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गर्भवती होने पर हर महिला खुद में विशेष महसूस करती है और यह एक बेहतरीन अनुभव भी है। पर इस समय महिलाओं के लिए ढेर सारी खुशियों के साथ अलग-अलग असुविधाएं व समस्याएं भी आती हैं। हर महिला को उसकी शारीरिक स्थिति व पहले हुई समस्याओं के आधार पर गर्भावस्था के दौरान भी कई रोग हो सकते हैं। इस समय महिलाओं को इन्फेक्शन होने के खतरों के साथ कई आम समस्याएं भी होती हैं जिनमें एक डायस्टेसिस रेक्टि नामक समस्या भी है। डायस्टेसिस रेक्टि क्या है, यह समस्या महिलाओं में क्यों और कैसे होती है। इन सबके बारे में जानने के लिए इस लेख को पूरा पढ़ें।
डायस्टेसिस रेक्टि गर्भावस्था के बाद पेट की दीवार अलग होने से संबंधित है। ‘डायस्टेसिस’ का अर्थ है अलग होना और ‘रेक्टि’, रेक्टस एब्डोमिनिस या ऐब्स की मांसपेशियों को कहते हैं।
सरल शब्दों में कहें तो गर्भावस्था का वजन कम करने के बाद भी कुछ महिलाओं का पेट थोड़ा बहुत निकला रहता है वह डायस्टेसिस की वजह से ही हो सकता है।
पेट में वर्टीकल मांसपेशियों के दो समानांतर बैंड्स होते हैं जो टिश्यू से जुड़े रहते हैं। पेट की ये मांसपेशियां मूल अंगों को नियंत्रित और पकड़े रखती हैं। गर्भावस्था के दौरान गर्भ में बच्चे के बढ़ने के साथ ही गर्भाशय पेट की मांसपेशियों पर प्रभाव डालता है ताकि पेट एक तरफ से स्ट्रेच हो सके। पेट के स्ट्रेच होने की वजह से मांसपेशियां अलग हो जाती हैं जिसकी वजह से इनका आकार खराब हो जाता है और पेट के बीच में गैप आ जाता है।
गर्भावस्था के दौरान मांसपेशियों का अलग होना प्राकृतिक है और ठीक होने की वजह से यह अपने पहले के आकार में आ जाती हैं। यदि यह ज्यादा समय के लिए नहीं होता है तो आपको डायस्टेसिस रेक्टि होने की संभावना हो सकती है।
इस समस्या को समझने का एक निम्नलिखित डीआईवाई तरीका है, आइए जानें;
स्टेप 1: सबसे पहले आप पीठ के बल जमीन पर लेट जाएं और अपने घुटने व पैरों को जमीन पर ही मोड़ लें।
स्टेप 2: आप अपनी दोनों हथेलियों को पेट के ऊपर नाभि के दोनों तरफ रखें। फिर क्रंचेस करने के लिए जितना हो सके अपना सिर धीरे-धीरे उठाएं पर इसे बहुत ज्यादा ऊपर न करें।
स्टेप 3: आप अपनी उंगलियों को नाभि के ऊपर घुमाएं, इस दौरान आपको अपने पेट के बीच में एक गैप महसूस होगा।
आमतौर पर डायस्टेसिस का पता 2 अलग-अलग मांसपेशियों को गहराई से महसूस किया जा सकता है। कोई भी निर्णय लेने से पहले इसके बारे में आप गायनेकोलॉजिस्ट से भी पूछ लें।
डायस्टेसिस से संबंधित कुछ अन्य समस्याएं भी हैं, आइए जानें;
यदि आपके पेट की मांसपेशियां लंबे समय तक अलग रहती हैं तो इससे आगे चलकर आपको हर्निया होने का खतरा बढ़ सकता है। यदि आपका डायस्टेसिस का इलाज ठीक से नहीं होता है तो हर्निया सर्जरी खराब भी हो सकती है।
पेट निकलने से पोस्चर खराब हो जाता है।
इससे संबंधित अन्य कॉम्प्लीकेशन पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना है। पेट की मांसपेशियां अलग होने से आपको पीठ में अत्यधिक दर्द हो सकता है।
अन्य शारीरिक समस्याओं की तरह ही डायस्टेसिस रेक्टि को भी कीगल एक्सरसाइज की मदद से ठीक किया जा सकता है। हालांकि इससे अन्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कब्ज।
क्या करें:
आप वही एक्सरसाइज करें जिससे पेट की मांसपेशियों पर हल्का प्रभाव पड़े। यह सलाह उन सभी महिलाओं के लिए हैं जिनकी डिलीवरी हुई है।
कीगल एक्सरसाइज करने से आपकी पेल्विक की मांसपेशियां विशेष रूप से मजबूत होती हैं।
गर्भवती होने से पहले आपको आंतरिक अंगों को मजबूत करने वाली एक्सरसाइज करनी चाहिए। इस एक्सरसाइज के निम्नलिखित फायदे हैं, आइए जानें;
पहले भी कहा गया है कि शरीर के पोस्चर को बेहतर बनाए रखना बहुत जरूरी है।
गर्भावस्था के दौरान ब्रीदिंग एक्सरसाइज करने से महिला को कई फायदे होते हैं, आइए जानें;
क्या न करें:
कुछ निम्नलिखित चीजें आपको नहीं करनी चाहिए;
आप पुश-अप्स, सीट-अप्स, क्रंचेस और प्लैंक्स न करें क्योंकि इससे आपके पेट व पेल्विक की मांसपेशियों पर सीधा दबाव पड़ता है। इस दौरान आप योग और स्विमिंग भी न करें क्योंकि इससे भी आपके शरीर में तनाव आ सकता है।
अधिक वजन वाली चीजें उठाने से आपके शरीर में तनाव आ सकता है।
कब्ज की वजह से पेट पर अत्यधिक दबाव पड़ता है जिसकी वजह से आपकी समस्याएं बढ़ भी सकती हैं। आप कब्ज से बचने के लिए हमेशा फाइबर से भरपूर डायट का सेवन करें और खूब सारा पानी पिएं। यदि आपको कब्ज है तो आप पेट पर बहुत ज्यादा दबाव न डालें और बहुत ज्यादा जरूरी होने पर ही पॉटी जाएं।
यहाँ बताया गया है कि आप डायस्टेसिस रेक्टि का उपचार कैसे कर सकती हैं, आइए जानें;
डायस्टेसिस रेक्टि के लिए शारीरिक थेरेपी में एक अनुभवी थेरेपिस्ट आपको पोस्ट्यूरल ट्रेनिंग दे सकते हैं। वह आपको आंतरिक अंगों के लिए कुछ कम प्रभावी व हल्की एक्सरसाइज बता सकते हैं ताकि आपकी मांसपेशियों पर असर न पड़े।
यह तरीका पिछले कुछ समय से बहुत ज्यादा लोकप्रिय हुआ है। रिसर्च और प्रमाणित तरीकों के अनुसार घर में यह ट्रीटमेंट करने से डायस्टेसिस रेक्टि 55% तक ठीक हो जाता है। आप पेट की मांसपेशियों को ठीक करने के लिए एक्सरसाइज करें ताकि आप मजबूत हो सकें और ये समय पर सही हो सकें।
यदि ऊपर दिया हुआ कोई भी तरीका काम करता है या इसके परिणामों से संतुष्टि नहीं मिलती है तो आपके लिए आखिरी विकल्प यही है कि आप सर्जरी करवा लें। लंबे समय तक डायस्टेसिस रहने से आपको अब्डॉमिनल हर्निया हो सकता है। अब्डॉमिनोप्लास्टी करवाने से आपकी दो मांसपेशियों का गैप कम हो सकता है। यह जरूरी है कि आप इसे सबसे अंत में करवाएं और इसकी प्रक्रिया के बारे में डॉक्टर से चर्चा करें व इसके संभावित परिणाम जानें।
विशेष गर्भवती महिलाओं के लिए डिजाइन्ड मैटरनिटी बेल्ट का उपयोग पिछले कई सालों से होता आ रहा है। यह एक नॉन इनवेसिव तरीका है जो पेट की मांसपेशियों को सपोर्ट देता है और दर्द कम करता है। मांसपेशियों का मूवमेंट कम होने से पेट प्राकृतिक रूप से कम हो जाता है और सही पोस्चर में स्थिर रहता है। इस बेल्ट को पहनने से पहले आप गायनेकोलॉजिस्ट से जरूर बात करें।
स्पलिंट गर्भावस्था के बाद पेट को सपोर्ट देने में मदद करता है। हालांकि सिर्फ स्पलिंट पहनने से डायस्टेसिस का उपचार नहीं हो सकता है। पेट की मांसपेशियों को दोबारा से सही एलाइनमेंट में आना जरूरी है और ऐसा स्पलिंट के बाहरी दबाव से हो सकता है।
आप एक्सरसाइज की मदद से डायस्टेसिस को ठीक कर सकती हैं। इसके लिए कुछ निम्नलिखित एक्सरसाइज हैं, आइए जानें;
इसे करने के लिए आप पीठ के बल जमीन पर लेट जाएं। अपनी दोनों हथेलियों को आराम से रिब केज के निचले हिस्से में रखें। आराम से गहरी सांस लें और अपनी छाती व पेट को ऊपर की ओर उठाएं। इससे आपको डायफ्राम में दबाव महसूस होगा। अंत में सांस छोड़ें।
आप अपने दोनों हाथों से दीवार पर सहारा लेकर खड़ी हो जाएं। आपके व दीवार के बीच आपके हाथों के बराबर तक की दूरी होनी चाहिए और अपने पांव भी थोड़ी दूरी पर रखें। आप अपनी हथेली को दीवार पर रखते हुए सांस लें और सांस छोड़ते हुए पेट से रीढ़ तक दबाव डालें। सांस लेते समय अपना पूरा वजन दीवार पर डालें और बाहर की ओर आते हुए सांस छोड़ें।
सबसे पहले आप करवट पर लेट जाएं और दूसरी हथेली से पेट की मांसपेशियों को महसूस करें। धीरे से अपने पेट की मांसपेशियों को पेल्विक हड्डी की ओर खींचें और आराम से सांस लें। एक सेट करने के बाद आप थोड़ा सा आराम करें और फिर दूसरा सेट करें।
पेट के बल लेट जाएं और अपने घुटनों को मोड़ लें व पैर के पंजों को सतह पर फ्लैट रखें। आराम से सांस लें और एक पैर को फैलाते हुए दूसरे पैर को मोड़ें रखें। आप इस एक्सरसाइज को दोनों पैरों से दोहराएं।
आप गर्भावस्था के बाद पहले सप्ताह से तीसरे सप्ताह में इसका अभ्यास शुरू कर सकती हैं। ब्रीदिंग एक्सरसाइज करने के लिए आप 5 से 10 सेकंड तक अपनी सांस रोकें। शुरूआत में आप इसे 2 से 3 बार करें और सुविधाएं होने पर धीरे-धीरे बढ़ाती रहें। एक्सरसाइज पैटर्न के लिए आपको गायनेकोलॉजिस्ट या ट्रेनर से इसके बारे में चर्चा करनी चाहिए।
नहीं, ऐसा नहीं होता है। गर्भावस्था के बाद डायस्टेसिस रेक्टि का ट्रीटमेंट कनेक्टिव टिश्यू को ठीक करना है जो पेट की दीवारों को एक साथ सही आकार में लाती हैं, बस आप इस बार का खयाल रखें –
मातृत्व हमेशा महिला के जीवन में बहुत सारे बदलाव लेकर आता है। यद्यपि यह हर माँ के जीवन में खुशियां लाती है पर इस समय महिला को खुद का खयाल रखना बहुत जरूरी है। डायस्टेसिस रेक्टि जैसी समस्याएं बहुत आम हैं पर इसके बारे में ज्यादा बात नहीं की जाती है और लोग इसे समझ भी नहीं पाते हैं। यह वो समय है जब महिला को खुद अपना खयाल रखना चाहिए और आवश्यक चीजें करनी चाहिए। इसलिए आप जानकारी रखें, स्वस्थ रहें और खुश रहें।
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