियां एक दूसरे से काफी करीब दिखती हैं। यह समस्या बच्चें के बड़े होने के साथ खुद सही हो जाती है लेकिन कुछ बच्चों में क्रॉस्ड आई की समस्या परमानेंट बनी रहती है। ऐसे बच्चों का इलाज करवाना बहुत जरूरी है।
  • कभी-कभी देखा जाता है कि बच्चे के ऑंखो से रोने पर आंसू नहीं आते हैं। इसे लेकर पेरेंट्स परेशान हो जाते हैं। यह दिक्कत तब आती है जब आंसू पैदा करने वाली नसे ब्लॉक हो जाती हैं। यह दिक्कत बच्चा का एक साल का होने तक ठीक हो जाती है। अगर फिर भी बच्चे की ऑंखों से आंसू नहीं आ रहे हैं तो बच्चे का इलाज करवाना चाहिए। 
  • अगर बच्चे की ऑंखे लाल हैं तो यह इस बात का साफ संकेत हैं कि बच्चे की ऑंखों में कोई दिक्कत है या कोई इन्फेक्शन है। रोशनी पड़ने पर अगर बच्चा अपनी ऑंखों को रगड़ता है या उसे ऑंखों में दिक्कत होती है तो यह भी संकेत हैं कि बच्चे की ऑंखों में किसी न किसी तरह की दिक्कत हो रही है। कुछ बच्चे काफी ज्यादा रोते हैं जिस वजह से उनके आंसू बहुत निकलते हैं। इससे आंसू पैदा करने वाली नसे ब्लॉक हो जाती हैं। अगर बच्चे की आँखों की पुतली सफेद नजर आती है तो यह शुरूआती कैंसर का संकेत हो सकता है। ऐसा होने पर पेरेंट्स को फौरन डॉक्टर को दिखाना चाहिए। 

छोटे बच्चों की ऑंखों में होनी वाली समस्या का क्या कारण है?  

बच्चा जन्म के बाद धीरे-धीरे बढ़ता है। यह अपने में पूरी एक प्रक्रिया होती है। बच्चों की ऑंखों में होने वाली दिक्कते ज्यादातर नसों और मांसपेशियों के पूरी तरह से विकास नहीं होने की वजह से होती हैं। जैसे-जैसे नसों का विकास हो जाता हैं, समस्याएं खत्म हो जाती हैं। अगर फिर भी ऑंखों में दिक्कत आ रही है तो उसका फौरन इलाज करवाना चाहिए। बच्चे की ऑंखों की जाँच एक साल के अंदर समय-समय पर लगातार होते रहना चाहिए। 

छोटे बच्चों की ऑंखों में होनी वाली समस्या का क्या कारण है?  

कभी-कभी कुछ समस्याएं अनुवांशिक भी होती हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही होती हैं। इन बीमारियों में एनोफ्थेल्मिया, एनिरिडिया, ऐल्बिनिजम जैसी दिक्कत आती हैं। गर्भावस्था के समय नशे और शराब के सेवन करने से भी बच्चों की ऑंखों पर असर पड़ सकता है। 

छोटे बच्चों में ऑंखों की समस्याओं के लक्षण

1. ऑंखों का गलत तरीके से हिलना

इसमें बच्चे की ऑंख आगे-पीछे हिलती है। इसी के साथ बच्चे की ऑंखे काफी मुड़ती भी हैं।

2. ऑंखों का ज्यादा रगड़ना

जब बच्चा नींद नहीं आने पर भी अपनी ऑंखों पर बार-बार रगड़ रहा होता है। 

3. ऑंखों में कुछ अलग दिखना

इसमें ऑंखों में किसी धब्बे का दिखना, सिर्फ एक ऑंख का खुली या ज्यादा बंद होना या ऑंखे में अंतर होना शामिल है। 

4. ऑंखों से पानी आना

जब बच्चे की ऑंखों से ज्यादा पानी आ रहा हो तो यह एक संकेत हैं कि ऑंखों में जरूर कुछ न कुछ दिक्कत हो रही है।

छोटे बच्चों में होने वाली आम ऑंखों की समस्याएं 

1. आँख आना या कंजक्टिवाइटिस

इसे ‘पिंक आई’ भी कहते हैं। ऑंख बुखार या किसी इन्फेक्शन की वजह से गुलाबी हो जाती हैं। यह समस्या ज्यादातर तब सामने आती है जब आंसू बनाने वाली नसे ब्लॉक हो जाती हैं।  

लक्षण:

  • ऑंखों का सफेद हिस्सा लाल होना। 
  • इसमे ऑंखी की पलकों पर भी सूजन आ जाती है। 
  • ज्यादा आंसू आना भी इस समस्या का एक लक्षण है। 
  • अगर ऑंखों से पीला मवाद जैसा पदार्थ आ रहा है तो यह दिक्कत हो सकती है। 

इलाज:

  • डॉक्टर द्वारा बताई गई एंटीबायोटिक आई ड्रॉप का इस्तेमाल करें। 
  • हल्का गर्म सेंक लगाएं।
  • गुनगुने पानी से ऑंखो की सफाई भी करें।

2. ऑंखों का आपस में मिलना

इस में बच्चे की ऑंखे एक तरह से क्रॉस्ड जैसी लग सकती हैं। इस समस्या में ऑंखे देखकर ऐसा लगता है कि अगर नाक के बीच का हिस्सा न हो तो दोनों पुतलियां आपस में मिल जाएगी। 

लक्षण:

  • बच्चे की ऑंखों की पुतलियां आपस में मिली हुई जैसी दिखती हैं।
  • बच्चा किसी भी चीज को देखने के लिए बराबर से देखता है।

इलाज:

वैसे तो समय के साथ यह दिक्कत खुद सही हो जाती है लेकिन कभी-कभी जब यह खुद सही नहीं होती तो इसका इलाज करवाना पड़ता है। इस परेशानी में ज्यादातर ऑंखों की सर्जरी होती है।

3. एंबीलोपिया या ‘लेजी आई

इसमें एक ऑंख का फोकस दूसरी ऑंख से ज्यादा होता है। इसमें एक ऑंख से तो साफ दिखाई देता है लेकिन दूसरी ऑंख से धुंधला दिखाई देता है। 

लक्षण:

  • आँखों का एक दूसरे से बिलकुल अलग होना 
  • गहराई की समझ कम होना 

एंबीलोपिया या 'लेजी आई

इलाज:

अगर एंबीलोपिया या ‘लेजी आई सिंड्रोम का समय पर पता चल जाए तो चश्में या आई ड्रॉप से यह समस्या सहीं हो जाती है। अगर फिर भी समस्या सामने आ रही है तो इसका डॉक्टर से इलाज करवाना चाहिए।  

छोटे बच्चों में ऑंखों की समस्या से बचने के कुछ उपाय

बच्चे में ऑंखी की समस्या होने पर पेरेंट्स परेशान हो जाते हैं। ऐसे में वह कुछ उपाय करके अपने बच्चे की ऑंखों को विकसित करने में सहायता कर सकते हैँ।

  • आप अपने बच्चे के कमरे को डिम लाइट वे लैंप से सजा सकती हैं। और बच्चे के सोने की पोजिशन में भी बदलाव भी करती रहें, यह बच्चे को हर एंगल में आँखे घुमा कर देखने के लिए प्रोत्साहित करेगा।  
  • बच्चे की ऑंखों को डेवलप करने के लिए आप बच्चे के पालने पर खिलौने लटका सकती हैं। इससे आपका बच्चा खिलौनों को देखेगा जिससे उसका ध्यान केंद्रित होगा। इस प्रक्रिया से बच्चे की ऑंखों के विकास में मदद मिलेंगी।   
  • आप अपने बच्चे से अलग-अलग दिशाओं में जाकर बात करें। इससे आपका बच्चा भी सभी दिशाओं की तरफ देखेंगा। आपके बच्चे को इससे यह भी पता चलेंगा कि उसके पास कोई है जो उससे अलग-अलग दिशाओं से बात कर रहा है।
  • आप बच्चे को दाए और बाए, दोनों तरफ से दूध पीला सकती हैं। इससे आपके बच्चे का फोकस और एंगल भी सही होगा। बच्चे की ऑंखों का इसे जल्द विकास होगा। 
  • अपने बच्चे की ऑंखों को जल्द और हेल्दी डेवलप करने के लिए आप अपने बच्चे को मॉल या गार्डन जैसी जगहों पर ले जाए। वहाँ जाकर उनको ऐसी चीजे दिखाए जो अट्रैक्टिव हो। इससे आपके बच्चे की ऑंखों का विजन तेज होगा।

पेरेंट्स को अपने बच्चों की ऑंखों पर गंभीरता से नजर रखनी चाहिए। उनको देखना चाहिए कि कहीं बच्चा अपनी ऑंखों में कोई दिक्कत तो महसूस नहीं कर रहा है। बच्चे अपनी बात बोल कर नहीं बता पाते हैं ऐसे में पेरेंट्स को ही उनकी दिक्कतों को खुद देखना और समझना पड़ता है। अगर बच्चे की ऑंखों की समस्या बड़ी है तो उसे फौरन डॉक्टर के पास ले जाए। ऑंखों के मामले में लापरवाही न बरतें। बच्चे की ऑंखों की जाँच समय-समय पर करवाती रहे। 

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