गर्भावस्था

डॉप्लर सोनोग्राफी – प्रकार, प्रक्रिया और अन्य जानकारियां

एक गर्भवती महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य की जांच करने के लिए डॉक्टर अक्सर डॉप्लर सोनोग्राफी कराने की सलाह देते हैं। हाल के स्टडीज के अनुसार अधिक जोखिम वाली गर्भावस्था के दौरान गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य की जांच के लिए डॉपलर सोनोग्राफी कराने से बच्चे की मृत्यु और सजेरियन सेक्शन की संख्या कम हो सकती है। आइए जानते डॉप्लर सोनोग्राफी के बारे में विस्तार से जानें। 

डॉप्लर सोनोग्राफी क्या है?

डॉप्लर सोनोग्राफी या फीटल डॉप्लर अल्ट्रासाउंड एक तकनीक है जिसे गर्भनाल के माध्यम से खून के प्रवाह की जांच की जाती है। इस जांच से बच्चे के पूरे शरीर में खून के प्रवाह का पता चलता है और साथ ही यह उसके मस्तिष्क और दिल के स्वास्थ्य की भी जांच करता है। इस जांच के माध्यम से डॉक्टर पता कर सकते हैं कि गर्भ में पल रहे बच्चे तक आवश्यक न्यूट्रिएंट्स और ऑक्सीजन पहुँच रहा है या नहीं। 

गर्भावस्था से संबंधित अलग-अलग समस्याओं का निदान करने के लिए डॉप्लर सोनोग्राफी का उपयोग किया जाता है। यह बिलकुल कार के स्पीड राडार की तरह ही कार्य करता है। 

जो टूल सामान्य अल्ट्रासाउंड में उपयोग किए जाते हैं, उन्हीं से डॉप्लर स्कैन भी किया जा सकता है। सभी अल्ट्रासाउंड के ज्यादातर टूल डॉप्लर फंक्शन के साथ ही आते हैं। 

सोनोग्राफर इस स्कैन को करने के लिए पहले गर्भवती महिला के पेट में जैल लगाता है और फिर पेट पर धीरे-धीरे ट्रांसड्यूसर घुमाता है। यह डिवाइस गर्भ में साउंड वेव भेजता है। यह साउंड वेव्स सर्कुलेटरी सिस्टम और गर्भनाल के माध्यम से गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ती हैं। इन्हीं साउंड वेव्स की मदद से डॉक्टर गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य की जांच करते हैं। 

यह स्कैन आपके अल्ट्रासाउंड स्कैन के तुरंत बाद होता है और इसे होने में बस कुछ मिनट ही लगते हैं। आप इस जांच के परिणाम तुरंत प्राप्त कर सकती हैं। 

क्या डॉप्लर सोनोग्राफी सुरक्षित है?

यदि डॉप्लर सोनोग्राफी एक ट्रैन किए हुए प्रोफेशनल् से करवाया जाए तो अल्ट्रासाउंड की तरह ही गर्भावस्था के दौरान यह स्कैन करवाना भी सुरक्षित है। आपके गर्भ में पल रहा बच्चा कैसा है इस बारे में जानने के लिए आप डॉप्लर सोनोग्राफी ही करवाएं। यह स्कैन करवाते समय आपको चिंता करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि इससे आपको और आपके गर्भ में पल रहे बच्चे को कोई भी खतरा नहीं है। हालांकि गर्भावस्था के 24 सप्ताह के बाद डॉप्लर स्कैन नहीं करवाना चाहिए। 

डॉप्लर अल्ट्रासाउंड के प्रकार

डॉप्लर अल्ट्रासाउंड के निम्नलिखित 3 सामान्य प्रकार होते हैं, आइए जानें; 

कंटीन्यूअस वेव या बेडसाइड डॉप्लर

यह स्कैन आपके बच्चे के ब्लड वेसल से खून के प्रवाह को जांचने के लिए साउंड वेव्स की पिच में हो रहे बदलाव को मापता है। इस दौरान डॉक्टर ट्रांसड्यूसर की आवाज को सुनते हैं और खून के प्रवाह की जांच करते हैं। इस आवाज को सुनकर डॉक्टर बता सकते हैं कि बच्चे के शरीर में खून का प्रवाह कम है या कहीं ब्लॉक हो रहा है। यह स्कैन शरीर के सभी रोगों और ब्लड वेसल की क्षति को जांचने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

डुप्लेक्स डॉप्लर

यह स्टैंडर्ड अल्ट्रासाउंड उपकरण का उपयोग ब्लड वेसल और उसके आसपास के अंगों की पिक्चर लेने के लिए किया जाता है। डॉप्लर की साउंड को कम्प्यूटर की मदद से एक ग्राफ में बनाया जाता है जो ब्लड वेसल्स के माध्यम से खून के प्रवाह की गति और इसकी दिशा दिखाता है। 

कलर डॉप्लर

इस तरीके से बच्चे के ब्लड वेसल की पिक्चर लेने के लिए स्टैंडर्ड अल्ट्रासाउंड उपकरण का उपयोग किया जा सकता है। कंप्यूटर की मदद से इन साउंड के स्कैन को रंगीन भी किया जा सकता है। यह रंग ब्लड वेसल की पिक्चर में दिखाई देते हैं और यह ब्लड वेसल के माध्यम से खून के प्रवाह की तेजी व दिशा दिखाते हैं। पावर डॉप्लर कलर डॉप्लर का जो एक प्रकार है जिसकी मदद से डॉक्टर कुछ कठिन पिक्चर भी निकाल सकते हैं जिन्हें स्टैंडर्ड डॉप्लर से निकाल पाना कठिन होता है। सॉलिड ऑर्गन में मौजूद वेसल्स के माध्यम से खून के प्रवाह को देखने के लिए अक्सर पावर डॉप्लर स्कैन कराने की सलाह दी जाती है। 

डॉप्लर सोनोग्राफी क्यों की जाती है?

जब आपके गर्भ में पल रहे बच्चे को अतिरिक्त देखभाल की आवश्यकता होती है तो डॉक्टर अक्सर बच्चे के दिल की धड़कन को जांचने के लिए डॉप्लर सोनोग्राफी कराने की सलाह देते हैं। निम्नलिखित मामलों में आपको ज्यादा देखभाल करने की आवश्यकता है, आइए जानते हैं; 

  • यदि आपका बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) अधिक है या कम है।
  • यदि आपके गर्भ में एक से अधिक बच्चे हैं।
  • यदि आपको डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या अन्य मेडिकल समस्याएं हैं।
  • यदि आपके गर्भ में पल रहे बच्चे में रेसस एंटीबॉडीज मौजूद हैं।
  • यदि आप गर्भावस्था के 20वें सप्ताह के अंतराल में ह्यूमन पर्वोवायरस बी19 या स्लैप्ड चीक सिंड्रोम से अनुबंधित हैं।
  • यदि आपको धूम्रपान करने की आदत है।
  • यदि आपके गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास का दर कम है या वह अस्वस्थ है।
  • यदि आपने पहले  कभी बहुत छोटे बच्चे को जन्म दिया है।
  • यदि पहले कभी आपका मिसकैरेज हो चुका है या आपने एक मृत बच्चे को जन्म दिया है।
  • यदि बच्चे का अंतर्गर्भाशयी विकास रुका हुआ है और उसका विकास बहुत कम रेट पर हो रहा है।

डॉप्लर सोनोग्राफी कैसे की जाती है?

सोनोग्राफर आवश्यकता के अनुसार विभिन्न क्षेत्रों की जांच करने के लिए ट्रांसड्यूसर नामक एक डिवाइस का उपयोग करता है। डॉप्लर अल्ट्रासाउंड का उपयोग एक रदिओलॉजिस्ट द्वारा भी किया जा सकता है। आमतौर पर यह टेस्ट अल्ट्रासाउंड रूम में किया जाता है। इस स्कैन को करने से पहले सोनोग्राफर आपको अपनी ज्वेलरी निकालने के लिए कह सकता है क्योंकि यह आपके स्कैन के रिजल्ट को प्रभावित कर सकती है। 

इस स्कैन को करवाने के लिए आपको पीठ के बल लेटने के लिए कहा जाता है और साथ ही आप सुनिश्चित करें कि इस समय आपके पेट पर से कपड़े हटे हों। सबसे पहले आपके पेट पर जेल लगाया जाएगा और जब तक यह टेस्ट पूरा नहीं हो जाता है तब तक आपको सीधे लेटे रहने की सलाह दी जाती है। डॉक्टर आपको निम्नलिखित में से कोई एक डॉप्लर स्कैन कराने की सलाह दे सकते हैं: 

यूटरिन आर्टरी डॉप्लर स्कैन

आपके गर्भ में खून का प्रवाह करने वाली आर्टरीज को यूटरिन आर्टरीज कहा जाता है और डॉप्लर टेस्ट यह देखने के लिए किया जाता है कि यदि प्लेसेंटा से आपके बच्चे तक पर्याप्त खून पहुँच रहा है या नहीं। 

यदि प्लेसेंटा से बच्चे तक पर्याप्त खून नहीं पहुँच रहा है तो यह उसके विकास को प्रभावित कर सकता है क्योंकि अम्ब्लिकल कॉर्ड के माध्यम से बच्चे तक ऑक्सीजन और न्यूट्रिएंट्स नहीं पहुँच पाते हैं।

यदि आप प्री-एक्लेम्पसिया से प्रभावित हो सकती हैं तो डॉक्टर आपको यूटरिन डॉप्लर स्कैन कराने की सलाह दे सकते हैं। प्री-एक्लेम्पसिया वह समस्या है जो हाई ब्लड-प्रेशर की वजह से होती है और यह प्लेसेंटा के कार्य को प्रभावित करती है। 

अम्ब्लिकल आर्टरी डॉप्लर स्कैन

यदि आपके गर्भ में जुड़वां बच्चे हैं और उनमें रेसस एंटीबाडीज है या बच्चे का विकास बहुत धीरे हो रहा है तो डॉक्टर आपको अम्ब्लिकल आर्टरी डॉप्लर स्कैन कराने की सलाह दे सकते हैं। 

यह स्कैन अम्ब्लिकल कॉर्ड के माध्यम से बच्चे से प्लेसेंटा तक खून के प्रवाह की जांच करता है। यदि सोनोग्राफर को इस स्कैन में कोई समस्या दिखाई देती है तो वह बच्चे के मस्तिष्क और उसकी मुख्य आर्टरी, एओर्टा में खून के प्रवाह को जांचने के लिए अन्य स्कैन कराने की सलाह दे सकता है। 

यदि इस स्कैन में पता चलता है कि आपके बच्चे को पर्याप्त न्यूट्रिएंट्स नहीं मिल रहे हैं तो डॉक्टर समय से पूर्व डिलीवरी करने के लिए कह सकते हैं। 

डॉप्लर सोनोग्राफी टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

डॉप्लर स्कैन  करवाने के लिए किसी भी प्रकार की तैयारी करने की आवश्यकता नहीं है। बस आप इतना सुनिश्चित करें कि स्कैन के लिए जाते समय यदि है तो पिछले डॉप्लर स्कैन की सारी रिपोर्ट्स और डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन जरूर लेकर जाएं। 

डॉप्लर सोनोग्राफी की लिमिटेशन

डॉप्लर अल्ट्रासाउंड की कुछ लिमिटेशंस भी हैं, जिन पर ध्यान देना आवश्यक है; 

  • बच्चे के शरीर में मौजूद ऊपरी वेसल्स की तुलना में नीचे वाली वेसल्स की जांच करना कठिन हो सकता है। इन निचली वेसल्स को ठीक से देखने के लिए एम.आर.आई. और सी.टी. स्कैन करने की आवश्यकता हो सकती है।
  • छोटी-छोटी वेसल्स की जांच कारन ज्यादा कठिन होता है।
  • यदि एथेरोस्क्लेरोसिस के परिणामस्वरूप ब्लड वेसल्स में कैल्सीफिकेशन मौजूद हैं, तो वह अल्ट्रासाउंड के बीम में बाधा डाल सकते हैं।
  • अल्ट्रासाउंड बीम अक्सर उन ब्लड वेसल्स में अंतर नहीं करती है जो बहुत पतली/संकीर्ण हैं या पूरी तरह से बंद हो चुकी हैं। खून के कम प्रवाह के साथ ब्लड वेसल्स थोड़ी खुली होने से भी इसका पता न लगने के संकेत मिल सकते हैं।

क्या आप डॉप्लर का उपयोग घर पर कर सकती हैं?

मार्केट में पोर्टेबल डॉप्लर मशीन भी उपलब्ध हैं और आप अपने बच्चे के दिल की धड़कन सुनाने के लिए एक मशीन खरीद या हायर कर सकती हैं। इसे पॉकेट फीटल डॉप्लर भी कहा जाता है। हालांकि डॉक्टर सलाह देते हैं कि मांएं घर पर ही डॉप्लर मशीन का उपयोग न करें। पोर्टेबल डॉप्लर से पाए जाने वाले परिणामों का पता लगा पाना कठिन होता है। आप आर्टरी या प्लेसेंटा के माध्यम से बहने वाले खून की आवाज गलती से अपने बच्चे के दिल की धड़कन भी समझ सकती हैं। 

प्रोफेशनल से स्कैन करवाने और नियमित प्रसवपूर्व जांच करवाने से आप अपने गर्भ में पल रहे बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में निश्चित रूप से जान सकती हैं। इसलिए यह सुनिश्चित करें कि डॉक्टर या सोनोग्राफर आपकी सोनोग्राफी कर रहा है।

निष्कर्ष: डॉपलर स्कैन की मदद से आपको और डॉक्टर को यह पता चलता है कि आपके गर्भ में पल रहा बच्चा ठीक से विकसित हो रहा है या नहीं। इस स्कैन से कोई भी जोखिम नहीं होते हैं और इसके लिए किसी भी तैयारी की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, यह महत्वपूर्ण है कि एक अनुभवी सोनोग्राफर आपका डॉप्लर स्कैन टेस्ट करता है और डॉक्टर इसके परिणामों का विश्लेषण करता है।  

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