स्तनपान

डिलीवरी से पहले ब्रेस्टफीडिंग की तैयारी करने के 5 टिप्स

बच्चे को दूध पिलाना आपका एक पर्सनल काम है और उसके जन्म से पहले ही आपको इसके बारे में सोचना व एक सही निर्णय लेना चाहिए। कई एक्सपर्ट्स के अनुसार बच्चे को पहले 6 महीनों तक माँ का दूध पिलाना चाहिए। शुरूआत में एक बच्चे के लिए सिर्फ उसकी माँ का दूध ही होता है जिसकी वजह से वह ताकतवर और हेल्दी बनता है। माँ का दूध प्रोटीन, विटामिन्स और फैट का मिश्रण है जो एक बच्चे के लिए लाभदायक और जरूरी भी होता है। 

जो बच्चे अपने शुरूआती लगभग 6 महीने तक माँ का दूध पीते हैं, उन्हें एंटीबॉडीज का फायदा मिलता है। यह एंटीबॉडीज माँ के दूध में होते हैं जो बच्चे को इन्फेक्शन से बचने के लिए वायरस और बैक्टीरिया से लड़ने की ताकत देते हैं। बच्चों को कान में इन्फेक्शन, डायरिया और रेस्पिरेटरी से संबंधित बीमारी होने का भी खतरा होता है। माँ के दूध में वो सभी न्यूट्रिएंट्स और ऐंटीबॉडीज पाए जाते हैं जो विशेष उम्र के अनुसार जन्म से लेकर 8 साल तक के बच्चे के लिए भी फायदेमंद होते हैं। 

ब्रेस्टफीडिंग के लिए तैयारी कैसे करें

वैसे तो कई मांओं को अक्सर बच्चे को दूध पिलाना अपने आप ही आ जाता है पर फिर भी कुछ चीजें ऐसी हैं जिन्हें पहले से जानना बहुत जरूरी है और इससे आपको बाद में बहुत आसानी होगी। डिलीवरी से पहले आप ब्रेस्टफीडिंग के लिए तैयार कैसे हों इस बारे में यहाँ पर बताया गया है, आइए जानें;

1. नेचुरल रहें

जिन बच्चों का जन्म कम से कम मेडिकल असिस्टेंस के साथ नॉर्मल हुआ है, वे बहुत सरलता से माँ का दूध पीते हैं और जिन बच्चों के जन्म में मेडिकल असिस्टेंस की जरूरत ज्यादा हुई है, उन्हें माँ का दूध पीने में कठिनाई होती है। पर यदि आप बच्चे को दूध पिलाने के लिए मदद व सपोर्ट लेती हैं तो बच्चा कैसे हुआ है इस बात से कोई भी फर्क नहीं पड़ेगा। हालांकि ऐसा कहा जाता है कि नॉर्मल डिलीवरी की वजह से बच्चा आसानी से माँ का दूध पी सकता है। 

यदि आप सी-सेक्शन भी करवा रही हैं तो भी आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। कई महिलाओं की सी-सेक्शन डिलीवरी होने के बाद भी वे बच्चे को सफलतापूर्वक ब्रेस्टफीडिंग कराती हैं। इसमें सिर्फ आपको इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है कि सारी चीजें सही हैं और बच्चा अपने आप ब्रेस्टफीड करना शुरू कर देगा। आप बच्चे को शुरूआती 1 घंटे के अंदर-अंदर दूध पिलाने का प्रयास करें – इसे गोल्डन ऑवर भी कहा जाता है। यदि यह मुमकिन नहीं है तो कोई बात नहीं पर फिर भी आप जल्द से जल्द बच्चे को अपना दूध पिलाएं। 

2. आवश्यक चीजें खरीदें

इस समय आपको नर्सिंग ब्रा, पैड्स और सुविधाजनक कपड़ों की जरूरत पड़ेगी। ये सभी चीजें ब्रेस्टफीडिंग के लिए बहुत जरूरी हैं। आप एक अच्छी नर्सिंग पिलो भी खरीद लें क्योंकि बच्चे को दूध पिलाते समय इसकी मदद से आपके शरीर में दर्द कम होगा और आप ब्रेस्टफीडिंग के लिए ज्यादा से ज्यादा आरामदायक पोजीशन में रह सकेंगी। 

3. कम्फर्टेबल जगह बनाएं

घर में एक सुविधाजनक ऐसी जगह बनाएं जहाँ आप बच्चे को आसानी से दूध पिला सकती हैं। यहाँ अपने लिए एक कंफर्टेबल कुर्सी रखें या किसी सुविधाजनक जगह पर बैठकर बच्चे को दूध पिलाएं। आप अपने लिए एक तकिया भी ले सकती हैं और बाकी चीजों को अपने बिस्तर से थोड़ा सा दूर रखें। इस कमरे में आप पढ़ने के लिए कुछ किताबें रखें और एक कॉर्नर में अपने लिए थोड़ा-बहुत स्नैक्स भी रख लें, जैसे फल, ड्राईफ्रूट्स क्योंकि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान आपको अपने लिए हेल्दी फूड से कैलोरी भी लेनी चाहिए। 

4. अपनी केयर टीम को जानकारी दें

आपकी देखभाल करनेवालों को पहले से यह बताने की जरूरत होगी कि आप बच्चे को सिर्फ ब्रेस्टफीडिंग ही कराना चाहती हैं। कोशिश करें कि आपका बच्चा ज्यादा से ज्यादा समय आपके साथ ही रहे ताकि भूख लगने पर आप तुरंत उसे अपना दूध पिला सकें। आप कंगारू मदर केयर के बारे में भी अपने केयरगिवर से बात करें। कंगारू मदर केयर या माँ का बच्चे से शारीरिक संपर्क एक ऐसी विधि है जिससे बच्चे को बहुत सारे फायदे मिलते हैं। इससे बच्चे के शारीरिक विकास में मदद मिलती है और यह शुरूआत में ब्रेस्फीडिंग को भी सरल बनाता है। 

ब्रेस्टफीडिंग के लिए शरीर कैसे तैयार होता है?

गर्भवती होने पर कई सवालों के साथ अक्सर आपके मन में यह भी सवाल आता होगा कि डिलीवरी से पहले बच्चे को दूध पिलाने के लिए आप कैसे तैयार हों? गर्भावस्था के दौरान आपके ब्रेस्ट में मिल्कडक्ट्स बढ़ते और मैच्योर होते हैं। इस समय दूध को उत्पन्न करनेवाले सेल्स भी विकसित होते हैं और आपके ब्रेस्ट में पहले से ज्यादा खून का बहाव होता है। इसलिए ब्रेस्ट इतने बड़े हो जाते हैं। वैसे सभी महिलाओं को ऐसा नहीं होता है पर फिर भी वे अपने बच्चे को दूध पिलाने में सक्षम होती हैं। बच्चे को दूध पिलाने की प्रक्रिया के वजह से भी निप्पल्स बड़े हो जाते हैं। 

क्या बच्चे को दूध पिलाने से निप्पल्स को टाइट करना चाहिए?

बच्चे को दूध पिलाने के लिए आपका शरीर नेचुरल तरीके से ही तैयार होता है और इसलिए निप्पल्स को टाइट करना कोई जरूरी नहीं है। वैसे यह एक पुरानी विधि है जिसकी जरूरत आज कल नहीं पड़ती है। वास्तव में इससे बहुत दर्द होता है और साथ ही इसकी वजह से बच्चे को दूध पिलाना कठिन हो जाता है। स्तनों में दर्द कम हो इसलिए आप शुरूआत से ही अपने बच्चे को निप्पल पकड़ना सिखाएं और यदि संभव हो तो यह काम जन्म के 1 घंटे के बाद से ही शुरू कर दें। 

किसी की मदद कैसे लें

माँ बनना कठिन है और जहाँ तक रही बच्चे को दूध पिलाने की बात तो इसके बारे में आपको हमेशा किसी प्रोफेशनल या अनुभवी महिला से बात करनी चाहिए क्योंकि इसके बारे में पूरी जानकारी ही आपकी मदद कर सकती है। आप किसी की मदद कैसे ले सकती हैं इस बारे में यहाँ कुछ टिप्स बताए गए हैं, आइए जानें; 

1. परिवार और दोस्तों से मदद लें

आप अपने परिवार या दोस्तों में सबसे विश्वसनीय इंसान से इस बारे में बात करें, जैसे अपनी माँ या आंटी से बात करें या फिर आप किसी क्लोज फ्रेंड से भी बात कर सकती हैं जिसे ब्रेस्टफीडिंग का अनुभव हो। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान कई महिलाओं को कठिनाई होती है और वे अपने अनुभवों के अनुसार आपको कठिनाइयों से बचने के लिए टिप्स और गाइडेंस देंगी। यदि आपको लगता है कि आपको मदद की जरूरत है या आप किसी से बात करना चाहती हैं तो चूंकि आपकी माँ, आंटी या आपकी दोस्त को इस बारे में अनुभव है इसलिए वे आपको पूरा सपोर्ट करने में भी सक्षम होंगी।

विशेषकर मातृत्व के लिए कई महिलाएं अपने से छोटी महिलाओं को सिखाने या मदद करने में खुश होती हैं। माँ से सीखी हुई चीजों को अपने से छोटी पीढ़ी तक पहुँचाने का यह उनका अपना तरीका है। गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर से मिली सलाह पर भी आप पूरा ध्यान दें। 

2. डॉक्टर से सलाह लें

यदि आप ब्रेस्टफीडिंग से संबंधित चीजों के बारे में जानना चाहती हैं, जैसे यदि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान आप कोई सप्लीमेंट लेती हैं जिससे बच्चे पर प्रभाव पड़ सकता है तो इसके लिए डॉक्टर से संपर्क करें। इसमें सिर्फ डॉक्टर ही आपकी मदद कर सकते हैं कि बच्चे को दूध पिलाते समय आप क्या चीजें खाएं जिससे उस पर कोई भी साइड इफेक्ट्स न हों। 

कई महिलाएं ब्रेस्ट सर्जरी या ब्रेस्ट इम्प्लांट करवाती हैं। इस मामले में भी आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए कि बच्चे को दूध पिलाने से इसका कोई प्रभाव पड़ता है या नहीं। 

3. सेशन पर जाएं

ज्यादा जानकारी के लिए आप ब्रेस्टफीडिंग क्लास भी ज्वाइन कर सकती हैं। यहाँ आपको हाइजीन से लेकर ब्रेस्टफीडिंग के बारे में हर वो जानकारी मिलेगी जो आप जानना चाहती हैं और आप लैचिंग में बच्चे की मदद के लिए कुछ बेहतरीन पोजीशन के बारे में भी जानेंगी। सिर्फ इतना ही नहीं, यहाँ आप कई गर्भवती महिलाओं से भी मिलेंगी जिनसे आप बातें और गर्भावस्था के अनुभव शेयर कर सकती हैं।

4. एक्सपर्ट से बात करें

गर्भावस्था के दौरान भी यदि आप अपने बच्चे को दूध पिलाने के बारे में चिंता कर रही हैं और आपको लगता है कि आप सही से उसे ब्रेस्फीडिंग नहीं करा पाएंगी तो इसके बारे में पूरी जानकारी के लिए लैक्टेशन कंसल्टेंट से सलाह लें और उनसे सभी सवाल पूछें। यदि आपको सहायता की आवश्यकता है तो तुरंत मदद के लिए किसी से कहें। 

5. पति की सहायता लें

यदि आपको पति का पूरा सपोर्ट मिल रहा है तो आपके लिए बच्चे को दूध पिलाना बहुत आसान होगा और आप इसे कई दिनों तक भी जारी रख सकती हैं। आपके पति भी साथ में ब्रेस्टफीडिंग के सेशंस अटेंड कर सकते हैं ताकि वे भी भावनात्मक रूप से आपका साथ दे सकें और इस दौरान आपके स्ट्रेस को कम करने के लिए सभी संभव कार्य करने का प्रयास कर सकें। यदि आप पूरी तरह से प्राकृतिक तरीका अपनाती हैं और पहले कुछ महीनों के लिए दूध की बोतल का उपयोग भी नहीं करती हैं तो बच्चे को दूध पिलाने से शरीर में बहुत प्रभाव पड़ता है। 

यदि पति आपके लिए टाइम निकालते हैं और आपकी जरूरतों का ध्यान रखते हैं, जैसे एक कप चाय बनाना या डिनर तैयार करना तो बच्चे को दूध पिलाने तक आपका खाना भी बन चुका होगा और इससे आपका काफी स्ट्रेस कम हो जाएगा। यदि आपको पहले से ही कोई बच्चा है और पति उसे संभालने में मदद करते हैं तो आप आसानी से बच्चे को दूध पिलाने के लिए समय दे सकती हैं। 

डिलीवरी होने तक पूरी तैयारी करके रखें ताकि बच्चे के जन्म के बाद आपके पास सभी जरूरी चीजें हों। डॉक्टर की सलाह अनुसार ही सभी कार्य करें और इस बारे में उन्हें सूचित भी करती रहें। यदि आपका प्लान बदलने की जरूरत होगी तो डॉक्टर पहले आपके बच्चे के स्वास्थ्य व विकास की जांच करेंगे। यदि आप बिना किसी समस्या के बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराना चाहती हैं तो इसके लिए आपका हेल्दी रहना बहुत जरूरी है। यदि आप नॉर्मल डिलीवरी और ब्रेस्टफीडिंग कराना चाहती हैं व जितना कम हो सके उतना मेडिकल सपोर्ट लेना चाहती हैं तो इसके लिए डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। वे ही आपको बता सकते हैं कि ऐसा करना संभव है या नहीं और यदि संभव नहीं है तो इसके लिए आपको क्या करना चाहिए। 

यह भी पढ़ें:

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सुरक्षा कटियार

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