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क्या आप जानती हैं कि ऐसे भी कई मामले हैं जिसमें लेबर पेन और डिलीवरी होने तक महिलाओं को पता ही नहीं चल पाया कि वे गर्भवती हैं? यद्यपि इस पर विश्वास नहीं होता है पर फिर भी यह समस्या इतनी भी असामान्य नहीं है जितना आप सोचती हैं। जिन महिलाओं की क्रिप्टिक या गुप्त गर्भावस्था होती है उन्हें मॉर्निंग सिकनेस, वजन में वृद्धि या मिस्ड पीरियड्स जैसे गर्भावस्था के लक्षण बहुत ही कम महसूस होते हैं।
क्रिप्टिक गर्भावस्था एक ऐसी समस्या है जिसमें एक महिला को अपनी गर्भावस्था के बारे में पता ही नहीं चलता । इस समस्या को स्टेल्थ प्रेगनेंसी या गुप्त गर्भावस्था के नाम से भी जाना जाता है। कई मामलों में इन महिलाओं को कहा गया होता है कि वे कभी भी गर्भवती नहीं हो सकेंगी। क्रिप्टिक प्रेगनेंसी में हॉर्मोन एचसीजी (ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन) का स्तर कम होने के कारण गर्भावस्था का पता नहीं लग पाता है।
क्रिप्टिक गर्भावस्था होने के कुछ कारण निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
ओवरी या अंडाशय में मौजूद एक छोटा सा सिस्ट भी महिलाओं के शरीर में हॉर्मोन को असंतुलित कर सकता है। इस दौरान पीसीओएस के कारण महिलाओं के शरीर में हॉर्मोन असंतुलित होने के साथ-साथ मासिक धर्म या पीरियड्स भी अनियमित हो सकते हैं।
एक गर्भावस्था के तुरंत बाद किसी महिला का फिर से गर्भवती होना संभव है। ऐसे मामलों में पीरियड्स स्किप होने को गर्भावस्था के बाद आम माना जाता है। इस स्थिति में एक महिला नहीं समझ पाती है कि वह एक बार फिर से गर्भवती हो गई है।
पेरीमेनोपॉज एक ऐसी समस्या है जिसमें एक महिला के शरीर में मेनोपॉज यानी रजोनिवृत्ति के लक्षण दिखाई देने लगते हैं, जैसे वजन में वृद्धि और हॉर्मोन में उतार–चढ़ाव होना। जब एक महिला पेरीमेनोपॉज के कारण गर्भावस्था को नहीं समझ पाती है तो इसे क्रिप्टिक गर्भावस्था कहा जाता है।
जिन महिलाओं में शारीरिक फैट नहीं होता है या वे बहुत अधिक दुबली–पतली होती हैं और जो महिलाएं एथलीट हैं, उनके शरीर में हॉर्मोनल उतार–चढ़ाव अधिक मात्रा में होता है। इसके परिणामस्वरूप महिलाओं में पीरियड्स नहीं होते हैं और यह प्रेगनेंसी का पता लगाने में भी कठिनाई उत्पन्न कर सकता है।
जो महिलाएं गर्भनिरोधक गोलियां या तरीके उपयोग करती हैं वे इस बात से निश्चिंत रहती हैं कि उनमें गर्भावस्था की संभावना नहीं है। हालांकि इन तरीकों से भी 100% सफलता नहीं मिलती है जिसके परिणामस्वरूप गर्भनिरोधक लेने वाली महिलाएं भी गर्भवती हो सकती हैं।
इन दिनों काम के दबाव और परिवार की समस्याओं के कारण हम सभी बहुत ज्यादा चिंता व तनाव में रहते हैं। विशेषकर महिलाओं के अधिक या लगातार चिंता करने से भी उनके हॉर्मोनल स्तर में उतर–चढ़ाव हो सकता है।
क्रिप्टिक गर्भावस्था में भी कई लक्षण दिखाई दे सकते हैं किंतु अक्सर महिलाएं इन लक्षणों पर ध्यान नहीं दे पाती हैं, वे इस प्रकार हैं;
चूंकि क्रिप्टिक गर्भावस्था सामान्य गर्भावस्थाओं की तुलना में ज्यादा समय तक रहती है, इसलिए यह माना जाता है कि इस दौरान गर्भ में पल रहे बच्चे पर प्रभाव पड़ सकता है। हालांकि यह सच नहीं है। हालांकि इस दौरान गर्भ में पल रहे बच्चे का विकास धीरे होता है।
गर्भावस्था के दौरान देखभाल में कमी होने से जैसे, उस समय धूम्रपान या शराब पीने से आपके गर्भ में पल रहे बच्चे पर प्रभाव पड़ सकता है।
क्रिप्टिक गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को हर महीने पीरियड्स होते हैं, हालांकि इस दौरान ब्लीडिंग कम समय के लिए होती है। इस समय पर मासिक धर्म अनियमित और कभी भी हो सकता है। इसमें खून का बहाव स्पॉटिंग होने से लेकर अधिक रक्तस्राव तक हो सकता है और इसमें खून का रंग गुलाबी, लाल, काला, भूरा या यहाँ तक कि बैंगनी (पर्पल) भी हो सकता है। यह इसलिए होता है क्योंकि इस समय गर्भाशय की ऊपरी परत हटती है और यह मिसकैरेज का संकेत नहीं होता है।
क्रिप्टिक प्रेगनेंसी में वजन धीरे-धीरे बढ़ता या घटता है। इस दौरान एक सामान्य गर्भवती महिला के वजन में वृद्धि होने की तुलना में यह थोड़ा धीमा होता है। गर्भावस्था के शुरूआती दिनों में वजन फूड एवर्जन (खाना अच्छा न लगने) के कारण भी कम हो सकता है। चूंकि क्रिप्टिक गर्भावस्था में महिलाओं को नहीं पता होता है कि वे गर्भवती हैं जिसके कारण वे स्वस्थ आहार का सेवन नहीं करती हैं।
कई बार अल्ट्रासाउंड में भी क्रिप्टिक गर्भावस्था का पता नहीं चल पाता है, इसके कुछ निम्नलिखित कारण हैं;
इस स्थिति में गर्भाशय पीछे या एक तरफ की ओर मुड़ जाता है। यदि गर्भाशय इस पोजीशन में रहता है तो गर्भावस्था के शुरूआती दिनों में अल्ट्रासाउंड के माध्यम से भ्रूण का पता लगाना कठिन होता है।
बाइकोर्न्यूएट गर्भाशय एक जन्मजात समस्या है जिसमें गर्भाशय दो ऊतकों के साथ दिल के आकार में बढ़ता है। यह ऊतकों के दीवार से थोड़ा बहुत या पूरी तरह से विभाजित होता है। इसके परिणामस्वरूप महिलाओं को गर्भधारण करने में कठिनाई होती है और साथ ही यह क्रिप्टिक गर्भावस्था की संभावनाओं को बढ़ाता है।
क्रिप्टिक गर्भावस्था के दौरान स्कार टिश्यू या गर्भाशय में पड़े हुए निशान अल्ट्रासाउंड की तरंगों को रोकते हैं। इसके परिणामस्वरूप स्कैन में गर्भाशय का चित्र स्पष्ट दिखाई नहीं देता है। पेट की सर्जरी होने से और पहले कभी हुए अपूर्ण गर्भपात या मिसकैरेज से भी गर्भाशय में निशान पड़ सकते हैं।
सामान्य गर्भावस्था में किसी भी जांच के माध्यम से खून में एचसीजी की मात्रा का पता लगाया जाता है। गर्भावस्था के दौरान एचसीजी हॉर्मोन प्लेसेंटा के द्वारा उत्पन्न होता है। हालांकि क्रिप्टिक प्रेगनेंसी में गर्भाशय की परत को शरीर से लगातार हटाया जाता है जिससे एचसीजी की मात्रा अधिक नहीं बढ़ती है। इसलिए क्रिप्टिक गर्भावस्था में पेशाब और खून की जांच करने के बाद भी गर्भावस्था का पता नहीं लग पाता है।
एक बार जब बच्चा पूरी तरह से विकसित हो जाता है और दुनिया में आने के लिए तैयार हो जाता है, तो क्रिप्टिक गर्भावस्था वाली महिला को गंभीर ऐंठन महसूस होती है और बर्थ कैनाल के माध्यम से बच्चे को बाहर निकालने के लिए उसका सर्विक्स फैलने लगता है। यद्यपि क्रिप्टिक प्रेगनेंसी के दौरान लेबर सामान्य ही होता है किंतु यह महिलाओं को मानसिक पीड़ा का कारण बन सकता है।
क्रिप्टिक गर्भावस्था के दौरान लेबर के कुछ निम्नलिखित लक्षण हैं, आइए जानें;
पीरियड्स न होने के बावजूद गर्भावस्था का पता न लग पाने के अनेक कारण हैं। यह कारण चिंताओं से लेकर पीसीओएस और मेनोपॉस होना भी हैं। साथ ही क्रिप्टिक गर्भावस्था के दौरान हल्का रक्तस्राव या स्पॉटिंग होने इसे मासिक धर्म समझने की गलती हो सकती है।
क्रिप्टिक गर्भावस्था में कुछ निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं, आइए जानें;
यदि आप विवाहित हैं और संभोग करती हैं तो इस समय क्रिप्टिक गर्भावस्था के लक्षणों पर ध्यान जरूर दें। यदि आपको अपने पेट या श्रोणि क्षेत्र में अधिक दर्द होता है तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें। यदि आपका मासिक धर्म भी नियमित नहीं है तो इस समस्या के बारे में डॉक्टर से बताएं और अपनी जांच करवाएं।
क्रिप्टिक गर्भावस्था का पता लगाना कठिन होता है और यह महिलाओं को शारीरिक व मानसिक रूप से प्रभावित करती है। अपने प्रजनन स्वास्थ्य के बारे में डॉक्टर से परामर्श करने से आप क्रिप्टिक गर्भावस्था से खुद का बचाव कर सकती हैं।
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