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यद्यपि डिलीवरी के बाद महिलाओं को ब्लीडिंग व थकान तो होती है पर इस समय महिला को कुछ ऐसी गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं जिसमें बहुत ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। आप चाहे अपनी जितनी भी देखभाल कर लें पर कभी-कभी आपको इन्फेक्शन हो भी सकता है। डिलीवरी के बाद गर्भाशय में, वजायना और सर्विक्स के आसपास बहुत सारे खुले हुए घाव और चीरे होते हैं। इससे शरीर कमजोर हो जाता है और इन्फेक्शन होने की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं।
वजायनल डिलीवरी या सिजेरियन और यहाँ तक कि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान इन्फेक्शन होने को पोस्टपार्टम इन्फेक्शन या डिलीवरी के बाद के इन्फेक्शन कहते हैं। यह तब होता है जब बच्चे को जन्म देने के बाद महिला के गर्भाशय में या इसके आसपास इन्फेक्शन होने लगता है। डिलीवरी के बाद इन्फेक्शन को प्रसव संबंधी (पुएपेरल) इन्फेक्शन भी कहा जाता है।
आज के समय में जो महिलाएं नॉर्मल डिलीवरी करवाती हैं, उनमें 2% महिलाओं को डिलीवरी के बाद इन्फेक्शन होता है। यदि बचाव के लिए महिलाओं को एंटीबायोटिक्स नहीं दी गई और डिलीवरी में कठिनाई होती है तो यह दर बढ़कर 10% हो जाता है और सिजेरियन डिलीवरी के मामले में लगभग 50% महिलाओं को डिलीवरी के बाद इन्फेक्शन होता है।
यदि महिला की सिजेरियन डिलीवरी हुई थी, प्रीमैच्योर मेम्ब्रेन में क्षति हुई थी, लंबे समय तक बच्चे को आंतरिक रूप से मॉनिटर किया गया था और या महिला को एनीमिया है तो इन स्थितियों में इन्फेक्शन बहुत जल्दी होता है।
जब महिला हॉस्पिटल में होती है तब डिलीवरी के बाद इन्फेक्शन होने के लक्षण हमेशा दिखाई दे ऐसा जरूरी नहीं है। ये लक्षण डिलीवरी के बाद 10 दिनों तक कभी भी दिख सकते हैं। डिलीवरी के बाद इन्फेक्शन होने के लक्षण निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
डिलीवरी के बाद महिला को निम्नलिखित सामान्य इन्फेक्शन हो सकते हैं, आइए जानें;
शारीरिक जांच के परिणाम पर ही उचित रूप से डायग्नोसिस किया जा सकता है। कभी-कभी जब महिला को सिर्फ बुखार होता है और कोई भी लक्षण नहीं दिखाई देते हैं तब भी डॉक्टर डायग्नोसिस कर सकते हैं। अक्सर डॉक्टर महिला के पेशाब का सैंपल लेते हैं और समस्याओं का पता लगाने के लिए उसमें मौजूद बैक्टीरिया की जांच करते हैं।
यदि महिला में इन्फेक्शन का पता नहीं लगाया जाता है या इसका इलाज नहीं किया जाता है तो इससे ब्लड क्लॉटिंग होती है या किडनी में इन्फेक्शन हो जाता है जिसकी वजह से किडनी की समस्याएं होती हैं और खून में इन्फेक्शन होने की वजह से महिला को सेप्सिस हो सकता है। यद्यपि ज्यादातर इन्फेक्शन का इलाज किया जा सकता है और इसमें सबसे बड़ी समस्या यह है कि इसके इलाज के दौरान महिला अपने बच्चे की देखभाल नहीं कर पाती है या उसके साथ बॉन्डिंग नहीं बना पाती है। यदि आपको थोड़ी सी भी शंका है कि कुछ ठीक नहीं है तो आप तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
डिलीवरी के बाद इन्फेक्शन के ट्रीटमेंट के बारे में नीचे दिया गया है, आइए जानें;
इसके लिए सामान्य ट्रीटमेंट है कि आप पूर्ण आराम करें, तरल पदार्थ पिएं, बैलेंस्ड डायट का सेवन करें और दवाएं लें। यदि आपको ब्रेस्ट में इफेक्शन हुआ है तो यह एक गंभीर समस्या है। इसमें महिला का इन्फेक्शन बच्चे तक भी पहुँच सकता है इसलिए यदि महिला बच्चे को दूध नहीं पिलाती है तो बेहतर होगा। ब्रेस्ट इन्फेक्शन को बढ़ने से रोकने के लिए आप दूध के लिए ब्रेस्ट पंप का उपयोग करें।
एपिसियोटॉमी के मामले में डॉक्टर आपके टांके निकालेंगे ताकि घाव का मवाद या पस सूख सके।
कभी-कभी महिला के गर्भाशय में कुछ टिश्यू रह जाते हैं जिससे जन्म के बाद गर्भाशय में इन्फेक्शन हो जाता है। गर्भाशय से इन टिश्यू को बहुत आराम से निकाला जाना चाहिए। यदि गर्भाशय बहुत नाजुक है तो टिश्यू निकालने से पहले महिला को कुछ दिनों तक एंटीबायोटिक्स देना चाहिए।
महिलाओं को साफ वजायनल पैड का उपयोग करना चाहिए और रोजाना बदलना भी चाहिए।
डिलीवरी के बाद घाव की देखभाल कैसे करनी चाहिए इस बारे में आप पूरी जानकारी लें क्योंकि इसकी देखभाल करने से ही इन्फेक्शन होने की संभावनाएं कम हो सकती हैं। डिलीवरी के बाद ब्लीडिंग होने को रोकने के लिए आप टेम्पॉन का उपयोग न करें क्योंकि इसे वजायना के अंदर डालना पड़ता है और यदि यह इन्फेक्टेड है तो इससे आपकी वजायना में इन्फेक्शन हो सकता है। यदि आपको बुखार होता है तो सबसे पहले डॉक्टर से मिलें और उन्हें अपनी तकलीफों के बारे में बताएं। इस तरह से आप डिलीवरी की गंभीर समस्याओं या सामान्य दर्द के अनुभवों को कम कर सकती हैं।
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