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बच्चे के जन्म के बाद एक महिला के जीवन में बहुत सारे बदलाव आते हैं। यह माता-पिता के जीवन को पूरी तरह से बदल देता है क्योंकि अब उनका पूरा ध्यान सिर्फ बच्चे की देखभाल में ही रहता है। बच्चे के जन्म के बाद माँ के शरीर में हॉर्मोनल चेंजेस भी होते हैं। इससे महिला को कई समस्याएं हो सकती हैं, जैसे मूड स्विंग्स, बाल झड़ना, अनिद्रा और इत्यादि। डिलीवरी के बाद महिला को रिकवर और दोबारा नॉर्मल होने में थोड़ा समय लगता है। इस दौरान महिला में हॉर्मोन्स असंतुलन होने के बहुत सारे लक्षण दिखाई देते हैं जिससे उसे गंभीर रूप से असुविधाएं होती हैं।
गर्भावस्था के बाद एक महिला के शरीर में प्रोजेस्ट्रोन और एस्ट्रोजन के स्तर में बदलाव के कारण हॉर्मोन्स में असंतुलन होता है। गर्भावस्था के दौरान महिला के शरीर में प्रोजेस्ट्रोन का स्तर बहुत ज्यादा हो जाता है और बच्चे के जन्म के बाद यह स्तर अचानक से कम हो जाता है जिसकी वजह से महिला को बहुत सारी असुविधाएं होती हैं, जैसे पीरियड्स से संबंधित समस्याएं। बच्चे के जन्म के बाद एक महिला को ठीक होने में 6 से 8 सप्ताह लगते हैं। जो महिलाएं ब्रेस्टफीडिंग कराती हैं उनके हॉर्मोन्स नियंत्रित होने में ज्यादा समय लगता है। यह हॉर्मोन्स थायरॉइड ग्लैंड के सामान्य फंक्शन को प्रभावित करती है और थायरॉइड ग्लैंड में सूजन और हाइपोथायरॉडिज्म भी पैदा कर सकता है।
एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रोन बहुत जरूरी हॉर्मोन्स होते हैं जो गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बच्चे के जन्म के बाद जब प्लेसेंटा हटा दिया जाता है तो वह शरीर में मुख्य रूप से प्रोजेस्ट्रोन को उत्पन्न करता है। इसके परिणामस्वरूप शरीर में प्रोजेस्ट्रोन का स्तर तेजी से कम हो जाता है। इस एस्ट्रोजन डॉमिनेन्स कहा जाता है जिसका मतलब है कि शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ता है। एस्ट्रोजन डॉमिनेन्स थाइरॉइड और एड्रेनल ग्लैंड के फंक्शन को प्रभावित करता है जिससे हाइपोथायरॉडिज्म और थायरॉइडिटिस या थायरॉइड ग्लैंड में सूजन जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
बच्चे के जन्म के बाद यदि आपको यह लक्षण दिखाई देते हैं तो यह आपके शरीर में हॉर्मोनल असंतुलन का संकेत हो सकता है:
जिन मांओं में हॉर्मोनल असंतुलन की समस्या होती है वे अनिद्रा से ग्रसित भी हो सकती हैं जिसमें वे रात को नहीं सो पाती हैं।
हॉर्मोनल असंतुलन से महिलाएं मानसिक रूप से भी प्रभावित होती हैं जिसमें उनके मूड स्विंग्स बहुत होते हैं और एंग्जायटी होती है। यह हॉर्मोनल असंतुलन के कारण हुए थायरॉइड की वजह से हो सकता है।
यदि डिलीवरी के बाद आपको बहुत ज्यादा थकान हो जाती है तो यह हॉर्मोनल असंतुलन का संकेत भी हो सकता है। बच्चे के जन्म के बाद रिकवरी के समय पर थकान होना आम बात है और साथ ही बच्चे की देखभाल करना तो और भी ज्यादा हो जाता है। हालांकि, यदि आपको लगातार थकान होती है तो आप इस बारे में डॉक्टर से चर्चा करें ताकि वे जान सकें कि आपकी इस थकान का कारण हॉर्मोन्स में बदलाव तो नहीं है।
डिलीवरी के बाद हॉर्मोन्स में बदलाव होने से महिला की असुविधाएं बढ़ जाती हैं। इसके अलावा बच्चे की चिंताओं को लेकर मांएं कई दिनों तक उदास भी रह सकती हैं। मांओं को जल्दी रोना आ सकता है और वे सेंटीमेंटल भी हो सकती हैं। उन्हें चिड़चिड़ापन, सोने में कठिनाई और निर्णय लेने में समस्या भी हो सकती है। जीवन में बदलाव उनके लिए बहुत ज्यादा हो जाता है या वे बच्चे का अच्छी तरह से खयाल नहीं रख पाती हैं। हॉर्मोन में असंतुलन का एक लक्षण डिलीवरी के बाद डिप्रेशन की समस्या भी है जो महिलाओं में बच्चे की चिंताओं से ज्यादा गंभीर रूप लेती है और इसमें वे कुछ सप्ताह तक उदास और डिप्रेशन में रह सकती हैं।
बच्चे के जन्म के बाद हॉर्मोनल असंतुलन और थायरॉइड के कारण आपके बाल भी झड़ सकते हैं। यदि आपको लगता है कि आपके बाल बहुत ज्यादा झड़ रहे हैं तो आप हॉर्मोन में असंतुलन और इसके रेमेडीज के बारे में डॉक्टर से सलाह ले सकती हैं।
यदि आपको इन्फेक्शन हो रहा है जैसे ब्लैडर में या यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन, गर्भाशय या किडनी का इन्फेक्शन तो यह भी शरीर में हॉर्मोनल असंतुलन के कारण हो सकता है। हॉर्मोनल समस्याओं के कारण आपकी इम्युनिटी कमजोर हो जाती है जिसकी वजह से आपको बैक्टीरिया जल्दी प्रभावित करते हैं और इससे बार-बार इन्फेक्शन हो सकता है।
पीरियड्स की समस्या जैसे बहुत ज्यादा ब्लीडिंग होना या दर्द के साथ क्रैम्प की समस्या भी हॉर्मोनल असंतुलन और एस्ट्रोजन डॉमिनैंस के कारण हो सकती है। बच्चे के जन्म के बाद कई महिलाओं को बहुत हल्की ब्लीडिंग भी होती है।
यहाँ पर बताया गया है कि आप डिलीवरी के बाद हॉर्मोनल असंतुलन की समस्या से ठीक कैसे हो सकती हैं, आइए जानें;
बच्चे के जन्म के बाद यदि आप निकोटिन, एल्कोहल या कैफीन का सेवन करती हैं तो इससे आपके हॉर्मोनल असंतुलन के लक्षण ज्यादा बिगड़ सकते हैं। इसलिए इस दौरान स्मोकिंग और एल्कोहल पीना बिलकुल भी छोड़ दें और साथ ही कैफीन-युक्त पेय पदार्थ जैसे कॉफी और कोला भी न पिएं।
शरीर में विटामिन और मिनरल का संतुलन होने से हॉर्मोन्स को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। इसलिए बच्चे के जन्म के बाद एक महिला को विटामिन और मिनरल के सप्लीमेंट्स रोजाना लेने चाहिए।
डिलीवरी के बाद हॉर्मोन्स की वजह से महिलाएं भावनात्मक रूप से प्रभावित होती हैं और उनको मूड स्विंग्स भी होते हैं। सोयाबीन में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है और यह डिलीवरी के बाद लेना बहुत जरूरी है। हालांकि इसमें फायटोएस्ट्रोजन भी होता है जो एस्ट्रोजन का ही एक भाग है। यह शरीर में एस्ट्रोजन की तरह ही काम करता है और साथ ही एक महिला के शरीर में एस्ट्रोजन डॉमिनेन्स की समस्या बढ़ा सकता है। इसलिए डिलीवरी के बाद सोया के प्रोडक्ट्स का सेवन संयमित मात्रा में करें।
अंडे की जर्दी या एग योक में बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन जैसे बी-12 और बी-6 होते हैं। यह सेलेनियम से भी भरपूर होता है जो थायरॉइड के हार्मोन्स हो उत्तेजित कर सकते हैं। एग योक खाने से शरीर में हॉर्मोन्स में असंतुलन कम हो जाता है।
शरीर में हॉर्मोन्स के नियंत्रण को बनाए रखने के लिए विटामिन डी बहुत जरूरी है। विटामिन डी की कमी से पैराथाइरॉइड हॉर्मोन का स्तर बढ़ जाता है जिसकी वजह से महिलाओं में हॉर्मोनल असंतुलन के लक्षण ज्यादा खराब हो सकते हैं। इसलिए ध्यान रखें कि रोजाना दिन में एक बार धूप में जरूर बैठें इससे आपको विटामिन डी प्राप्त होता है।
नियमित एक्सरसाइज करने से हॉर्मोनल असंतुलन में सुधार हो सकता है। इससे शरीर में एंडोर्फिन्स रिलीज होते हैं जो आपके मूड को ठीक रखते हैं और स्ट्रेस कम करते हैं। किसी पार्क या गार्डन में टहलने से आपको काफी आराम मिल सकता है।
डायटरी फाइबर की मदद से शरीर में एस्ट्रोजन कम होता है। आप इस दौरान डायटरी फाइबर-युक्त आहार ले सकती हैं, जैसे हरी सब्जियां, दाल, मटर, ब्रोक्कोली और ब्रूसेल स्प्राउट्स जिससे शरीर में हॉर्मोनल अनियंत्रण को कम करने के लिए एस्ट्रोजन की वृद्धि कम होती है।
साधारण कार्ब्स, जैसे मैदा, वाइट ब्रेड, पास्ता, चावल, चीनी और इत्यादि चीजें आपके शरीर में आसानी से पच जाती हैं और इससे आपका वजन व ब्लड शुगर भी बढ़ सकता है। इससे आपके शरीर में हॉर्मोनल असंतुलन भी हो सकता है। इस दौरान आप अपने शरीर में हॉर्मोन्स को संतुलित रखने के लिए व्होल ग्रेन्स और अनरिफाइंड काम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट, जैसे ब्राउन राइस, ब्राउन ब्रेड, स्वीट पोटैटो और इत्यादि का सेवन भी कर सकती हैं।
पीयूएफए से आपको एंडोक्राइन ग्लैंड भी प्रभावित हो सकते हैं जिससे आपके हॉर्मोन्स में असंतुलन बढ़ सकता है। इसलिए डिलीवरी के बाद ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन न करें जिसमें पीयूएफए मौजूद हो, जैसे मार्जरीन, सफ्फ्लावर ऑयल (कुसुम तेल), पीनट ऑयल।
योगा करने से शरीर और मन में स्ट्रेस कम होता है व आराम मिलता है। इससे अनिद्रा और एंग्जायटी की समस्या भी कम होती है। योगा करने से शरीर में हॉर्मोनल असंतुलन ठीक होता है। यदि आपको योगा करना नहीं आता है तो आप ट्रेनर की मदद की ले सकती हैं। आप खुद से योगा करने का प्रयास न करें क्योंकि इससे आपको चोट लग सकती है।
लाल रास्पबेरी की पत्तियां अपने एंटीऑक्सीडेंट और ठीक करने के गुणों के लिए जानी जाती हैं। इसमें विटामिन्स और मिनरल्स होते हैं जो हॉर्मोन्स को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। रेड रास्पबेरी की चाय पीने से रिप्रोडक्टिव सिस्टम की समस्याएं भी कम हो जाती हैं।
बच्चे के जन्म के बाद हॉर्मोन्स में असंतुलन के कारण सोने में कठिनाई होने की समस्याएं बढ़ जाती हैं। नींद की कमी होने से माँ और बच्चे की बॉन्डिंग में प्रभाव पड़ता है। इसलिए इस दौरान ज्यादा से ज्यादा सोना भी जरूरी है। आप परिवार में बच्चे की देखभाल के लिए किसी की मदद ले सकती हैं ताकि आप आराम कर सकें।
यदि हाल ही में आपकी डिलीवरी हुई है और इस दौरान आपके बाल झड़ रहे हैं, इन्फेक्शन हुआ है, मूड स्विंग्स होते हैं, एंग्जायटी, अनिद्रा, उदासी या डिप्रेशन की समस्या है तो आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करके यह पता करें कि यह लक्षण कहीं आपकी डिलीवरी के बाद हॉर्मोनल बदलावों या एस्ट्रोजन डॉमिनेन्स की वजह से तो नहीं हैं। आप डॉक्टर से सलाह लिए बिना अपने आहार में कोई नया भोजन या कोई भी दवाई का सेवन न करें। यदि आप अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराती हैं तो यह आपके लिए बहुत जरूरी है। इस दौरान आप जो कुछ भी कहती हैं व ब्रेस्टमिल्क के माध्यम से आपके बच्चे तक भी पहुँचता है। इसलिए जरूरी है कि इस दौरान आप न्युट्रिश्यस और हेल्दी आहार लें। अपने शरीर में हॉर्मोनल असंतुलन को कम करने के लिए आप इस आर्टिकल में दिए हुए टिप्स का उपयोग जरूर करें।
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