गर्भावस्था

प्रसव की 6 पद्धतियां: आवश्यक जानकारी

एक बच्चे को जन्म देना बहुत बड़ी उपलब्धि है और यह आसानी से हासिल नहीं होती है। यद्यपि योनि द्वारा प्रसव शिशु को जन्म देने की एक प्रचलित पद्धति है, लेकिन दूसरी ऐसी कई विधियां हैं जिनसे होने वाली माँ के कष्टों को कम करके अथवा प्रक्रिया को आसान बनाकर प्रसव कराया जाता है। मेडिकल साइंस की प्रगति के साथ ऐसे तरीके खोजे गए हैं जिनसे जटिलताओं या जोखिमों की स्थिति में भी सफलतापूर्वक प्रसव कराया जा सकता है।

प्रसव की सबसे प्रचलित विधियां

गर्भवती महिलाएं को प्रसव के लिए निम्नलिखित विकल्प उपलब्ध हैं:

1. योनि प्रसव

जब एक महिला के जनन मार्ग के माध्यम से बच्चे का जन्म होता है, तो इस प्रसव को योनि प्रसव कहा जाता है। इस दौरान निश्चेतना (एनेस्थिशिया) या दर्द निवारक दवा दी भी जा सकती है या नहीं भी। इस तरह के मामले में जन्म-समय की सटीक भविष्यवाणी नहीं की जा सकती, लेकिन अधिकांश योनिप्रसव गर्भावस्था के 40 सप्ताह पूरे होने पर ही होते हैं।

ज्यादातर डॉक्टर यदि संभव हो तो योनि जन्म की ही सलाह देते हैं और सिजेरियन डिलीवरी न करने को कहते हैं । प्रसव पीड़ा के दौरान शिशु पर पड़ने वाला तनाव, उसके मस्तिष्क और फेफड़ों के विकास के लिए हार्मोन स्रावित करता है। इसके अलावा,प्रसव मार्ग से होकर गुजरने से बच्चे की छाती सिकुड़ती है जिससे समस्त एम्निओटिक द्रव साफ हो जाता है और उसके फेफड़े प्रभावी ढंग से विस्तारित हो जाते हैं। ऐसी माताएं जो कई बच्चे पैदा करना चाहती हों, उनके लिए योनिप्रसव ही सबसे अच्छा है। जब गुदा क्षेत्र के ऊपर एक चीरा लगाकर प्रसव कराया जाता है, तो उस प्रक्रिया को एपीसीओटॉमी कहा जाता है।

योनिप्रसव करने वाली माएं तुलनात्मक रूप से प्रसव के तनाव से जल्दी उबरती हैं और अपने बच्चे के साथ जल्द ही अस्पताल से घर लौट सकती हैं। ऐसे मामलों में संक्रमण की संभावना, दूसरी पद्धतियों की तुलना में कम होती है। योनि मार्ग से जन्म लेने वाले शिशुओं को श्वसन संबंधी समस्याएं होने की संभावना भी कम होती है।

2. प्राकृतिक प्रसव

यह प्रसव पद्धति काफी तेजी से लोकप्रिय हो रही है। इस पद्धति में, कोई चिकित्सा प्रक्रिया या हानिकारक उपचार शामिल नहीं हैं । यह ज्यादातर होने वाली माँ की व्यक्तिगत पसंद पर निर्भर करता है और माँ को संपूर्ण प्रसवकाल के दौरान प्रतिबद्ध रहने की आवश्यकता होती है।

प्राकृतिक तरीकों से प्रसव को अंजाम देते समय विभिन्न अभ्यासों और आसनों को ध्यान में रखा जाता है। एक दाई हमेशा माँ के साथ रहती है, यह सुनिश्चित करने के लिए कि माँ अच्छे मूड में रहे और प्रसव सफल हो। प्रसव अस्पताल में होता है या अगर पहले से सभी तैयारियां हों तो घर पर भी हो सकता है।

प्राकृतिक प्रसव के तरीकों में वॉटर बर्थिंग शिशु को इस दुनिया में लाने का सबसे लोकप्रिय और दर्द रहित तरीका है। पानी के उछाल से उत्पन्न दबाव की सहायता से की जाने वाली वॉटर बर्थिंग या पूल बर्थिंग की इस प्रक्रिया में प्रसव पीड़ा कम हो सकती है।

प्राकृतिक जन्म माँ को बेहद सशक्त बना सकता है। प्रसव के तुरंत बाद बच्चे के साथ होने वाला त्वचा का संपर्क, माँ और बच्चे के बीच एक मजबूत बंधन बांध सकता है। यह शरीर में उन हार्मोन को भी उत्तेजित करता है जो प्रसव के बाद तुरंत माँ के शरीर में दूध का उत्पादन शुरू कर देते हैं।

3. सिजेरियन सेक्शन

आप जो सोचें, हमेशा वैसा नहीं होता । भले ही एक माँ योनि प्रसव करवाना चाहती हो, लेकिन यदि जटिलताएं उत्पन्न होती हैं, तो सिजेरियन प्रसव का विकल्प चुनना पड़ सकता है।

इस विधि में, पहले माँ के पेट को चीरा जाता है और फिर सर्जरी द्वारा गर्भाशय को खोलकर शिशु को बाहर निकाल लिया जाता है। यह नाम लैटिन शब्द ‘केडेयर’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘काट देना’। इसलिए इस प्रकार के चीरे को सी-सेक्शन कहा जाता है – इस डिलीवरी पद्धति को इसका नाम यहीं से प्राप्त होता है।

कई माएं पहले से ही सिजेरियन डिलीवरी का फैसला कर लेती हैं जिससे हॉस्पिटल और डॉक्टरों को तदनुसार तैयारी शुरू करने में सहूलियत मिल जाती है। यह पसंद पर भी निर्भर करता है या फिर सोनोग्राफी के द्वारा कुछ विशेष बातों का पता चलने पर, जैसे जुड़वां या तीन बच्चों का होना या शिशु का ब्रीच (उल्टा) या ट्रांसवर्स (आड़ा) स्थिति में होना, या शिशु का आकार सामान्य से अधिक होना। इस तरह के मामलों में सी-सेक्शन आवश्यक हो जाता है।

अन्य मामलों में, जैसे यदि पूरे प्रयास के बाद भी योनि प्रसव विफल हो जाता है या यदि कोई अन्य जटिलता उत्पन्न हो जाती है, जैसे कि प्रसव के समय ब्रीच स्थिति, शिशु का प्रथम मल से सन जाना (मेकोनियम स्टेंड लिकर) या जनन मार्ग में रुकावट, तब डॉक्टरों को त्वरित सी-सेक्शन का सहारा लेकर समय रहते शिशु को गर्भाशय से बाहर निकालना पड़ता है।

4. फोरसेप्स प्रसव

यह एक अनोखी प्रसव पद्धति है और केवल कुछ योनि प्रसव के मामलों में ही उपयोग की जाती है। योनि प्रसव के दौरान जब शिशु जनन मार्ग में फंसकर बाहर ना निकल पा रहा हो तब इसका उपयोग किया जाता है। शिशु का फंसना कुछ मामूली अवरोधों की वजह से हो सकता है, या फिर अगर माँ थक जाए और शिशु को बाहर धकेलने में अक्षम हो, तब भी ।

ऐसे मामलों में, डॉक्टर विशिष्ट तरीके से डिजाइन किए गए चिमटे का उपयोग करते हैं, जो दिखने में फोरसेप्स जैसा होता है, और उसे धीरे-धीरे जनन मार्ग में प्रविष्ट कराते हैं। फिर इसके माध्यम से शिशु के सिर को धीरे से पकड़कर फिर बाहर निकाल लिया जाता है।

5. वैक्यूम निष्कर्षण

फोरसेप्स प्रसव विधि के समान ही, इस तकनीक का उपयोग योनिप्रसव के मामले में किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि बच्चा बाहर निकल रहा है लेकिन जनन मार्ग में आगे नहीं बढ़ पा रहा है तो वैक्यूम निष्कर्षण विधि लागू की जाती है।

इसमें डॉक्टर एक विशेष वैक्यूम पंप का उपयोग करते हैं जो जनन मार्ग के माध्यम से बच्चे को निकाल लेता है। वैक्यूम के सिरे पर एक नरम कप लगा होता है जिसे बच्चे के सिर के ऊपर रखा जाता है। तत्पश्चात वैक्यूम पैदा किया जाता है ताकि कप शिशु के सिर को पकड़े रहे, और बच्चे को नली के माध्यम से धीरे से बाहर निकाल लिया जाए।

6. सिजेरियन के बाद योनिप्रसव (वी.बी.ए.सी.)

अधिकांश मामलों में यदि एक बार महिला का सिजेरियन प्रसव हो जाए, तो उसके बाद योनि प्रसव होने की संभावना न्यून हो जाती है। तथापि हाल के दिनों में, पिछला प्रसव सिजेरियन होने के बावजूद कुछ तकनीकों की सहायता से महिलाओं का सफल योनि प्रसव कराना संभव हो गया है। इसे सिजेरियन के बाद योनिप्रसव कहा जाता है (वी.बी.ए.सी.)।

छोटे अस्पतालों में वी.बी.ए.सी. की सुविधा नहीं होती क्योंकि इमरजेंसी में सी-सेक्शन करने के लिए काफी स्टाफ और संसाधनों की आवश्यकता पड़ती है जोकि हमेशा संभव नहीं होता। साथ ही यदि पिछले प्रसव के दौरान कुछ जटिलताएं आई थीं तो डॉक्टर योनिप्रसव की सलाह नहीं देते।

प्रसव की विभिन्न तकनीकों के अपने फायदे और नुकसान हैं। हमेशा यह सुनिश्चित करना चाहिए कि शिशु सुरक्षित ढंग से पैदा हो, स्वस्थ तरीके से दुनिया में आए और माँ प्रसवकाल के दौरान और बाद में भी पूरी तरह से सुरक्षित व स्वस्थ रहे। यदि ऐसा हो जाए कि आपको अपनी चुनी हुई प्रसव पद्धति और आपके डॉक्टर की सलाह के बीच में से कोई एक चुनना हो, तो भविष्य में किसी भी जटिलता से बचने के लिए डॉक्टर की सलाह मान लेना ही सर्वोत्तम होगा।

श्रेयसी चाफेकर

Recent Posts

कक्षा 1 के बच्चों के लिए मेरा परिचय पर निबंध (Essay On Myself For Class 1 In Hindi )

निबंध लेखन बच्चों के लिए एक महत्वपूर्ण एक्टिविटी होती है। इससे बच्चों की रचनात्मक लेखन…

19 hours ago

क्रिसमस पर टॉप 120 कोट्स, मैसेज और ग्रीटिंग्स

क्रिसमस हर साल 25 दिसंबर को मनाया जाता है और बस कुछ ही दिनों में…

2 days ago

बाल श्रम पर निबंध l Essay on Child Labour In Hindi

बचपन किसी व्यक्ति के जीवन का सबसे आनंदमय समय होता है। बच्चों के लिए यह…

2 days ago

चिड़ियाघर की यात्रा पर निबंध (A Visit To A Zoo Essay in Hindi)

बच्चों को बाग-बगीचे, वाटर पार्क और चिड़ियाघर घुमाने ले जाना आम बात है। इनमें से…

3 days ago

जल के महत्व पर निबंध (Essay On Importance Of Water)

इस धरती पर जल के बिना कोई भी प्राणी जीवित नहीं रह सकता है। हर…

3 days ago

नववर्ष पर निबंध (Essay On New Year In Hindi)

नव वर्ष का समय पूरी दुनिया भर में खुशियों और मौज-मस्ती से भरा एक रोमांचक…

4 days ago