गर्भावस्था

डिलीवरी के बाद शरीर को पहले जैसे शेप में लाने के लिए योगासन

गर्भावस्था का समय एक महिला के जीवन का सबसे अच्छा पल होता है, लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया जाता है कि प्रेगनेंसी के दौरान उसके शरीर को बहुत सारे चेंजेस और स्ट्रेस से होकर गुजरना होता है। ज्यादातर महिलाओं को बच्चे को जन्म देने के बाद अपने रोजमर्रा के कामों को करने में परेशानी होती है और वो अभी अपने लेबर से रिकवर कर रही होती हैं। ऐसे में योग बेहद फायदेमंद है और बच्चे के जन्म के बाद आपको अच्छी तरह से रिकवर करने में मदद करता है।

गर्भावस्था के बाद योग करने के फायदे

यहाँ डिलीवरी के बाद योग करने के विभिन्न फायदे बताए गए हैं, उनमें से प्रमुख हैं:

  • पोस्टनेटल रिकवरी: गर्भावस्था के दौरान एक महिला के शरीर में जबरदस्त तरीके से बदलाव होते हैं। इन चेंजेस से आपके शरीर के सभी हिस्सों पर बहुत ज्यादा स्ट्रेस पड़ता है, इसके अलावा बच्चे को जन्म देने की प्रक्रिया भी काफी दर्दनाक होती है। नॉर्मल डिलीवरी के बाद योग करने से धीरे-धीरे वो स्ट्रेस दूर होने लगता है, जो प्रेगनेंसी के कारण हुआ था।
  • वजन कम करना: गर्भावस्था के दौरान सभी महिलाओं का वजन बढ़ जाता है। क्योंकि आप बच्चे के विकास के लिए नॉर्मल से ज्यादा नूट्रीयंट ले रही होती हैं, जिससे आपका वजन बढ़ जाता है। समस्या तब होती है जब आपको डिलीवरी के बाद इस बढ़े हुए वजन की आवश्यकता नहीं होती है। डिलीवरी के बाद वजन कम करना आसान नहीं है। हालांकि, रोजाना सही समय और सही तरीके से योग करने से पोस्ट प्रेगनेंसी वेट कम किया जा सकता है।
  • सहनशक्ति बढ़ाता है: ज्यादातर नई माओं को गर्भावस्था के बाद कमजोरी का अनुभव होता है। कमजोरी के लक्षणों में उन्हें सहनशक्ति में कमी, मांसपेशियों / जोड़ों में दर्द और थकावट महसूस होती है। योग धीरे-धीरे आपकी सहनशक्ति बढ़ाने के साथ साथ आपकी स्ट्रेंथ वापस ले आएगा।
  • रिगेनिंग पोस्चर: गर्भावस्था के नौ महीने तक बच्चे को अंदर रखने के बाद अपने नॉर्मल बॉडी पोस्चर में आना काफी मुश्किल होता है। गर्भ में जब बच्चा घूमने की प्रक्रिया करता है तो इससे आपकी रीढ़ पर स्ट्रेस पड़ता है। इसके अलावा बच्चे के जन्म के बाद उसे नर्सिंग के लिए लगातार उठाने से आपकी गर्दन और कंधों पर भी जोर पड़ता है। योग से इन सभी समस्याओं को हल किया जा सकता है, यह आपकी मांसपेशियों और जोड़ों को मजबूत करता है, इससे आपका पोस्चर पहले से भी ज्यादा बेहतर हो जाता है।
  • मानसिक फायदे: योग के दौरान आपको गहरी सांस लेनी होती है, अपने शरीर को स्ट्रेच और रिलैक्स करना होता है, इस प्रकार मूवमेंट और ब्रीदिंग से आपका ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और ही यह शरीर में ऑक्सीजन भी सर्कुलेट भी करता है। इस तरह का योगासन तनाव को कम करने के साथ आपके शरीर और मन को शांत करता है।

योगासन करने के लिए जरूरी चीजें

जबकि योग ज्यादातर फ्रीहैंड होता है जो आपको फिट रखने में मदद करता है और इसमें गहरी सांस लेना और बॉडी मूवमेंट शामिल हैं, फिर भी कुछ बुनियादी चीजें हैं जिनकी आपको योग करते समय जरूरत पड़ेगी। नीचे कुछ चीजों की लिस्ट दी गई है जो गर्भावस्था के बाद के योग के लिए आवश्यक होंगी:

  • रबर मैट: योग करने के लिए आपके पास एक सॉफ्ट रबर मैट होनी चाहिए, ये आपके शरीर को कुशनिंग प्रदान करता है और हार्ड फ्लोर के संपर्क में आने से बचाता है, इससे आप योग के दौरान स्लिप नही होंगी और आपके चोट लगने का खतरा भी नहीं होगा।
  • ब्लैंकेट: कुछ आसन में एक्स्ट्रा पैडिंग की आवश्यकता होती है, ताकि कोई असुविधा न हो। मीडियम थिकनेस वाला ब्लैंकेट लें जो सॉफ्ट मटेरियल से बना हो।
  • ब्लॉक्स: ब्लॉक्स एडवांस पोज के लिए उपयोगी होते हैं, जिसमें बहुत ज्यादा फ्लेक्सिबिलिटी की आवश्यकता होती है, ब्लॉक्स की मदद से बिगिनर्स योग कर सकते हैं।
  • स्ट्रैप: स्ट्रैप को बहुत उपयोगी सपोर्ट डिवाइस कह सकते हैं, यह कुछ मुश्किल योगासन करने के लिए शरीर के अंगों को स्ट्रेच करने में मदद करती है।
  • स्पोर्ट्सवियर: किसी भी प्रकार के वर्क आउट रूटीन के लिए आपको सही कपड़े पहनने चाहिए। योग के दौरान आपका शरीर बहुत ज्यादा स्ट्रेच होता है, इसलिए कंफर्टेबल कपड़े पहनने चाहिए।

नई माओं के लिए गर्भावस्था के बाद की योग मुद्राएं

नीचे दिए गए 12 योगा पोज डिलीवरी के बाद आपके बॉडी शेप को पहले जैसा करने में मदद करेंगे। पहले कुछ पोज में स्ट्रेचिंग, वार्मअप और फ्लैक्सिबिलिटी बेहतर होती है।

1. गर्दन को स्ट्रेच करना (घुमाना)

यह मुद्रा तनाव से राहत पाने के लिए बहुत अच्छी है, लेकिन इसे करते समय सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है।

फायदा:

गर्दन को फ्लेक्सिबिलिटी मिलती है, मांसपेशियों का तनाव कम होता है, यह एडवांस पोज के लिए वार्मअप के रूप में कार्य करता है।

कैसे करें:

क्रॉस-लेग पोजीशन में बैठे, गहरी सांस लें, धीरे-धीरे अपने सिर को दाईं ओर घुमाएं जब तक कि मांसपेशियों में खिंचाव महसूस न हो। तीन गहरी सांस लें और धीरे-धीरे नॉर्मल पोजीशन में लौट आएं। बाईं ओर भी यही क्रिया दोहराएं।

2. कंधे को स्ट्रेच करना (घुमाना)

यह मुद्रा कंधों को फ्लेक्सिबिलिटी प्रदान करती है।

फायदा:

मांसपेशियों में तनाव को कम करता है, कंधे की मांसपेशियों को ढीला करता है और एडवांस पोज के लिए वार्मअप के रूप में कार्य करता है।

कैसे करें:

क्रॉस-लेग पोजीशन में बैठे, अपनी बाहों को सीधा रखें। धीरे-धीरे अपने कंधों को आगे की ओर मूव करें बढ़ाएं और अपनी बाहों को घुमाए बिना अपने ईयरलोब की ओर लाएं, एक ही रोटेशन में ऐसा करें। रोलिंग जारी रखें और फिर पीछे की ओर और नीचे की ओर मूव करें, इस तरह से एक रोटेशन पूरा होगा। इस मूवमेंट को सात बार दोहराएं, पाँच सेकंड के लिए रुकें और फिर रिवर्स मूवमेंट को सात बार दोहराएं।

3. छाती स्ट्रेच करना

इसे वार्मअप पोज के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है जिसके बाद हाई लेवल पोज किया जा सकता है।

फायदा:

यह छाती और पीठ के ऊपरी हिस्से की मांसपेशियों को आराम देता है और मांसपेशियों के तनाव को कम करता है।

कैसे करें:

क्रॉस-लेग पोजीशन में बैठे। अपनी बाहों और रीढ़ को सीधी रखें। अब अपनी आँखें बंद कर लें और गहरी सांस लें, इससे आपकी छाती और पेट की मांसपेशियों का विस्तार होता है। पाँच सेकंड के लिए इस पोजीशन में रहें और धीरे-धीरे सांस छोडें, पाँच सेकंड के लिए रुकें और दोबारा सांस लें, कम से कम इसे बीस बार दोहराएं। ध्यान दें कि इस एक्सरसाइज को धीरे-धीरे करें और अगर इसे करते समय असुविधा होती है जैसे सांस फूलना या चक्कर आना, तो आपको तुरंत रुक जाना चाहिए।

4. पैरों को स्ट्रेच करना

यह मुद्रा आपके शरीर के निचले हिस्से के लिए बहुत अच्छी है।

फायदा:

पैरों को स्ट्रेच करता है, पिण्डली की मांसपेशियों की एक्सरसाइज होती है और सर्कुलेशन बेहतर करता है।

कैसे करें:

मैट पर दोनों घुटनों और हाथों  के साथ रेस्टिंग पोजीशन में आ जाएं। धीरे-धीरे अपनी पीठ को झुकाते हुए अपने हाथ को पीछे की ओर ले जाएं जब तक कि आपके कूल्हे पैरों की एड़ी को न छू लें। अब अपने कूल्हों को पैरों की एड़ी पर रेस्ट करने दें और पीठ को सीधा करें। अब आपको अपनी जांघों पर हाथ रखकर सीधे बैठना है और आपके कूल्हे ऊपर बताई गई पोजीशन में ही रहेंगे, इस पॉइंट पर, आपके पैरों के तलवों में खिंचाव महसूस होना चाहिए। रिलैक्स करने से पहले आठ सेकंड के लिए इसी पोजीशन में रहें। इस मुद्रा को पाँच बार दोहराएं और धीरे धीरे अपना होल्डिंग टाइम बढ़ाने की कोशिश करें।

5. पेल्विक टिल्ट

यह मुद्रा आपको अंदरूनी मजबूती देने में मदद करती है।

फायदा:

इसमें पीठ के निचले हिस्से, पेट और कूल्हों की मांसपेशियों की एक्सरसाइज होती है।

कैसे करें:

मैट पर लेट जाएं और अपने घुटनों को मोड़ें, अपने पैरों को मैट पर रखें और अपनी हथेलियों को अपने कूल्हों के साथ रखते हुए मैट को छुएं। अपने कूल्हों को उठाते समय न्यूट्रल स्पाइन इनहेल बनाए रखें। तीन सेकंड के लिए रुकें और धीरे-धीरे सांस छोड़ें, अपने कूल्हों को वापस मैट पर ले आएं, तीन सेकंड के लिए रेस्ट करें और इस मुद्रा को दोहराएं। आप इस मुद्रा को 20 बार दोहरा सकती हैं।

6. कीगल एक्सरसाइज

कीगल एक्सरसाइज करने से आपका पेल्विक फ्लोर मजबूत होता है।

फायदा:

गर्भावस्था के दौरान आपका पेल्विक फ्लोर कमजोर हो जाता है, जिसकी वजह से आपके यौन सुख में कमी हो जाती है और आपको अपने यूरिनरी ब्लैडर पर कंट्रोल नहीं रहता है, यह एक्सरसाइज आपकी पेल्विक फ्लोर से जुड़ी समस्या को दूर कर सकती है।

कैसे करें:

पीठ के बल लेट जाइए, अपने घुटनों को  मोड़िए और आपके पैरों के तलवे मैट से छूने चाहिए और हाथ नाभी पर होना चाहिए। निचले पेट की मांसपेशियों को संकुचित करें – यह वो मांसपेशियां हैं जिनका उपयोग आप पेशाब को रोकने के लिए करती हैं – पाँच सेकंड तक के लिए इसी पोजीशन में रहें। रिलैक्स हो और सांस लें, पाँच  सेकंड के लिए रुकें और इस मुद्रा को दोहराएं। आप हर सेशन में इसे 20 बार दोहरा सकती हैं।

7. पेल्विक रॉकिंग

यह मुद्रा पेट फूलने की समस्या को दूर करने में मदद करती है।

फायदा:

गर्भावस्था के दौरान आपके पेट पर दबाव पड़ता है, जिसकी वजह से मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। पेल्विक रॉकिंग से पेट की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है।

कैसे करें:

अपने घुटनों को मोड़कर पीठ के बल लेट जाएं और हाथों को साइड में रखें। सांस छोड़ें और अपनी नाभि को ऊपर व अंदर की ओर ले जाएं। सांस लें और अपनी नाभि को नीचे की ओर ले जाएं, तीन सेकंड के लिए रुकें और फिर इस मुद्रा को दोहराएं। आप हर सेशन में इसे 20 बार दोहरा सकती हैं।

8. टाइगर पोज (व्याघ्रासन)

यह शरीर की सभी प्रमुख मांसपेशियों के लिए एक बेहतरीन मुद्रा है।

फायदा:

यह पीठ दर्द से राहत देने में मदद करता है और आपके रिप्रोडक्टिव ऑर्गन को फिर से सक्रिय कर देता  है।

कैसे करें:

मैट पर दोनों घुटनों और हथेलियों के साथ रेस्टिंग पोजीशन में आ जाएं। आपके घुटने जांघों की सिधाई में होने चाहिए और हथेलियां कंधों के अनुरूप होनी चाहिए। अब, अपने दाहिने घुटने को उठाएं और अपने दाहिने पैर को स्ट्रेच करें, इसे अपने कूल्हों के अनुरूप लाएं और फर्श के के बराबर रखें। अब अपने दाहिने पैर को उठाएं, अपने घुटने को मोड़ें और अपने पैरों की एड़ी को अपने कूल्हे की ओर लाएं। उसी समय, अपने कंधे को उठाएं और अपने सिर को पीछे की ओर झुकाएं। इस मूवमेंट के दौरान सांस लें और चार सेकंड के लिए इसी पोजीशन में रहें, फिर सांस छोड़े और अब अपने घुटनों को अपनी छाती की ओर ले जाएं और अपने कंधों को नीचे लाएं। अपने सिर को छाती की ओर लाएं और अपने सिर को घुटने से छूने की कोशिश करें, चार सेकंड के लिए इसी पोजीशन में रहे। फिर चार सेकंड के लिए रुकें और बाएं पैर के लिए भी यही प्रक्रिया दोहराएं। आप इस मुद्रा को पाँच बार दोहरा सकती हैं।

9. कोबरा पोज (भुजंगासन)

कोबरा मुद्रा प्रसव के बाद पीठ दर्द की समस्याओं से निपटने में मदद करती है।

फायदा:

हाथ, कंधे, रीढ़ की हड्डी और कूल्हों को मजबूत करता है।

कैसे करें:

पेट के बल सीधा लेट जाएं, पूरे शरीर को सीधा रखें और पैरों को एक साथ रखें। अपनी बाहों को कंधों के ठीक नीचे रखें, सांस लें और अपनी कमर को मैट पर रखते हुए धीरे से अपना शरीर ऊपर उठाएं। अपने आप को चोट पहुँचाए बिना जितना संभव हो सके अपने आप को उठाएं, दस सेकंड के लिए इसी पोजीशन में रहे, फिर सांस छोड़ें, वापस से लेट जाएं और रिलैक्स करें। यदि संभव हो आप इस मुद्रा को दस से बीस बार दोहराएं।

10. कैमल पोज (उष्ट्रासन)

कैमल पोज एक बेहतरीन योगासन है, जो डिलीवरी के बाद वजन करने के लिए शानदार रूप से कार्य करता है, इसके अलावा यह आपके शरीर की सभी प्रमुख मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करता है।

फायदा:

डिलीवरी के बाद अपने पेट पर जमा एक्स्ट्रा फैट को कम करने के लिए इस मुद्रा को अजमा सकती हैं।

कैसे करें:

योगा मैट पर घुटनों के बल खड़ी हो जाएं और अपनी रीढ़ को सीधा रखें। घुटनों और पैरों को एक साथ जोड़कर रखें। सांस लेते हुए धीरे-धीरे पीछे की ओर झुकें, अपने पैरों को हाथों से पकड़ें। आपके कंधे, छाती और बाहें स्ट्रेच होने चाहिए और आपकी पीठ के निचले हिस्से पर आर्च बननी चाहिए। लगभग 8 सेकंड तक के लिए इसी पोजीशन में रहें। हर सेशन में इसे आठ बार दोहराएं।

11. सिजर्स पोज (कैंची मुद्रा)

यह आपको कैंची की तरह दिखाता है और यह आपके पेट को मजबूत करने में मदद करता है।

फायदा:

यह पेट की चर्बी को कम करता है और कूल्हों व रीढ़ की फ्लेक्सिबिलिटी में सुधार करता है।

कैसे करें:

पीठ के बल लेट जाएं और अपने दोनों पैरों और हाथों को छत की ओर रखें। अपने बाएं हाथ और पैर को ऊपर की ओर ले जाएं, उसी समय आप अपने दाहिने हाथ और पैर को नीचे की ओर ले जाएं। इस मोशन को उल्टा कर दें और पाँच बार इस मुद्रा को दोहराएं।

12. रिलैक्सेशन पोज (शवासन मुद्रा)

इस पोज को पावर नैप के बदले में भी किया जा सकता है।

फायदा:

कूल्हों और कमर के आसपास के क्षेत्र को स्ट्रेच करने के बाद इसे रिलैक्स करने में मदद करता है।

कैसे करें:

मैट पर पीठ के बल लेट जाएं। आँखें बंद करें और गहरी व धीमी सांस लें। दोनों हाथों और पैरों को शरीर से थोड़ा दूर फैलाकर रखें। हथेलियों को ऊपर की और खुला रखें। अब पैर के अंगूठे से शुरू करके शरीर के एक-एक अंग की और ध्यान दें और धीमी लेकिन गहरी सांस लें। आप बहुत जल्दी ही रिलैक्स महसूस करना शुरू कर देंगी। कुछ मिंट ऐसा करने के बाद जब शरीर पूरी तरह रिलैक्स हो जाए तो करवट पर मुड़कर धीरे से आँखें खोल लें। 

प्रेगनेंसी के बाद योग करने से यह एक महिला के शरीर को प्रेगनेंसी से पहला वाला शरीर प्रदान कर सकता है। लेकिन आपको एक बात का खयाल रखना है कि डिलीवरी के बाद आपको पर्याप्त आराम की जरूरत होती है। डिलीवरी के बाद 6 महीने क आपको पूरी तरह से रिकवर होने में लगते हैं इसलिए आप अच्छी तरह से रिकवर हो जाने के बाद ही योग शुरू करें और किसी योगा एक्सपर्ट की देखरेख में ही इसे करें, ताकि आपको किसी भी प्रकार की कोई भी समस्या का सामना न करना पड़े।

यह भी पढ़ें:

सिजेरियन के बाद योग करना
डिलीवरी के बाद अपना पेट कम करने की एक्सरसाइज

समर नक़वी

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