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मृदा जिसे हम आम बोलचाल की भाषा में मिट्टी कहते हैं, धरती की कठोर सतह का आवरण होती है। मिट्टी का उपयोग खेती के लिए होता है जिससे पूरी दुनिया को खाद्य पदार्थ मिलते हैं। जब इसी मिट्टी में मिलावट होती है तो इसकी गुणवत्ता खराब होती है और इसे मृदा प्रदूषण कहते हैं। मृदा प्रदूषण मनुष्यों द्वारा किया गया मिट्टी का प्रदूषण है। यह फैक्टरी आदि से निकलने वाले केमिकल व गंदे पानी के गलत निपटान और खेती में इस्तेमाल होने वाले केमिकल के उपयोग के कारण होता है। मृदा प्रदूषण न केवल मनुष्य और जीव-जंतुओं के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी हानिकारक है। इसलिए मृदा प्रदूषण के बारे में सभी को जानकारी होनी चाहिए। अगर आपके बच्चे को स्कूल में मृदा प्रदूषण पर निबंध लिखने के लिए कहा गया है तो यह लेख उसकी पूरी मदद करेगा।
इन 10 पंक्तियों की मदद से बच्चे आसानी से मृदा प्रदूषण पर एक छोटा व सटीक निबंध लिख सकते हैं। 10 लाइन का निबंध कम शब्दों में अपनी बात कहने का एक बेहतरीन तरीका भी सिखाता है।
यहां मृदा प्रदूषण पर सीमित शब्दों में एक निबंध का सैंपल दिया गया है। यह छोटा निबंध बच्चों को कम शब्दों में मृदा प्रदूषण जैसे गंभीर मुद्दे पर अपनी बात कहने का माध्यम होगा।
मिट्टी में मिलने वाले हानिकारक केमिकल के कारण होने वाले प्रदूषण को मृदा प्रदूषण कहते हैं। मृदा प्रदूषण मुख्य रूप से रासायनिक कीटनाशकों, केमिकल आधारित फर्टिलाइजर के लगातार उपयोग से होता है, जिससे मिट्टी का प्राकृतिक उपजाऊपन कम हो जाता है। इसके साथ सीवेज का अनियंत्रित निपटान, फैक्ट्रियों से निकलने वाला कचरा, तेल का बहना, भवन निर्माण में इस्तेमाल होने वाले कंक्रीट में मिलावट वाले पदार्थ और अस्पतालों तथा फार्मास्युटिकल प्रयोगशालाओं से निकलने वाला चिकित्सीय कचरा व खराब कचरा प्रबंधन मृदा प्रदूषण की प्रमुख वजहों में से है।
उपरोक्त सभी कारण पर्यावरण के लिए गंभीर रूप से नुकसानदेह हैं। ऐसी मिट्टी में उगने वाले पौधों की वृद्धि रुक जाती है, जो मनुष्य ऐसे वातावरण से मिलने वाले भोजन के संपर्क में आते हैं, उन्हें थकान, कमजोरी, सिरदर्द, त्वचा की बीमारियां या डिप्रेशन और नर्वस सिस्टम को क्षति जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके प्रभाव में जानवर भी आते हैं और यहां तक कि पानी में रहने वाले जीवों को भी इससे काफी नुकसान होता है क्योंकि वे प्रदूषित मिट्टी से रिसने वाले प्रदूषित पानी पर रहते हैं।
मृदा प्रदूषण न हो इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण कदम इस बारे में जागरूकता फैलाना और लोगों को इसके गंभीर परिणामों के बारे में जानकारी देना है। खेती में फर्टिलाइजर और अन्य केमिकल का कम प्रयोग करना चाहिए क्योंकि ये केवल तय मात्रा में ही उपयोगी होते हैं और ज्यादा इस्तेमाल करने पर नुकसान होता है। इसके साथ ही अधिक से अधिक पेड़ लगाने से मिट्टी का क्षरण कम होता है उर्वरता भी बढ़ती है। अपशिष्ट पदार्थों को रीसायकल करने से भी मिट्टी को होना वाला नुकसान कम होता है।
अगर आपके बच्चे को स्कूल में या कहीं और निबंध प्रतियोगिता में भाग लेना है जिसमें उसे 400 से 600 शब्दों के बीच हिंदी में मृदा प्रदूषण पर निबंध लिखना है तो नीचे दिया गया सैंपल उसके काम आएगा। इससे वो लिखने का तरीका और सही शब्दों का इस्तेमाल करना सीखेगा।
मिट्टी जीवन के लिए आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों में से एक है। यह खेती का आधार है और विभिन्न प्रकार के पौधों और जानवरों के जीवन का मूल है। मृदा प्रदूषण यानी मिट्टी में उन पदार्थों की मिलावट से है जो आमतौर पर किसी स्थान पर प्राकृतिक रूप से नहीं पाए जाते हैं। अब मृदा प्रदूषण दुनिया भर में एक गंभीर पर्यावरणीय और सामाजिक-आर्थिक चुनौती बन चुका है। इससे स्वास्थ्य, कृषि, खाद्य सुरक्षा और पूरे इकोसिस्टम को खतरा है।
मिट्टी का प्रदूषण तब होता है जब सतह पर प्रदूषकों की मात्रा इतनी अधिक हो जाती है कि यह धरती की जैव विविधता को नुकसान पहुंचाती है और मनुष्यों व अन्य जीवों के स्वास्थ्य को खतरे में डालती है, खासकर भोजन के माध्यम से। खेती और पशुपालन में केमिकल (रसायन), पेस्टीसाइड (कीटनाशक) और फर्टिलाइजर (उर्वरक) का उपयोग होता है जो भूमि को प्रदूषित करते हैं इसके साथ ही गंदे पानी का निपटान, फैक्ट्रियों से निकलने वाला कचरा और मेडिकल कचरा भी इसमें भूमिका निभाते हैं।
जब मिट्टी में रसायन, जहरीले कंपाउंड और रेडियोएक्टिव पदार्थ मिलते हैं तो उससे मृदा प्रदूषण होता है। नीचे मृदा प्रदूषण करने वाले प्रमुख कारक दिए गए हैं जो मिट्टी को दूषित करते हैं:
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने संकेत दिया है कि मृदा प्रदूषण एक वैश्विक खतरा बन गया है जो विशेष रूप से यूरोप, एशिया और उत्तरी अफ्रीका जैसे क्षेत्रों में गंभीर है। मृदा प्रदूषण से होने वाले प्रभाव नीचे दिए गए हैं:
नीचे कुछ उपाय दिए गए हैं जो मृदा प्रदूषण को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं:
मृदा प्रदूषण एक गंभीर पर्यावरणीय मुद्दा है जिसका इकोसिस्टम, खेती और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। मृदा प्रदूषण के लिए प्रभावी उपाय लागू करके और जागरूकता बढ़ाकर, भारत और दुनिया में मृदा प्रदूषण को कम करके और एक स्वस्थ वातावरण बनाया जा सकता है।
मृदा प्रदूषण धीरे-धीरे गंभीर समस्या बन गई है और दुनिया भर में बढ़ती जा रही है, इसलिए इस निबंध की मदद से आपके बच्चे को इस समस्या के बारे में जानकारी होगी और वो इसको गंभीरता के साथ समझेगा। इतना ही नहीं वो लोगों को भी कीटनाशक और केमिकल आधारित फर्टिलाइजर के इस्तेमाल को कम करने लिए प्रेरित करेगा। निबंध लिखने की कला से बच्चे शब्दों का बेहतरीन इस्तेमाल और जानकारी को सीधे शब्दों में बताना सीखते हैं।
नहीं, मृदा प्रदूषण और भूमि प्रदूषण एक नहीं हैं। मृदा प्रदूषण में मिट्टी की गुणवत्ता खराब होती है, जबकि भूमि प्रदूषण में पृथ्वी की सतह और नीचे का क्षरण होता है जिससे अंततः क्षेत्र के आसपास का पानी और मिट्टी दूषित हो जाती है।
ऐसा माना जाता है कि 18वीं शताब्दी में औद्योगिक क्रांति के दौरान मृदा प्रदूषण शुरू हुआ।
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