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आज के लेख का विषय डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बारे में हैं जिन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण कार्य किए। उन्होंने अपने जीवन में शिक्षा के क्षेत्र में कई सम्मान प्राप्त किए जो एक सामान्य मनुष्य के लिए संभव नहीं हो सकता है। उनके जीवनी से बच्चों को काफी प्रेरणा मिलती हैं। उनमें से एक प्रेरणा यह है कि चाहे परिस्थितियां कैसी भी हो अगर आपको कुछ बनने की चाह हो तो आप कुछ भी बन सकते हैं। आज के लेख में हम इन्हीं के बारे में निबंध लिखना सिखायेंगें। आज के लेख में हम कक्षा 1, 2 और 3 के बच्चों के लिए डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बारे में सरल शब्दों में निबंध लिखना बतायेंगें। यदि आप इसके बारे में जानना चाहते हैं तो इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें।
अगर डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बारे में सरल शब्दों में बिल्कुल सटीक जानकारी चाहिए तो आगे हमने 10 लाइन में इसकी जानकारी दी है इसे पढ़ें।
अभी टीचर्स डे पास है ऐसे में हर स्कूल में टीचर्स डे या फिर शिक्षक दिवस के बारे में जरूर लिखने को मिलता है। यदि आपका बच्चा काफी छोटा है और उसे स्कूल में डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन पर निबंध लिखने को मिला है तो हमने बिलकुल सरल शब्दों में इस विषय के बारे में आगे का लेख प्रस्तुत किया है, इसे पढ़ें:
हर व्यक्ति अपने में ही बहुत खास होता है। डॉ. सर्वपल्ली राधा कृष्णन एक बहुत ही अच्छे शिक्षक, मानवतावादी और दार्शनिक थे। वे एक बहुत बड़े विद्वान थे और दिल के भी काफी अच्छे थे। इनका नजरिया दूसरों से अलग था और काफी विनम्र थे। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के तिरूतनि में एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम सर्वपल्ली वीरास्वामी था जो गरीब होने के बावजूद अपने उसूलों पर चलना पसंद करते थे। उनकी मां का नाम सीतम्मा था। उनके पिता की इच्छा थी कि उनका बेटा पंडित बने। लेकिन पढ़ाई में होनहार होने के कारण छात्रवृत्ति पाकर अपनी पढ़ाई पूरी की। अपनी प्राथमिक शिक्षा अपने गांव से की और बाद में वेल्लोर गए। बी.ए. और एम.ए. की पढ़ाई उन्होंने मद्रास में पूरी की। उसके बाद उन्होंने सहायक शिक्षक के रूप में काम करना शुरू किया है। तत्पश्चात उन्हें दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में मैसूर यूनिवर्सिटी में नौकरी करने का मौका मिला। इन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में भी अपना अध्यापन कार्य किया। उसके बाद ये 1939-1948 तक बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी वाइस चांसलर भी बनें। ये इतने अच्छे अध्यापक थे कि सब उन्हें बड़ा प्यार करते थे। उसके बाद वो आजाद भारत के पहले उपराष्ट्रपति बनकर देश की सेवा की। आज इनकी जन्म दिवस को हम शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं ताकि हम उन्हें अपना आभार व्यक्त कर सके।
निबंध के कई सारे विषय हो सकते हैं। स्कूलों में वीर, विद्वान, पर्व आदि के बारे में निबंध लिखने पर दिया जाता है। यदि आपको डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बारे में लगभग 500 शब्दों में एक प्रभावशाली निबंध लिखने को मिला है तो इसके लिए परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। आगे इनके बारे में हमने आपके चाह के अनुसार निबंध लिखा है, इसे पढ़कर मदद जरूर लें:
शिक्षक दिवस जो बच्चों के द्वारा अपने शिक्षक को आभार व्यक्त करने का मौका होता है वो किसके उपलक्ष्य में मनाया जाता है क्या आपको पता है? इस दिन हमारे महान लेखक और दार्शनिक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म हुआ था। वो एक बहुत ही अच्छे अध्यापक थे। जिनसे बच्चे बहुत प्रभावित होते थे। उन्हें लिखना बहुत पसंद था। उन्होंने कई ऐसी पुस्तकें लिखीं जो मानव जीवन के लिए प्रेरणा स्त्रोत है।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ब्राह्मण परिवार से थे। इनका जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के एक गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम सर्वपल्ली वीरास्वामी था जो काफी गरीब थे। उनकी माता का नाम सीतम्मा था। वो एक गृहिणी थी। उनके पिता की इच्छा थी सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक विद्वान पंडित बने लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। उनका विवाह बहुत छोटे में ही हो गया था। इनकी पत्नी का नाम शिवकामु था और इनकी पांच बेटियां और एक बेटा था।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन पढ़ाई में काफी होशियार थे। जिसके कारण उनकी पूरी पढ़ाई छात्रवृति के माध्यम से हुई। शुरुआत की पढ़ाई अपने गांव से की और उसके बाद आगे की पढ़ाई के लिए वेल्लोर गए। 17 साल की छोटी उम्र में ही शिक्षा के लिए मद्रास चले गयें। 1906 में इन्होने दर्शनशास्त्र में एम.ए. किया। उसके बाद मद्रास के ही एक कॉलेज में सहायक प्रोफेसर के रूप में काम शुरू किया। 1931 में इनके अध्यापन कार्य को देखते हुए नाईट की उपाधि दी गई।
1946 में इन्हें संविधान सभा में स्थान मिला। यहीं से इनके राजनितिक जीवन का प्रारम्भ हुआ। इसके बाद इनके राजनितिक जीवन में बदलाव आते गए। उन्होंने यूनेस्को और मास्को में भारत के एजेंट के रूप में कार्य किया। इनकी सूझबूझ और शिक्षा को देखकर इन्हें 1952 में भारत का प्रथम उपराष्ट्रपति बनाया गया। पद पर रहते हुई उन्होंने कई सराहनीय कार्य किए। वे अपने वेतन में से 2500 रु रखकर बाकि के रुपये प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा करा देते थे जो एक सच्चा महापुरुष ही कर सकता है। 1962 में ये भारत के दूसरे राष्ट्रपति बनें और अपने कार्यों के लिए भारत का सबसे बड़ा सम्मान भारत रत्न से पुरस्कृत किया गया।
अपने पूरे कार्यकाल में उन्होंने कई सारे उपलब्धियां प्राप्त किए। जैसे की कलकत्ता विश्वविद्यालय का कुलपति बनना। उसके बाद कई सालों तक उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में भी शिक्षण कार्य किया। इसके बाद वो भारत के नामी विश्वविद्यालयों में से एक बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी में कुलपति बने। आजादी के पहले इन्हें केवल सर्वपल्ली राधाकृष्णन के नाम से जाना जाता था। लेकिन आजादी के बाद इनके नाम में डॉ. जुड़ गया और ये डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन से पुकारा जाने लगा। इन्हीं के जन्मदिन को आज हम शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं जो बच्चों के लिए बहुत खुशी का दिन होता है।
हर किसी के बारे में कुछ रोचक बातें होती हैं। यदि आप डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के बारे में रोचक बातों के बारे में जानना चाहते हैं तो इसके लिए आगे जरूर पढ़ें।
इनके बारे में कुछ सवाल हैं जिसका जवाब सभी को पता होना चाहिए ताकि अगर कोई पूछे तो हम उनका जवाब दे सकें। ऐसे ही कुछ सवाल और उसके जवाब आगे दिए गए हैं, इसे जरूर पढ़ें।
भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन थे।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का जन्म 5 सितंबर 1888 को हुआ था।
टीचर्स डे डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जयंती के तौर पर मनाया जाता है।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को भारत रत्न से साल 1954 में नवाजा गया।
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी का वाइस चांसलर (कुलपति) 1939 में बनाया गया।
इस निबंध से बच्चें यह सीख सकते हैं कि निर्धन परिवार से होने के बावजूद भी अगर मेहनत और लगन सच्ची हो तो इंसान कोई भी मुकाम हासिल कर सकता है। उनके पिता निर्धन थे बावजूद इसके उन्होंने छात्रवृति से अपनी पढ़ाई की और एक बहुत बड़े विद्वान और दार्शनिक बनें। वो भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति और द्वितीय प्रधानमंत्री बनें। लेकिन इस बात का उन्हें कभी घमंड नहीं हुआ। बच्चे इस लेख से यह भी सीख सकते हैं चाहे वो कितने ही ऊपर क्यों न पहुंच जाएं अपनी जड़ों को नहीं भूलना चाहिए। हमेशा विनम्र भाव रखना चाहिए न कि उस पर अहंकार करना चाहिए।
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