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जन्म के चार से सात महीनों में अक्सर बच्चों के दाँत निकलना शुरू हो जाते हैं। इसे टीथिंग कहा जाता है। एक माँ के रूप में आप अपने बच्चे में दाँत निकलने की शुरुआत को देखकर बहुत उत्साहित हो सकती हैं। हालांकि दाँत निकलते समय बच्चों को बहुत ज्यादा दर्द होता है और इससे उन्हें अनेक असुविधाएं हो सकती हैं, जैसे रात को सोने में कठिनाई होना। इस लेख में कुछ ऐसे टिप्स दिए हुए हैं जिनकी मदद से आपके बच्चे के दाँत का दर्द कम हो सकता है और उसे सोने में भी मदद मिल सकती है।
बच्चों के मसूड़ों से दाँत निकलते समय बहुत ज्यादा दर्द होता है और मसूड़ों को दबाने से यह दर्द कम हो जाता है। इसलिए अक्सर दर्द को कम करने के लिए बच्चों के हाथ में जो भी चीज आए वे उसे काटने या चबाने का प्रयास करते हैं और यह स्वाभाविक भी है।
दाँत निकलते समय बच्चों की लार सामान्य से अधिक टपकती है। यदि आप देखती हैं कि आपके बच्चे की लार सामान्य से अधिक टपक रही है तो संभव है कि आपके बच्चे के दाँत निकलने शुरू हो गए होंगे।अपने बच्चे की ठुड्डी को बार-बार पोंछने के लिए एक तौलिया या रुमाल हमेशा साथ रखें।
टीथिंग के दौरान बच्चे के दाँतों में दर्द होने के कारण उसका मूड खराब हो सकता है। दाँत निकलने की प्रक्रिया के दौरान आपका बच्चा अधिक चिड़चिड़ा हो सकता है।
बच्चों के दाँत निकलते समय उन्हें दर्द के साथ-साथ अधिक बेचैनी भी होती है। बेचैनी और दर्द के कारण बच्चा शांति से सो नहीं पाता है और आप देख सकती हैं कि वह रात को बार-बार उठता है या उसकी नींद खराब होती है।
यह एक विपरीत स्थिति हो सकती है जब माँ का दूध पीते समय बच्चे के मसूड़ों में तेज दर्द हो सकता है और इसी कारण से उसकी भूख पर प्रभाव पड़ता है। बच्चे को माँ का दूध पिलाने से पहले उसके दाँतों का दर्द कम करने का प्रयास करें। दर्द कम होते ही आप अपने बच्चे की भूख में सुधार देख सकती हैं।
यदि बच्चे के दाँतों में बहुत अधिक दर्द होता है तो आप देख सकती हैं कि वह ज्यादातर अपना कान खींचेगा या अपने गाल को रगड़ेगा। यह गाल और कान की कॉमन नसों के कारण हो सकता है। हालांकि इस बात का ध्यान रखें कि यदि बच्चा बहुत ज्यादा कान खींचता है तो यह उसके कान में इन्फेक्शन का कारण भी हो सकता है।
यदि आप पहली बार माँ बनी हैं तो आपको बच्चे के पालन-पोषण से संबंधित इतनी सलाह दी जाएगी कि आप हैरान रह जाएंगी। इस दौरान यदि बच्चे के दाँत निकलना शुरू हो गए हैं तो उसे मसूड़ों में बहुत ज्यादा दर्द हो रहा होगा। बच्चों के दाँतों में अत्यधिक दर्द होने के कारण उनकी नींद खराब भी हो सकती है। निम्नलिखित कुछ तरीकों से आप अपने बच्चे के दाँतों के दर्द को कम कर सकती हैं ताकि वह ठीक से सो सके।
ठंडी चीज से आपके बच्चे के मसूड़ों की नसें सुन्न हो सकती हैं और उसका दर्द कम हो सकता है। यही कारण है कि आजकल खिलौने बनाने वाली ज्यादातर कंपनी रबर से बने या जेल से भरे टीथर भी बना रही हैं जिन्हें फ्रिज में रखा जा सकता है। दाँत निकलते समय बच्चों को विशेष रूप से चबाने के लिए टीथर दिया जाता है। टीथर चबाने से बच्चों के मसूड़ों पर दबाव पड़ता है और यह दबाव दाँत निकलते समय होने वाले दर्द को कम करने में मदद करता है। बच्चों और यहाँ तक कि जानवरों में भी दाँत निकलते समय होने वाले दर्द को कम करने की प्रवृति स्वाभाविक है। यदि आपके पास कोई ऐसा खिलौना नहीं है जिसे आप फ्रिज में रख सकें तो आप इसके बजाय एक साफ और फ्रोजन कपड़े का उपयोग भी कर सकती हैं। टीथर को फ्रीजर में रखकर जमाएं नहीं क्योंकि जमा हुआ टीथर कठोर होता है और इससे बच्चे को चोट भी लग सकती है। इसे फ्रिज में रखकर सिर्फ थोड़ा सा ठंडा करें। इसके अलावा यदि आपका बच्चा कुछ चबा रहा है तो उस पर नजर रखें। टीथिंग टॉयज बच्चों को चबाने के लिए दिए जाते हैं न कि निगलने के लिए इसलिए जब वह इसे चबा रहा हो तो उस पर नजर रखें।
बच्चों के दाँत निकलना शुरू होने पर वे अकेले नहीं सो पाते हैं। इस दौरान बच्चे को सुलाते समय आप उंगली से उसके मसूड़ों की मालिश करें। इससे दर्द कम होगा और बच्चे को सोने में मदद भी मिल सकती है। बच्चे के मसूड़ों में उंगली से मालिश करने पर आपको उसके दाँत निकलते हुए भी महसूस होंगे। बच्चों के मसूड़ों में दाँत निकलने वाले हिस्से पर विशेष रूप से मालिश करें। बच्चे के मसूड़ों में मालिश करने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि आपकी उंगलियां पूरी तरह से साफ हैं।
कैमोमाइल चाय शारीरिक सूजन को कम करने, पेट दर्द से राहत दिलाने, इम्युनिटी को बढ़ाने, आराम पहुँचाने और नींद लाने में मदद करती है। दाँत निकलते समय बच्चे के दर्द को कम करने और नींद को लाने में कैमोमाइल चाय अधिक मददगार है। बच्चे को कैमोमाइल चाय उसकी दूध की बोतल में गुनगुनी या हल्की गर्म करके दी जा सकती है। आप चाहें तो एक साफ कपड़े को कैमोमाइल चाय में भिगोकर थोड़ी देर के लिए फ्रिज में ठंडा करें और फिर बच्चे को चबाने के लिए दें। हालांकि इस बात का ध्यान रखें कि 6 महीने से कम आयु के बच्चों को कैमोमाइल चाय न दें और यदि आपका बच्चा 6 माह से बड़ा है तो यह देने से पहले इसके बारे में डॉक्टर से चर्चा करने की सलाह दी जाती है। बच्चे को कैमोमाइल चाय पिलाने से पहले देख लें कि वह ज्यादा ठंडी या बहुत गर्म नहीं है। इसके अलावा अपने हाथ को अच्छी तरह से साफ करें और फिर कैमोमाइल चाय में डुबोकर, फिर बच्चे के मसूड़ों की मालिश करें।
ठंडक से बच्चे के मसूड़ों का दर्द कम होगा और पेट भरा रहने से उसे नींद आने में मदद मिलेगी। आप अपने बच्चे को ठंडा दही या ठंडे फल और सब्जियां, जैसे अंगूर या उबला हुआ गाजर दे सकती हैं। लेकिन इस बात का खयाल रखें कि आप बच्चे को उसकी उम्र के अनुसार ही भोजन खिलाएं, जैसे कुछ ऐसे फल और सब्जियां जिसे वह अच्छी तरह से चबा सके। इसके लिए आप एक मैश फीडिंग बैग भी खरीद सकती हैं। मैश फीडिंग बैग का उपयोग आप अपने बच्चे को सॉलिड फूड सुरक्षित तरीके से खिलाने के लिए कर सकती हैं। इसकी मदद से आपके बच्चे को भोजन का बड़ा टुकड़ा निगलने और गले में अटकने का खतरा नहीं होता है।
बच्चे की अच्छी नींद के लिए महत्वपूर्ण है कि उसके सोने के नियम को निर्धारित करें। यदि बच्चे के सोने का नियम निर्धारित है तो उसका शरीर नियम के पैटर्न को ही फॉलो करता है। एक नियम निर्धारित होने से समय आते ही बच्चे को अपने आप नींद आने लगती है क्योंकि सभी कार्य नियम के अनुसार होने से उसे अवचेतन रूप से संकेत मिलता है कि अब उसके सोने का समय है। यह वास्तव में बच्चे में अच्छी आदतें डालने में मदद करता है। आप बच्चे की दिनचर्या में उसे गुनगुने पानी से स्नान करवाना, उसे पजामा पहनाना, कहानी पढ़कर सुनाना, उसके लिए गाना गाना या नींद आने तक सुलाना शामिल कर सकती हैं।
माँ का दूध पीने के बाद बच्चा बहुत शांति महसूस करता है। जब बच्चे के दाँत निकलने शुरू हो जाते हैं तो वह माँ का दूध पीते समय काट भी सकता है जिससे चोट भी लग सकती है। इससे बचने के लिए बच्चे को दूध पिलाने से पहले उसके मसूड़ों की मालिश करें। माँ का दूध पीने से बच्चा शांत महसूस करता है और उसे सोने में भी मदद मिलती है।
बच्चे को दवाई देना आपका अंतिम विकल्प होना चाहिए। यदि आपने अपने बच्चे के दाँत में दर्द को कम करने के लिए बहुत से तरीके अपनाए हैं और उनसे कोई भी फायदा नहीं हुआ है तो आप उसे दवा दे सकती हैं। दवा से बच्चे का दर्द कम होता है और उसे जल्दी नींद आ सकती है। पर बच्चों के लिए दवाई का उपयोग करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें। डॉक्टर की सलाह के बिना अपने बच्चे को कोई भी दवाई न खिलाएं। ‘आइबूप्रोफेन’ नामक दर्द की दवाइयां विशेष रूप से बच्चों और शिशुओं के लिए ही डाइल्यूट फार्मूला से बनाई जाती है, बच्चे को बड़ों की दवाएं बिलकुल भी न दें। साथ ही अपने बच्चे को कोई भी दवाई देने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लें।
यह कहना मुश्किल है कि बच्चों के दाँतों में दर्द कितने समय तक रहता है। उदाहरण के लिए, कुछ बच्चों को दाँत निकलने के कई महीनों पहले से ही दर्द शुरू हो सकता है। हालांकि, अन्य बच्चों को दाँत मसूड़ों में बनने के बाद और उनके बाहर निकलने के समय में दर्द हो सकता है। अलग-अलग बच्चों में कम या ज्यादा दर्द हो सकता है। जब दाँत मसूड़ों से बाहर निकलने लगते हैं तो ज्यादातर यह दर्द होना बंद हो जाता है। वैसे तो पहले साल में बच्चों के आगे के दाँत निकलने शुरू हो जाते हैं और दाढ़ के पिछले दाँत पहले वर्ष के बाद से दिखाई देने शुरू होते हैं इसलिए एक अवधि ऐसी भी होती है जिस समय बच्चों को दर्द नहीं होता है।
हाँ, बच्चे के दाँत निकलते समय उसके सोने की ट्रेनिंग को जारी रखना चाहिए। ध्यान रखें कि यह ‘चरण’ पहले वर्ष के बाद वापस आता है और बच्चे के दूध के सभी दाँत आने में लगभग 3 साल लगते हैं। दाँत निकलने से आपकी और आपके बच्चे की रातों की नींद भी खराब हो सकती है लेकिन फिर भी उसकी स्लीप ट्रेनिंग को जारी रखें। बच्चे के सोने का एक समय निर्धारित करने और उसे समय से सुलाने से उसे दाँत निकलते समय नींद पूरी करने में मदद मिल सकती है।
एक वेबसाइट के अनुसार, कुछ माता-पिता ने इस बात की सूचना दी है कि दाँत निकलते समय उनके बच्चे अधिक समय तक सोते थे। दाँत निकलते समय दर्द के कारण बच्चे सुस्त हो सकते हैं जिस वजह से उन्हें अधिक नींद आ सकती है। हालांकि इसका कोई प्रमाण नहीं है। यह भी हो सकता है कि आपके बच्चे की वृद्धि तेज हो रही है इसलिए वह ज्यादा सोता है। इस दौरान बच्चा अपने विकास के चरण में होता है और यद्यपि बच्चों का विकास कभी भी स्थिर नहीं रहता है, उनका विकास कभी बहुत तेज होगा और कभी-कभी बहुत धीमा होगा इसलिए बच्चों की इस अवधि को ‘ग्रोथ स्पर्ट’ कहा जाता है। ऐसा देखा गया है कि बच्चा अपने ग्रोथ स्पर्ट के दौरान दिन में या रात में, किसी भी समय पर अधिक सोता है। बच्चों के दाँत निकलना एक प्राकृतिक प्रक्रिया होती है और कभी-कभी इसमें दर्द भी हो सकता है। एक माँ अपने बच्चे को बहुत अच्छी तरह से जानती है इसलिए आप अपने बच्चे के लिए वही करें जो सर्वश्रेष्ठ है।
तब तक बच्चे की स्लीप ट्रेनिंग जारी रखें क्योंकि कुछ समय बाद वह पूरी तरह से ठीक हो जाएगा। आने वाले समय में इसी स्लीप ट्रेनिंग के कारण वह रातभर पूरी नींद लेने के बाद सुबह एक प्यारी सी मुस्कराहट के साथ उठेगा – यह दाँत निकलने के सभी दर्द व तकलीफों को भुला देगा।
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