छोटे बच्चों में हीट स्ट्रोक: कारण, लक्षण और उपचार

Heat stroke in babies

एक बच्चा कई कारणों से बीमार पड़ सकता है या उसके शरीर में इंटरनल प्रॉब्लम हो सकती हैं। बच्चे की हेल्थ पर नजर बनाए रखने का सही तरीका यह है कि आप उसकी इंटरनल बॉडी टेम्परेचर की जाँच करती रहें। बड़ों की तरह ही अगर बच्चे के शरीर का तापमान कंट्रोल से बाहर चला जाता है तो इससे आपके बच्चे को हीट स्ट्रोक हो सकता है। इन परिस्थितियों में, यदि आप सावधान नहीं बरतती हैं, तो आपके बच्चे को गंभीर परिणाम भुगतना पड़ सकता है। इस स्थिति का मुकाबला करने के पहले आपको इस समस्या को अच्छी तरह जानना होगा।

हीट स्ट्रोक (लू लगना) क्या है?

एक इंसान के शरीर का इंटरनल टेम्परेचर उसके ब्लड फ्लो, ऑर्गन और बॉडी को फिट रखने में मदद करता है। आपके बच्चे का शरीर लगातार बढ़ रहा होता है, लेकिन इसके बावजूद भी उनके शरीर में ऑटोमेटेड सिस्टम होता है जो शरीर का तापमान को कंट्रोल रखता है और शरीर ठंडा रखता है। जब इस सिस्टम को टेम्परेचर से समझौता करना पड़ता है, तो यह आपके बच्चे को शरीर के तापमान में बहुत ज्यादा बढ़ा देता है। यह बच्चे के लिए बेहद खतरनाक और घातक साबित हो सकता है। जब आपके बच्चे का शरीर हद से ज्यादा गर्म करने लगता है और जल्दी ठंडा नहीं हो रहा होता है, तो ऐसी कंडीशन को हीट स्ट्रोक या लू लगने के रूप में जाना जाता है।

बच्चों में हीट स्ट्रोक (लू लगने) का क्या कारण है 

हीट स्ट्रोक का सामना करने के लिए आपको सबसे पहले इसके पीछे का कारण जानना होगा, जो कुछ इस प्रकार हैं:

  • डिहाइड्रेशन 
  • बाहर के तापमान बहुत ज्यादा होना 
  • कुपोषण
  • कपड़ों में घुटन महसूस होना

अपने बच्चे में हीट स्ट्रोक की समस्या का कारण जानने के लिए आपको अपने डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

बच्चे में हीट स्ट्रोक (लू लगने) के संकेत और लक्षण

हीट स्ट्रोक के कारणों को जानने के अलावा, यह समझना भी बेहद जरूरी है कि अगर आपके बच्चे को हीट स्ट्रोक होता है, तो आप यह कैसे जानेंगी कि आपका बच्चा इस समस्या से पीड़ित है। यदि आपका बच्चा बहुत ज्यादा गर्म हो जाता है तो यह पहचानने के लिए आपको यहाँ कुछ कुछ लक्षण बताए गए हैं, जिससे आपको हीट स्ट्रोक की समस्या को समझने में मदद मिलेगी:

  • यदि बच्चे का बुखार 103 डिग्री फारेनहाइट से भी ज्यादा होता है और सेल्सियस में यह तापमान 39 डिग्री से ऊपर होता है, साथ ही आपके बच्चे को पसीना नहीं आता है ऐसे हालातों में यह हीट स्ट्रोक का एक लक्षण हो सकता है।
  • यदि आपका बच्चा गर्मी के महीनों में लंबे समय तक थकान महसूस करता है या फिर गर्म कमरे में रहने के बाद उन्हें हीट स्ट्रोक हो सकता है।
  • यदि आपको संदेह है कि आपके बच्चे को हीट स्ट्रोक हो सकता है, तो एक मिनट के लिए बच्चे की पल्स चेक करें, अगर प्लस तेज चल रही है, तो यह बच्चे में हीट स्ट्रोक का एक संकेत हो सकता है।
  • यदि आपके बच्चे त्वचा जल रही हो या लाल और सूखी पड़ गई हो, तो यह हीट स्ट्रोक के लक्षण हो सकता है।
  • चक्कर आना भी हीट स्ट्रोक का संकेत है, खासकर गर्म तापमान में।
  • यह समझना महत्वपूर्ण है कि हीट स्ट्रोक के अन्य लक्षणों में सिरदर्द, बेचैनी, उल्टी या यहाँ तक ​​कि आपके बच्चे का होश खोना आदि शामिल है। यदि आपको ये लक्षण अपने बच्चे में दिखाई देते हैं तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

बच्चें के लिए हीट स्ट्रोक (लू लगने) का उपचार

अगर आपके बच्चे को सीरियस हीट स्ट्रोक होता है तो आपको विशेष रूप से सलाह दी जाती है कि या तो आप एम्बुलेंस को कॉल करके बुलाएं या नहीं फिर खुद ही बच्चे को नजदीकी हॉस्पिटल में ले जाएं। यहाँ आपको कुछ टिप्स दी गई हैं, जिसे आप हल्के फुल्के हीट स्ट्रोक के मामले में अमल कर सकती हैं:

  • बच्चे को ढीले कपड़े पहनाएं
  • उन्हें पंखें या एयर कंडीशनिंग रूम में लिटाएं 
  • बच्चे के माथे और कंधों पर गीला कपड़ा रखें 
  • उन्हें आइस बाथ दें 

माइनर हीट स्ट्रोक से जुड़ी अधिक जानकरी के लिए आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

बच्चों में हीट स्ट्रोक (लू लगने) से कैसे बचाएं  

बच्चो में हीट स्ट्रोक का पता लगाना काफी मुश्किल हो सकता है। यहाँ आपको इससे  बचने के कुछ तरीके दिए गए हैं:

  • अपने बच्चे को ढीले कपड़े पहनाएं
  • उन्हें घर के अंदर ही रखें खासकर के अगर बाहर गर्मी हो तो 
  • बच्चे को हाइड्रेटेड रखें
  • इस बात का खयाल रखें कि आप अपने बच्चे को गर्मियों में धीरे-धीरे बाहर भेजें 
  • बच्चे के बाहर जाने के टाइम को लिमिटेड रखें खासकर दोपहर में 
  • बच्चे को एयर कंडीशनिंग या पंखे वाले कमरे में बिठाएं 
  • गर्मियों के समय में मसालेदार भोजन से बचें

अगर सावधानी नहीं बरती गई तो हीट स्ट्रोक बेहद खतरनाक हो सकता है। आप अपने डॉक्टर से बात करें कि बच्चे को हीट स्ट्रोक से बचाने के लिए आप क्या कर सकती हैं। इस बात को याद रखें कि इलाज करने से बेहतर बचाव करना होता है, इसलिए पहले ही ऐसी स्थिति को होने से रोकें।

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