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धनतेरस हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह त्योहार दिवाली से ठीक दो दिन पहले मनाया जाता है और इसका विशेष महत्व होता है। धनतेरस का नाम ही बताता है कि यह धन और समृद्धि से जुड़ा हुआ पर्व है। इस दिन लोग नए बर्तन, आभूषण या कोई अन्य मूल्यवान वस्तु खरीदते हैं, क्योंकि इसे शुभ माना जाता है। धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है, जो स्वास्थ्य और धन की देवी मानी जाती हैं।
बच्चों के लिए इस त्योहार का मतलब न केवल परिवार के साथ मिलकर आनंद लेना होता है, बल्कि यह भी सीखना होता है कि पुरानी परंपराओं का क्या महत्व है।आइए जानते हैं धनतेरस के बारे में 10 आसान पंक्तियों में।
धनतेरस पर संक्षेप में निबंध पढ़ने के लिए नीचे दिए गए 10 लाइन का आसान लेख पढ़ें।
यदि स्कूल में आपके बच्चे को 200-300 शब्दों में धनतेरस के पर्व पर हिंदी में निबंध लिखने को कहा गया है, तो उनके लिए धनतेरस पर यह शार्ट पैराग्राफ या छोटा निबंध बहुत सहायक हो सकता है।
धनतेरस हिन्दू धर्म का एक मुख्य त्योहार है, जो दिवाली से दो दिन पहले मनाया जाता है। यह कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आता है। इस दिन लोग भगवान धन्वंतरि, लक्ष्मी माता और भगवान कुबेर की पूजा करते हैं, ताकि घर में धन-समृद्धि बनी रहे। धनतेरस पर नए बर्तन, गहने, चांदी के सिक्के, इलेक्ट्रॉनिक सामान और यहां तक कि वाहन खरीदना भी शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन की गई खरीदारी से घर में सालभर खुशहाली रहती है और धन बढ़ता है। इस वजह से बाजारों में खूब भीड़ रहती है और लोग अपनी सामर्थ्य के अनुसार कुछ न कुछ जरूर खरीदते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे, इसलिए इसे धनतेरस या धनत्रयोदशी कहा जाता है। लोग इस दिन अपने घर की सफाई करते हैं, दीये जलाते हैं, रंगोली बनाते हैं और अपने घरों को रोशनी से सजाते हैं। धनतेरस न सिर्फ धार्मिक बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस समय व्यापारियों को अच्छा लाभ होता है। इस त्योहार की रौनक और शुभता सभी के जीवन में खुशहाली लाती है।
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धनतेरस हिंदू धर्म में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है, जिसे दिवाली के शुभ अवसर से दो दिन पहले मनाया जाता है। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य धन, समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करना है। ‘धनतेरस’ शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – ‘धन’, जिसका अर्थ है धन-सम्पत्ति, और ‘तेरस’, जो हिन्दू कैलेंडर के अनुसार तेरहवें दिन को दर्शाता है। यह दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को आता है।
धनतेरस के पीछे एक प्राचीन कथा जुड़ी हुई है। ऐसा माना जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे। भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद और चिकित्सा विज्ञान का जनक माना जाता है, इसलिए इस दिन उनकी पूजा की जाती है। साथ ही, मां लक्ष्मी, जो धन और समृद्धि की देवी हैं, उनकी पूजा करने का भी प्रचलन है।
धनतेरस हर साल दिवाली से दो दिन पहले मनाया जाता है। यह त्योहार आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को आता है। आमतौर पर यह अक्टूबर या नवंबर के महीने में पड़ता है। इस साल धनतेरस 29 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। धनतेरस के दिन लोग नए बर्तन, गहने और अन्य सामान खरीदते हैं और भगवान धन्वंतरि, माँ लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा करते हैं। धनतेरस का त्योहार समृद्धि और खुशहाली की कामना के लिए मनाया जाता है।
धनतेरस के दिन लोग अपने घरों और दुकानों की साफ-सफाई करते हैं और उन्हें सजाते हैं। इस दिन घर में दीप जलाना और दीयों से सजावट करना शुभ माना जाता है। पूजा के समय भगवान धन्वंतरि और मां लक्ष्मी की मूर्ति को स्थापित कर उनकी विधिपूर्वक पूजा की जाती है। लोग इस दिन नए बर्तन, आभूषण, सोना-चांदी और वाहन खरीदते हैं क्योंकि इसे शुभ माना जाता है। यह मान्यता है कि धनतेरस पर खरीदी गई वस्तुएं परिवार में समृद्धि और खुशहाली लेकर आती हैं।
धनतेरस न केवल धन से जुड़ा पर्व है, बल्कि यह स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि का प्रतीक भी है। भगवान धन्वंतरि की पूजा कर लोग अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना करते हैं। इसके साथ ही, यह पर्व हमें यह सिखाता है कि सच्ची समृद्धि केवल धन में नहीं, बल्कि अच्छे स्वास्थ्य और सुखी जीवन में है।
धनतेरस का आर्थिक दृष्टि से भी विशेष महत्व है। इस दिन बड़ी संख्या में लोग बर्तन, गहने, कपड़े और अन्य वस्तुएं खरीदते हैं, जिससे बाजार में तेजी आती है और व्यापारियों को लाभ होता है। इस अवसर पर लोग आपस में मिठाइयां, उपहार और शुभकामनाएं भी बांटते हैं, जिससे सामाजिक संबंध और मजबूत होते हैं।
धनतेरस केवल एक पर्व नहीं, बल्कि एक ऐसा अवसर है जो हमें हमारे स्वास्थ्य, धन और समृद्धि का महत्व समझाता है। यह पर्व हमें यह याद दिलाता है कि स्वास्थ्य सबसे बड़ी पूंजी है और धन का सही उपयोग जीवन में खुशहाली और संतोष लाता है। पुरानी परंपराओं के साथ जुड़े रहते हुए, हमें इसे सच्चे हृदय से मनाना चाहिए और अपने परिवार, समाज और देश की समृद्धि के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।
धनतेरस के इस निबंध से बच्चों को यह सीख मिलती है कि धन और समृद्धि का महत्व है और त्योहारों का जश्न मनाना जरूरी है। यह उन्हें स्वच्छता, पूजा की आदतें और परिवार के साथ मिलकर खुशियों को बांटने की प्रेरणा भी देता है।
धनतेरस आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है, जो दिवाली से दो दिन पहले आता है। धनतेरस 29 अक्टूबर 2024 को मनाया जा रहा है।
धनतेरस के दिन आप खरीद सकते हैं सोना-चांदी, नए बर्तन, गहने, आभूषण, नए कपड़ें, नई गाड़ी, भगवान धन्वंतरि की मूर्ति, दीपक और दीये, कोई इलेक्ट्रॉनिक का सामान आदि।
धनतेरस के शुभ दिन पर कुछ ऐसा न खरीदें जो अशुभ हो जैसे तेज धार वाले चाकू या कैंची, लोहे के सामान, काले रंग के चीज, आज के ट्रेंडिंग चल रहे फटे या रिप्पड जीन्स, प्लास्टिक का सामान इत्यादि।
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