In this Article
नौ महीने तक न केवल आपके शरीर से बच्चे को पोषण मिलता है, बल्कि यह आपको साइकोलॉजिकली भी बहुत प्रभावित करता है। गर्भावस्था का समय आपके लिए मुश्किल हो सकता है, फिजिकल चेंजेस के साथ मूड स्विंग्स, चिड़चिड़ाहट महसूस होना आपके जीवन का हिस्सा बन जाता है।
डिलीवरी के बाद होने वाले टेस्ट बहुत जरूरी होते हैं, क्योंकि कई महिलाएं डिलीवरी के बाद भी समस्याओं का सामना करती हैं और डिलीवरी के बाद सही से रिकवर नहीं कर पाती हैं। इन चेकअप के जरिए आपको यह पता करने में मदद मिलती है कि कैसे आपका शरीर इस थका देने वाली प्रक्रिया से उबर रहा है और किसी भी समस्या को देखे जाने पर ये डॉक्टर को बेहतर इलाज करने में मदद मिलती है।
आपका शरीर लेबर के छह सप्ताह के बाद चेंज होना शुरू हो जाता है और डिलीवरी के बाद होने वाले इन चेकअप से डॉक्टर को यह पता करने में मदद मिलती है कि कितनी तेजी से आपका शरीर ठीक हो रहा है। जैसे, अगर आपकी डिलीवरी सी-सेक्शन के जरिए हुई है, तो डॉक्टर टांको की जाँच करेंगे। हालांकि, यह डिलीवरी के बाद होने वाले टेस्ट सिर्फ माँ के शरीर की कंडीशन के बारे में जानने के लिए नहीं होता है बल्कि इससे यह भी पता चलता है कि आप साइकोलॉजिकली कैसे रिकवर कर रही हैं और आगे आपको किस चीज की जरूरत है। आपको कई तरह के परेशान कर देने वाले डाउट होंगे और बच्चे के जन्म के बाद पूरा शरीर में जगह जगह दर्द महसूस होगा, तो यह चेकअप इन सब चीजों की जाँच करता है।
यहाँ आपको बताया गया है कि डिलीवरी के बाद होने वाले चेकअप में क्या होता है। चेकअप के दौरान, आपका डॉक्टर डिलीवरी के बाद आपकी फिजिकल और इमोशनल जाँच करेंगे। आप चेकअप के दौरान निम्न विषयों को लेकर आपकी जाँच की जा सकती है।
डॉक्टर आपके शरीर की कंडीशन का अंदाजा लगाने के लिए आपके ब्लड प्रेशर, वजन और पेट की जाँच करते हैं। वह आपकी योनि और गर्भाशय की भी जाँच कर सकते हैं, यह देखने के लिए कि क्या क्षेत्र में चोट या घाव तो नहीं, तो अब ठीक हो जाना चाहिए था। यह जाँच की जाती है कि गर्भाशय कितना सिकुड़ा है और वो अपने नॉर्मल साइज में अब तक आया है या नहीं, इन सब से पता चलता है कि कैसे आपका शरीर फिजिकल रूप से ठीक हो रहा है।
बातचीत के दौरान, डॉक्टर आपसे पूछ सकते इस बात कि नई माँ के रूप में आप चीजें कैसे मैनज कर रही हैं। एक माँ बनने के बाद आपकी जिम्मेदारियां और भी बढ़ जाती हैं, खासकर अगर आप पहली बार माँ बनी हैं, इसलिए यह जरूरी है कि आप अपने हर छोटे बड़े डाउट को डॉक्टर से डिस्कस करें। नई माओं में से लगभग तीस प्रतिशत महिलाएं डिलीवरी के बाद डिप्रेशन का शिकार हो जाती हैं, लेकिन यह हर महिला अलग-अलग तरह से पाया जा सकता है, यही कारण है कि डॉक्टर आपके डिप्रेशन के लक्षणों की भी जाँच करते हैं।
स्तनपान बच्चे के लिए बहुत जरूरी है। डॉक्टर आपके ब्रेस्ट की फिजिकली जाँच करेंगे और आपसे पूछेंगे कि बच्चे को ब्रेस्फीडिंग कराने में आपको कोई परेशानी तो नहीं हो रही है। लंप्स, क्रैक निप्पल, ब्रेस्ट का मुलायम पड़ जाना और बैक्टीरियल इन्फेक्शन आदि कुछ ऐसी समस्याएं हैं जिनका सामना आपको करना पड़ सकता है। जिसकी वजह से ब्लॉक्ड मिल्क डक्ट की परेशानी हो जाती है और इसे ठीक करने के लिए आपको मेडिसिन का सहारा लेना पड़ता है।
चेकअप के दौरान, आपका डॉक्टर बर्थ कंट्रोल मेथड और फैमिली प्लानिंग के बारे में सुझाव देंगे अगर आप एक और बच्चे के बारे में सोच रही हैं। जब आप स्तनपान करवा रही होती हैं तो बर्थ कंट्रोल पिल्स लेने से इस पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है। डॉक्टर आपको यह भी बता सकते हैं कि आपको दोबारा कब संभोग करना चाहिए साथ ही आपको कब दूसरे बच्चे के बारे में सोचना चाहिए।
गर्भावस्था एक महिला के जीवन के सबसे चुनौतीपूर्ण चरणों में से एक है, लेकिन डिलीवरी के बाद का समय भी आसान नहीं होता है। बहुत ही कम समय में आपको कई फिजिकल चेंजेस से होकर गुजरना पड़ता है, ऐसा मुमकिन है कि आपका इन बदलावों का पूरी तरह से सामना न कर पाए। आपका डॉक्टर आपको सुझाव देता है कि आपके शरीर में होने वाले इन फिजिकल चेंजेस से कैसे निपटा जाए और आपके शरीर को वापस नॉर्मल कंडीशन में लाने के लिए आपको अपनी डाइट में चीजें शामिल करनी होती है। बच्चे के जन्म के बाद योनि की लोच बनाए रखने के लिए आपको कीगल एक्सरसाइज करने का सुझाव दिया जाता है।
यदि आपकी गर्भावस्था के समय में कोई कमी या समस्या रही हो, तो टेस्ट के दौरान इसकी भी जाँच की जाती है। जैसे एनीमिक माओं के लिए उनके ब्लड काउंट की जाँच की जाती है। आपको कुछ टीके भी लगाए जा सकते हैं, जो डॉक्टर के हिसाब से आपके लिए जरूरी होगा। हालांकि, अगर चेकअप डेट से पहले ही अगर आपको किसी भी समस्या का सामना करना पड़ता है, तो इंतजार न करें, बल्कि तुरंत डॉक्टर से मिलें।
ज्यादातर मामलों में, माँ को लेबर के बाद किसी भी उम्मीद न किए जाने वाले कॉम्प्लिकेशन के बारे में निश्चित रूप से पता होना चाहिए। हालांकि, फिर भी इसके बारे में पूछना कोई बुरा नहीं है।
अधिकांश माओं को डिलीवरी के बाद ब्लीडिंग होती है, लेकिन यह छह सप्ताह के बाद धीरे-धीरे कम होने लगती है।
प्रसव के बाद पेल्विक क्षेत्र में दर्द होना कॉमन है, लेकिन यह ज्यादातर मामलों में आइस पैक और कूलिंग पैड का उपयोग करके ठीक किया जा सकता है। हालांकि, यदि आपका सी-सेक्शन हुआ है, तो आपको पेनकिलर मेडिसिन की आवश्यकता हो सकती है।
थोड़ी थोड़ी वाकिंग और शरीर के ऊपरी हिस्से के व्यायाम आप बिना किसी चिंता के कर सकती हैं, हालांकि इसके आपको पहले अपने डॉक्टर से अनुमति लेना जरूरी है, अगर आपका सी-सेक्शन कॉम्प्लिकेटेड रहा है।
डिलीवरी के 6 सप्ताह बाद ज्यादातर सभी डॉक्टर अपने पेशेंट को हरी झंडी दिखा देते हैं। यदि आप पाती हैं कि आपकी सेक्स ड्राइव कम हो गई है, तो चिंता न करें यह पूरी तरह से नॉर्मल है और जल्द ही यह बढ़ भी जाएगी।
स्तनपान बच्चे के लिए बहुत जरूरी होता है, खासकर शुरुआत के 6 महीने तक। ब्रेस्ट मिल्क से बच्चे को सभी जरूरी पोषक तत्व मिलते हैं साथ ही यह बच्चे का इम्यून सिस्टम बेहतर करता है और बच्चे में सडन इन्फैंट डेथ सिंड्रोम के जोखिम को भी कम करता है। ब्रेस्टफीडिंग कराने का एक फायदा है कि प्रेगनेंसी के बाद इससे माँ का वजन कम हो जाता है।
हालांकि, अगर आप किसी प्रेसक्राइब्ड मेडिसिन को जारी रखना चाहती हैं तो पहले डॉक्टर से पूछ लें, लेकिन ओवर-द-काउंटर दवाएं ब्रेस्फीडिंग के दौरान आपके बच्चे को कोई नुकसान नहीं पहुँचाती है। बात की जाए अल्कोहल की तो आपका एक गिलास वाइन पी सकती हैं, मगर आपको याद रखना चाहिए कि वाइन पीने के कुछ घंटों बाद ही बच्चे को दूध न पिलाएं, ताकि बच्चे सुरक्षित रहे और अल्कोहल का प्रभाव उस पर न पड़े।
डिलीवरी के बाद होने वाले चेकअप के दौरान, बर्थ कंट्रोल के बारे में बात करना जरूरी है। आप अपने डॉक्टर से फैमिली प्लानिंग के बारे में बात कर सकती हैं, ताकि वो आपको सही मेथड के बारे में बता सके। पहले छह हफ्तों के लिए, परहेज करना या प्रोजेस्टेरोन मेथड ही सबसे अच्छा होता है, इससे आपकी मिल्क सप्लाई पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है। उसके बाद, माँ द्वारा किसी भी मेथड का उपयोग किया जा सकता है।
डिलीवरी के बाद होने वाली परीक्षण प्रक्रिया के दौरान, आपका डॉक्टर जाँच करता है कि कहीं आप डिप्रेशन से तो पीड़ित हैं। यह एक ऐसी कंडीशन है जो डिलीवरी के बाद लगभग तीस प्रतिशत माओं को प्रभावित करती है, और ज्यादातर हार्मोन लेवल में चेंजेस और शरीर की थकान के कारण होती है। याद रखें कि यह सभी चीजें माँ के साथ होना नॉर्मल है। हालांकि, अगर आपको बहुत ज्यादा एंग्जायटी हो रही है, तो आप अपने गाइनकॉलजिस्ट से तुरंत संपर्क कर सकती हैं।
डिलीवरी के बाद होने वाले टेस्ट के बाद दूसरी चीज है माँ को लगने वाले टीके। चिकन पॉक्स और खसरा जैसे कुछ टीके आप प्रेगनेंसी के दौरान नहीं लगवा सकती हैं। बच्चे को जन्म के बाद आप ये टीका खुद और बच्चे को भी लगवा सकती हैं।
डिलीवरी के बाद माँ की हेल्थ की जाँच करना बहुत जरूरी होता है फिर वो फिजिकली हो या इमोशनली। इससे आप और आपके डॉक्टर को आपकी हेल्थ का अंदाजा मिलता है, जिससे डॉक्टर यह बता सकते हैं की आप इन सब चीजों को कैसे डील करें। टेस्ट के दौरान आपको कोई भी डाउट हो तो तुरंत पूछें, याद रखें कि जब आपके बच्चे के स्वास्थ्य की बात आती है तो कोई भी सवाल पूछना गलत नहीं होता है।
यह भी पढ़ें:
डिलीवरी के बाद हॉर्मोन में बदलाव
हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…
बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…
गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…
गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…
गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…
10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…