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एक स्वस्थ गर्भावस्था को धारण करने के लिए यानि कंसीव करने के लिए बहुत सारी चीजें एक साथ होनी चाहिए। फर्टिलाइजेशन तो सिर्फ इसका सबसे पहला स्टेप है – आपके यूटरस में अंडे को सुरक्षित रखने के लिए बहुत सी प्रक्रियाएं होती हैं। इन सब में ही एक मुख्य प्रक्रिया है एंडोमेट्रियम और गर्भाशय की दीवार का मोटा होना।
गर्भाशय की दीवार में म्यूकस मेंबरेन की एक परत होती है, इन सभी परतों को एंडोमेट्रियम कहा जाता है। इसमें दो लेयर बनती हैं – जिसमें से एक फंक्शनल लेयर होती है जो पीरियड के दौरान छिप जाती है और दूसरी लेयर इसका बेस होती है जो गर्भाशय की दीवार पर हमेशा के लिए रहती है। पीरियड्स के अनुसार ही एंडोमेट्रियम की थिकनेस बदलती रहती है।
एंडोमेट्रियल की परत पतली होती है। पीरियड के बाद जब ऊपरी परत पूरी तरह से गिर जाती है तो गर्भाशय की दूसरी परत की थिकनेस लगभग 1 एम.एम. रह जाती है। जैसे ही अगला ओव्यूलेशन शुरू होता है, सेल्स नई फंक्शनल लेयर भी बनाना शुरू कर देते हैं।
इस परत की थिकनेस हर महिला में अलग-अलग होती है, पर फर्टिलाइज्ड अंडे को बनाए रखने के लिए एंडोमेट्रियल की थिकनेस सामान्य रूप से 8 से 15 एम.एम. तक होनी चाहिए।
एंडोमेट्रिअम पतला होने के कई कारण निम्नलिखित हैं, आइए जानते हैं;
यदि गर्भाशय में पर्याप्त मात्रा में खून की आपूर्ति नहीं होगी तो गर्भधारण के लिए एंडोमेट्रियम को मोटा होने में कॉम्प्लीकेशन्स हो सकती हैं। गर्भाशय मुड़ जाने से, युटरीन फाइब्रॉइड होने से या लाइफस्टाइल अनहेल्दी होने से भी खून का बहाव कम हो सकता है।
सामान्य तौर पर ऐसा देखा गया है कि यदि एंडोमेट्रियम की थिकनेस 6 एम.एम से कम है तो कन्सेप्शन नहीं होता है। हालांकि यदि इसकी थिकनेस 8 एम.एम. है और एंडोमेट्रियल लेयर की थिकनेस उतनी नहीं बढ़ रही है जितनी बढ़नी चाहिए तो यह गर्भाधान को रोक सकता है।
शरीर में एस्ट्रोजेन का स्तर कम होने से कभी-कभी सेल की वृद्धि रुक जाती है जिससे एंडोमेट्रियम की थिकनेस भी नहीं बढ़ती है।
जब प्रोजेस्ट्रॉन उस प्रकार से फंक्शन नहीं करता है जैसे उसे करना चाहिए तो उस स्थिति में भी एंडोमेट्रियल लेयर की थिकनेस नहीं बढ़ती है।
फर्टिलिटी को बढ़ाने और ओव्यूलेशन को उत्तेजित करने वाली कुछ दवाइयों के साइड-इफेक्ट्स के कारण भी एंडोमेट्रियल लेयर पतली हो सकती है।
कम आराम करने और कम नींद लेने से तनाव की समस्या हो सकती है जिसकी वजह से भी एंडोमेट्रियल लेयर का विकास नहीं होता है।
यहाँ कुछ तरीके दिए हुए हैं जिनकी मदद से आप गर्भधारण के लिए एंडोमेट्रियल लेयर की थिकनेस को बढ़ा सकती हैं, आइए जानते हैं।
बैलेंस्ड और पौष्टिक डाइट लेने से एस्ट्रोजेन के स्तर में प्रभाव पड़ता है, हॉर्मोन्स का बैलेंस भी बना रहता है और ब्लड फ्लो बढ़ता है। इन सभी कारणों से गर्भावस्था के लिए एंडोमेट्रियल की थिकनेस बढ़ती है।
इंसुलिन और कोर्टिसोल के स्तर को भी बनाए रखने के लिए पूरा दिन स्वस्थ आहार का सेवन करना चाहिए। आहार में फाइबर शामिल करने से शरीर को क्यू10 कोएंजाइम मिलता है। यह एक प्रभावी एंटी-ऑक्सीडेंट है जिससे टिश्यू से संबंधित समस्याएं कम होती हैं और यह एंडोमेट्रियल की थिकनेस को बढ़ाने में मदद करता है।
हरी सब्जी, टमाटर, अंडे, गाजर और मछली में आवश्यक विटामिन, जैसे विटामिन ‘सी’, विटामिन ‘बी’ और बी-काम्प्लेक्स होता है। यह खाद्य पदार्थ खून का बहाव स्वस्थ रखते हैं इसलिए आप इसे अपने आहार में शामिल कर सकती हैं। इसके अलावा स्वस्थ रहने के लिए खट्टे खाद्य पदार्थ और कैफीन लेना बंद कर दें।
ज्यादा से ज्यादा आराम करने और अच्छी नींद लेने से हॉर्मोन्स बैलेंस रहते हैं जो एंडोमेट्रियम की थिकनेस पर भी प्रभाव डाल सकते हैं। यदि आप समय पर लगातार 7-8 घंटे सोने सोती हैं तो आपके शरीर में टिश्यू की वृद्धि होती है और इसके फंक्शन को ठीक होने में मदद मिलती है। इसलिए आप नियमित रूप से समय पर सोने और जागने का शेड्यूल बनाएं और ज्यादा देर तक जागने की आदत को खत्म कर दें।
आप प्रतिदिन एक्सरसाइज करके प्राकृतिक रूप से खून के बहाव को बढ़ा सकती हैं। गर्भाशय में खून की आपूर्ति बढ़ने से एंडोमेट्रियल सेल्स बढ़ते हैं और साथ ही थिकनेस भी बढ़ती है।
आपको बहुत कठिन एक्सरसाइज करने की जरूरत नहीं है। इसके लिए आप रोजाना आधे घंटे हल्की एक्सरसाइज भी कर सकती हैं। शरीर को एक ही प्रकार का कार्य करने से रोकने के लिए आप रोजाना अलग-अलग तरह की एक्सरसाइज भी कर सकती हैं। एक्सरसाइज करने से नींद अच्छी आती है और इससे एंडोमेट्रियल लेयर बढ़ती है।
शरीर के पेल्विक क्षेत्र और गर्भाशय में खून के बहाव को बढ़ाने का एक तरीका फेमोरल आर्टरी को उत्तेजित करना है। कुछ सेकंड के लिए अपनी उंगलियों से आर्टरी पर हल्का सा दबाव डालें। एक्सरसाइज को रोजाना दो बार अपने दोनों पैरों पर तीन-तीन बार दोहराएं। इस एक्सरसाइज को पीरियड्स के बाद जब ओव्यूलेशन होता है तब तक करना चाहिए ताकि इससे एंडोमेट्रियम को बढ़ने में मदद मिल सके। यदि आपमें IVF या हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण दिखाई देते हैं आर्टरी पर मालिश न करें।
फेमोरल आर्टरी की मसाज करने का तरीका
एक्यूपंक्चर की मदद से शरीर में खून की आपूर्ति होती है जिससे फर्टिलिटी बढ़ सकती है। यह पौराणिक अभ्यास गर्भवती महिला के आराम और डिलीवरी में मदद करता है। शोधों के अनुसार किडनी के आसपास के खून का बहाव बढ़ने से गर्भाशय की एंडोमेट्रियल ब्लड वेसल बनती हैं जिसके परिणामस्वरूप IVF प्रक्रिया पूरी होती है।
रिकीनोलिक एसिड एक ऐसा केमिकल है जो खून के बहाव को बढ़ाने, जल्दी ठीक होने और टिश्यू को बनने में मदद करता है। इससे ओवरी और गर्भाशय में भी थोड़ा बहुत प्रभाव पड़ता है। यह एसिड कैस्टर ऑयल में पाया जाता है और इसका उपयोग करना फायदेमंद हो सकता है।
आप शरीर में खून के बहाव और एंडोमेट्रियल लेयर की थिकनेस को बढ़ाने के लिए कैस्टर ऑयल का उपयोग निम्नलिखित तरीके से कर सकती हैं:
जिस प्रकार से एंडोमेट्रियल का पतला होना एक समस्या है, उसी प्रकार से एंडोमेट्रियल का बहुत ज्यादा मोटा हो जाना भी एक समस्या है। इस समस्या को एंडोमेट्रियल हाइपरप्लासिया कहा जाता है जो एस्ट्रोजेन का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ जाने से होती है। इस समस्या में एंडोमेट्रियल की लेयर लगभग 10-15 एम.एम. मोटी हो जाती है।
5 एम.एम. की लेयर गर्भधारण करने के लिए बहुत पतली है। इसमें ओव्यूलेशन को उत्तेजित करने और प्रोजेस्ट्रोन सप्लीमेंट्स की जरूरत हो सकती है।
गर्भाधान की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए एंडोमेट्रियल लेयर की सही थिकनेस जरूरी है। हेल्थी लाइफस्टाइल रखने और सही ट्रीटमेंट करवाने से आपके लिए गर्भधारण करना संभव है।
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