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महात्मा गांधी, जिन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का अग्रदूत माना जाता है, न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में अहिंसा और सत्याग्रह के प्रतीक रहे हैं। उनका जीवन और उनके विचार हमें सत्य, अहिंसा, और मानवता की सेवा का मार्ग दिखाते हैं। इस निबंध में हम महात्मा गांधी के जीवन, उनके संघर्ष, और उनके सिद्धांतों पर चर्चा करेंगे, साथ ही यह जानने का प्रयास करेंगे कि किस प्रकार उन्होंने न केवल भारत की स्वतंत्रता में अहम भूमिका निभाई, बल्कि समाज को एक नई दिशा दी। महात्मा गांधी का योगदान केवल राजनीतिक नहीं था, बल्कि उन्होंने नैतिक और सामाजिक सुधारों के द्वारा भी समाज को जागरूक किया।
महात्मा गांधी भारत के स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता और अहिंसा के प्रबल समर्थक थे। उनके जीवन के प्रमुख पहलुओं को संक्षेप में जानने के लिए नीचे 10 महत्वपूर्ण बिंदुओं का उल्लेख किया गया है, जो उनके जीवन, संघर्ष और आदर्शों को दर्शाते हैं।
सैंपल 1:
सैंपल 2:
महात्मा गांधी एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन भारत की स्वतंत्रता के संघर्ष में लगा दिया थे। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में एक भारतीय हिंदू परिवार में हुआ था। उन्होंने अपना पूरा जीवन भारतीय लोगों के एक नेता के रूप में जिया था। उनके जीवन का हर संघर्ष हमारे लिए बहुत बड़ी प्रेरणा बना है। उन्हें बापू या राष्ट्रपिता कहा जाता है क्योंकि उन्होंने हमारी आजादी के लिए अपना जीवन ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ते हुए बिताया था। शिक्षा की बात करें तो उन्होंने भारत में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और कानून की आगे की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड चले गए थे। बाद में वह एक वकील बनकर भारत लौटे थे और वकालत शुरू कर दी थी। इसी दौरान उन्होंने अंग्रेजों द्वारा सभी तरह के अपमान के लिए भारतीय लोगों की मदद करना शुरू कर दिया था। इतना ही नहीं उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ अहिंसा को चुनते हुए आंदोलन शुरू किया था। इस बात के लिए उन्हें कई बार अपमानित भी होना पड़ा था लेकिन उन्होंने भारत की स्वतंत्र के लिए अहिंसा के मार्ग को नहीं छोड़ा और अपना संघर्ष जारी रखा। भारत लौटने के बाद, वह एक सदस्य के रूप में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हो गए थे।
महात्मा गांधी एक ईमानदार व्यक्ति थे। उन्होंने कभी झूठ नहीं बोला और उनका दिल बेहद साफ था। वह चाहते थे कि भारतीय हमेशा खुश रहें। अंग्रेजों के खिलाफ कड़ी संघर्ष करने के बाद उन्होंने 15 अगस्त 1947 को हमारे देश को ब्रिटिश शासन से आजाद कराया था।
महात्मा गांधी की शिक्षा ने उनके जीवन के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन्होने अपनी प्राथमिक स्कूल में पढ़ाई पोरबंदर में की थी। गांधी जी ने 1887 में बॉम्बे यूनिवर्सिटी में मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की और भावनगर के सामलदास कॉलेज में दाखिला लिया था। 1888 में गांधी जी कानून की पढ़ाई के लिए लंदन यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया था। बाद में वह एक वकील के रूप में भारत लौट आए और वकालत शुरू कर दी।
महात्मा गांधी ने भारत को आजादी दिलाने के लिए अंग्रेज शासन के खिलाफ कई तरह के आंदोलन शुरू किए थे। ये रहें उन आंदोलन के नाम-
महात्मा गांधी ने 13 साल की उम्र में ही कस्तूरबा नाम की महिला से शादी की थी और उनके साथ उनके पांच बच्चे थे। उनका परिवार भारत में रहा, जब गांधी जी 1888 में कानून की पढ़ाई के लिए लंदन गए थे। वह अपने परिवार को1897 में दक्षिण अफ्रीका ले आए, जहाँ कस्तूरबा गांधी उनकी सक्रियतावाद में उनकी सहायता करती थी, जो उन्होंने 1915 में परिवार के भारत वापस चले जाने के बाद भी करना जारी रखा।
महात्मा गांधी ने भारत को आजादी दिलाने के संघर्ष में हमेशा से ही अहिंसा को महत्व दिया है। आखिरकार अंग्रेज सरकार ने भी उनके आगे हार मार मान कर भारत को आजाद कर दिया था। गांधी जी हमेशा से गरीबी को कम करना चाहते थे। वह चाहते थे की सब एक बराबर हो और छुआछूत जैसी प्रथा को हमेशा के लिए खत्म कर दिया जाए। इतना ही नहीं गांधी जी हमेशा से ही महिलाओं के अधिकार के लिए आगे आए हैं। धार्मिक और जाती से जुड़े मदभेदों को भी कम करने का उनका हमेशा से इरादा रहा था। वो चाहते थे की उनके भारतवासी आजादी के साथ अपनी जिंदगी जिएं।
नई दिल्ली के बिड़ला हाउस में 30 जनवरी 1948 को हिंदू राष्ट्रवादी नाथूराम गोडसे ने छाती पर तीन गोलियां मार कर उनकी हत्या कर दी थी।
यह बात जग जाहिर है कि महात्मा गांधी ने भारत को आजादी दिलाने में एक अहम भूमिका निभाई है। ऐसे महान पुरुष के बारें में हमारे बच्चों को जानकारी होना जरूरी है ताकि वह भारत के इतिहास को समझ सकें और जानें कि आखिर हमारे देश के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी ने भारत को आजादी दिलाने के लिए कितना संघर्ष किया है। महात्मा गांधी के इस निबंध से बच्चों को यह सीख मिलती है कि इच्छाशक्ति, साहस और दृढ़ संकल्प हो तो दुनिया में सब कुछ संभव हो सकता है।
बच्चों के अपने माता-पिता से बहुत बार महात्मा गांधी के बारें सुना होगा, लेकिन जब उनको खुद गांधी जी पर निबंध लिखना पड़े तो उनके मन में कई सवाल होते होते जो वो जरूर जानना चाहेंगे।चलिए उन्ही कुछ सवालों से आपको रूबरू करते हैं।
भारत के आजादी आंदोलन के समय के स्वराज शब्द बेहद प्रसिद्ध हुआ था, गांधी जी का मानना था कि इंसान तब तक स्वराज को नहीं अपना सकता जब तक वह अपनी लालच और इच्छाओं पर काबू नहीं पा लेता।
इतिहास से पता चलता है की सिंगापुर रेडियो के माध्यम से अपना संदेश प्रसारित करते हुए सुभाष चन्द्र बोस ने गांधी जी को राष्ट्र का पिता कहकर संबोधित किया था। जिसके बाद में भारत सरकार ने भी इस नाम को मान्यता दिया।
भारतीय राष्ट्रिय आंदोलन में महात्मा गांधी भूमिका थी, उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ कई आंदोलन किए। 1930 में किया गया दांडी मार्च आंदोलन उनका सबसे बड़ा आंदोलन रहा जिसमें गांधी जी ने अंग्रेजों द्वारा भारतीयों पर नमक कर लगाने के खिलाफ आवाज उठाई।
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