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गर्भावस्था आपके शरीर को इतने तरीकों से बदल सकती है जितना आप सोच भी नहीं पाएंगी। यदि आपको लगता है कि बच्चे के जन्म के बाद आपकी कठिनाई समाप्त हो जाएगी, तो ऐसा नहीं है। बेशक, आपका बच्चा आपकी प्राथमिकता है लेकिन आपको अपने खुद के शरीर की देखभाल करना भी महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रसव के बाद भी अनेक समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जैसे योनि प्रसव के बाद बवासीर की समस्या।
प्रसवोत्तर बवासीर (पाइल्स) एक जटिलता है जो बच्चे के जन्म के बाद विकसित हो सकती है। मलाशय की नसों में सूजन को बवासीर कहा जाता है, इसमें असामान्य सूजन व गांठ एक साथ होती है। यह गुदा से बाहर भी आ सकता है। बवासीर में अत्यधिक खुजली हो सकती है या दर्द भी होता है। इस समस्या में मल त्याग के दौरान मलाशय से रक्त स्राव होता है।
बवासीर का आकार मूंगफली जितना छोटा हो सकता है या यह अंगूर के आकार के समान भी हो सकता है। जबकि गर्भावस्था के दौरान विकसित बवासीर प्रसव के बाद आसानी से समाप्त हो जाता है परंतु कभी-कभी यह प्रसव के बाद लंबे समय तक भी बना रह सकता है। लगभग 25% महिलाओं को प्रसवोत्तर बवासीर की समस्या होती है।
विभिन्न कारणों से गर्भावस्था के बाद बवासीर हो सकता है, आइए जानते हैं;
निदान के लिए गुदा की एक सरल जांच आवश्यक है। बाहरी बवासीर में एक फोड़ जैसा होता है और आसानी से पहचानी जा सकती है। आंतरिक बवासीर में इसके आकार को निर्धारित करने के लिए हाथ से जांच करने की आवश्यकता होती है। कुछ मामलों में एंडोस्कोपी द्वारा जांच (सिग्मोइडोस्कोपी) और रेडियोलॉजिकल जांच (इरिगोस्कोपी) की भी आवश्यकता पड़ सकती है।
गंभीर स्थिति में बवासीर होने की संभावना होती है, इसके निम्नलिखित लक्षण हैं;
बवासीर और गुदा की तकलीफ से राहत के लिए आप निम्नलिखित तरीकों से तुरंत इलाज करें, वे इस प्रकार हैं;
प्रसव के बाद आमतौर पर दर्द निवारक दवाइयां, बवासीर के उपचार के रूप में उपयोग की जाती हैं। इनमें आइबुप्रोफेन, एस्पिरिन या एसिटामिनोफेन शामिल हैं। इससे प्रसवोत्तर बवासीर की तकलीफ से काफी राहत मिलती है।
क्रीम दर्द, खुजली और रक्तस्राव से बहुत राहत देती है। लक्षणों के आधार पर, तुरंत राहत के लिए सही क्रीम चुनें। हाइड्रोकार्टिसोन युक्त क्रीम खुजली से राहत देने में मदद करती है, जबकि प्रैमॉक्सिन और बेंजोकेन पीड़ा और दर्द के के लिए प्रभावी है।
ऑस्मोटिक एजेंट अर्थात वह पदार्थ जो मल को मुलायम करने में मदद करते हैं। यह कब्ज व तनाव की संभावना को कम करता है। प्रभावी उपचार के लिए डोक्यूसेट (100 मि.ग्रा. से 300 मि.ग्रा.) प्रतिदिन एक सप्ताह तक लेने की सलाह दी जाती है।
लुब्रिकेंट लैक्सेटिव, जैसे मिनरल-युक्त तेल प्रसवोत्तर पाइल्स को ठीक करने में मदद करता है। यह आंतों व मल में तरल पदार्थ को बनाए रखता है। जैसे ही मल मुलायम हो जाता है यह आंतों से सरलता से निकल जाता है।
लैक्सेटिव मल को नर्म करने और आसान मल-त्याग को सुविधाजनक करने में मदद करते हैं । इन पदार्थों को प्राकृतिक और सिंथेटिक स्रोतों से लिया जाता है और इसके सेवन के बाद यह लगभग 12 से 36 घंटों के भीतर कार्य करते हैं।
प्रोबायोटिक्स अनुकूल या फायदेमंद बैक्टीरिया हैं, जो पाचन प्रक्रिया में मदद करते हैं। जब किसी को बवासीर के कारण रक्तस्राव होता है, तो उसके लिए दही एक प्रभावी खाद्य पदार्थ है क्योंकि इसमें जीवित सक्रिय बैक्टीरिया होते हैं। ‘केफिर’ एक दही जैसा खाद्य पदार्थ है जो मल त्याग को उत्तेजित करता है और डिहाइड्रेशन को काफी हद तक कम करता है।
यदि आप घरेलू उपचार पसंद करती हैं और गर्भावस्था के बाद बवासीर के लिए प्राकृतिक उपचार की खोज कर रही हैं, तो कुछ प्रभावी युक्तियों के लिए आगे पढ़ें:
ठीक होने की प्रक्रिया में तेजी लाने और भविष्य में बवासीर को रोकने के लिए, कब्ज से निजात पाना महत्वपूर्ण है। निम्नलिखित आदतें आपको ऐसा करने में मदद कर सकती हैं:
बवासीर की रोकथाम एक आसान प्रक्रिया है जिसे आप अपनी रोजमर्रा के जीवन में सरलता से कर सकती हैं। गर्भावस्था के दौरान और बाद में इस समस्या को रोकने के लिए निम्नलिखित सुझावों को अपनाएं।
यदि आपकी गुदा से रक्त स्राव होता है तो तुरंत डॉक्टर को संपर्क करें। यदि घर पर देखभाल से आपको कोई भी बेहतर परिणाम नहीं मिल रहे हैं तो आपके लिए डॉक्टर से बात करने का यह सही समय है। कड़क पाइल्स होने पर या दर्द बढ़ने पर भी डॉक्टर को दिखाएं क्योंकि शरीर के अंदर रक्त के थक्के हो सकते हैं जिसे हटाने के लिए चिकित्सीय प्रक्रिया की आवश्यकता पड़ सकती है।
बवासीर जीवन के लिए खतरा पैदा नहीं करता है, लेकिन इससे दर्द व परेशानी हो सकती है। हालांकि, यदि आप अपनी जीवनशैली को सक्रिय रखती हैं तो आपके लिए बवासीर (पाइल्स) जैसी समस्या को नियंत्रित करना संभव हो सकता है और दवाओं के साथ प्राकृतिक उपचार इस समस्या को खत्म करने में मदद कर सकते हैं।
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