गर्भावस्था

डिलीवरी के बाद ब्रेस्ट मिल्क न निकलना: कारण और निदान

डिलीवरी के बाद नई माँ का ब्रेस्ट मिल्क आने में तीन से चार दिन लग सकते हैं । किसी विशेष मेडिकल कॉम्प्लिकेशन या डिलीवरी की मेडिकल प्रक्रिया से लैक्टेशन में देरी हो सकती है । यह भी देखा गया है कि लगभग 25 प्रतिशत से ज्यादा महिलाओं में लैक्टेशन की प्रक्रिया में तीन दिन तक की देर हुई। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि लैक्टेशन हुआ ही नहीं है, लेकिन इसके बावजूद भी यह चिंता का विषय हो सकता है। इसके संभावित कारण और उपचार के बारे में जानने के लिए आगे पढ़ना जारी रखें।

ब्रेस्ट मिल्क कैसे आता है?

प्रोलैक्टिन, कोर्टिसोल, ऑक्सीटोसिन और इंसुलिन हार्मोन हैं जो ब्रेस्ट मिल्क के उत्पादन के लिए आवश्यक होते हैं और प्रेगनेंसी के दौरान एक महिला के शरीर में उत्पन्न होते हैं। हालांकि, ब्रेस्ट मिल्क का उत्पादन बच्चे के  जन्म के 30 से 40 घंटे बाद ही शुरू हो जाता है। हार्मोन प्रोजेस्टेरोन, जो ब्रेस्ट मिल्क के उत्पादन को रोकता है, बच्चे के जन्म और प्लेसेंटा के गर्भाशय से अलग होने के बाद, उसका लेवल कम होने लगता है। प्रोजेस्टेरोन का लेवल कम होने के कारण ब्रेस्ट मिल्क का उत्पादन शुरू हो जाता है।

डिलीवरी के बाद ब्रेस्ट मिल्क कब आना शुरू होता है?

डिलीवरी के कुछ दिनों बाद, माँ के स्तन भरे-भरे लगने लगते हैं, यह पहला संकेत है कि स्तनों में दूध आना शुरू हो चुका है। प्रोलैक्टिन हार्मोन, जो माँ के शरीर को दूध का उत्पादन करने के लिए तैयार करता है, गर्भावस्था के दौरान बढ़ता जाता है। हालांकि, इस दौरान प्रोजेस्टेरोन नामक हार्मोन दूध के उत्पादन में रुकावट पैदा करता है। यह प्लेसेंटा के कारण बनता है, जिसकी वजह से शरीर में प्रोलैक्टिन प्रभावी ढंग अपना कार्य नहीं कर पाता है। बच्चे के पैदा होने के बाद ही माँ के शरीर में ब्रेस्ट मिल्क का प्रोडक्शन सही तरह से शुरू होता है और प्लेसेंटा से बनने वाले हार्मोन बंद होने लगते हैं। अक्सर प्रेग्नेंट महिलाएं यह देखती हैं कि कभी-कभी उनके ब्रेस्ट से थोड़ा दूध लीक कर रहा है। कोलोस्ट्रम पहला दूध होता है जो बिलकुल क्रीमी होता है और यह मिड-प्रेगनेंसी के दौरान बनना शुरू हो जाता है। यह ब्रेस्ट मिल्क बनने से पहले नवजात शिशु को आवश्यक पोषण प्रदान करता है।

ब्रेस्ट मिल्क न बनने का कारण

नवजात शिशुओं के लिए नेचुरल ब्रेस्टफीडिंग ही सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है। कुछ माओं के लिए, दुर्भाग्य से, यह संभव नहीं हो पाता है, खासकर शुरुआत में । कई कारणों से ब्रेस्ट मिल्क नहीं आता है या बहुत कम मात्रा में प्रोडूस होता है। जिसकी वजह से आप  बच्चे की आवश्यकताओं को पूरा करने में नाकाम रहती हैं, यह एक्सपर्ट और मेडिकल प्रैक्टिशनर के लिए भी एक विचार का मुद्दा है। यहाँ, ऐसे कुछ कारणों को दिया गया है और समझने का प्रयास किया गया है जिनकी वजह से ब्रेस्ट मिल्क प्रोडूस नहीं हो पाता है।

1.स्ट्रेस

आककल की तनावपूर्ण जिंदगी के कारण हम अपने परिवार को, दोस्तों को, यहाँ तक कभी-कभी खुद को भी ठीक से समय नहीं दे पाते हैं। डॉक्टरों का भी कहना है कि तनाव बीमारियों की जड़ है। यह एंग्जायटी, हार्ट प्रॉब्लम, डिप्रेशन और ब्रेस्ट मिल्क के प्रोडक्शन में कमी आदि का कारण बन सकता है।

2. हार्मोनल असंतुलन

थायरॉयड ग्लैंड एक छोटी सी तितली के शेप के सामान होती है, जो होती तो छोटी सी है लेकिन यह हार्मोन के संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यदि थायरॉयड ग्लैंड में कोई समस्या हो जाए तो इसके कारण हार्मोनल असंतुलन हो सकता है, जिसकी वजह से दूध का उत्पादन कम होता है या फिर बिलकुल होता ही नहीं है। इसके अलावा एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन ब्रेस्ट डेवलपमेंट, प्युबर्टी और महिलाओं में फर्टिलिटी को बनाए रखने में मदद करता है। गर्भावस्था के दौरान दूध उत्पादन में प्रोलैक्टिन मदद करता है और ऑक्सीटोसिन हार्मोन डक्ट (नलिकाओं) के माध्यम से दूध का प्रवाह बढ़ाने में मदद करता है। थायरॉइड ग्लैंड  फंक्शन के दौरान इन हार्मोन की कमी के कारण यह ब्रेस्ट मिल्क के प्रोडक्शन पर प्रभाव डाल सकता है।

3. लाइफस्टाइल

गर्भावस्था का समय बेहद नाजुक होता है। इस समय आपको अपनी लाइफस्टाइल पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है। एक खराब लाइफस्टाइल, उचित आहार न लेना, धूम्रपान और ड्रग्स लेना, ज्यादा मात्रा में कैफीन लेना, आदि कारक ब्रेस्ट मिल्क के बनने को प्रभावित कर सकते हैं।

4. बर्थ कंट्रोल

बर्थ कंट्रोल पिल्स लेने से आपके शरीर में हार्मोन असंतुलन हो जाता है। इसके कारण महिलाओं को कुछ समय के लिए या लंबे समय के लिए स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं । कुछ महिलाएं बच्चे के जन्म के बाद ये गोलियां लेना शुरू कर देती हैं और इसकी वजह से डिलीवरी के बाद दूध का उत्पादन नहीं हो पाता है।

5. कुछ दवाएं और हर्ब्स

बर्थ कंट्रोल की गोलियां लेने से या कुछ हर्ब्स लेने से भी दूध बनने पर प्रभाव पड़ सकता है। अपने डॉक्टर से प्रिस्क्रिप्शन दवाओं या किसी अन्य दवा का इस्तेमाल करने से पहले पूछ लें। हर्ब जैसे कि सेज, ओरीगेनो, पार्स्ले और पुदीनाआदि भी ब्रेस्ट मिल्क के प्रोडक्शन में रूकावट पैदा करते हैं। आपको यह सलाह दी जाती है कि मिल्क प्रोडक्शन को बढ़ाने के लिए आपको अपने डॉक्टर से पूछना चाहिए की इसके लिए क्या डाइट फॉलो कर सकती हैं।

6. आसपास का वातावरण

एयर पॉल्यूशन का बढ़ना, पानी और भोजन का दूषित होना और पर्यावरण दिन पर दिन खराब होते जाना आज के समय की एक कठोर सच्चाई है। इन कारणों से भी ब्रेस्ट मिल्क प्रोडक्शन पर प्रभाव पड़ता है। हालांकि इस मामले में ज्यादा कुछ नहीं किया जा सकता, लेकिन भोजन और पानी को लेकर आप सावधानी बरत सकती हैं। ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं के साथ कुछ समय के लिए भीड़भाड़ और प्रदूषण वाली जगहों से बचना चाहिए यही समझदारी है।

7. डिलीवरी में मुश्किल होना

सारी सुविधाओं के बाद भी बहुत बार चीजें वैसी नहीं होती हैं जैसा सोचा गया होता है, ऐसा आपकी प्रेगनेंसी में भी हो सकता है। ऐसे कई मामले हैं जिनका सामना महिलाओं को डिलीवरी के समय करना पड़ा है। लेबर में परेशनी होने से लेकर बवासीर की समस्या तक ऐसे कई फैक्टर हैं जिनके कारण डिलीवरी के समय बहुत दिक्कत होती है। इस तरह की डिलीवरी से होने वाला तनाव मिल्क प्रोडक्शन पर भी प्रभाव डालता है। डिलीवरी के बाद होने वाली बवासीर के कारण हार्मोन का लेवल कम हो जाता है और ब्रेस्ट मिल्क नहीं बनता है, जिसे शीहान सिंड्रोम कहा जाता है।

8. स्टोरेज साइज

ब्रेस्ट के साइज से दूध के बनने और उसे स्टोर करने का कोई संबंध नहीं होता है, बल्कि यह दूध बनाने वाले टिश्यू पर निर्भर करता है, कुछ महिलाओं का ब्रेस्ट बड़ा होता है लेकिन दूध कम होता है, कभी कभी एक तरफ के ब्रेस्ट से ज्यादा दूध आता है। जिन महिलाओं को बहुत ज्यादा मिल्क प्रोडक्शन होता है, वे दूध को पंप करके निकालती हैं या ज्यादा से ज्यादा बार फीड कराती हैं।

9. दूध का कम निकलना

जितना ज्यादा बच्चा ब्रेस्टफीडिंग करेगा उतना ही ज्यादा दूध बढ़ेगा। यदि बच्चा ठीक से ब्रेस्टफीडिंग नहीं कर पा रहा है, तो फिर दूध कम होने लगेगा। इसलिए यह जरूरी है मिल्क प्रोडक्शन को बढ़ाने के लिए दूध को निकाला जाए। स्तनों की मालिश करने से मिल्क प्रोडक्शन में ज्यादा मदद मिलती है और इस बात का ध्यान रखें की बच्चा ठीक से लैच कर रह है या नहीं ताकि दूध अच्छी तरह से ड्रेन हो सके।

स्तनपान की शुरुआत में देरी

सामान्य परिस्थितियों में, डिलीवरी के 40 घंटों के अंदर कोलोस्ट्रम माँ के स्तन में उपलब्ध हो जाता है। ब्रेस्टमिल्क को ठीक से आने में दो से तीन दिन लगते हैं। कुछ मामलों में, ब्रेस्टमिल्क को आने में पाँच दिन भी लग सकते हैं। ब्रेस्टफीडिंग में देरी, दूध के धीरे-धीरे आने की वजह से होती है। ब्रेस्ट मिल्क प्रोडक्शन के कम होने का मतलब यह नहीं है कि दूध बिल्कुल नहीं आएगा। मेडिकल बर्थिंग और कुछ दवाओं के कारण ऐसा हो सकता है। ब्रेस्टफीडिंग शुरू करने में देरी के कुछ संभावित कारणों को नीचे बताया गया है।

1. स्ट्रेसफुल डिलीवरी

सी सेक्शन या लेबर में देर तक रहने के कारण स्ट्रेस हार्मोन बढ़ सकता है, जिससे इसका सीधा प्रभाव दूध के बनने पर पड़ सकता है।

2. आईवी फ्लूड

जन्म के दौरान आईवी फ्लूड के कारण लैक्टेशन में देरी हो सकती ।

3. ब्लड लॉस

डिलीवरी के दौरान बहुत ज्यादा रक्त बह जाने की वजह से पिट्यूटरी ग्लैंड को नुकसान पहुँच सकता है। यह ग्लैंड मस्तिष्क में होता है, जो लैक्टेशन को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होता है। 500 मिलीलीटर से अधिक ब्लड लॉस चिंता का कारण हो सकता है।

4. प्लेसेंटा

बचे हुए प्लेसेंटा के कारण प्रोजेस्टेरोन रिलीज हो सकता है, जिसकी वजह से लैक्टेशन की शुरुआत में देरी हो सकती है।

5. पेन किलर

लेबर के दौरान दी जाने वाली पेन किलर दवाओं से भी मिल्क प्रोडक्शन प्रभावित हो सकता है, जिसके कारण लैक्टेशन की शुरुआत में देरी हो सकती हैं।

6. प्रीमैच्योर बर्थ

ब्रेस्ट में मौजूद ग्लैंड टिश्यू को प्रीमैच्योर बर्थ के मामले में विकसित होने का समय नहीं मिलता है जिसकी वजह से यह ब्रेस्ट मिल्क प्रोडक्शन पर असर डालता है।

7. ब्रेस्टफीडिंग

जन्म के बाद पहले कुछ घंटों के भीतर दूध पिलाना या हाथ से दूध निकाल कर पिलाना जरूरी होता  है। जन्म के बाद शुरुआती दिनों में हाथ से दूध निकाल कर ब्रेस्टफीडिंग करना आवश्यक होता है, क्योंकि जब तक पुराना दूध नहीं निकलेगा तब तक नए दूध का उत्पादन नहीं होगा।

8. डायबिटीज

ब्रेस्ट मिल्क प्रोडक्शन के लिए एक महत्वपूर्ण हार्मोन इंसुलिन भी होता है। डायबिटीज के कारण इंसुलिन के लेवल में उतार-चढ़ाव होता है, जो लैक्टेशन की शुरुआत में देरी कर सकता है।

9. आयु

ज्यादा उम्र में बच्चे को जन्म देने से भी ब्रेस्ट मिल्क के प्रोडक्शन पर प्रभाव पड़ सकता है।

10. एंग्जायटी

स्तनपान की शुरुआत में देरी से आपको स्ट्रेस और एंग्जायटी शुरू हो सकती है जिसकी वजह से दूध बनने पर और भी असर पड़ेगा।

अगर स्तनों से दूध नहीं आ रहा है या देर से आ रहा है तो क्या करें?

यदि डिलीवरी के बाद ब्रेस्ट मिल्क नहीं निकल रहा है, तो आप परेशान न हों। ऐसा करने से केवल तनाव बढ़ेगा जिससे और समस्या पैदा होगी। हर दो घंटे में हाथ से ब्रेस्ट को दबा कर दूध निकालने की कोशिश करें। यह भी सलाह दी जाती है कि आप अपने डॉक्टरों से परामर्श करें और जब तक आपका दूध नहीं बनता तब तक आप बच्चे को फॉर्मूला दूध या फिर डोनर मिल्क दे सकती हैं।

ब्रेस्टफीडिंग कराने के लिए टिप्स

1. स्तनों को हाथों से दबा कर दूध निकालें

अगर आपको दूध नहीं भी आ रहा है तब भी आप अपने हाथ से ब्रेस्ट को दबाकर इसे निकालने का प्रयास करें इससे ब्रेस्ट मिल्क जल्दी आना शुरू हो जाएगा।

2. अपने स्तनों की मालिश करें

अपने स्तनों को गोलाकार, नीचे की ओर मोशन में मालिश करें। दबाव के कारण ब्रेस्ट में मिल्क प्रोडक्शन बढ़ेगा।

3. त्वचा का त्वचा से संपर्क बढ़ाएं

त्वचा से त्वचा का संपर्क बढ़ाने के लिए अपने बच्चे को अपने करीब रखें और अपनी त्वचा से उसकी त्वचा को स्पर्श होने दें, ऐसा करने से यह मिल्क प्रोडक्शन में मदद करता है। यह माओं को जल्दी लैच कराने में सहायक होता है।

4. किसी भी प्रकार की दवाइयों को लेने से बचें

अपने डॉक्टर से पूछे बिना कोई दवा न लें क्योंकि कुछ दवाओं के कारण मिल्क प्रोडक्शन रुक जाता है ।

5. अपने डॉक्टर से परामर्श करें

यदि आपके साथ पहली बार ऐसा होता है तो तुरंत अपने डॉक्टर के पास न जाएं। कुछ समय इंतजार करें और स्तनपान की प्रक्रिया को प्राकृतिक रूप से शरीर को अपनाने लगे। यदि इसके बाद भी दूध का उत्पादन नही होता है, तो आपको अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए कि किस कारण से दूध का उत्पादन नहीं हो रहा है।

ब्रेस्टफीडिंग एक नेचुरल प्रक्रिया है जो माँ और बच्चे के बीच के संबंध को और मजबूत करती है। यदि आपको बहुत ज्यादा दूध बन रहा है या फिर बहुत कम हो रहा है तो ऐसे मामलों में अपने डॉक्टर के पास जाएं और उन्हें बताएं। इन सबके अलावा यह बहुत जरूरी है कि माँ शारीरिक और भावनात्मक दोनों तरह से अपना ख्याल रखे।

यह भी पढ़ें: 

बच्चे को ब्रेस्ट्फिडिंग कराना
स्तनों में दूध की कम आपूर्ति

समर नक़वी

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