In this Article
- बच्चों में एनीमिया क्या है?
- बच्चों में एनीमिया होने के संभावित कारण
- बच्चों में आयरन डेफिशियेंसी एनीमिया क्या है?
- बच्चों में आयरन की कमी होने के कारण
- छोटे बच्चों में आयरन की कमी होने के लक्षण
- शिशुओं में आयरन की कमी का डायग्नोसिस
- बच्चों में आयरन की कमी का ट्रीटमेंट
- क्या आयरन की कमी से बच्चों में लंबे समय तक कोई समस्या हो सकती है?
- एनीमिया से बचाव के टिप्स
शरीर में खून के सेल्स की कमी होने से एनीमिया होता है। यह सेल्स शरीर के अंदर लंग्स से टिश्यू में ऑक्सीजन ले जाते हैं इसलिए इनकी कमी होने से कमजोरी, पीली त्वचा, दिल की धड़कन तेज होने के लक्षण दिखाई देते हैं। खाने में आयरन के सप्लीमेंट्स से एनीमिया जैसी बीमारी को ठीक किया जा सकता है।
बच्चों में एनीमिया क्या है?
छोटे बच्चों में एनीमिया के कुछ लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे थकान, त्वचा में पीलापन, भूख की कमी, चिड़चिड़ापन, नाखून टूटना, जीभ में दर्द व सूजन और दिल की धड़कन तेज होना। यह रेड ब्लड सेल्स की कमी से होता है जिसकी वजह से शरीर के भीतर सभी टिश्यू तक ऑक्सीजन नहीं पहुँचती है। बच्चों में एनीमिया होने का सबसे आम कारण आयरन की कमी होना है जो रेड ब्लड सेल्स के लिए बहुत जरूरी है और इससे ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है। बच्चों में एनीमिया होने से उनका विकास रुक जाता है।
बच्चों में एनीमिया होने के संभावित कारण
बच्चों में एनीमिया होने के कुछ कारण निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
- जेनेटिक रोग: सिकल सेल रोग एक जेनेटिक डिसऑर्डर है जो खून में रेड ब्लड सेल्स को नष्ट कर देता है। आरबीसी शरीर के अंदर ऑक्सीजन को टिश्यू तक पहुँचाता है और इस डिसऑर्डर के कारण शारीरिक इम्यून सिस्टम हेल्दी आरबीसी को डैमेज करता है। जब शरीर में नए सेल बनने के बजाय आरबीसी की कमी होती है तो इसके परिणामस्वरूप एनीमिया हो जाता है जिसे हेमोलिटिक एनीमिया कहते हैं।
- खून की कमी: आंतरिक रूप सी ब्लीडिंग होने पर या चोट लगने पर खून की कमी होती है जिसके परिणामस्वरूप रेड ब्लड सेल्स कम हो जाते हैं। इसमें नाक से खून आ सकता है, डायरिया के दौरान खून आ सकता है या बॉवल सिस्टम में सूजन आ सकती है।
- आरबीसी का कम उत्पादन: यदि बोन मैरो में पर्याप्त आरबीसी उत्पन्न नहीं होते हैं तो इसे अप्लास्टिक एनीमिया कहा जाता है। यह बैक्टीरियल और वायरल इन्फेक्शन, दवा के साइड इफेक्ट्स और खून या हड्डियों में कुछ प्रकार के कैंसर की वजह से होता है। हालांकि बच्चों में आयरन की कमी से एनीमिया के कारण अप्लास्टिक एनीमिया होना बहुत आम है।
बच्चों में आयरन डेफिशियेंसी एनीमिया क्या है?
एनीमिया शरीर में किसी चीज की कमी से होता है और यह नियमित डायट में आयरन की कमी होने से होता है। रेड ब्लड सेल्स में हीमोग्लोबिन, आयरन व प्रोटीन होता है जो ऑक्सीजन को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँचाता है। यदि बच्चे को खाने में पर्याप्त आयरन नहीं मिलता है तो उसके शरीर में रेड ब्लड सेल्स कम बनेंगे जिससे आयरन की कमी व एनीमिया होता है। विकास के दौरान अक्सर बच्चों को एनीमिया हो जाता है। हालांकि इस बात का ध्यान रखें कि एनीमिया एक रात में नहीं होता है। यह लंबे समय तक आयरन की कमी होने से होता है। और कमियां भी कुछ कारणों से ही होती हैं, जैसे खाने में आयरन की मात्रा कम होना या आंतों की नली में खून की कमी होना।
बच्चों में आयरन की कमी होने के कारण
बच्चों में एनीमिया होने के कुछ कारण निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
- डायट में पर्याप्त आयरन न लेने से: बच्चों के शरीर में आयरन पर्याप्त होता है और 6 महीने तक माँ के दूध से लगातार आयरन मिलता है। इसके अलावा उन्हें आयरन-युक्त खाद्य पदार्थ भी दिए जाते हैं ताकि उनका विकास ठीक से हो। 9 महीने से 24 महीने तक के बच्चों में एनीमिया होने का खतरा रहता है और इसलिए जो बच्चे खाना ठीक से नहीं खाते हैं या आयरन-युक्त आहार नहीं लेते हैं उन्हें एनीमिया की समस्या हो सकती है।
- प्रीमैच्योर बच्चे का जन्म होने से: जो बच्चे ड्यू डेट के अनुसार होते हैं उनमें आयरन की मात्रा अच्छी होती है जो अगले 4 से 6 महीनों तक रहती है। वहीं दूसरी तरफ प्रीमैच्योर बच्चों में आयरन की उतनी ही मात्रा होती है जो सिर्फ 2 महीनों तक चलती है इसलिए उन्हें एनीमिया होने का खतरा अधिक होता है। ऐसा देखा गया है कि 1.5 ग्राम से कम वजन के लगभग 85% बच्चों को एनीमिया की समस्या हो सकती है।
- माँ को डायबिटीज होने से: यदि महिला डायबिटिक है और वह इसका पूरा ध्यान नहीं रखती है तो उसके बच्चे को एनीमिया होने का खतरा ज्यादा होता है।
- जन्म के दौरान वजन कम होने से: यदि माँ का हीमोग्लोबिन कम है तो जन्म के दौरान बच्चे का वजन कम होगा और अगर विशेषकर माँ को तीसरी तिमाही में एनीमिया होता है तो बच्चे को भी एनीमिया होने की संभावना रहती है।
- 1 साल की उम्र होने से पहले ही गाय का दूध पिलाने से: यदि 1 साल की आयु होने से पहले ही आप बच्चे को गाय का दूध पिलाना शुरू कर देती हैं तो उसे एनीमिया हो सकता है। गाय के दूध में आयरन की मात्रा कम होती है और यह बच्चे में आयरन के अब्सॉर्प्शन को प्रभावित करता है। गाय का दूध आंतों की परत में समस्या उत्पन्न करता है जिसकी वजह से ब्लीडिंग होती है।
छोटे बच्चों में आयरन की कमी होने के लक्षण
छोटे बच्चों में एनीमिया होने के कुछ लक्षण निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
- त्वचा पीली होना: यदि बच्चे को एनीमिया हुआ है तो उसकी त्वचा का रंग फीका पड़ने लगेगा और टेक्सचर पीला व कमजोर लगेगा। यह ज्यादातर आईलिड और हाथों में होता है।
- सुस्ती: जिन बच्चों को एनीमिया होता है उनमें एनर्जी कम रहती है और वे गंभीर रूप से सुस्त रहते हैं।
- कमजोरी: जिन बच्चों को एनीमिया होता है वे हमेशा थके हुए लगते हैं और उन्हें कोई भी एक्टिविटी करने की इच्छा नहीं होती है।
- भूख में कमी या खाने की इच्छा न होना: बच्चे को एनीमिया होने पर वह खाना कम खाएगा या बिलकुल भी नहीं खाएगा।
- चिड़चिड़ाना: एनीमिया होने पर बच्चा बिना किसी कारण के चिड़चिड़ाएगा और टॉडलर में नखरे करने की आदत होगी।
- सांस लेने में समस्या होना: यदि बच्चे को एनीमिया हुआ है तो उसे सांस लेने में दिक्कत हो सकती है क्योंकि वे बाहरी ऑक्सीजन को ज्यादा से ज्यादा ग्रहण करने के कारण तक जाते हैं। उन्हें बार-बार सांस की कमी भी होती है।
- दिल की धड़कन बढ़ना: एनीमिया की वजह से बच्चे का दिल ज्यादा ब्लड को पंप करने की कोशिश करेगा और इसकी वजह से दिल की धड़कनों का पैटर्न अनियमित हो जाता है।
- हाथ-पैरों सूजन होना: एनीमिया होने से कुछ बच्चों के लिंब्स, हाथ और पैरों में भी सूजन हो सकती है।
- पिका: पिका एक ऐसी समस्या है जिसमें बच्चे को नॉन-फूड आइटम्स की क्रेविंग होती है, जैसे मिट्टी, चॉक, मेटल आदि। यह काफी हद तक न्यूट्रिएंट की कमी होने का महत्वपूर्ण लक्षण है।
- वृद्धि में कमी होना: चूंकि मेटाबॉलिक प्रोसेस के लिए शरीर में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती है जिसकी वजह से आयु के अनुसार बच्चे के सिर का घेरा, उसकी लंबाई और वजन में वृद्धि नहीं होती है।
शिशुओं में आयरन की कमी का डायग्नोसिस
छोटे बच्चों में एनीमिया का डायग्नोसिस करने के लिए कुछ टेस्ट हैं, आइए जानें;
- आरबीसी टेस्ट: बच्चे का एक बूंद खून माइक्रोस्कोप के नीचे रखकर इसमें आरबीसी का काउंट और इसका साइज जांचा जाता है। इसमें नए और पुराने आरबीसी की काउंटिंग भी की जाती है ताकि इसके उत्पादन का पता किया जा सके। हेमाटोक्रिट टेस्ट में ब्लड प्लाज्मा की मात्रा की जांच भी की जाती है। आंतरिक ब्लीडिंग में आरबीसी की कमी को जांचने के लिए डॉक्टर बच्चे की पॉटी के सैंपल का टेस्ट भी करते हैं।
- आयरन टेस्ट: बच्चे के खून में हीमोग्लोबिन और आयरन के स्तर की जांच की जाती है। इसमें फ्रीटीन की जांच भी होती है जो आयरन को स्टोर करके रखता है। जेनेटिक रोगों की स्क्रीनिंग की जाती है, जैसे सिकल सेल किया जा सकता है।
बच्चों में आयरन की कमी का ट्रीटमेंट
बच्चों में एनीमिया का ट्रीटमेंट करने के लिए शरीर में आयरन की कमी को पूरा करना चाहिए। इसे निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है, आइए जानें;
- आयरन सप्लीमेंट्स: पाउडर के रूप में सीरप या आयरन सप्लीमेंट्स लेने से आयरन की कमी पूरी होती है। सप्लीमेंट्स में विटामिन सी भी होता है क्योंकि यह आयरन के अब्सॉर्प्शन में मदद करता है।
- आयरन-युक्त खाद्य पदार्थ: पेडिएट्रिक डायटीशियन बच्चे के लिए डायट प्लान बना सकते हैं जिसमें आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थ होने जो उसमें आयरन की कमी को पूरा करेंगे।
क्या आयरन की कमी से बच्चों में लंबे समय तक कोई समस्या हो सकती है?
यदि बच्चे को एनीमिया हो जाता है तो इससे उसके डेवलपमेंटल माइलस्टोन को पूरा करने में देरी होती है क्योंकि बच्चे की वृद्धि कम हो जाती है। एनीमिया होने से बच्चे की इम्यूनटी कमजोर हो जाती है और उसे इन्फेक्शन हो सकते हैं। यदि बच्चे को गंभीर रूप से एनीमिया हुआ है तो इससे बच्चे को शारीरक व मानसिक रूप से समस्याएं हो सकती हैं। आयरन की कमी होने से स्केलेटल मांसपेशियां कमजोर होती हैं और दिमाग का फंक्शन धीमा हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप आईक्यू कमजोर रहता है। बच्चे में व्यवहार से संबंधित समस्याएं होती हैं और उसे सामाजिक होने में कठिनाई हो सकती है।
एनीमिया से बचाव के टिप्स
बच्चों को एनीमिया से बचाने के लिए निम्नलिखित तरीके हैं, आइए जानें;
- यदि बच्चे का जन्म प्रीमैच्योर हुआ है तो आप आयरन सप्लीमेंट्स के लिए डॉक्टर से बात करें और इसका लंबे समय तक ट्रीटमेंट करें।
- बच्चे की आयु 1 साल होने तक उसे गाय का दूध न पिलाएं। बच्चे के लिए माँ का दूध और आयरन फोर्टिफाइड फॉर्मूला दूध ही पर्याप्त है।
- यदि बच्चा 4 महीने का है और वह सॉलिड फूड लिए बिना सिर्फ माँ का दूध ही पीता है तो उसे रोजाना लगभग 11 मिलीग्राम आयरन देने की सलाह तब तक दी जाती है जब तक वह आयरन-युक्त खाने का सेवन करना न शुरू कर दे। इससे ब्रेस्टफीड करने वाले बच्चे में एनीमिया की कमी नहीं होती है।
- जब बच्चा सॉलिड फूड लेना शुरू कर देता है तो आप उसे आयरन फोर्टिफाइड सीरियल और आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थ दें। आप बच्चे को पोल्ट्री, लीन मीट, मछली, हरी सब्जी, अंडे की जर्दी, दाल और आयरन फोर्टिफाइड राइस व ब्रेड खिलाने से शुरूआत भी कर सकती हैं।
- बच्चे की डायट में विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थ भी शामिल करें, जैसे खट्टे फल, एवोकाडो, कीवी और कैन्टलोप।
खाने में आयरन की पर्याप्त मात्रा होने से बच्चे को एनीमिया से बचाया जा सकता है।
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