रोज की भागमभाग और काम में हम कई बार अपनों के साथ क्वालिटी टाइम नहीं बिता पाते हैं। इस मामले में जाने-अनजाने अगर सबसे ज्यादा हम किसी के साथ नाइंसाफी करते हैं तो वो होते हैं हमारे पेरेंट्स। अपने बच्चों के सामने एक आइडियल पैरेंट के रूप में यदि आप खुद की इमेज रखना चाहते हैं तो आपको इन बातों से बचना चाहिए। अगर आपने काफी समय से अपने पापा के साथ समय नहीं बिताया है तो आने वाले फादर्स डे से बेहतर अवसर और क्या होगा। फादर्स डे, फादरहुड को सेलिब्रेट करने का एक बेहतरीन मौका होता है। चाहे आपके खुद के पापा हों या आपके अपने बच्चे, सबके साथ इस दिन को इस बार कुछ इस तरह बिताइए कि यह सबको हमेशा याद रहे।
फिल्में एंटरटेनमेंट का एक ऐसा जरिया है जो लगभग हर उम्र के व्यक्ति को पसंद होती हैं। फादर्स डे को खास बनाने के लिए ये भी अच्छा ऑप्शन हैं। आप अपने घर में ही ऐसी चुनिंदा फिल्मों का लुत्फ उठा सकते हैं जो पिता और बच्चों के रिश्तों पर बनी हों और आपके बीच के प्यार को और मजबूत करने में मदद कर सकें।
इस फादर्स डे, अपने पापा और बच्चों के साथ टब भरकर पॉपकॉर्न उठाएं और कुछ लाजवाब फिल्में देखने बैठ जाएं। आइए हम आपको बताते हैं कि कौन सी हैं वो फिल्में।
हाल के समय में अगर पिता और बेटियों के बीच के रिश्ते पर किसी फिल्म को लोगों ने सबसे ज्यादा पसंद किया है तो वो है कुश्ती के खेल पर आधारित ‘दंगल’। पहलवान महावीर सिंह फोगट के जीवन पर आधारित इस फिल्म से पता चलता है कि अपनी बेटियों के लिए एक पिता के प्यार का अर्थ हमेशा केयरिंग होना और सख्ती न दिखाना नहीं होता। कभी-कभी उन्हें सफलता की ऊँचाइयों को छूने के लिए प्रेरित करने को एक पिता सख्त भी हो सकता है। महावीर सिंह ने किस तरह समाज के विरुद्ध जाकर अपनी बेटियों गीता और बबीता को इंटनेशनल लेवल का पहलवान बनाया, दंगल इसी की कहानी है। आमिर खान ने महावीर सिंह का रोल निभाया है।
अमिताभ बच्चन और दीपिका पादुकोण की पिता और बेटी को जोड़ी वाली पीकू एक बेहतरीन फिल्म है। यह फिल्म पिता और बेटी की बॉन्डिंग का सबसे सुंदर चित्रण है। पिता कॉन्स्टिपेशन की समस्या से पीड़ित होते हैं और एक अटेंशन सीकिंग बच्चे की तरह अपनी बेटी पीकू से लगातार चिपके रहते हैं। दिल्ली से कोलकाता की रोड ट्रिप के साथ यह फिल्म आपको बताती है कि जब बुढ़ापे में आपके डैड चिड़चिड़े हो जाते हैं और बच्चों की तरह व्यव्हार करने लगते हैं तो आपको उन्हें कैसे संभालना चाहिए।
80 के दशक में आई यह फिल्म भले पुरानी हो लेकिन बेहद संवेदनशील विषय पर बनी है और हर किसी के दिल को छू जाती है। इस फिल्म की खूबसूरती में सबसे बड़ा रोल इसके कलाकारों और गानों का है। नसीरुद्दीन शाह और शबाना आजमी ने इसमें अपनी दो बेटियों के साथ खुशहाल जिंदगी बिताने वाले एक आइडियल कपल की भूमिका की है। एक दिन पति को पता चलता है कि वह एक अन्य बेटे का पिता है और अब उसे यह जिम्मेदारी भी उठानी है। अपनी पत्नी के लिए अपनी लॉयल्टी व प्यार के साथ अपने बच्चे के प्रति लगाव के बीच फंसे एक पिता की दुविधा और बेटे के साथ उसके रिश्ते को दिखाने वाली यह एक लाजवाब फिल्म है।
एनीमेशन की दुनिया में अगर किसी ऐसी फिल्म का नाम लिया जाए जो बच्चों तो क्या बड़ों की भी सबसे फेवरेट फिल्मों में से एक हो तो ‘लायन किंग’ का नाम सबसे ऊपर होगा। इसके अलावा यह पिता और बेटे के रिश्ते को दिखाने वाली एक खूबसूरत फिल्म है। चाहे आप इसका 1994 में आया ओरिजिनल एनीमेटेड वर्जन देखें या 2019 में आया रीमेक, दोनों ही फिल्में इस बात का बेहद प्रभावी तरीके से चित्रण करती हैं कि एक पिता का अपने बेटे के प्रति कितना गहरा प्यार होता है और उसके लिए वह कितना त्याग कर सकता है। साथ ही उसे अपने बेटे पर कितना अभिमान होता है।
यह फिल्म न केवल पिता और बेटों के गहरे और मजबूत संबंधों का एक इमोशनल चित्रण है बल्कि इसमें फैमिली वैल्यूज को भी बखूबी दर्शाया गया है। वास्तविक जीवन में पिता और बेटे धर्मेंद्र, सनी और बॉबी देओल की इस फिल्म में मुख्य भूमिका है और इसकी कहानी बॉक्सिंग के खेल पर आधारित है। डोपिंग के झूठे केस में फंसे पिता का सपना है कि उनका बड़ा बेटा इस अपमान का बदला ले, लेकिन फैसिलिटीज और रिसोर्सेज की कमी के कारण बेटा बॉक्सिंग छोड़ देता है जिससे पिता ठगा हुआ सा महसूस करने लगता है।
जब बात परिवार के साथ सेलिब्रेशन की होती है तो इसे यादगार समय बनाना आपकी ड्यूटी है। इस फादर्स डे को एक यूनिक और मजेदार तरीके से अपने पिता और बच्चों के साथ मनाने के लिए अब आपके पास इन फिल्मों के तौर पर बहुत बढ़िया ऑप्शन्स हैं। हालांकि भूलिएगा नहीं, फिल्में तो बहाना हैं, आपको तो आपस में प्यार जताना है। इसलिए, हैप्पी फादर्स डे!
यह फिल्म एक मध्यमवर्गीय परिवार की कहानी है जिसमें पिता एक टीचर होता है। अपने प्रोफेशन के अनुसार ही पिता भी एक आदर्श जीवन जीने पर जोर देता है। फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक पिता अपने बच्चों की इच्छाओं को पूरा करने की जद्दोजहद से गुजरता है। 2010 में आई इस फिल्म में प्रमुख भूमिका ऋषि कपूर और उनकी पत्नी की भूमिका असल जीवन की ही उनकी पत्नी नीतू कपूर ने निभाई हैं। फिल्म खट्टे मीठे किस्सों और बेहतरीन अदाकारी के साथ नई जनरेशन को ईमानदारी का पाठ पढ़ा जाती है।
2013 में आई एनिमेटेड फिल्म फाइंडिंग निमो की कहानी बच्चे ही क्या बड़ों को भी बहुत पसंद आती है। इसमें निमो नाम की एक मछली अपने पिता से बिछड़ जाती है। फिल्म की कहानी इसी के इर्द गिर्द घूमती है कि कैसे निमो अपने पिता से वापस मिलता है। इस कहानी में पिता-पुत्र के संबंधों को बड़े ही इमोशनल तरीके से दिखाया गया है। साथ ही फिल्म यह भी सिखाती है कि किसी भी समस्या से कैसे निपटना चाहिए और अपने कम्फर्ट जोन से निकलकर किस तरह सफलता हासिल की जा सकती है।
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