शिशु

शिशुओं में कब्ज के लिए सूखे आलूबुखारा का जूस

बच्चों की देखभाल करना कठिन है क्योंकि वे अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में सक्षम नहीं होते हैं। पैरेंट होने के नाते आपको बच्चे पर ध्यान देना चाहिए ताकि आप उसके व्यवहार और शेड्यूल से असुविधाओं का पता लगा सकें। चूंकि यदि बच्चे को कोई भी असुविधा होती है तो वे इसके बारे में सिर्फ रोकर ही बता सकते हैं जिसे पता करना कठिन होता है। 

बच्चों में कब्ज की समस्या होना आम है क्योंकि उन्हें बहुत ज्यादा पाचन को एडजस्ट करने में समय लगता है। बच्चे को लगातार असुविधा हो सकती है और पेरेंट्स होने के नाते आपको उसकी सभी समस्याओं को समझना चाहिए। वैसे सौभाग्य से कब्ज की समस्या को ठीक करना बहुत कठिन नहीं है। 

प्रून जूस क्या है?

प्रून को सूखा आलूबुखारा भी कहते हैं जो पाचन व कब्ज की समस्या को ठीक रखने में मदद करता है। यह सिर्फ बच्चे के पाचन को ठीक करने में ही मदद नहीं करते हैं बल्कि इससे स्वास्थ्य संबंधी फायदे भी मिलते हैं। बड़ों और बच्चों में कब्ज होने के एक मुख्य लक्षण पॉटी न आना है। आपने देखा होगा कि कई बार बच्चे को लंबे समय से पॉटी नहीं आती है और वह रोकर इसका संकेत देने का प्रयास करता है। प्रून के जूस से कब्ज की समस्या को ठीक करने में मदद मिलती है और पाचन तंत्र का फंक्शन भी ठीक रहता है। 

छोटे बच्चों में कब्ज के लिए सूखे आलूबुखारा का जूस

बच्चों में सूखे आलूबुखारा का जूस एक बॉवल इरिटेंट की तरह ही काम करता है और इससे कब्ज में आराम मिलता है। यह जूस एक नेचुरल लैक्सेटिव है इसलिए इससे बॉवल मूवमेंट में सुधार होता है। इस बात का ध्यान रखें कि जूस को फिल्टर न करें ताकि उसके लैक्सेटिव प्रभाव पूरी तरह से मिल सकें। चूंकि कब्ज की समस्या मसल्स कमजोर होने से होती है या शरीर में पानी की कमी से होती है इसलिए बच्चों में प्रून जूस का बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ता है। अच्छे परिणामों के लिए आपको यह ध्यान रखना चाहिए कि आप बच्चे को प्रून या सूखे आलूबुखारा का जूस खाली पेट दें। यदि प्रून जूस उपलब्ध नहीं है तो आप इसके सब्स्टियूट में सेब और नाशपाती का जूस भी दे सकते हैं। हालांकि इनका इतना प्रभाव नहीं पड़ता है जितना प्रून के जूस का प्रभाव पड़ता है।  

शिशुओं में कब्ज के लक्षण और संकेत

छोटे बच्चों में कब्ज होना बहुत आम है और ठीक करना भी उतना कठिन नहीं है। यदि बच्चा छोटा है और उसका पाचन तंत्र ठीक न रहने के कारण तनाव पड़ता है तो इसके परिणामस्वरूप बच्चे को कब्ज की समस्या हो सकती है। बच्चों में कब्ज होने के कुछ सामान्य कारण हैं, आइए जानें;

  • कई बार डायट में बदलाव होने से बच्चे को कब्ज होता है। यदि बच्चा माँ का दूध न पीकर फॉर्मूला दूध पीता है या सॉलिड फूड खाता है तो उसे कब्ज की समस्या हो सकती है। डायट बदलने से बच्चे में तनाव बढ़ता है और इसके परिणामस्वरूप कब्ज होता है।
  • कुछ मामलों में इसकी वजह से बच्चे को कुछ गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं। यह बहुत दुर्लभ है क्योंकि बहुत बार डायट बदलने की वजह से भी कब्ज होता है।
  • डिहाइड्रेशन होने से भी कब्ज की समस्या हो जाती है क्योंकि बॉवल मूवमेंट को मुलायम करने के लिए पाचन तंत्र को पर्याप्त पानी की जरूरत होती है।
  • कुछ मेडिकल समस्याएं, जैसे थ्रश, फूड पॉइजनिंग या जुकाम होने से मेटाबॉलिज्म में प्रभाव पड़ता है जिससे बच्चे को कब्ज हो सकता है।
  • यद्यपि दूध बच्चों के लिए अच्छा होता है पर इसमें फाइबर की पर्याप्त मात्रा न होने के कारण पाचन ठीक से नहीं पाता है। फाइबर जरूरी है क्योंकि यह बॉवल मूवमेंट को मुलायम करने में मदद करता है इसलिए ज्यादा दूध पीने से कब्ज होता है।
  • ऐनल में दरार होने से पॉटी आने में तकलीफ होती है और दर्द भी होता है।
  • एक्टिव न रहने से भी कब्ज की समस्या होती है। शारीरिक एक्टिविटी करने से बच्चों में पाचन ठीक रहता है और कब्ज जैसी समस्याएं नहीं होती हैं।

शुरूआती दिनों में यह समझ पाना कठिन है कि बच्चे को कब्ज हुआ है या नहीं। हालांकि इसे कुछ निम्नलिखित लक्षणों से समझा जा सकता है, आइए जानें;

  • बच्चे को पॉटी जाने के बाद बहुत ज्यादा इरिटेशन या दर्द हो सकता है और यह उसके चेहरे से साफ पता चलता है। यदि बच्चा छोटा है तो वह इस दौरान बहुत तेज रोएगा।
  • यदि बच्चे को कब्ज है तो वह सप्ताह में दो से तीन बार ही पॉटी जाएगा।
  • कब्ज होने से बच्चे को भूख नहीं लगती है और वह खाना खाने से मना करता है। इस दौरान पॉटी हार्ड होती है और दुर्गंध भी आती है।
  • कब्ज होने की वजह से पेट निकलता है और भारी होने के साथ हार्ड हो जाता है।
  • कब्ज की वजह से बच्चे को उल्टी व मतली की समस्या भी होती है।
  • पाचन समस्याओं की वजह से अन्य सिस्टम्स में भी प्रभाव पड़ता है और बच्चे में पेशाब से संबंधित समस्याएं भी हो सकती हैं।

बच्चों के लिए सूखे आलूबुखारा के जूस की डोज

बच्चे को उसकी आयु के अनुसार नियंत्रित मात्रा में ही प्रून जूस देना चाहिए। यदि बच्चा 6 महीने से कम आयु का है तो आप इसमें 2 बड़ा चम्मच अन्य जूस या पानी जरूर मिलाएं ताकि इसका फ्लेवर कम हो और कब्ज में आराम मिले। बड़े बच्चों को ज्यादा मात्रा में भी सूखे आलूबुखारा का जूस दे सकती हैं। हालांकि आप बच्चे को दिन भर में 6 आउंस से ज्यादा जूस न दें और सही डोज जानने के लिए पेडिअट्रिशन से चर्चा जरूर करें। 

क्या बच्चे को रोजाना सूखे आलूबुखारा का जूस देना चाहिए?

यदि आपको लगता है कि आपके बच्चे को लगातार कब्ज हो रहा है और रोजाना प्रून जूस पीने से उसे फायदा होता है तो आप इसका उपयोग रोज करें। इसका लैक्सेटिव प्रभाव बच्चे की पॉटी को मुलायम करेगा और इससे कब्ज की समस्या ठीक होगी। हालांकि आप बच्चे को दिन में 6 आउंस यानी 177.44 मिली लीटर से ज्यादा जूस न दें और इसे किसी अन्य जूस या पानी की तीन गुना मात्रा में मिलाएं। 

बच्चों में कब्ज से आराम के लिए सूखे आलूबुखारा के जूस का उपयोग कैसे करें

आप बच्चे को सूखे आलूबुखारा का जूस देने से पहले इसके डोज के बारे में पेडिअट्रिशन से बात करें। छोटे बच्चों के लिए आप थोड़े से जूस को ज्यादा पानी में मिलाकर दें। हालांकि बच्चे की आयु के अनुसार ही इसका डोज बढ़ाया जा सकता है। यदि बच्चे को लगातार कब्ज की समस्या होती है तो आप उसे पूरी सावधानी के साथ ही प्रून जूस पिलाएं। 

बच्चों में प्रून जूस के अन्य फायदे

लैक्सेटिव होने के अलावा सूखे हुए आलूबुखारा के स्वास्थ्य संबंधी कई फायदे हैं, आइए जानें; 

  • कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखता है: प्रून के जूस में बहुत ज्यादा क्लोरोजेनिक एसिड होता है जो शरीर में हानिकारक कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है।
  • कैंसर से लड़ता है: प्रून का जूस दिमाग को फ्री रैडिकल्स की क्षति से सुरक्षित रखता है ताकि रोगों से बचने में मदद मिल सके, जैसे कार्डियोवस्कुलर डैमेज और कैंसर।
  • हेल्दी कार्डियोवस्कुलर सिस्टम: प्रून के जूस में पोटैशियम की मात्रा बहुत रहती है इसलिए यह बच्चे के ब्लड प्रेशर को बनाए रखता है। इससे लंबे समय तक दिल भी सुरक्षित रहता है।
  • डायबिटीज से छुटकारा मिलता है: प्रून के जूस में नेचुरल सुंदर की मात्रा शरीर से शुगर के स्तर को बढ़ाती है और छोटी उम्र में ही डायबिटीज को खत्म करने में मदद करती है। टीन एज में डायबिटीज होना बहुत आम है और प्रून जूस की मदद से इसमें देरी की जा सकती है।
  • एनीमिया ठीक होता है: प्रून के जूस में आयरन की मात्रा ज्यादा होती है जो एनीमिया को ठीक करने के लिए जरूरी है। आयरन की कमी से कई समस्याएं होती हैं, जैसे थकान और विकास में रूकावट और इसे प्रून जूस के सेवन से ठीक किया जा सकता है।
  • बच्चों में मजबूती आती है: प्लम और प्रून में मौजूद मिनरल विशेषकर बोरोन से विकास के दिनों में हड्डियां व मसल्स मजबूत होती हैं।
  • डिटॉक्स: प्रून जूस में मौजूद फाइबर से शाइर में बाइल उत्पन्न होता है जिससे बच्चे के शरीर से हानिकारक टॉक्सिन्स  खत्म होने में मदद मिलती है।
  • बालों की देखभाल: प्रून के जूस में मिनरल और विटामिन होते हैं जो बालों को हेल्दी रखने में मदद करते हैं और बालों को चमकदार व घने बनाने में मदद करते हैं।

बच्चों में सूखे आलूबुखारा के जूस के साइड-इफेक्ट्स

प्रून का जूस लैक्सेटिव होता है इसलिए अधिक मात्रा में यह लेने से पाचन तंत्र खराब होता है। यदि सही मात्रा का उपयोग नहीं किया गया तो इससे बच्चे को डायरिया हो सकता है जिसके परिणामस्वरूप पानी जैसी पॉटी होती है। 

घर में प्रून का जूस बनाने का तरीका

बच्चों में कब्ज की समस्या को ठीक करने के लिए आप दो तरीकों से सूखे आलूबुखारा का जूस बनाएं, आइए जानते हैं; 

तरीका 1 

प्रून सिर्फ सूखे हुए आलूबुखारा होते हैं इसलिए इसका जूस बनाना कठिन नहीं है। 

कैसे बनाएं 

इसे बनाने के लिए पहले आलूबुखारा को एक दिन के लिए पानी में सॉफ्ट होने तक भिगो कर रख दें। अब आपको इसके बीज निकालने हैं और इसे ब्लेंडर में डालें। यदि जरूरत है तो आप इसमें केला या सेब का जूस मिलाकर ब्लेंड कर लें। 

तरीका 2 

प्रून का जूस बनाने के लिए इसे पानी में उबालें। 

कैसे बनाएं 

एक सॉसपैन में पानी लें और उसमें प्रून डालकर मध्यम आंच में उबाल लें। प्रून ठंडे होने के बाद आप इससे बीज निकालें और ब्लेंडर में ब्लेंड करके पेस्ट बना लें। अब स्वाद को बढ़ाने के लिए इसमें सेब या अन्य फल का जूस मिलाएं। 

बच्चों में कब्ज को ठीक करने और अच्छे पाचन के लिए प्रून या सूखे आलूबुखारा का जूस बेहतरीन है। हालांकि इसका उपयोग करने से पहले आप इसके डोज से संबंधित जानकारी के लिए डॉक्टर से सलाह जरूर लें। 

यह भी पढ़ें:

बच्चों के लिए फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ
बच्चों को खाने से एलर्जी होना
बच्चों को दूध से एलर्जी होना

सुरक्षा कटियार

Recent Posts

अ अक्षर से शुरू होने वाले शब्द | A Akshar Se Shuru Hone Wale Shabd

हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…

3 days ago

6 का पहाड़ा – 6 Ka Table In Hindi

बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…

3 days ago

गर्भावस्था में मिर्गी के दौरे – Pregnancy Mein Mirgi Ke Daure

गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…

3 days ago

9 का पहाड़ा – 9 Ka Table In Hindi

गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…

5 days ago

2 से 10 का पहाड़ा – 2-10 Ka Table In Hindi

गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…

5 days ago

10 का पहाड़ा – 10 Ka Table In Hindi

10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…

5 days ago