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अगर आप हल ही में माँ बनी हैं और अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराती हैं तो जब आप फूड पॉइजनिंग से प्रभावित होती हैं, तो सबसे पहले आपके दिमाग में जो बात आती है, वह ये कि कहीं इस दौरान बच्चे पर तो इसका कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा। आपका ऐसा सोचना गलत नहीं है क्योंकि बच्चे को सभी पोषण आपके जरिए ही प्राप्त होते हैं, माँ के दूध पर बच्चे के निर्भर होने से ये सवाल पैदा होना सही है। अगर आपको फूड पॉइजनिंग हो जाती है तो ऐसे मामले में तुरंत मेडिकल हेल्प लेना बहुत जरूरी है।
फूड पॉइजनिंग कंटामिनटेड यानी दूषित भोजन का सेवन करने से होती है, जिसमें आपका पेट खराब हो जाता है और बहुत कमजोरी आ जाती है।। ये कितना गंभीर है इसका अंदाजा आप इसकी समय सीमा से लगा सकती हैं, जिसमें ये कुछ घंटों से लेकर कई दिनों तक बरकरार रह सकता है।
फूड पॉइजनिंग बैक्टीरिया और वायरस के कारण होती है जो भोजन और पानी के माध्यम से आपके शरीर में प्रवेश करते हैं। कभी-कभी बिना पके या कम पके हुए खाद्य पदार्थों के सेवन से भी फूड पॉइजनिंग हो सकती है। साल्मोनेला, ई. कोलाई और लिस्टेरिया जैसे हानिकारक बैक्टीरिया फूड पॉइजनिंग का कारण बन सकते हैं।
फूड पॉइजनिंग के लक्षणों में शामिल हैं:
फूड पॉइजनिंग हो जाने के बाद अपने बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराना सुरक्षित होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि बैक्टीरिया या वायरस आपके पेट में मौजूद होते हैं, न कि आपके ब्रेस्ट मिल्क में, इसलिए आप सुरक्षित रूप से अपने बच्चे को फीड करा सकती हैं। हालांकि, यदि माइक्रोब्स आपके ब्लड फ्लो में प्रवेश कर जाते हैं, तो आपको तुरंत ब्रेस्टफीडिंग रोक देनी चाहिए और डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
निम्नलिखित उपायों की मदद से ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माँओं में फूड पॉइजनिंग का इलाज किया जा सकता है:
अगर आप फूड पॉइजनिंग से पीड़ित हो जाती हैं, तो आपको अपने लिक्विड्स का सेवन बढ़ाने की जरूरत है, क्योंकि यह आपके शरीर को हाइड्रेटेड रखेगा और शरीर में डिहाइड्रेशन की समस्या को ठीक करेगा। अधिक तरल पदार्थों का सेवन ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माँओं में मिल्क प्रोडक्शन को बढ़ाने में मदद करेगा। शरीर में नमक, पानी और शुगर का सही बैलेंस बनाए रखने के लिए ओआरएस (ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन) का सेवन किया जा सकता है। कैफीन युक्त ड्रिंक का सेवन करने से बचना चाहिए क्योंकि स्टडी से पता चलता है कि यह एक डाइयूरेटिक है और आपके मेटाबोलिज्म को बढ़ाता है, ये दोनों ही चीजें डिहाइड्रेशन का कारण बनती हैं।
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान फूड पॉइजनिंग को ठीक करने के लिए उपयुक्त एंटीबायोटिक दवाओं को लेने के लिए तुरंत डॉक्टर से परामर्श करने की सलाह दी जाती है। एंटीबायोटिक्स फूड पॉइजनिंग के लक्षणों को ठीक करने और आपको तेजी से रिकवर करने में मदद करते हैं। जब डॉक्टर आपके लिए दवा लिख रहे हों, तो आप उन्हें याद दिलाएं कि आप ब्रेस्टफीडिंग कराती हैं। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि कुछ प्रकार की दवाएं आपके ब्लड फ्लो के जरिए ब्रेस्टमिल्क तक पहुँच जाती हैं, जिससे इसकी डोज बच्चे के शरीर में भी जाती है।
फूड पॉइजनिंग के गंभीर मामले में आपको बेहद कमजोरी हो सकती है, इसलिए नसों के जरिए आपको दवाएं दी जाती हैं और इसके लिए हॉस्पिटल जाना बहुत जरूरी है। वहाँ आपकी ठीक से देखभाल की जाएगी, जिससे आपको जल्दी ठीक होने में मदद मिलेगी।
फूड पॉइजनिंग से पीड़ित होने के दौरान, आपको अपनी नॉर्मल डाइट लेने में भी परेशानी हो सकती है। ऐसे में खाने की चीजें जैसे केला, चावल, टोस्ट आदि पचाने में ज्यादा आसान होते हैं क्योंकि इसमें फाइबर कम होता है और ये दस्त को रोकते हैं साथ ही आप अपने अंदर कुछ ताकत भी महसूस करती हैं। आप फैटी और मसालेदार भोजन का सेवन करने से बचें, क्योंकि आपकी हेल्थ खराब होने की वजह से आपका डाइजेस्टिव सिस्टम ठीक से काम नहीं करता है।
जब आप फूड पॉइजनिंग से पीड़ित हों, तो अपने बच्चे को आसानी से ब्रेस्टफीडिंग कराने के लिए नीचे दिए गए टिप्स पर अमल कर सकती हैं:
यह शुरुआत में थोड़ा मुश्किल हो सकता है लेकिन समय के साथ आप आसानी से एडजस्ट कर लेंगी। आप ऐसा सोने से पहले और सुबह के वक्त कर सकते हैं, ताकि आपको कम से कम असुविधा हो।
नियमित अंतराल पर थोड़ा-थोड़ा पानी पीती रहें और दस्त और फूड पॉइजनिंग के मामले में ओआरएस का भी सेवन करें।
अपने बच्चे के साथ बिस्तर पर लेटना अच्छा रहता है, अगर आप सहज महसूस नहीं कर रही हैं तो बेहतर है, अपने बेड के पास एक बेबी कॉट रखें। इस तरह आप सारा समय बच्चे के करीब रहेंगी, और जब भी जरूरत होगी उसे ब्रेस्टफीडिंग करा सकेंगी।
चीजों को सहजता के साथ डील करें, ज्यादा पैनिक न हों। जब आपकी तबियत ठीक न हो तो आपको रेस्ट करना चाहिए, और अगर बच्चा फॉर्मूला दूध पी लेता है तो कुछ समय के लिए उसे वही दें।
फूड पॉइजनिंग के बाद ब्रेस्टफीडिंग कराते समय आप कुछ उपायों का पालन कर सकती हैं, जो नीचे दी गई हैं:
बीमार होने के दौरान अपने बच्चे की देखभाल करना वास्तव में कठिन हो सकता है, इसलिए आपको बच्चे के साथ-साथ अपना भी ध्यान रखा बहुत जरूरी है। हेल्दी रहें और हेल्दी भोजन खाएं!
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