शिशु

ग्रे बेबी सिंड्रोम – कारण, लक्षण, इलाज और अन्य जानकारी

हर माँ एक स्वस्थ बच्चे की कामना करती है। इसलिए सही खानपान, सही एक्सरसाइज और सही मेडिकल केयर के साथ अपनी पूरी प्रेगनेंसी के दौरान अपना ख्याल रखना बहुत जरूरी होता है। आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए, कि डॉक्टर से परामर्श लिए बिना कोई भी दवा आपको नहीं लेनी चाहिए, क्योंकि कुछ खास दवाओं के कारण आपके बच्चे में कुछ गंभीर जन्मजात बीमारियां या अन्य स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां पैदा हो सकती हैं। ग्रे बेबी सिंड्रोम भी ऐसी ही एक स्थिति है। 

ग्रे बेबी सिंड्रोम क्या है?

यह स्वास्थ्य की संभावित जानलेवा स्थिति है, जो कि एक नवजात शिशु या प्रीमेच्योर बच्चे में हो सकती है। यह सिंड्रोम मां या बच्चे को एंटीबायोटिक क्लोरम्फेनिकोल के ओवरडोज दिए जाने के कारण हो सकता है। चूंकि बच्चे इस ड्रग की अधिक खुराक को ब्रेकडाउन करने में सक्षम नहीं होते हैं, ऐसे में यह खून में इकट्ठा हो सकता है, जिसके कारण कार्डियोवैस्कुलर कोलेप्स हो सकता है। इलाज न होने या देर से होने वाली पहचान के मामलों में इसकी मृत्यु दर 40% है। 

ग्रे बेबी सिंड्रोम के अन्य नाम

ग्रे बेबी सिंड्रोम को निम्नलिखित नामों से भी जाना जाता है: 

  • क्लोरम्फेनिकोल टॉक्सिसिटी इन न्यूबॉर्न्स
  • क्लोरम्फेनिकोल टॉक्सिसिटी इन नियोनेट्स
  • ग्रे सिंड्रोम फ्रॉम क्लोरम्फेनिकोल एडमिनिस्ट्रेशन इन न्यूबॉर्न

यह किसे हो सकता है (लिंग और आयु आधारित वितरण)?

यह सिंड्रोम आमतौर पर बच्चे के जन्म के बाद जल्द ही दिखता है और यह दोनों लिंग के बच्चों में समान रूप से देखा जाता है। जो बच्चे समय से पहले जन्म लेते हैं, उनमें दवा के मेटाबॉलिज्म और शरीर से बाहर निकालने में शामिल शारीरिक अंगों की अपरिपक्वता के कारण कॉम्प्लिकेशंस पैदा होने का खतरा अधिक होता है। 2 साल तक के बच्चों में इसका खतरा अधिक होता है, लेकिन फिर भी यह खतरा नवजात शिशुओं से कम होता है। स्टडीज से किसी प्रकार के नस्लीय या एथेनिक झुकाव का भी पता नहीं चलता है। 

क्लोरम्फेनिकोल क्या है?

क्लोरम्फेनिकोल एक एंटीबायोटिक है और जब मेनिनजाइटिस जैसी बैक्टीरियल इन्फेक्शन का इलाज करने में दूसरी दवाएं फेल हो जाती हैं, तब इसका इस्तेमाल किया जाता है। एक से एक नई दवाओं के कारण और ग्रे बेबी सिंड्रोम के खतरे के कारण, क्लोरम्फेनिकोल का इस्तेमाल कई सालों से कम हो चुका है। यह दवा बैक्टीरियल कंजंक्टिवाइटिस का इलाज करने में इस्तेमाल की जाने वाली आई ड्रॉप्स और मलहम में पाई जाती है और इसे बोन मैरो टॉक्सिसिटी के कारण के रूप में भी जाना जाता है। आमतौर पर, इसे मरीज को मुंह से या इंट्रा मस्कुलर तरीके या इंट्रावेनस तरीके से दिया जाता है। 

ग्रे बेबी सिंड्रोम के कारण

क्लोरम्फेनिकोल का इस्तेमाल ग्रे बेबी सिंड्रोम का प्रमुख कारण है। नवजात शिशु, विशेषकर समय से पहले पैदा होने वाले शिशु, क्लोरम्फेनिकोल की अधिक मात्रा को प्रोसेस करने में सक्षम नहीं होते हैं, जिसके कारण यह ब्लड स्ट्रीम में टॉक्सिक लेवल तक इकट्ठा हो जाता है, जिसके कारण यह जानलेवा हो सकता है। कुछ विशेष बैक्टीरियल इंफेक्शन के इलाज के लिए गर्भवती महिलाओं को भी क्लोरम्फेनिकोल दिया जा सकता है और यह गर्भस्थ शिशु तक पहुंच सकता है। स्तनपान कराने वाली जिन मांओं को क्लोरम्फेनिकोल दिया जाता है, उनमें ब्रेस्ट मिल्क के माध्यम से यह बच्चे तक पहुंच सकता है।

ग्रे बेबी सिंड्रोम का खतरा

जब जन्म के शुरुआती 3 दिनों के अंदर खून में ड्रग लेवल को मॉनिटर किए बिना, नवजात शिशु को क्लोरम्फेनिकोल दिया जाता है, तब उन्हें इस स्थिति का खतरा हो सकता है। प्रीमेच्योर और कमजोर या कम वजन वाले बच्चों में ग्रे बेबी सिंड्रोम होने का खतरा अधिक होता है। जिन गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को यह दवा दी जाती है, उनके बच्चों को भी इसका खतरा होता है। 

इसकी पहचान कैसे की जाती है?

बच्चे को यह दवा देने के 2 से 9 दिनों के बाद, इसके संकेत और लक्षण दिखने लगते हैं। इसकी पहचान के लिए, पूरी शारीरिक जांच के साथ-साथ, बच्चे और उसकी मां को दिए जाने वाले मेडिकल ट्रीटमेंट का एनालिसिस किया जाता है। खून में मौजूद क्लोरम्फेनिकोल के स्तर को भी नियमित अंतराल पर मापा जाता है और किसी निर्णय तक पहुंचने से पहले कुछ अन्य टेस्ट भी किए जा सकते हैं। 

ग्रे बेबी सिंड्रोम के लक्षण

इलाज की शुरुआत के बाद 2 से 9 दिनों के बीच कभी भी इस स्थिति के लक्षण दिखने शुरू हो सकते हैं। इनमें निम्नलिखित लक्षण शामिल हैं: 

  • उल्टी
  • सुस्ती
  • लो ब्लड प्रेशर
  • शरीर का तापमान कम होना
  • होंठ और त्वचा पर नीलापन
  • त्वचा तक जाने वाले ब्लड सर्कुलेशन में कमी, जिसके कारण उसका रंग स्लेटी होना
  • जौंडिस
  • एब्डोमिनल डिस्टेंशन
  • हरे रंग का मल
  • अनियमित हार्टबीट
  • सांस लेने में परेशानी और ब्रेस्टफीड न करना

संभावित कॉम्प्लिकेशंस

अगर बीमारी की पहचान और इलाज की शुरुआत में देर हो जाए, तो इससे कई तरह के खतरे हो सकते हैं, जो कि नीचे दिए गए हैं: 

  • ब्लड सर्कुलेशन में समस्याएं, जिसके कारण कार्डियोवैस्कुलर कोलेप्स हो सकता है। इसके कारण कमजोरी, शॉक, ऑर्गन फैलियर, कन्फ्यूजन या मृत्यु भी हो सकती है।
  • बोन मैरो डिप्रेशन, जिसमें शरीर नए प्लेटलेट्स और अन्य ब्लड सेल्स का निर्माण बंद कर देता है, जिसके कारण ब्लीडिंग और इन्फेक्शन हो सकते हैं।
  • सेकेंडरी डिसऑर्डर या इन्फेक्शन, जो कि बच्चों, विशेषकर कमजोर और प्रीटर्म बच्चों की स्थिति को और भी बिगाड़ सकते हैं।
  • एनीमिया, कमजोर दृष्टि जैसी लॉन्ग टर्म समस्याएं।

ग्रे बेबी सिंड्रोम का इलाज

इस बीमारी से जीतने का सबसे बेहतर तरीका है, जल्द इलाज की शुरुआत और इसका पहला कदम हो सकता है, बच्चे को यदि अभी भी वह दवा दी जा रही हो तो उसे बंद करना। अगर आपको क्लोरम्फेनिकोल दिया जा रहा है, तो आपको सबसे पहले ब्रेस्टफीडिंग बंद कर देनी चाहिए। बच्चे को इलाज के लिए हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ेगा, जिसमें निम्नलिखित प्रक्रियाएं शामिल हैं: 

  • एक्सचेंज ट्रांसफ्यूजन: यहां आपके बच्चे के खून का ज्यादातर हिस्सा निकाला जाएगा और कैथेटर के इस्तेमाल से उसके ब्लड ग्रुप से मैच करता हुआ ताजा खून या प्लाज्मा उसके शरीर में डाला जाएगा।
  • हीमोडायलिसिस: इसके साथ आपके बच्चे के खून से टॉक्सिन बाहर निकाले जाएंगे और बच्चे के ब्लड प्रेशर को स्टेबलाइज करने के लिए पोटैशियम और सोडियम के लेवल में संतुलन लाया जाएगा।

इनके अलावा, ऑक्सीजन थेरेपी या हेमोपरफ्यूजन भी किया जा सकता है, ताकि बच्चे को रिकवर होने में मदद मिल सके।

इस स्थिति से कैसे बचें?

बच्चे के लिए दवा के रूप में क्लोरम्फेनिकोल से बचना और गर्भावस्था या स्तनपान के दौरान, इसका इस्तेमाल न करना, इस स्थिति से बचने का सबसे बेहतर तरीका है। अगर आपको कोई खतरा है, और क्लोरम्फेनिकोल प्रिसक्राइब की गई है, तो अपने डॉक्टर को कोई अन्य दवा देने को कहें। 

ग्रे सिंड्रोम का निदान

ग्रे बेबी सिंड्रोम के लिए एक अच्छी प्रोग्नोसिस उपलब्ध है। क्लोरम्फेनिकोल दोषी है और शुरुआती पहचान होने पर इस दवा को तुरंत बंद कर देने से इस स्थिति को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। लेकिन इस ड्रग की मौजूदगी की पहचान में थोड़ी सी भी देर होने पर, यह जानलेवा साबित हो सकता है। बच्चे के संपूर्ण स्वास्थ्य और स्थिति के आधार पर प्रोग्नोसिस बदल सकती है। प्रीटर्म बच्चे और कुपोषित बच्चे, स्वस्थ और फुल टर्म बच्चों की तरह व्यवहार नहीं सकते हैं। 

निष्कर्ष

हालांकि क्लोरम्फेनिकोल खतरनाक हो सकती है, लेकिन आमतौर पर, एक डॉक्टर के निर्देश में इसे लेने से और केवल इसकी प्रिसक्राइब्ड खुराक लेने से ग्रे बेबी सिंड्रोम नहीं होता है। ऐसे मामलों में ब्लड लेवल पर लगातार नजर रखी जाती है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके, कि खून में यह दवा अधिक मात्रा में मौजूद नहीं है। अन्य सुरक्षित विकल्पों के उपलब्ध होने के कारण क्लोरम्फेनिकोल का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर घट चुका है। 

डिस्क्लेमर: यह जानकारी केवल एक गाइड है और किसी क्वालिफाइड प्रोफेशनल की मेडिकल सलाह का विकल्प नहीं है। अतः निर्णय लेने से पहले, अपने डॉक्टर से परामर्श लें। 

यह भी पढ़ें: 

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शिशुओं में एडवर्ड सिंड्रोम होना
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पूजा ठाकुर

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