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ये कहानी सिंड्रेला नाम की एक राजकुमारी की है, जिसको उसकी सौतेली माँ और बहने बहुत सताती थी। लेकिन उसकी अच्छाई की वजह से उसे आगे एक राजकुमारी की तरह जिन्दगी बिताने का मौका मिला। कहते हैं न सब्र का फल मीठा होता है। यदि हम खुद पर भरोसा करते हैं और हिम्मत नहीं हारते तो जिंदगी में आगे चलकर बेहतर रास्ते हासिल होते हैं। सिंड्रेला जैसी परी की कहानियां बच्चों को बहुत पसंद आती है। यदि आपको भी ऐसी कहानियों में दिलचस्पी है तो हमारे साथ ऐसे ही जुड़े रहें।
सालों पहले की बात है, एक दूर देश में सिंड्रेला नाम की खूबसूरत लड़की रहती थी। वह सिर्फ सुंदर ही नहीं बल्कि बुद्धिमान और दयालु स्वाभाव की भी थी। सिंड्रेला ने बचपन में ही अपनी माँ को खो दिया था। जिसके बाद उसके पिता ने दूसरी शादी कर ली और अब वह अपने पिता, सौतेली माँ और दो सौतेली बहनों के साथ रहती थी। उसकी सौतेली माँ और बहने उसे अपना नहीं मानती थी और उसके साथ बुरा व्यवहार करती थी। तीनों के मन में उसको लेकर ईर्ष्या थी क्योंकि उसकी सुंदरता और समझदारी के आगे वह लोग फीके पड़ जाते थे। उसकी दोनों सौतेली बहने न सुंदर थी और बुद्धि की भी थोड़ी कमी थी।
एक दिन सिंड्रेला के पिता को अपने काम की वजह से बाहर जाना पड़ा। पिता की न मौजूदगी में सौतेली माँ और उसकी बहनों ने उसके साथ बुरा बर्ताव करना शुरू कर दिया था। उसके सभी अच्छे कपड़े उतरवाकर उसे फटे-पुराने नौकरानी के कपड़ें पहनने को दिए। तीनों उसके साथ बिलकुल नौकरानी जैसा सुलूक करने लगे।
वे घर में सिंड्रेला से खाना बनवाते, घर में झाड़ू-पोछा लगवाते, कपड़ें और बर्तन भी धोने के लिए दे देते थे। इन सब कामों से उनका मन नहीं भरा तो उन्होंने उसका कमरा भी छीन लिया और उसे स्टोर रूम में रहने के लिए कहा। हतास सिंड्रेला के पास उनकी बातों को मानने के अलावा कोई रास्ता नहीं था।
सिंड्रेला बिलकुल दुखी और अकेली हो गई थी, अब बस उसके घर के पास पेड़ों में रहने वाली चिड़िया और स्टोर में मौजूद चूहें ही सिर्फ उसके दोस्त थे। वह दिन भर घर में नौकरानी की तरह काम करती और रात में अपने इन्ही दोस्तों से बातें करते-करते सो जाती थी।
सिंड्रेला जिस देश की निवासी थी, वहां के राजा अपने बेटे की शादी करवाना चाहते थे इसलिए उन्होंने अपने सिपाहियों को बाजार में इसकी घोषणा करने के लिए भेजा कि राजा ने महल में राजकुमार के विवाह के लिए एक समारोह का आयोजन किया है। इस समारोह में उन्होंने नगर की उन सभी लड़कियों को न्योता दिया था जो शादी के लिए योग्य हैं। इस खबर को जैसे ही सिंड्रेला की सौतेली बहनों ने सुना तो वह तुरंत अपनी माँ को बताने चली गई। उनकी माँ ने तुरंत कहा – “इस समारोह में तुम दोनों ही सबसे खूबसूरत लड़कियां होगी और राजकुमार तुम दोनों में से एक से ही शादी करेगा, किसी और से नहीं।”
ये बातें सिंड्रेला भी सुन रही थी और उसका मन भी इस समारोह में जाने का था, लेकिन इसकी अनुमति अपनी सौतेली माँ से लेने के लिए वह बहुत डरी हुई थी।
उसकी सौतेली माँ और बहनों ने समारोह में जाने की तैयारियां शुरू कर दी। सबने अपने लिए नए कपड़ें सिलवाएं, जूते लिए। सिंड्रेला की बहने रोज यही अभ्यास करती थी कि जब वह राजकुमार से मिलेंगी, तो क्या कहेंगी और कैसे बातें करेंगी। मन ही मन सिंड्रैला भी अपनी तैयारी में लगी थी और राजकुमार से मिलने का सपना संजो रही थी।
कई दिन बीतने के बाद समारोह का दिन आ ही गया। सिंड्रेला की बहने उस समारोह में जाने के लिए बहुत ज्यादा उत्साहित थीं। दोनों सुबह से ही तैयारियों में लगी हुई थीं और सिंड्रेला भी उनकी मदद कर रही थी। जब उसने अपने बहनों को अच्छे से तैयार कर दिया तब उसने हिम्मत करते हुए अपनी माँ से पूछा – “माँ, मेरी भी तो शादी की उम्र है, क्या मैं भी समारोह में जा सकती हूं?” सिंड्रेला की बात सुनकर तीनों बहुत जोर से हंसने लगे और बोला, “राजकुमार अपने लिए पत्नी ढूंढ रहे हैं, नौकरानी नहीं।” इतना कहने के बाद वह तीनों समारोह के लिए निकल गई।
उनकी बातें सुनकर सिंड्रेला बहुत दुखी हो गई और बैठकर रोने लगी। तभी अचानक से उसके सामने एक तेज रौशनी आयी और उसमें से एक परी सामने आई। परी सिंड्रेला के पास गई और बोली, “मेरी प्रिय सिंड्रेला, मुझे पता है कि तुम क्यों इतनी उदास हो, लेकिन अब तुम्हारे खुश होने का वक्त आ गया है। तुम उस समारोह में जरूर जाओगी। लेकिन इसके लिए मुझे एक कद्दू और पांच चूहें चाहिए।”
सिंड्रेला को कुछ समझ नहीं आ रहा था, लेकिन उसने वैसा ही किया जैसा परी ने उससे कहा। वह दौड़कर किचन में रखा हुआ बड़ा सा कद्दू ले आई और स्टोर रूम से अपने चूहें दोस्तों को भी साथ में ले आई। सब सामान आ जाने के बाद परी ने अपनी जादुई छड़ी से कद्दू को एक बग्गी में बदल दिया और चूहों की तरह छड़ी कर के उन्हें 4 खूबसूरत घोड़ों में तब्दील कर दिया और एक चूहे को बग्गी चलाने वाला बना दिया।
परी की इस जादू को देखकर सिंड्रेला को बिलकुल भी विश्वास नहीं हुआ। इससे पहले सिंड्रेला परी से कुछ पूछती तभी परी ने उसकी तरफ अपनी जादुई झड़ी कर दी और उसे एक सुंदर राजकुमारी की तरह सजा दिया। उसने बहुत ही खूबसूरत गाउन पहना और पैरों में चमकते हुई जूते। वह राजकुमार के समारोह में जाने के लिए पूरी तरह से तैयार थी और बहुत खुश थी।
परी ने सिंड्रेला को बोला, “अब तुम समारोह में जा सकती हो, लेकिन इस बात का ध्यान रखना की वापस घर 12 बजे तक लौट आना क्योंकि 12 बजे मेरे किए गए जादू का असर कम हो जाएगा और तुम्हारा असली रूप सबके सामने आ जाएगा।” सिंड्रेला ने परी को शुक्रिया किया और अपने बग्गी में बैठकरराजा के महल की ओर चल दी।
जब सिंड्रेला राजमहल पहुंची सबकी नजर उसकी खूबसूरती पर टिक गई। सिंड्रेला की सौतेली माँ और बहने भी वहां मौजूद थीं, लेकिन वो इतनी सुंदर और आकर्षक दिख रही थी कि वह लोग उसे पहचान नहीं पाए। तभी सिंड्रेला की नजर राजकुमार की तरफ पड़ी तो वह सीढ़ियों से नीचे उतर रहा था। हर कोई राजकुमार को देख रहा था, लेकिन जब राजकुमार की नजर सिंड्रेला पर पड़ी तो वह उसे देखकर कर मंत्रमुग्ध हो गया।
समारोह में बहुत सी राजकुमारियां आई थी, लेकिन राजकुमार सबको अनदेखा कर के सीधे सिंड्रेला के पास पहुंच गया और अपना हाथ उसकी ओर बढ़ाते हुए बोला क्या आप मेरे साथ डांस करना चाहेंगी? सिंड्रेला ने खुश होते हुए अपना हाथ राजकुमार की तरफ बढ़ा दिया और दोनों साथ में डांस करने लगे।
दोनों लोग साथ में डांस करते-करते खो गए, तभी सिंड्रेला की नजर वहां लगी घड़ी पर पड़ी तो देखा 12 बजने ही वाला था। सिंड्रेला को परी की बात याद आई और वो घबराकर राजकुमार के साथ बीच में डांस छोड़कर वहां से भागने लगी। राजकुमार भी उसका पीछा कर रहा था। लेकिन वो इतनी जल्दी में थी उसने जल्दबाजी में अपना एक जूता भी वहां छोड़ दिया था। भागते हुए सिंड्रेला बग्गी में बैठी और वहां से निकल गई। राजकुमार उसके पीछे बाहर आया तब तक सिंड्रेला वहां से जा चुकी थी, लेकिन उसको सिंड्रेला का जूता मिला। ये सब देखकर राजकुमार काफी उदास हो गया था और सोचने लगा की वह सिंड्रेला को ढूंढ कर रहेगा।
अगले दिन राजकुमार ने अपने महल के सभी सिपाहियों को सिंड्रेला का जूता दिया और कहा – “हर घर में जाकर समारोह में आई हर लड़की को ये जूता पहनाकर देखो। जिसके पैर में ये जूता फिट आएगा, उसे महल ले आओ।”
राजकुमार की बात सुनकर सिपाहियों ने बिलकुल वैसा ही किया। वह लोग शहर के हर घर पर गए जहां से लड़कियां समारोह में आई थी। हर लड़की को उन्होंने जूता पहनाकर देखा। कभी किसी लड़की को जूता छोटा होता या फिर किसी को बड़ा हो रहा था। शहर के हर घर में ढूंढने के बाद सिपाही आखिर में सिंड्रेला के घर पहुंचे। सिपाहियों को आते हुए सिंड्रेला ने देख लिया और वो समझ गई की वो राजकुमार के कहने पर उसे ढूंढने आए होंगे और वो खुश होकर दरवाजा खोलने के लिए दौड़ी।
उसी वक्त सिंड्रेला की सौतेली माँ ने उसे दरवाजा खोलने से रोक दिया। सौतेली माँ ने उससे पूछा, तुम कहां जा रही हो? सिपाही उस लड़की को ढूंढ रहे हैं, जो कल रात समारोह में गई थी। तुम तो कल वहां नहीं आई थी, तो तुम नीचे जाकर क्या करोगी? ऐसा कहने के बाद उन्होंने सिंड्रेला को स्टोर रूम में ही बंद कर दिया और चाबी अपने पास रख ली।
सिपाही जब घर पहुंचे तो सिंड्रेला की सौतेली बहनों ने जूता पहनने की कोशिश की, लेकिन उन्हें वह जूता फिट नहीं हो रहा था। ये सब देखकर सिंड्रेला उदास होकर रोने लगी। उसकी ऐसी हालत देखकर उसका चूहा दोस्त दरवाजे के नीचे से निकलकर दौड़ते हुए सौतेली माँ के पास से चुप चाप चाबी लेकर आया और सिंड्रेला को दे दी। चाबी मिलने के बाद सिंड्रेला ने दरवाजा खोला और नीचे भागकर गई।
जैसे ही सिपाही महल के लिए लौटने वाले थे तभी उन्हें सिंड्रेला की आवाज आई, “मुझे भी एक बार जूता पहनने दें।” ये सुनकर सिंड्रेला की सौतेली माँ और बहने हंसने लगीं लेकिन उसके बावजूद सिपाही ने सिंड्रेला को जूता पहनाया और जैसे ही उसने अपना पैर जूते में डाला, वह झट से उसे बिलकुल सही फिट हो गया। ये देखकर सब हैरान हो गए और सिपाही ने उससे पूछा, क्या ये जूता आपका है?” इस बात पर सिंड्रेला ने हां कहा।
इसके बाद सिंड्रेला को सिपाही बग्गी में बिठाकर राजकुमार के पास महल ले गए। राजकुमार ने जब सिंड्रेला को देखा तो वह बहुत खुश हुआ। सिंड्रेला को देखते ही राजकुमार ने उसके सामने शादी का प्रस्ताव सामने रख दिया, जिसके जवाब में सिंड्रेला ने खुश होकर इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। दोनों की शादी हो गई और एक साथ खुशहाल जीवन महल में बिताने लगे।
सिंड्रेला की ये कहानी हमें ये सीख देती है कि चाहे आपका समय कितना भी बुरा क्यों न हो, आपको खुद पर भरोसा रखना चाहिए और कभी भी अच्छाई पर से भरोसा नहीं उठाना चाहिए। यदि आपका मन अच्छा और सच्चा हो तो आपके साथ हमेशा अंत में अच्छा ही होगा।
सिंड्रेला की कहानी परी की कहानियों में आता है और यह अपने सपनों को पाने ले लिए खुद पर भरोसा करने की प्रेरणा देते हुए एक प्रेरणादायक कहानियों में भी आता है।
सिंड्रेला की नैतिक कहानी ये है कि यदि आपके मन में अच्छी और साफ भावनाएं मौजूद हैं, तो वक्त चाहे जितना बुरा क्यों न हो आपको हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। समय के साथ सब अच्छा हो जाता है।
जिंदगी में आपके जीवन में बहुत से उतार-चढ़ाव आते हैं, लेकिन आपको अच्छे वक्त के लिए कभी भी उम्मीद नहीं हारनी चाहिए। लोगों को अपनी अच्छाई पर विश्वास होना चाहिए क्योंकि अंत में आपको मुसीबत से निकलने का रास्ता मिल जाता है।
ये कहानी सिंड्रेला की है जो अपने सौतेली माँ और दो बहनों के साथ रहती थी। ये माँ और उसकी बेटियां सिंड्रेला पर बहुत अत्याचार करते थे। लेकिन इसके बावजूद वह सब बेहतर होने की उम्मीद कभी नहीं हारती है। अंत में उसके साथ अच्छा होता है और वह राजकुमार के साथ शादी कर के खुशी खुशी रहने लगती है। परियों और सिंड्रेला जैसी कहानियां बच्चियों को बहुत पसंद आती है। हम उम्मीद करते हैं आपकी बेटी भी इस कहानी को पढ़ना पसंद करेगी।
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