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ऐसे कई मेडिकल कॉम्प्लीकेशंस होते हैं जो डिलीवरी के दौरान और डिलीवरी के बाद हो सकते हैं, और पोस्टपार्टम हैम्रेज (पीपीएच) इन्हीं में से एक है। आमतौर पर यह प्लेसेंटा की डिलीवरी होने के बाद होता है और इसे अधिकतर सिजेरियन डिलीवरी के साथ देखा गया है। वैसे तो पोस्टपार्टम हैम्रेज आमतौर पर डिलीवरी के तुरंत बाद होता है, पर कुछ मामलों में यह थोड़े समय बाद में भी हो सकता है। यहाँ पर हम पोस्टपार्टम हैम्रेज के बारे में वो सभी जानकारी लेकर आए हैं, जिनके बारे में आपको पता होना चाहिए। साथ ही, हम यह भी बताएंगे कि इसके लिए आपको अपने डॉक्टर से कब संपर्क करना चाहिए।
बच्चे के जन्म के बाद ब्लीडिंग होना आम बात है, पर अगर यह जरूरत से ज्यादा होने लगे तो यह पोस्टपार्टम हैम्रेज (पीपीएच) की ओर इशारा करता है। पोस्टपार्टम हैम्रेज मैटरनल मोर्टालिटी का एक प्रमुख कारण है और यह तब होता है, जब वजाइनल यानी नॉर्मल डिलीवरी के बाद 500 मिली से ज्यादा मात्रा में खून बह जाए। सिजेरियन डिलीवरी के बाद लगभग 1000 मिली ब्लीडिंग होती है और जब यह इससे ज्यादा होने लगे, तो यह पोस्टपार्टम हैम्रेज कहलाता है। पोस्टपार्टम हैम्रेज दो प्रकार के होते हैं – प्राइमरी पोस्टपार्टम हैम्रेज और सेकेंड्री पोस्टपार्टम हैम्रेज।
हर महिला में पोस्टपार्टम हैम्रेज के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। यहाँ पर कुछ सामान्य लक्षण दिए गए हैं, जिन पर नजर रखनी चाहिए:
डिलीवरी के बाद ब्लीडिंग होना आम बात है, क्योंकि गर्भाशय, प्लेसेन्टा को बाहर निकालने के लिए कॉन्ट्रैक्ट होता रहता है। कुछ मामलों में बच्चे को जन्म देने के बाद यूटरस सिकुड़ना करना बंद कर देता है, जिससे ब्लड वेसल्स में बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होने लगती है, इसे यूटराइन एटोनी कहा जाता है जिससे हैम्रेज की संभावना हो सकती है और यह प्राइमरी पीपीएच का एक सामान्य कारण है। जब प्लेसेंटा के छोटे टुकड़े गर्भाशय में जुड़े हुए रह जाते हैं, तो ऐसी स्थिति में भी अत्यधिक ब्लीडिंग हो सकती है। अन्य कारणों में निम्नलिखित बिंदु शामिल हैं:
गर्भाशय का फट जाना एक जानलेवा स्थिति है और जिन महिलाओं ने पहले फाइब्रॉएड रिमूवल या सी-सेक्शन सर्जरी करवायी है, उन्हें इसका खतरा ज्यादा होता है।
गर्भावस्था संबंधित कुछ समस्याएं पोस्टपार्टम हैम्रेज के खतरे को बढ़ा सकती हैं।
बच्चे के जन्म के बाद, गर्भाशय की परत शरीर से अलग हो जाती है और यही कारण है, कि आपको डिलीवरी के बाद ब्लीडिंग होती है। यह ब्लीडिंग बच्चे के जन्म के बाद 2 हफ्तों से लेकर 6 हफ्तों के बीच कुछ भी हो सकती है। यह एक भारी पीरियड ब्लीडिंग जैसा लगता है, और तेज बहाव या धीमा डिस्चार्ज जैसा कुछ भी हो सकता है। इसे लोकिया कहते हैं, शुरू में यह अधिक होता है और चमकीले लाल रंग का होता है, पर धीरे-धीरे इसका रंग पहले गुलाबी और फिर भूरा हो जाता है। जल्दी ही इसका रंग पीला-सफेद हो जाता है और यह डिस्चार्ज कम होने लगता है।
पोस्टपार्टम हैम्रेज का निदान करने के लिए लक्षण और ब्लड टेस्ट सबसे जरूरी है। आपकी मेडिकल हिस्ट्री के साथ-साथ शारीरिक परीक्षण की मदद से भी डॉक्टर किसी निष्कर्ष पर पहुँचते हैं। किसी नतीजे पर आने से पहले डॉक्टर को आपकी प्रेगनेंसी, लेबर और डिलीवरी के बारे में पूरी जानकारी की जरूरत होगी। बर्थ कैनाल के टेस्ट से आपके डॉक्टर को किसी ट्रॉमा का पता लगाने में मदद मिलेगी। प्लेसेंटा की जांच भी की जाएगी और साथ ही गर्भाशय के आकार को भी देखा जाएगा, जिससे सही नतीजे मिल सकें। टेस्ट के अंतर्गत खून के क्लॉटिंग फैक्टर्स, रेड ब्लड सेल काउंट, पल्स रेट, ब्लडप्रेशर और ब्लडलॉस का अनुमान आते हैं।
पीपीएच का इलाज आपके संपूर्ण स्वास्थ्य, मेडिकल हिस्ट्री और आप की परिस्थिति की सीमा जैसे तथ्यों पर निर्भर करता है। हैम्रेज के कारणों का पता लगाना और उसे दूर करना ही इसके इलाज का मुख्य उद्देश्य है। इसके इलाज के कोर्स में निम्नलिखित बातें शामिल हैं:
किसी तरह के कॉम्प्लिकेशन होंगे या नहीं, यह तय करने के लिए बह चुके खून की मात्रा, हेम्रेज शुरू होने से पहले आपकी हेल्थ और उपलब्ध इलाज जैसे कुछ निश्चित तथ्य बहुत जरूरी होंगे। पीपीएच के कॉम्प्लीकेशंस में शीहन सिंड्रोम, सीवियर एनीमिया और कुछ मामलों में माँ की मृत्यु आदि शामिल हैं।
शीहन सिंड्रोम में अत्यधिक मात्रा में खून बह जाने से पिट्यूटरी ग्लैंड तक जाने वाला ब्लड फ्लो रुक जाता है, जिससे सेल्स नष्ट हो जाती हैं। एनीमिया के रोगियों के लिए पीपीएच बहुत खतरनाक हो सकता है और उन्हें खून चढ़ाने की नौबत भी आ सकती है। ऐसी परिस्थितियों में पोस्टपार्टम हैम्रेज का खतरा बढ़ जाता है और इससे समस्याएं पैदा होने की संभावना भी ज्यादा होती है।
पीपीएच की रोकथाम के लिए डब्ल्यूएचओ, युटेरोटोनिक का इस्तेमाल या गर्भाशय का कॉन्ट्रेक्शन पैदा करने वाली दवाओं का इस्तेमाल करने की सलाह देता है। पोस्टपार्टम हैम्रेज की रोकथाम के लिए सी-सेक्शन की स्थिति में और कुशल डिलीवरी हेल्पर न होने की स्थिति में, लेबर के तीसरे चरण में एक्टिव मैनेजमेंट को बेहद जरूरी माना गया है। मैनुअली निकालने के बजाय कॉर्ड ट्रेक्शन के चुनाव को भी पीपीएच से बचाव करने में कारगर पाया गया है।
इसके अलावा पूरी प्रेगनेंसी के दौरान अच्छे पोषण और सप्लीमेंट का ध्यान रखने की सलाह भी दी जाती है, जिससे एनीमिया और हाइपरटेंशन जैसी समस्याओं को ठीक करके पीपीएच के खतरों को कम किया जा सके।
पीपीएच के मैनेजमेंट के लिए यह जरूरी है, कि पहले और वर्तमान में होने वाले ब्लडलॉस के साथ-साथ पल्स और ब्लड प्रेशर जैसे महत्वपूर्ण संकेतों का मूल्यांकन किया जाए। आपको कुछ दिनों के लिए अस्पताल में एडमिट किया जाएगा और आईवी और दवाएं देने के साथ-साथ ऑब्जर्वेशन में रखा जाएगा। अगर ऐसी स्थिति है, तो आपके फिजिशियन से सलाह-मशवरा करके पोस्टपार्टम हैम्रेज के लिए सही नर्सिंग केयर प्लान किया जा सकता है।
निष्कर्ष
पोस्टपार्टम हैम्रेज एक गंभीर स्थिति है, लेकिन सही समय पर पहचान और इलाज के द्वारा धीरे-धीरे पूरी तरह से ठीक हुआ जा सकता है। रिकवरी की गति इस बात पर निर्भर करेगी, कि आपका कितना ब्लडलॉस हुआ है और प्रेगनेंसी से पहले और इसके दौरान आपकी सेहत कैसी थी। आराम, पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ और हेल्दी और पौष्टिक भोजन लेने से आपको जल्दी ठीक होने में मदद मिलेगी।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी योग्य प्रोफेशनल की मेडिकल सलाह का पर्याय होने का दावा नहीं करती है। अतः इस लेख में बताए गए कोई भी लक्षण दिखने पर अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
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