In this Article
- कल्पना चावला पर 10 लाइन (10 lines on Kalpana Chawla)
- कल्पना चावला पर निबंध 200-300 शब्दों में (Short Essay on Kalpana Chawla in Hindi 200-300 Words)
- कल्पना चावला पर निबंध 400-500 शब्दों में (Essay on Kalpana Chawla in Hindi 400-500 Words)
- कल्पना चावला के बारे में रोचक तथ्य (Interesting Facts About Kalpana Chawla)
- कल्पना चावला के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
- इस निबंध से बच्चों को क्या सीख मिलती है? (What Will Your Child Learn from Kalpana Chawla Essay?)
कल्पना चावला हमारे देश के नागरिकों के लिए प्रेरणास्रोत है जिन्होंने अपने सपने को पूरा कर लोगों को यह विश्वास दिलाया कि अगर हौसला बुलंद हो और खुद पर विश्वास हो तो इंसान के लिए कुछ भी करना नामुमकिन नहीं है। कल्पना चावला अंतरिक्ष में जाने वाली प्रथम भारतीय महिला थीं। बच्चों को स्कूल में ऐसी हस्तियों पर निबंध लिखने या उनके बारे तथ्य बताने के लिए अक्सर कहा जाता है। यदि आप अपने बच्चे के लिए कल्पना चावला पर कुछ लाइन में जानकारी, कल्पना चावला पर छोटा या बड़ा निबंध कैसे लिख सकते हैं, या फिर कल्पना चावला की जीवनी जानना चाहते हैं तो इस आर्टिकल को अंत तक अवश्य पढ़ें।
कल्पना चावला पर 10 लाइन (10 lines on Kalpana Chawla)
कल्पना चावला बच्चों को अपने पूरे कैसे करें इस बात का एक आदर्श उदाहरण हैं। इस महिला के बारे में बच्चों को जरूर पता होना चाहिए। इसलिए अगर बच्चे को स्कूल में कल्पना चावला के बारे में 10 लाइन लिखने को कहा गया है तो नीचे बताए गए बिंदु आपके काम आ सकते हैं।
- अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 को करनाल, हरियाणा में हुआ था।
- उनके माता का नाम संज्योती और पिता का नाम बनारसी लाल था।
- उनकी प्रारंभिक शिक्षा करनाल के टैगोर बाल निकेतन स्कूल में हुआ था।
- बचपन से ही उन्हें स्पेस के बारे में पढ़ना और सुनना अच्छा लगता था।
- इसके लिए उन्होंने पंजाब के इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिक्स में इंजीनियरिंग किया।
- इसके बाद उन्होंने अमेरिका के टेक्सास और कोलोराडो से मास्टर्स और पीएचडी की पढाई पूरी की और वहीं से उनके जीवन को एक नई दिशा मिली।
- 1988 में उन्होंने नासा के रिसर्च सेंटर में काम शुरू किया।
- उन्हें 19 नवंबर 1997 को पहली बार अंतरिक्ष में जाने का मौका मिला।
- इसके बाद 2003 में एसटीएस 107 मिशन पर वह फिर से अंतरिक्ष यात्रा करने निकलीं।
- इसी मिशन से वापस लौटते समय 1 फरवरी 2003 को उनका स्पेश शटल दुर्घटनाग्रस्त हो गया और सभी साथी अंतरिक्ष यात्रियों के साथ उनकी मृत्यु हो गई।
कल्पना चावला पर निबंध 200-300 शब्दों में (Short Essay on Kalpana Chawla in Hindi 200-300 Words)
कल्पना चावला भारत की एक होनहार महिला थी जिन्हें आज ‘अंतरिक्ष परी’ के नाम से भी जाना जाता है।
इसलिए इनके बारे में यदि आपके बच्चे को स्कूल में कम शब्दों में निबंध लिखने को कहा गया है तो आप हमारे लेख से कुछ आईडिया ले सकते हैं।
कल्पना चावला वो महिला थीं जिन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए जी तोड़ मेहनत की और यह मेहनत एक दिन रंग लाई। वह जन्म से ही प्रतिभाशाली थीं और शुरू से ही उन्हें स्पेस से सबंधित बातों में रुचि थी। उनकी सफलता से पूरे भारत का सीना गर्व से चौड़ा हो गया था।
प्रथम भारतीय महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 को हुआ था। वो अपने परिवार को सबसे छोटी और होशियार बच्ची थीं। उनके पिता का नाम बनारसी लाल और माता का नाम संज्योति चावला था। शुरुआत की पढ़ाई उन्होंने करनाल से ही की। बचपन से ही उन्हें खगोल विज्ञान में दिलचस्पी थी। इसलिए इसके बारे में जहां से भी जानकारी मिलती थी, ले लेती थीं। उन्होंने पंजाब से एयरोनॉटिक्स इंजीनियरिंग की। स्नातक करने के बाद अपने सपनों को नया आयाम देने के लिए उन्होंने 1984 में अमेरिका के टेक्सास यूनिवर्सिटी से एयरोस्पेस में मास्टर्स किया और 1986 में कोलोराडो यूनिवर्सिटी से पीएचडी पूरी की। 1988 में वह नासा के लिए काम करने लगीं।
1983 में उनकी जीन पियरे हैरिसन से शादी हुई और उसके बाद उन्होंने अमेरिका की नागरिकता ली। एक दिन उनका सपना साकार हुआ जब नासा की तरफ से 1998 में उन्होंने अपनी पहली अंतरिक्ष उड़ान भरी और 31 दिन की लंबी यात्रा पूर्ण की। इतना ही नहीं उनकी काबिलियत को देखते हुए 2003 में दोबारा यह सौभाग्य प्राप्त हुआ और अंतरिक्ष में जाकर उन्होंने कई महत्वपूर्ण खोज कीं। इसके बाद वापसी के समय उनका अंतरिक्ष यान कोलंबिया क्षतिग्रस्त हो गया और 1 फरवरी 2003 को उनकी अपने साथी यात्रियों के साथ अकाल मृत्यु हो गई। कल्पना को मरणोपरांत कई सम्मान और पुरस्कारों से नवाजा गया। भारतीय महिलाओं के लिए कल्पना चावला एक आदर्श उदाहरण हैं।
कल्पना चावला पर निबंध 400-500 शब्दों में (Essay on Kalpana Chawla in Hindi 400-500 Words)
यदि आप बच्चों के लिए कल्पना चावला पर एक बड़ा निबंध जानना चाहते हैं या फिर आप शिक्षक हैं और कल्पना चावला पर निबंध कैसे लिखा जाए इसका आइडिया लेना चाहते हैं तो आगे इसके बारे में बताया गया है इसे पढ़ें।
प्रस्तावना (Introduction)
कल्पना चावला अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक महान शख्सियत हैं जिनके बारे में स्कूलों में पढ़ाया जाता है। उन्होंने बचपन में ही तय कर लिया था कि उन्हें बड़े होकर अंतरिक्ष यात्री बनना है। उनके अंतरिक्ष यात्रा करने के सपने ने उन्हें एक अलग पहचान दी जब वो भारत की प्रथम महिला अंतरिक्ष यात्री बनीं। इस घटना ने कल्पना चावला को पूरे विश्व में प्रसिद्ध कर दिया। आज बच्चे इनको अपना आदर्श मानकर इनका अनुसरण करते हैं।
जीवन परिचय (Life Introduction)
कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 में करनाल, हरियाणा में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री बनारसी लाल और माता का नाम संज्योति चावला था। वे बचपन से पढ़ने में काफी तेज थीं। परिवार वाले उन्हें प्यार से मोंटू कहकर बुलाते थे। बचपन से ही उन्हें स्पेस के बारे में जानना पसंद था। वो अपने पिता से अंतरिक्ष आदि के बारे में हमेशा पूछा करती थीं।
कल्पना चावला की शिक्षा (Kalpana Chawla’s Education)
कल्पना चावला की प्रारम्भिक शिक्षा टैगोर पब्लिक स्कूल से हुई और जब वो आठवीं कक्षा में पढ़ती थी तभी उन्होंने इंजिनियर बनने का सपना अपने पिता से साझा किया था जिससे लिए बाद में वो पंजाब गई और वहां से एयरोनॉटिक्स इंजीनियरिंग में स्नातक किया। इसके बाद उन्होंने 1984 में अमेरिका के टेक्सास यूनिवर्सिटी से एयरोस्पेस में मास्टर्स और 1986 में कोलोराडो यूनिवर्सिटी से से पीएचडी पूरी की। इसके बाद वो नासा में प्रवेश करने का प्रयास करने लगीं। ये बहुत कम लोगों को पता है वो एक पायलट भी थीं।
वैवाहिक जीवन (Marital Life)
1983 में उन्होंने अमेरिका के जीन पीयरे हैरिसन से विवाह किया जो नासा में उड़ान प्रशिक्षक और विमानन थे। इसके बाद उन्हें अमेरिका की नागरिकता मिली। कल्पना चावला के अंतरिक्ष यात्रा के सफर में उनके पति की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका थी।
अंतरिक्ष का सफर (Space Travel)
अपनी कोशिशों से उन्होंने सफलता हासिल की और उनका पहला मिशन 19 नवंबर 1997 को शुरू हुआ जिसमें उनके साथ छह और यात्री शामिल थे। 1.04 करोड़ मील की यात्रा और 31 दिन बिताने के बाद वो वापस लौटी और एक रिकॉर्ड बनाया। वो पहली भारतीय महिला अंतरिक्ष यात्री बन गई। उनकी योग्यता को देखते हुए उन्हें स्पेस मिशन एसटीएस-107 पर फिर से अंतरिक्ष में जाने का मौका मिला। 16 जनवरी 2003 को यह यात्रा शुरू हुई और कल्पना ने मिशन के लोगों के साथ 16 दिनों तक अंतरिक्ष में शोध कार्य किया। हालांकि मिशन से वापस पृथ्वी पर लौटते समय 1 फरवरी 2003 को उनका अंतरिक्ष यान कोलंबिया दुर्घटनाग्रस्त हो गया और सभी की मृत्यु हो गई।
सम्मान (Awards)
अंतरिक्ष कार्यक्रमों में उनके योगदान के लिए कल्पना चावला कई सम्मान दिए गए। जिनमें से मुख्य नासा अंतरिक्ष उड़ान पदक, नासा विशिष्ट सेवा पदक, कांग्रेशनल अंतरिक्ष पदक हैं।
आज कल्पना चावला को एक मिसाल के रूप में याद किया जाता है जिन्होंने लोगों को यह विश्वास मजबूत करने में मदद की कि अगर इंसान चाह ले तो वो चांद पर भी जा सकता है।
कल्पना चावला के बारे में रोचक तथ्य (Interesting Facts About Kalpana Chawla)
- कल्पना चावला ने चंडीगढ़ के इंजीनियरिंग कॉलेज से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की।
- कल्पना चावला चांद पर जाने वाली प्रथम भारतीय महिला थी जिन्होंने पहले मिशन में 1.04 करोड़ मील का सफर किया था।
- अपनी पहली अंतरिक्ष यात्रा में कल्पना चावला ने एक मिशन विशेषज्ञ और प्राथमिक रोबोटिक आर्म ऑपरेटर के रूप में उड़ान भरी थी।
- उनका पहला मिशन एसटीएस-87 और दूसरा व अंतिम मिशन एसटीएस-107 था।
कल्पना चावला के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. प्रथम भारतीय महिला अंतरिक्ष यात्री कौन थी?
कल्पना चावला।
2. कल्पना चावला का जन्म कब और कहां हुआ था?
कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 को हरियाणा के करनाल में हुआ था।
3. किस भारतीय अंतरिक्ष यात्री ने अंतरिक्ष में अपनी अंतिम सांसे लीं?
कल्पना चावला।
4. कल्पना चावला ने कितनी बार अंतरिक्ष यात्रा की थी?
1997 और 2003 में उन्होंने दो बार अंतरिक्ष यात्रा की।
5. कल्पना चावला ने अपनी पहली अंतरिक्ष यात्रा कब और कितने दिनों की?
1997 में जो 19 नवंबर से 5 दिसंबर तक चली।
इस निबंध से बच्चों को क्या सीख मिलती है? (What Will Your Child Learn from Kalpana Chawla Essay?)
यह निबंध पहली भारतीय महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला के बारे में था। इस निबंध से बच्चे यह सीख ले सकते हैं कि केवल सपने देखने से सपने पूरे नहीं होते हैं बल्कि इसके लिए उन्हें कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। यदि सच्ची लगन और मेहनत से कोई भी काम किया जाए तो वह कभी निष्फल नहीं होता है। इस लेख से बच्चे यह भी समझ सकते हैं कि कठिन परिश्रम और लगन से दुनिया की ऐसी कोई भी चीज नहीं है जिसे हासिल नहीं किया जा सकता।
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