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यह कहानी एक धोबी और उसके गधे की है। धोबी अपने गधे की मदद से लोगों के कपड़ें घाट पर ले जाता था और उसका खर्चा इसी काम से निकलता था। लेकिन जब गधा बूढ़ा हुआ और अचानक गड्ढे में गिर गया तो धोबी ने उसे त्यागने का सोचा लेकिन गधे की चतुराई उसके काम आ गई। इस कहानी में हमें यह बताया गया है कि कभी-कभी कठिन परिस्थिति में बल का इस्तेमाल न कर के बुद्धि का इस्तेमाल करना चाहिए, जिसकी वजह से मुसीबत से बाहर निकल सकते है। धोबी और गधे की यह रोचक कहानी आपको जरूर पसंद आएगी यदि ऐसी ही बेहतर कहानियों को पढ़ना चाहते है तो हमारी फर्स्टकराई हिंदी पैरेंटिंग की वेबसाइट से जुड़े रहें और कहानियों के साथ बच्चों और पैरेंटिंग से जुड़े अन्य आर्टिकल भी पढ़ सकते हैं।
किसी समय की बात है, एक छोटे से गांव में एक धोबी रहता था और उसके पास एक गधा भी था। धोबी लोगों के गंदे कपड़े ले जाने के लिए अपने गधे का इस्तेमाल करता था। सुबह गधे पर कपड़ें लादकर ले जाता और धोकर वापस कर देता था। इसी काम से उसके घर का खर्चा चलता था।
धोबी और गधे का साथ कई सालों का था और समय के साथ-साथ गधा अब बूढ़ा होने लगा था। ढलती उम्र के कारण गधे में पहले जैसी चुस्ती नहीं रही थी और वह पहले की तरह अधिक कपड़ों का भार नहीं उठा पाता था।
एक दिन कड़ी धूप में धोबी अपने गधे के साथ घाट पर कपड़े धोने जा रहा था, लेकिन चिलचिलाती धूप की वजह से दोनों का हाल बेहाल हो गया था। गधे के ऊपर लदे हुए कपड़ों के अधिक वजन से उसको चलने में दिक्कत हो रही थी। रास्ते में चलते हुए एकाएक गधे के पैर का संतुलन बिगड़ने के कारण वह लड़खड़ा कर एक गहरे गड्ढे में गिर गया।
जैसे ही गधा अचानक से गड्ढे में गिरा, धोबी उसे देखकर बेचैन हो गया और किसी भी हालत में गधे को बाहर निकालने के लिए वो मेहनत करने लगा। अधिक उम्र और शरीर में कमजोरी होने के बावजूद भी गधे ने बाहर निकलने का बहुत जतन किया लेकिन दोनों ही असफल रहें।
गधे को गड्ढे के बाहर निकालने के लिए धोबी के जतन को देखते हुए आस-पास मौजूद गांव के लोग उसकी सहायता के लिए आगे आएं लेकिन सबकी मेहनत बेकार गई और वह लोग गधे को बाहर नहीं निकाल सकें।
जब सब कोशिशें असफल हो गई तो गांव वालों ने धोबी को सलाह दी गधा अब वृद्ध हो गया है और कपड़ों का भार भी नहीं उठा पाता है तो भलाई इसमें है कि वह उसे गड्ढे में ही मिट्टी डालकर दफन कर दे। पहले तो धोबी गांव वालों की बात नहीं मानता, लेकिन बाद में वह हामी भर देता है। उसके बाद लोगों ने गड्ढे में मिट्टी डालना शुरू कर दिया। यह सब देखने के बाद गधे को समझ आने लगा उसके साथ क्या होने जा रहा है, इसलिए वह बहुत उदास हो गया और रोने लगे। कुछ समय तक चीखने के बाद वह बिलकुल शांत हो गया।
कुछ देर बाद धोबी ने जब गड्ढे में देखा तो उसे गधा कुछ अजीब हरकत करते हुए दिखा। उसने देखा जब गांव वाले गड्ढे में मिट्टी डाल रहे थे तब गधे पर पड़ने वाले मिट्टी को वह अपने शरीर से झटककर गड्ढे में गिरा दे रहा था। यह हरकत गधा निरंतर करता जा रहा था और इसकी वजह से गड्ढे में मिट्टी भरने लगी और वह ऊपर आने लगा और अंत में बाहर निकल गया। इस दौरान अपने गधे की चालाकी देखकर धोबी की आँखों में खुशी के आंसू आ गए और उसने अपने गधे को प्यार से गले लगा लिया।
धोबी का गधा की इस कहानी से बच्चों और बड़ों को यह सीख मिलती है कि जब जीवन में आपको किसी मुश्किल परिस्थिति का सामना करना पड़े तो उस दौरान आप घबराएं नहीं बल्कि अपने दिमाग और चतुराई का इस्तेमाल करें और उस परिस्थिति को पार कर करें।
इस कहानी से हमें नैतिक शिक्षा मिलती है, इसलिए यह नैतिक कहानियों में आता है।
धोबी का गधा की इस कहानी में हमें गधे की प्रशंसा करनी चाहिए कि कैसे उसने अपने दिमाग से उस पर आने वाली आपत्ति को मौके की तरह इस्तेमाल किया और उस पर पड़ने वाली मुसीबत को टाल दिया। इसी तरह हम सभी को मुश्किल परिस्थिति में शांति से अपने दिमाग का उपयोग करना चाहिए ताकि विपत्ति को दूर किया जा सके।
जब कभी भी आप मुसीबत में पड़े तो जल्दबाजी में कोई फैसला लेने के बजाय हमें अपनी बुद्धि का उपयोग करना चाहिए क्योंकि कभी कभार बल से ज्यादा बुद्धि आपको सही रास्ता दिखाती है।
यह कहानी बच्चों के लिए काफी मनोरंजक है और वह इसे बहुत पसंद भी करेंगे और साथ में उन्हें इससे बहुत कुछ सीखने को भी मिलेगा। जिस तरह गधे ने अपनी जान बचाने के लिए अपनी बुद्धि और चतुराई का इस्तेमाल किया उसी तरह लोगों को भी किसी मुश्किल परिस्थिति मे फंसने पर बल से अधिक दिमाग का उपयोग करना चाहिए इससे उन्हें बेहतर रास्ता भी मिलेगा और वह आसानी से मुसीबत से बाहर भी आ सकेंगे।
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