हाथ, पैर व मुँह रोग (एच.एफ.एम.डी.) एक संक्रामक वायरल बीमारी है जो दस साल से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है। यह ‘कॉक्सास्की’ ‘ वायरस के कारण होती है। यह वायरस गंदे हाथों, मल से दूषित सतह, संक्रमित व्यक्ति के मल, अथवा श्वसन स्राव या मल को छूने से फैलता है। इस बीमारी के लक्षणों में शामिल है बुखार, गले में खराश, थकान, दर्दनाक छाले या मुँह और जीभ में घाव, और हाथ, पैर, नितंब, कोहनी और घुटनों के पीछे छाले या चकत्ते/घाव। यह बीमारी एक सप्ताह से दस दिनों के भीतर अपने आप ठीक हो जाती है। इससे टीके द्वारा बचाव नहीं किया जा सकता है और ना ही दवा से इसका उपचार किया जा सकता है। लेकिन, कुछ घरेलू उपचार हैं जो आपके बच्चे को इस बीमारी के लक्षणों से निपटने में मदद कर सकते हैं। एक बार जब आपका बच्चा पूर्ण रूप से ठीक हो जाता है, तो उसे दोबारा यह रोग होने की संभावना बहुत ही कम रह जाएगी, क्योंकि उसके शरीर में इस वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा विकसित हो जाएगी। इस संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए बच्चों को स्वच्छता संबंधी अच्छी आदतें सिखाई जानी चाहिए। उन्हें शौचालय का प्रयोग करने के बाद साबुन से हाथ धोने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उन्हें भोजन से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह से धोना चाहिए।
बच्चों को होने वाले हाथ, पैर व मुँह के रोग के इलाज के लिए कुछ प्राकृतिक घरेलू उपाय निम्नलिखित हैं :
नारियल पानी शरीर को ठंडा करता है और पेट के लिए हल्का होता है। इसमें कई प्रकार के विटामिन, खनिज, इलेक्ट्रोलाइट्स और एंटीऑक्सिडेंट मौजूद होते हैं। इसमें लॉरिक एसिड भी होता है जो वायरस से लड़ता है। एच.एफ.एम.डी से पीड़ित बच्चे को नारियल पानी देने से उसे मुँह में दर्द से राहत मिल सकती है और उसके शरीर में पानी की आवश्यकता पूरी हो सकती है। आप नारियल के पानी को फ्रीज भी कर सकती हैं और अपने बच्चे को उन बर्फ के टुकड़ों को चबाने को दे सकती हैं ताकि मुँह के घावों का दर्द कम हो सके।
मुँह की स्वच्छता बनाए रखने की यह एक पुरानी आयुर्वेदिक पद्धति है। यह एच.एफ.एम.डी के कारण होने वाले मुँह के घावों में राहत देने में भी मदद करती है। मूंगफली, तिल या नारियल जैसे किसी भी तेल का एक बड़ा चम्मच लें, और अपने बच्चे को उसे मुँह में 5 से 10 मिनट के लिए घुमाने और फिर उसे थूकने को कहें। सुनिश्चित करें कि वह तेल को मुँह में घुमाने के बाद उसे निगल न ले।
कॉड-लिवर तेल में विटामिन ए, डी, और ई होता है। यह शरीर की प्रतिरक्षण क्षमता को बढ़ाता है और इसमें एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं। यह एच.एफ.एम.डी से छुटकारा पाने के लिए एक अच्छा उपाय है। इसे कैप्सूल के रूप में बच्चे को दिया जा सकता है या फिर जूस या दही में इस तेल को मिलाकर बच्चे को दिया जा सकता है। इसे कैप्सूल के रूप में या फिर इस तेल को जूस या दही में मिलाकर बच्चे को दिया जा सकता है।
एकिनेसिया एक जड़ी-बूटी है जो डेज़ी फूल के परिवार से है। इसमें एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं। यह जड़ी-बूटी प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाती है और बुखार, सर्दी और एच.एफ.एम.डी जैसे अन्य संक्रमणों के लक्षणों को कम करती है। एकिनेसिया का सेवन कैप्सूल के रूप में किया जा सकता है या चाय बनाने के लिए इसकी पत्तियों को पानी में उबालकर और इसमें शहद मिलाकर इसे पिया जा सकता है।
लैवेंडर का तेल एक बहुत अच्छा कीटाणुनाशक है जो वायरस से लड़ता है। इसमें राहत देने और शिथिल करने वाले गुण भी होते हैं और यह आपके बच्चे को बेहतर तरीके से सोने में मदद कर सकता है। आप अपने बच्चे के स्नान के पानी में लैवेंडर के तेल की कुछ बूँदें डाल सकती हैं या इसे कमरे में एक एसेन्शियल ऑयल डिफ्यूज़र के माध्यम से फैला सकती हैं।
नींबू का एसेन्शियल ऑयल एक और कीटाणुनाशक है। आप इस तेल की कुछ बूंदों अपने बच्चे के स्नान करने के पानी में डाल सकती हैं ताकि उसे वायरस से लड़ने में मदद मिल सके और उसकी त्वचा को पोषण मिल सके। आप नारियल या जैतून के तेल जैसे कैरियर ऑयल में इसकी कुछ बूंदों को भी मिला सकती हैं और घावों व चकत्तों पर लगा सकती हैं।
मुलेठी की जड़ में एंटी-वायरल गुण होते हैं और इसका प्रयोग विभिन्न वायरल संक्रमणों के इलाज के लिए घरेलू उपचार के रूप में किया जाता है। इसमें ट्राइटरपेनॉइड नामक एक रसायन होता है जो प्रतिरक्षा को बढ़ाता है। यह गले और अन्नप्रणाली के अंदरूनी हिस्से में बलग़म का एक पतली परत भी बनाता है, जिससे घावों की पीड़ा को कम करने में मदद मिलती है। पानी में मुलेठी की कुछ जड़ों को उबालें, फिर छान लें और इसमें शहद डालकर अपने बच्चे को पिलाएं। लेकिन, इसे सावधानी के साथ प्रयोग करें क्योंकि मुलेठी की अत्यधिक खुराक उसके लिए हानिकारक हो सकती है।
अपने बच्चे को दिन में तीन से चार बार गर्म नमक के पानी से कुल्ला करने के लिए कहें, क्योंकि यह उसे दर्दनाक फफोले और मुँह के छालों से राहत देगा। आप इसके लिए साधारण नमक या फिर हिमालयन गुलाबी नमक का प्रयोग कर सकते हैं। यह गुलाबी नमक अधिक प्रभावी होता है क्योंकि यह मुँह के अंदर पीएच स्तर का संतुलन बनाए रखता है। इसके अलावा, नहाने के पानी में रेचक(एप्सोम) नमक मिलाने से शरीर पर घावों की पीड़ा कम हो सकती है और बच्चे को एच.एफ.एम.डी लक्षणों से जल्दी ठीक होने में मदद मिल सकती है। आप रेचक नमक मिश्रित नहाने के पानी में लैवेंडर या नींबू के एसेन्शियल ऑयल की कुछ बूंदें भी मिला सकते हैं। आपके बच्चे को इससे काफी राहत मिलेगी।
लहसुन में तीव्र रोगाणुरोधी गुण होते हैं क्योंकि इसमें काफी मात्रा में सल्फर यौगिक मौजूद होते हैं। आप भोजन में लहसुन को प्रयोग कर सकती हैं, अपने बच्चे को कैप्सूल के रूप में दे सकती हैं, या लहसुन की 3 कलियां पानी में उबालकर हर्बल चाय बना सकती हैं और ठंडा होने पर उसे पीने को दे सकती हैं।
एल्डरबेरी अपने एंटीऑक्सिडेंट गुणों के लिए जाने जाते है जो प्रतिरक्षा क्षमता को बढ़ाते हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बेहतर बनाते हैं। यह शरीर को वायरस से लड़ने के लिए श्लेष्म का उत्पादन करने में मदद करती है। यह शरीर के तापमान को थोड़ा बढ़ा देती है, जिससे वायरस की संख्यावृद्धि और उसका बढ़ना मुश्किल हो जाता है। एल्डरबेरी और शहद का सिरप बनाएं और अपने बच्चे को थोड़ी थोड़ी देर में देती रहें ताकि वह एच.एफ.एम.डी से तेजी से ठीक हो सके।
अदरक में कई एंटी-वायरल रसायन होते हैं। इसके शामक प्रभाव हैं और यह दर्द से राहत भी देता है। अदरक को कूटकर, पानी में डालकर गाढ़ा होने तक उबाले। अब इस चाय को ठंडा करें और शहद के साथ अपने बच्चे को दें।
अस्ट्रैगैलस फलियों के परिवार का एक पौधा है और सैकड़ों वर्षों से पारंपरिक चीनी (चीन देश का) दवा के रूप में इसका प्रयोग किया जाता रहा है। इसे प्रतिरक्षा-प्रणाली को बढ़ाने वाले इसके गुणों के लिए जाना जाता है। यह शरीर में वायरस को संख्यावृद्धि करने से रोकता है। आप इस्तेमाल के लिए ऐस्ट्रालागस मलहम खरीद सकती हैं। आप ऐस्ट्रालागस टी–बैग्स भी खरीद सकती हैं या पानी में एक छोटा चम्मच पीसे हुए ऐस्ट्रालागस की जड़ को उबालकर मिश्रण तैयार कर सकती हैं। इसे छान लें और शहद मिलाकर इस पेय को एच.एफ.एम.डी के लक्षणों को कम करने के लिए अपने बच्चे को पिलाएं।
नारियल के तेल में एंटीवायरल गुण होते हैं। आप नारियल का तेल अपने बच्चे के शरीर पर उन स्थानों पर लगा सकती हैं, जहाँ पर घाव या छाले हों और जल्द ही वो मिट जाएंगे। कुछ लोग यहाँ तक कहते हैं कि मुँह में एक बड़ा चम्मच नारियल तेल लेकर कुल्ला करने से मुँह के छालों में राहत मिलती है। आप अपने बच्चे से इस उपाय को करने के लिए कह सकती हैं अगर वह इसे आसानी से कर सके।
नीम में कई रोगाणुरोधी गुण होते हैं और इसका उपयोग वायरस से होने वाले रोगों के इलाज के लिए सैकड़ों वर्षों से किया जाता आ रहा है। आप अपने बच्चे के शरीर के घावों पर नीम का तेल लगा सकती हैं। आप सूखे नीम के पत्तों का पाउडर बनाकर पानी के साथ इसका पैस्ट बना सकती हैं। जल्दी से ठीक होने के लिए घावों और फफोले पर इस पेस्ट को लगाएं। आप इस्तेमाल के लिए नारियल के तेल और लैवेंडर के तेल की कुछ बूंदों के साथ नीम के तेल को मिला कर भी प्रयोग कर सकती हैं।
भारतीय आंवले में विटामिन सी भरपूर मात्रा में है, जो प्रतिरक्षा के लिए आवश्यक विटामिन है। यह खून को साफ करता है और पाचन में भी मदद करता है। आंवले का जूस के रूप में सेवन किया जा सकता है। आप सूखे आंवले का पाउडर बनाकर और पानी में मिलाकर अपने बच्चे को दे सकती हैं।
अनार में एंटी-ऑक्सिडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी यौगिक होते हैं जो एच.एफ.एम.डी के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं। अपने बच्चे को जल्दी से ठीक करने के लिए उसे अनार का रस दें या अनार के दाने खिलाएं।
एप्पल साइडर सिरका में विटामिन बी और सी होता है। इसमें इंयुलिन नामक एक रसायन भी होता है जो खून में श्वेत रक्त कोशिका (डब्ल्यूबीसी) की संख्या को बढ़ाता है। डब्ल्यूबीसी, हमारे शरीर में वायरस से लड़ने में मदद करते हैं। गले में दर्द से राहत देने के लिए गर्म पानी में 2 चम्मच एप्पल साइडर सिरका मिला कर अपने बच्चे से गरारा कराएं।
केलैन्डयुला एक जड़ी-बूटी है जो गेंदे के फूल के परिवार की है। इन पौधों में जीवाणुरोधी और एंटीवायरल गुण होते हैं। ये सूजन को कम करते हैं, रोग से जल्दी उभरने में मदद करते हैं और मौखिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करते हैं। आप केलैन्डयुला की पंखुड़ियों से चाय बनाकर उसमें शहद मिलाकर अपने बच्चे को दे सकती हैं। आप चकत्तों/घावों में दर्द को कम करने के लिए उन पर केलैन्डयुला मलहम का प्रयोग भी कर सकती हैं।
तुलसी एक जड़ी-बूटी है जिसमें कई औषधीय गुण हैं। यह हानिकारक रोगाणुओं से लड़ती है, सूजन को कम करती है और दर्द से राहत देती है। अपने बच्चे को तुलसी के पत्तों को चबाने के लिए दें, या पत्तियों का रस बनाए, इसे पानी में मिलाकर दिन में कई बार पिलाने से एच.एफ.एम.डी से तेजी से राहत मिलेगी।
एलोवेरा में एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं। यह प्रतिरक्षा भी बढ़ाता है। एलोवेरा में खनिज, विटामिन और कई अन्य यौगिक होते हैं जो त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं। राहत पाने के लिए चकत्तों/घावों और फफोले पर एलो वेरा जेल लगाएं। एच.एफ.एम.डी से जल्दी से छुटकारा पाने के लिए आप अपने बच्चे को एलोवेरा का रस भी दे सकते हैं।
हाथ, पैर व मुँह रोग के लक्षण बच्चों को बहुत परेशान करते हैं और उन्हें चिड़चिड़ा बना सकते हैं। चकत्ते और फफोले छोटे बच्चों के लिए बहुत दर्दनाक हो सकते हैं। तो, लक्षणों से राहत पाने के लिए और अपने बच्चे को जहाँ तक हो सके आराम देने के लिए इन घरेलू उपचारों को आज़माएं।
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