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माता और पिता दोनों ही जब एक साथ मिलकर बच्चे की परवरिश करते हैं, तो वह बच्चे को बड़ा करने का सबसे बेहतर तरीका होता है। लेकिन अगर आपका तलाक हो चुका है या आप अपने पार्टनर से ब्रेकअप कर चुके हैं, तो यह संभव नहीं हो पाता है। ऐसी स्थिति में, अलग हो चुके पार्टनर के साथ आपको बच्चे की को-पेरेंटिंग करनी पड़ सकती है। क्या आप इस तरह के पेरेंटिंग के बारे में जानते हैं? अगर नहीं, तो यह लेख आपको पेंटिंग के इस तरीके और इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी दे सकता है।
हो सकता है आपने अपने पार्टनर से सारे रिश्ते खत्म कर दिए होंगे, लेकिन वह अभी भी आपके बच्चे की छोटी सी दुनिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आपके बच्चे की भलाई के लिए जरूरी है, कि आप दोनों ही बच्चे की जिम्मेदारियों को आपस में कुछ इस तरह से बांट लें या अरेंजमेंट कर लें, कि बच्चे की परवरिश में दोनों की हिस्सेदारी हो। इसलिए, जब बच्चे की परवरिश के लिए आप और आपके पार्टनर अपनी जिम्मेदारियों को बांट लेते हैं और साथ मिलकर यह काम करते हैं, तो इसे को-पेरेंटिंग कहा जाता है।
यहां पर को-पेरेंटिंग के कुछ विकल्प दिए गए हैं, जिन पर आपकी रजामंदी हो सकती है:
इस तरह की को-पेरेंटिंग में माता और पिता दोनों ही, बच्चे की परवरिश में एक्टिव रूप से सम्मिलित होते हैं। हालांकि, वे एक दूसरे से कोई संबंध नहीं रखते हैं। औसतन, अलग हो चुके कपल में से लगभग 50% इस तरह की पेरेंटिंग के लिए हामी भरते हैं। इसमें दूसरे पार्टनर के साथ या तो कोई संबंध नहीं होता है या फिर कम से कम सहयोग होता है और इस प्रकार किसी तरह के झगड़े होने की संभावना भी बहुत कम होती है।
यह एक ऐसी को-पेरेंटिंग है, जिसमें दोनों ही पैरेंट अपने बच्चे की भलाई के लिए दोस्तों के रूप में काम करते हैं। वे न केवल एक दूसरे को सहयोग करते हैं, बल्कि एक दूसरे की पेरेंटिंग की जरूरतों की तरफ एक फ्लेक्सिबल अप्रोच भी रखते हैं। अलग हो चुके जोड़ों में से, लगभग 25% इस तरह की को-पेरेंटिंग को अपनाते हैं।
कभी-कभी एक या दोनों ही पार्टनर, भावनात्मक या शारीरिक रूप से इतने तैयार नहीं होते हैं, कि इस रिश्ते को छोड़ सकें। जिसके कारण गुस्सा, मतभेद और नियंत्रण जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। इससे कॉनफ्लिक्टेड को-पेरेंटिंग का रास्ता तैयार हो जाता है। इससे एक नकारात्मक वातावरण पैदा होता है और बच्चे को भी भावनात्मक नुकसान हो सकता है।
को-पेरेंटिंग से आपके बच्चे को कुछ फायदे मिलते हैं, उनमें से कुछ नीचे दिए गए हैं:
यहां पर कुछ ऐसी बातें बताई गई हैं, जिन्हें आजमाकर आप अपने पार्टनर के साथ तलाक होने के बाद एक सफल को-पेरेंटिंग प्लान बना सकते हैं:
प्रभावी ढंग से को-पेरेंटिंग करने के कुछ टिप्स नीचे दिए गए हैं:
हालांकि, अपने एक्स के साथ हमेशा संपर्क बनाए रखना मुश्किल हो सकता है, लेकिन आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए, कि आप यह केवल अपने बच्चे के लिए कर रहे हैं। अपने बच्चे के जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में एक दूसरे को जानकारी देते रहें।
कभी-कभी किसी कमी को पूरा करने के क्रम में आप जरूरत से ज्यादा और हद से बड़ी चीजें करने लगते हैं। अपने बच्चे को जरूरत से ज्यादा पैंपर करना कभी-कभार के लिए ठीक है, पर ऐसा हमेशा करने से बच्चा बिगड़ सकता है।
भले ही आप दोनों एक साथ ना रह रहे हों, लेकिन जब पेरेंटिंग की बात आती है, तो आपको हर निर्णय एक साथ लेने चाहिए। बच्चे अक्सर ही आप दोनों के साथ की परीक्षा ले सकते हैं, खासकर जब पेरेंट्स दूर रह रहे हों तो।
हम सभी में कुछ न कुछ खास होता है और हर पैरेंट अपना खास गुण अपने बच्चे को दे सकते हैं। एक दूसरे के प्रति सकारात्मक सोच रखें और अपने बच्चे को आप दोनों के ही खास गुणों के फायदा मिलने दें।
आपके और आपके पार्टनर के परिवारों की इस प्रक्रिया में क्या भूमिका होगी, इसके बारे में भी प्लान करें। एक स्पष्ट बाउंड्री तैयार करने से दोनों ही परिवारों को एक दूसरे के साथ अच्छे संबंध बनाने में मदद मिलेगी।
आपके पार्टनर के लिए आपकी भावनाएं चाहे कितनी भी कड़वी क्यों न हों, बच्चे के सामने इसे न दिखाएं। एक दूसरे के प्रति सम्मानजनक व्यवहार रखें।
पेरेंटिंग की तकनीक और योजनाओं को एक साथ डिस्कस करने के लिए, स्वस्थ बातचीत के लिए दरवाजे खोलने की जरूरत होती है। इसलिए चिट्ठी, ईमेल, मैसेज जैसे विभिन्न माध्यमों से बातचीत को बढ़ावा देना चाहिए।
आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए, कि दोनों ही घरों में बच्चे के लिए नियम एक जैसे होने चाहिए। हालांकि, आपको इसके प्रति अधिक कठोर होने की जरूरत नहीं है, लेकिन बेसिक को-पेरेंटिंग रूल और गाइडलाइन्स एक जैसे होने चाहिए। उदाहरण के लिए, अगर खाना खाने का समय 8:00 बजे का है और सोने का समय 9:30 बजे का है, तो इन नियमों का पालन करने की कोशिश करनी चाहिए।
को-पेरेंटिंग के अच्छी तरह से काम करने के लिए निम्नलिखित पहलुओं से बचना चाहिए:
कूल पैरेंट बनने के लिए अपनी पेरेंटिंग में ढीलापन ना आने दें। इस व्यवहार से दूसरे पैरेंट के मन में आपके प्रति क्रोध और शत्रुता की भावना पैदा हो सकती है।
टूटी हुई शादी से इंसान अंदर तक हिल जाता है और आप अपने बच्चे को लेकर जरूरत से ज्यादा चिंतित हो सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें, कि जरूरत से ज्यादा दयावान पैरंट ना बनें, यह आपके बच्चे के लिए ठीक नहीं है।
बच्चा अपने पेरेंट्स के प्रति एक अलग नजरिया रख सकता है। इसलिए आपको पूर्वधारणाएं नहीं बनानी चाहिए और बच्चे के सामने सच को उजागर नहीं करना चाहिए। अपने बच्चे के हिस्से की कहानी को सुनकर नतीजे तक न पहुंचें। अगर आपको इससे परेशानी हो रही है, तो आप अपने एक्स पार्टनर से बात भी कर सकते हैं।
ब्रेकअप आपका हुआ है, आपके बच्चे का नहीं। इसलिए अपने पार्टनर के प्रति अपनी भावनाओं और एहसासों को बच्चे पर लाद देना सही नहीं है। इससे आपके पार्टनर से आपके बच्चे का रिश्ता खराब हो सकता है।
हम समझते हैं, कि आप अपने एक्स से उसकी गलतियों का बदला लेना चाहते हैं, लेकिन आपको अपने बच्चे की कीमत पर ऐसा नहीं करना चाहिए। आपको अपने हिस्से की जिम्मेदारियां निभानी चाहिए, क्योंकि ऐसा नहीं करने से आप न केवल अपने एक्स को दुख पहुंचाएंगे, बल्कि यह आपके बच्चे की भावनाओं पर भी बुरा प्रभाव डालेगा।
जब दो लोग एक दूसरे से अलग होते हैं, तो बहुत सारी चीजें बदल जाती हैं। अपने बच्चे को अपने इस अलगाव से प्रभावित न होने दें। खुद को उसकी जगह पर रख कर देखें और कल्पना करें, कि वह किस अनुभव से गुजर रहा है और फिर अपने एक्स पार्टनर के साथ मिलकर एक ऐसा प्लान तैयार करें, जो पूरी तरह से आपके बच्चे के फायदे के लिए हो।
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