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“गोल्डीलॉक्स एंड द 3 बियर्स” एक 200 साल पुरानी और बेहद लोकप्रिय कहानी है। इतने वर्षों में कहानी में कई बदलाव हुए। मूल कहानी में गोल्डीलॉक्स एक बुढ़िया थी जो तीन भालुओं के घर में घुस गई थी। बाद में यह कहानी कविता के रूप में भी लिखी गई। अंग्रेजी कवि रॉबर्ट साउदी ने 1837 में ‘द थ्री बियर्स’ नाम से कविता लिखी। 1850 में जोसेफ कंडल ने कहानी में बुढ़िया की जगह एक छोटी लड़की का किरदार पेश किया जो जंगल में भालुओं के घर में घुस जाती है। गोल्डीलॉक्स और तीन भालू की पूरी कहानी क्या है, आइए जानें।
गोल्डीलॉक्स और तीन भालू की कहानी के मुख्य पात्र हैं –
एक बार की बात है, एक जंगल में एक भालू का परिवार रहता था। उनमें सबसे बड़ा भालू था पापा भालू, फिर थी ममा भालू और सबसे छोटा था बेबी भालू।
एक दिन ममा भालू ने नाश्ते में दलिया बनाया। दलिया बहुत गर्म था इसलिए उसे ठंडा करने के लिए टेबल पर रखकर तीनों भालू थोड़ी देर बाहर टहलने के लिए निकल गए। जब भालू बाहर टहल रहे थे तो एक छोटी लड़की उनके घर के पास आई। उस लड़की के सुंदर सुनहरे बाल थे जो उसकी पीठ से लेकर कमर तक फैले हुए थे। उसके सुनहरे बालों के कारण सभी उसे गोल्डीलॉक्स कहते थे।
गोल्डीलॉक्स को बाहर से देखकर भालू का घर बहुत अच्छा लगा। वह घर के अंदर घुस गई। अंदर उसने देखा कि टेबल पर तीन बाउल रखे हुए हैं जिनमें दलिया है। उनमें से एक बाउल बहुत बड़ा था। यह पापा भालू का बाउल था। गोल्डीलॉक्स को भूख लगी थी तो उसने पापा भालू के बड़े से बाउल से दलिया खाने को लिया लेकिन दलिया बहुत गर्म था। फिर उसने मध्यम आकार के बाउल से दलिया का स्वाद चखा जो ममा भालू का था, लेकिन यह बहुत ठंडा था। अंत में, उसने सबसे छोटे कटोरे से दलिया का स्वाद चखा, जो बेबी भालू का था। यह न तो ज्यादा गर्म था और न ही ज्यादा ठंडा। गोल्डीलॉक्स ने उस बाउल का सारा दलिया खा लिया।
गोल्डीलॉक्स जंगल में घूमकर थक गई थी इसलिए खाना खाते ही उसे नींद आने लगी। वह सीढ़ियों से ऊपर के कमरे में गई। वहां तीन बिस्तर थे। गोल्डीलॉक्स सबसे बड़े बिस्तर पर लेट गई। यह पापा भालू का बिस्तर था लेकिन वह बहुत आरामदायक नहीं था। फिर वह मध्यम आकार के बिस्तर पर लेट गई, जो ममा भालू का था। लेकिन वह भी गोल्डीलॉक्स को अच्छा नहीं लगा। आखिरकार वह जाकर बेबी भालू के छोटे से बिस्तर पर लेटी। यह बिस्तर गोल्डीलॉक्स के लिए थोड़ा छोटा था लेकिन इतना मुलायम और आरामदायक था कि उसे तुरंत नींद आ गई।
उधर, तीनों भालू लंबी सैर के बाद घर वापस आ गए। उन्हें अब जोरों की भूख लगी थी। उन्होंने सोचा कि अब तक तो दलिया भी ठंडा हो गया होगा। लेकिन जैसे ही वे खाने की टेबल पर पहुंचे, उन्हें वहां कुछ गड़बड़ लगी। पापा भालू बुदबुदाकर बोला –
“किसी ने मेरे दलिये को छुआ है!”
ममा भालू ने भी धीरे से कहा –
“किसी ने मेरे दलिये को छुआ है!”
बेबी भालू ने अपने बाउल की ओर देखा, उसमें सिर्फ चम्मच रखा था और सारा दलिया खत्म हो चुका था।
“किसी ने मेरा सारा दलिया खा लिया!” बेबी भालू ने अपनी धीमी आवाज में कहा।
तीनों भालू समझ गए कि जरूर कोई घर में घुस आया है। इसलिए वे उसे घर में हर जगह ढूंढने लगे। जब वे ऊपर के कमरे में पहुंचे तो अपने-अपने बिस्तर पर देखने लगे। पापा भालू ने अपनी भारी आवाज में कहा –
“कोई मेरे बिस्तर पर सोया था!”
ममा भालू ने भी अपनी पतली सी आवाज में कहा –
“कोई मेरे बिस्तर पर सोया था!”
बेबी भालू अपने बिस्तर के पास आया तो उसे वहां तकिये पर लंबे सुनहरे बाल और एक छोटी लड़की का सुंदर सा चेहरा दिखा जो गहरी नींद में सो रही थी और खर्राटे ले रही थी। बेबी भालू ने चिल्लाकर कहा –
“कोई मेरे बिस्तर पर सोया था और अभी भी यहीं है!”
बेबी भालू की आवाज सुनकर गोल्डीलॉक्स जाग गई। वह तीनों भालुओं को वहां देखकर घबराई और बिस्तर से कूद पड़ी फिर वह दौड़कर सीढ़ियों से नीचे उतरकर दरवाजे से बाहर निकली और बगीचे के रास्ते से भागने लगी। वह तब तक दौड़ती रही जब तक घर नहीं पहुंच गई, जहां उसकी दादी उसका इंतजार कर रही थीं। घर पहुंचते ही हांफते हुए गोल्डीलॉक्स ने अपनी दादी को जंगल में भालू के घर के बारे में और जो कुछ उसने किया व देखा, उसके बारे में बताया। यह सुनकर उसकी दादी बोली –
“ओहो बच्ची, तुम क्या ख्याली सपने देखती रहती हो!”
गोल्डीलॉक्स और तीन भालू की कहानी से यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी किसी के घर या संपत्ति में उसकी अनुमति के बिना प्रवेश नहीं करना चाहिए और उसके व्यक्तिगत जीवन में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।
गोल्डीलॉक्स और तीन भालू की कहानी परी की कहानियों के अंतर्गत आती है।
गोल्डीलॉक्स एक सुनहरे बालों वाली छोटी लड़की थी।
तीन भालू पापा, मां और बेबी भालू थे।
गोल्डीलॉक्स बेबी भालू का दलिया खा जाती है।
गोल्डीलॉक्स और तीन भालू सबसे लोकप्रिय परियों की कहानियों में से एक है। यह कहानी बच्चों के लिए समझना आसान है। इसकी मदद से आप अपने बच्चों को यह सीख दे सकते हैं कि कभी भी किसी के निजी सामान को उनसे पूछे बिना नहीं छूना चाहिए। यदि हम किसी के घर या निजी स्थान में घुसपैठ करते हैं तो वे गुस्सा हो सकते हैं या दुखी हो सकते हैं। बच्चों को कहीं भी प्रवेश करने से पहले बड़ों से अनुमति लेनी चाहिए।
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