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दुनिया में किसी भी प्राणी को जीवित रहने के लिए कुछ मूल आवश्यकताएं होती हैं। इन आवश्यकताओं में से एक सबसे महत्वपूर्ण है जल। बिना पानी के कोई भी जीव धरती पर जीवित नहीं रह सकता है। इंसान, जानवर या फिर पेड़-पौधे सभी को पानी की जरूरत होती है। लेकिन अब इंसानों द्वारा यह जल प्रदूषित हो रहा है। कहते हैं कि धरती पर सिर्फ एक प्रतिशत पानी ही पीने लायक है। जल प्रदूषण के कारण कई सारी बीमारियां जन्म ले रही हैं। जल प्रदूषण लोगों के जीवन के लिए खतरा बनता जा रहा है। इसका सबसे ज्यादा असर पानी में रहने वाले जीवों पर पड़ रहा है।
जल प्रदूषण पर यदि कम शब्दों में निबंध लिखना है तो नीचे 10 लाइनों में ऐसा निबंध लिखने के लिए सैंपल दिया गया है। इसे 100 शब्दों के पैराग्राफ के रूप में भी लिखा जा सकता है।
अगर बच्चे को जल प्रदूषण पर एस्से छोटे रूप में लिखने को कहा गया है, तो आप नीचे दिए गए सैंपल का सहारा ले सकते हैं और बच्चे को सिखा सकते हैं कि हिंदी में जल प्रदूषण पैराग्राफ में कैसे लिखना है। 200-300 शब्दों का यह निबंध वाटर पॉल्यूशन पर पैराग्राफ हिंदी में या हिंदी में जल प्रदूषण एस्से, इस तरह के प्रश्न के उत्तर के रूप में लिखना चाहिए।
दुनिया भर में दिन प्रतिदिन प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। हमारा सबसे जरूरी संसाधन जल भी इसके चपेट में आ गया है। जल में हानिकारक पदार्थों के मिलने के कारण जल प्रदूषित हो जाता है। जल प्रदूषण आज पानी के सभी स्रोतों, नदी, तालाब, समुद्र, झील और यहां तक कि भू-जल को नुकसान पहुंचा रहा है। भूकंप, सुनामी जैसे प्राकृतिक कारणों से भी जल प्रदूषण होता है। लेकिन ये कारण इंसानों द्वारा की गई गतिविधियों की तुलना में पानी को बहुत कम नुकसान पहुंचाते हैं। हमारे कारखानों और फैक्ट्री से निकलने वाला गंदा पानी और केमिकल बहते पानी में छोड़ दिया जाता है। कई बार जानवरों के मरने पर लोग उन्हें पानी में बहा देते हैं। इसके अलावा सीवेज की उचित निकासी न होने पर मल-मूत्र भी इसमें मिलता है। इन सब कारणों से जल प्रदूषण की समस्या लगातार बढ़ रही है। हर प्राणी को जीवित रहने के लिए पानी सबसे बड़ी आवश्यकता है। पीने, नहाने, खाना बनाने, फसलों की सिंचाई, सीवेज के निपटान, बिल्डिंग के निर्माण आदि लगभग हर काम को पूरा करने के लिये स्वच्छ जल बहुत जरूरी है। प्रदूषित पानी के कारण कई देशों में खतरनाक बीमारियां जैसे कॉलरा, टाइफाइड, पेचिश और वायरल इंफेक्शन फैलते हैं। इसके अलावा समुद्र में भारी मात्रा में कच्चा पेट्रोलियम व जहाजों पर होने वाली दुर्घटनाओं के कारण हानिकारक रसायनों के रिसाव से कई समुद्री प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार धरती के मुकाबले जलीय जीव लगभग 5 गुना तेजी से विलुप्त हो रहे हैं।
जल प्रदूषण को बढ़ने से रोकना जरूरी है। धरती पर 70 प्रतिशत भाग पानी है लेकिन पीने के लिए सिर्फ एक प्रतिशत पानी ही मौजूद है। अगर हम उसे भी शुद्ध नहीं रख सके तो आने वाली पीढ़ी का भविष्य अंधकार में होगा।
जल प्रदूषण के निबंध को और बेहतर बनाने और बेहतरीन शब्दों का उपयोग करने के लिए नीचे दिए गए 400-600 शब्दों वाला जल प्रदूषण पर निबंध सहायता कर सकता है। जल प्रदूषण निबंध हिंदी में विस्तृत रूप में भी लिखा जाता है। जल प्रदूषण के बारे में अधिक क्रिएटिविटी और बेहतर तरीके से एक बड़ा निबंध लिखना है, तो ज्यादा शब्दों में हिंदी में जल प्रदूषण पर एस्से लिखने के लिए एक सैंपल नीचे दिया गया है।
दुनिया हर प्राणी की लगभग सभी गतिविधियां चाहे वो शारीरिक हो या प्राकृतिक पानी की मदद से पूरी होती हैं। इसके अलावा, धरती पर कितना पानी है उसके हिसाब से ही वातावरण, जलवायु और तापमान निर्भर करता है। पानी के दूषित होने की वजह से इंसानों, जानवरों और पेड़ पौधों को बहुत नुकसान पहुंच रहा है। यह प्रदूषण कारखानों से निकलने वाली गंदगी, जानवरों का मल आदि साफ पानी में मिलने की वजह से होता है। इस दूषित पानी के कारण जलीय जीवों की भी मृत्यु का खतरा बढ़ता जा रहा है।
जल ही जीवन है लेकिन इसको नुकसान पहुंचाने के बहुत से कारण हैं, जो आजकल बहुत आम हो चुके हैं। चलिए जल प्रदूषण के कुछ मुख्य कारणों के बारे में जानते हैं।
जल प्रदूषण के बेहद ही गंभीर परिणाम होते हैं। अगर जल ही दूषित हो जाएगा तो मनुष्य और जानवर अपने जीवन को कैसे आगे बढ़ाएंगे। चलिए जल प्रदूषण से होने वाले कुछ परिणामों के बारे में आपको बताते हैं।
दुनिया भर में सिर्फ एक प्रतिशत पानी पीने लायक बचा है। समय रहते अगर शुद्ध जल को बचाने की कोशिश नहीं की गई तो धरती पर जीवों का नामों निशान नहीं बचेगा। आइए देखते हैं कि जल प्रदूषण को रोकने के लिए कौनसे उपाय अपनाए जा सकते हैं।
इस उपाय में हमारी सरकार को औद्योगिक और कृषि कार्यों से निकलने वाली गंदगी पर नियंत्रण रखने के लिए कानून बनाने चाहिए। इसके लिए कड़े कानून की बहुत जरूरत है। अगर इसमें जुर्माना लगा दिया जाए तो लोगों की हरकतों में थोड़ा बदलाव या परिवर्तन आ सकता है।
किसानों को जितना हो सके रासायनिक फर्टिलाइजर के जगह खाद का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। उर्वरकों में कई तरह के हानिकारक केमिकल मौजूद हैं जो सिंचाई के समय बह जाते हैं और ये केमिकल हमारी झीलों और नदियों में घुल जाते हैं जिसकी वजह से जल प्रदूषण उत्पन्न होता है। इसलिए किसानों को ऑर्गेनिक खादों को अपनाना चाहिए।
हमें ऐसी शिक्षा का बढ़ावा देना चाहिए जिससे लोग जल प्रदूषण के कारणों के बारे में जागरूक हो सकें। हमे कई तरह के विकल्प जैसे की सेमिनार, स्कूल में क्लासेज, बड़े लेवल पर सार्वजनिक प्रोग्राम करने चाहिए जिसमे जल की अहमियत और होने वाले प्रदूषण को नियंत्रण करने के बारे में बताया जाए।
बच्चे हमारे समाज का भविष्य हैं और उन्हें जल प्रदूषण से होनी वाली समस्या के बारे में जानकारी जरूर होनी चाहिए ताकि वे इस विषय पर हिंदी में बेहतर रूप से निबंध लिख सकें और हमारे पर्यावरण को बचाने के लिए खुद भी कदम आगे बढ़ाएं।
यहां जल प्रदूषण से जुड़े ऐसे कई सवालों के जवाब दिए गए हैं, जो आपका बच्चा जानना चाहेगा।
कभी-कभी पानी से आने वाली गंध और उसके रंग में बदलाव से यह संकेत मिलता है कि वह पानी प्रदूषित है। उसमे मौजूद सल्फर और बैक्टीरिया के कारण ऐसा होता है।
जल प्रदूषण में कई तरह के जहरीले पदार्थ, केमिकल और व बैक्टीरिया मौजूद होते हैं जो मनुष्यों में कॉलरा, टाइफाइड, टीबी और पेट के अन्य रोगों जैसी हानिकारक बीमारियों का कारण बनते हैं। इनमें राउंडवॉर्म और टेपवर्म जैसे परजीवी भी होते हैं जो के शरीर के लिए बेहद हानिकारक होते हैं और गंभीर बीमारियों को बढ़ावा देते हैं।
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