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कुछ दंपति आसानी से गर्भधारण कर लेते हैं, लेकिन कुछ के लिए यह मुश्किल हो सकता है। अगर आप ऐसे कपल्स में से हैं, जो गर्भधारण करने की कोशिश कर रहे हैं, पर इसमें सफल नहीं हो पा रहे हैं, तो इनफर्टिलिटी यानी बाँझपन इसका एक संभावित कारण हो सकता है। आजकल इनफर्टिलिटी की समस्या बहुत आम हो गई है और अगर आप अपना बच्चा चाहती हैं और इसके लिए आपने अपना धैर्य कायम रखा है (और उम्मीद नहीं छोड़ी है), तो गर्भधारण के चांस को बढ़ाने के लिए आप कुछ फर्टिलिटी ट्रीटमेंट आजमा सकती हैं।
क्लोमीफीन सिट्रेट, जिसे आमतौर पर क्लोमिड के नाम से जाना जाता है, एक ऐसी दवा है, जिसे ओवुलेशन को ट्रिगर करने के लिए और फर्टिलिटी के इलाज के लिए बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। यह दवा क्या है, कैसे काम करती है और इसके साइड इफेक्ट क्या होते हैं, इन सब के बारे में अधिक जानकारी के लिए आगे पढ़ें।
क्लोमिड या क्लोमीफीन सिट्रेट, सिलेक्टिव एस्ट्रोजन रिसेप्टर माड्यूलेटर (एसईआरएम) श्रेणी की दवाओं में से एक नॉनस्टेरॉयडल ओवुलेटरी स्टिम्युलेंट है। आमतौर पर, यह वह पहली दवा होती है, जो कि उस महिला को दी जाती है, जो नियमित रूप से ओवुलेट नहीं करती है। यह दवा खासकर पीसीओएस और विभिन्न प्रकार के एमीनॉरिया से ग्रस्त महिलाओं में ओवुलेटरी डिस्फंक्शन के इलाज के लिए रिकमेंड की जाती है। अगर महिला ओवुलेशन में सक्षम नहीं है या पॉलीसिस्टिक ओवरी के कारण उसके पीरियड्स अनियमित हैं, तो स्थिति के आधार पर डॉक्टर क्लोमिड की विभिन्न खुराक दे सकते हैं। क्लोमिड को अकेले या फिर मेटफॉर्मिन के कॉम्बिनेशन के साथ प्रिस्क्राइब किया जा सकता है।
डॉक्टर क्लोमीफीन सिट्रेट या क्लोमीफीन को ओवुलेशन को प्रेरित करने के लिए प्रिसक्राइब करते हैं और महिला में फर्टिलिटी के इलाज के लिए यह पहला कदम होता है। जब आपका शरीर फॉलिकल में परिपक्व अंडे को खुद डेवलप करने में सक्षम नहीं होता है, तब आपको क्लोमीफीन की जरूरत होती है। निम्नलिखित मामलों में यह दवा प्रिसक्राइब की जा सकती है:
क्लोमीफीन सिट्रेट (क्लोमिड), एस्ट्रोजन के लिए एक एगोनिस्ट के साथ-साथ एक एंटागनिस्ट के रूप में भी काम करता है। यह परिपक्व फॉलिकल के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और ओवरी में अंडे के प्रोडक्शन को बढ़ावा देता है। यह निम्नलिखित तरीकों से काम करता है:
ओवुलेशन को उत्पन्न करने के लिए क्लोमीफीन का इस्तेमाल एक स्थाई और प्रभावी इलाज है। महिला में ओवुलेशन की प्रक्रिया को सामान्य बनाने के लिए, इसका इस्तेमाल किया जाता है। लगभग 50 मिलीग्राम क्लोमीफीन सिट्रेट की सफलता की दर काफी ऊंची है और हल्के साइड इफेक्ट के बावजूद इसे प्राथमिकता दी जाती है। क्लोमिड लेने वाली लगभग 70 से 80% महिलाएं इस दवा के असर से ओवुलेट हो जाती हैं। वहीं 40% गर्भधारण कर लेती हैं और लगभग 10 से 12% की डिलीवरी भी हो जाती है। क्लोमिड से इलाज शुरू करने पर या शुरुआती 6 महीने के अंदर गर्भधारण की संभावना 50% होती है।
पहली सायकल पर क्लोमिड की सफलता की दर, स्थिति के ऊपर निर्भर करती है। अगर किसी महिला की उम्र 35 से अधिक है, लेकिन उसके शरीर में पर्याप्त मात्रा में अंडे उपलब्ध हैं, तो उसे इस दवा से फायदा हो सकता है। वहीं अगर कोई महिला मोटापे की शिकार है या किसी का वजन आवश्यकता से कम है, तो उसके लिए भी यह काम करेगा, ऐसा जरूरी नहीं है।
इस इलाज की सफलता में क्लोमीफीन सिट्रेट की खुराक एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। आमतौर पर शुरुआत में, मासिक धर्म के तीसरे दिन से सातवें दिन तक इसकी सबसे कम खुराक यानी 50 मिलीग्राम दी जाती है। कुछ डॉक्टर सलाह देते हैं, कि इसे आपके मासिक धर्म के पांचवे से नौवें दिन तक लिया जाना चाहिए। यह दवा मुंह से ली जाती है और 5 दिनों के लिए, हर दिन एक ही समय पर दवा लेनी चाहिए।
अगर आप क्लोमिड के शुरुआती कम खुराक के साथ ओवुलेट नहीं करती हैं, तो डॉक्टर दवा की खुराक को 50 मिलीग्राम से बढ़ा देते हैं। इसी तरह जब तक यह दवा काम नहीं करती, तब तक इसे बढ़ाते हुए अधिकतम 250 मिलीग्राम तक की खुराक दी जा सकती है। अगर आप 6 सायकल तक ओवुलेट नहीं करती हैं, तो यह दवा बंद कर दी जाती है और कोई अन्य वैकल्पिक इलाज शुरू किया जा सकता है।
जब आप क्लोमिड ले रही हों, तो अपनी ओवुलेशन सायकल को चेक करना जरूरी है, क्योंकि इससे आपको सबसे फर्टाइल समय के बारे में जानने में मदद मिलती है। आप कई तरह से अपने ओवुलेशन स्टेटस पर नजर रख सकती हैं। ऐसे कुछ तरीके नीचे दिए गए हैं:
क्लोमीफीन दवा के साथ इलाज को अधिकतम 6 महीने तक जारी रखना चाहिए। 6 महीने से अधिक समय तक इसका इस्तेमाल करने से इसके नुकसान हो सकते हैं, क्योंकि क्लोमिड में एंटी एस्ट्रोजन गुण होते हैं, जो कि एंडोमेट्रियल लाइनिंग और सर्वाइकल म्यूकस पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
ऐसा देखा गया है, कि जिन महिलाओं पर क्लोमिड का असर होता है, वे इलाज शुरू करने के बाद शुरुआती 3 महीनों के अंदर गर्भवती हो जाती हैं। 6 महीने के बाद गर्भधारण करने की संभावना बहुत कम हो जाती है।
क्लोमीफीन सिट्रेट दवा ओवुलेशन में मदद करती हैं और जो महिलाएं प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं कर पाती हैं, यह उन्हें इसमें मदद करती है। क्लोमिड में एंटी एस्ट्रोजेनिक गुण होते हैं, जिसके कारण इसके कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं। ये साइड इफेक्ट आमतौर पर दवा बंद करने के बाद अपने आप चले जाते हैं। इससे होने वाले आम साइड इफेक्ट नीचे दिए गए हैं:
महिला में प्रोजेस्ट्रोन का उत्पादन बढ़ने के कारण मतली का अनुभव हो सकता है।
प्रोजेस्टेरोन का लेवल बढ़ने से ब्रेस्ट में दर्द, सेंसिटिविटी आ सकती है।
क्लोमीफीन सिट्रेट के कारण ओवरी का आकार बढ़ सकता है। इसके कारण पेट में दर्द और तकलीफ की समस्या हो सकती है।
क्लोमिड के कारण भावनात्मक और मानसिक साइड इफेक्ट हो सकते हैं, जैसे कि मूड स्विंग।
मेनोपॉज की तरह ही हॉट फ्लैशेज भी क्लोमिड का अक्सर होने वाला एक साइड इफेक्ट है। यह बहुत गंभीर नहीं होता है, लेकिन किसी के लिए भी असुविधा और झुंझलाहट का कारण बन सकता है।
लंबे समय तक क्लोमीफीन सिट्रेट का इस्तेमाल करने से, ओवेरियन सिस्ट जैसी कुछ गंभीर समस्याएं हो सकती हैं और इनफर्टिलिटी और भी बिगड़ सकती है। इसलिए इस दवा को डॉक्टर की सलाह के अनुसार, अधिक से अधिक चार से छह सायकल तक ही लेने की सलाह दी जाती है। क्लोमिड के कारण होने वाले विभिन्न नकारात्मक प्रभाव इस प्रकार हैं:
क्लोमिड के कारण गर्भाशय की परत पतली हो सकती है, क्योंकि इसमें एंटी एस्ट्रोजन गुण होते हैं। सायकल के दौरान, एस्ट्रोजन एंडोमेट्रियम को मोटा कर देता है। लेकिन इंड्यूस्ड ओवुलेशन के मामले में क्लोमिड लाइनिंग की मोटे होने की प्रक्रिया को पूरा होने में रुकावट पैदा करता है, जिसके कारण गर्भधारण की संभावना कम हो सकती है।
गर्भधारण में सर्वाइकल म्यूकस एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस म्यूकस के कारण ही स्पर्म जीवित रह पाता है और गर्भाशय तक तैर पाता है। एस्ट्रोजन सर्वाइकल ग्लैंड को स्टिम्युलेट करके पानी जैसे पारदर्शी म्यूकस के उत्पादन में मदद करता है। क्लोमीफीन एक एंटी एस्ट्रोजन के रूप में काम करता है, जो कि म्यूकस के उत्पादन को कम कर देता है और म्यूकस को गाढ़ा कर देता है। इससे गर्भधारण की संभावना प्रभावित हो जाती है।
इनफर्टिलिटी के इलाज के दौरान, केवल क्लोमीफीन सिट्रेट का इस्तेमाल करने वाली महिलाओं में ओएचएसएस एक बहुत ही दुर्लभ स्थिति है। ज्यादातर मामलों में यह तब होता है, जब क्लोमीफीन को गोनाडोट्रोपिन के साथ दिया जाता है। इस स्थिति में ओवरी का आकार बड़ा हो जाता है और उसमें कई फॉलिकल्स बन जाते हैं। इसमें बहुत गंभीर दर्द होता है और पेट में सूजन हो जाती है।
क्लोमीफीन सिट्रेट लेने वाली कुछ महिलाओं में नजर के धुंधले होने की समस्या देखी जाती है। ऐसे मामलों में दवा के इस्तेमाल को रोक दिया जाता है।
क्लोमिड के इस्तेमाल से एक से अधिक अंडों के प्रोडक्शन की संभावना अधिक होती है। लगभग 10% गर्भावस्था में क्लोमिड के कारण जुड़वां बच्चे होते हैं और 1% से कम मामलों में 3 या उससे अधिक बच्चे देखे जाते हैं।
क्लोमिड गर्भधारण के लिए सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली दवाओं में से एक है, क्योंकि यह आपको फर्टिलिटी की समस्याओं से निजात पाने में और गर्भधारण करने में मदद करती है। लेकिन इसके सेवन के दौरान सावधानी बरतना जरूरी है, ताकि इससे आपके स्वास्थ्य को कोई नुकसान न हो और समस्या और जटिल न हो सके। अगर आपको कोई खास एलर्जी है या कोई दूसरी बीमारियां हैं, तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर को बताना चाहिए, जैसे:
जब स्थिति के बिगड़ने का खतरा हो या शरीर पर इस दवा का कोई भी प्रभाव ना पड़े, तो क्लोमिड लेने की सलाह नहीं दी जाती है। ऐसी स्थितियों में इस दवा के बजाय किसी अन्य विकल्प और इलाज का चुनाव करना ही बेहतर होता है। निम्नलिखित मामलों में इस दवा के इस्तेमाल से बचना चाहिए:
ओवुलेशन की समस्या से ग्रस्त ज्यादातर महिलाएं, क्लोमीफीन के इस्तेमाल के 3 महीनों के अंदर गर्भधारण कर लेती हैं। 5 दिनों तक क्लोमीफीन लेने के बाद, आपको ओवुलेशन के लिए इंतजार करना चाहिए और सबसे फर्टाइल दिनों में शारीरिक संबंध बनाने चाहिए। अगर आप एक किट या अल्ट्रासाउंड के द्वारा अपने ओवुलेशन को मॉनिटर करती हैं और ओवुलेशन के ठीक पहले इंटरकोर्स करती हैं, तो आपके गर्भवती होने की संभावना ज्यादा होती है।
हां, क्लोमीफीन आपके ओवुलेशन के दिन को बदल सकता है। आप क्लोमीफीन की आखिरी गोली लेने के 5 से 10 दिनों बाद ओवुलेट कर सकती हैं।
जो कपल गर्भधारण की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें अपने सायकल के सबसे फर्टाइल समय के दौरान इंटरकोर्स करना चाहिए। महिलाएं क्लोमिड की आखिरी गोली लेने के 7 से 10 दिनों के बाद ओवुलेट करती हैं, इसलिए फर्टाइल पीरियड सायकल के 14वें और 19वें दिन के बीच माना जा सकता है। आपके मासिक चक्र के 11 से 21 दिन तक, हर दूसरे दिन आपको सेक्स करने की सलाह दी जाती है। अगर आपको क्लोमिड के उपचार के साथ एक एचसीजी का इंजेक्शन भी दिया जा रहा है, तो आपको सुई लेने वाले दिन और उसके बाद के दिनों में सेक्स करने की सलाह दी जाती है। इन बातों का ध्यान रखकर फर्टिलाइजेशन की संभावना बढ़ जाती है।
जो कपल गर्भधारण का प्रयास कर रहे हैं, उनके लिए क्लोमिड एक उपयोगी दवा है और इसे हमेशा डॉक्टर की सलाह के साथ ही लेना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें, कि दवा लेने पर इसके प्रति अपने शरीर की प्रतिक्रिया को ट्रैक करें और अगर यह आपके लिए काम नहीं करती है, तो इलाज के किसी अन्य विकल्प का चुनाव करने के लिए तैयार रहें।
डिस्क्लेमर: यह लेख क्लोमिड के इस्तेमाल के बारे में केवल एक साधारण जानकारी देता है और इसे एक सटीक गाइडलाइन नहीं समझना चाहिए। इस लेख में दी गई जानकारी किसी प्रोफेशनल मेडिकल सलाह, डायग्नोसिस या इलाज का विकल्प नहीं है और ना ही यह लेख इसका कोई दावा करता है। पाठकों को हम इस फर्टिलिटी दवा के सेवन के संबंध में डॉक्टर से परामर्श लेने की सलाह देते हैं।
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