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शेर और हाथी की इस कहानी में शेर अपनी ताकत पर बैठा अफसोस कर रहा होता है कि जंगल का राजा वह है वो और लोग मोर की तारीफ करते हैं। इतने में वहां से एक हाथी गुजरता है और कहता है शेर! तो शेर उससे उसकी परेशानी की वजह पूछता है तो हाथी कहता है – “मेरे इतने विशाल होने के बावजूद भी एक छोटी सी चींटी मुझे बहुत परेशान कर देती है।” तब शेर को अहसास होता है कि मोर तो उसे कभी परेशान भी नहीं करता फिर उसे मोर से ईर्ष्या क्यों होती है। शेर समझ जाता है हर किसी के पास अपनी खूबी और खामी होती है और इस वजह से हमें किसी से जलन नहीं करनी चाहिए। आइए इस मजेदार कहानी को पूरा पढ़ते हैं।
एक घने जंगल में शेर रहता था। एक दिन वो बैठकर अपने बारे में सोचने लगता है कि मैं इतना ताकतवर और बहादुर हूँ, मेरे दांत कितने नुकीले और धारदार हैं और मेरे पंजों की पकड़ भी बहुत मजबूत है। इन सब के बावजूद भी जंगल का हर जानवर मोर की प्रशंसा करता है।
बात यह थी कि अपने अंदर इतनी खूबी पाने के बाद मोर की तारीफ होने से शेर को उससे जलन होती थी। हर कोई मोर की सुंदरता और उसके नृत्य का दीवाना था। शेर जब यह सब सोचता तो दुखी हो जाता। वो सोचता कि आखिर जंगल का राजा होने के बावजूद भी सभी जानवर मोर का गुणगान क्यों किया करते हैं। ऐसे में क्या फायदा हुआ जंगल का राजा होने में?
उसी समय एक हाथी वहां से गुजरता है, जो बहुत दुखी नजर आ रहा था। शेर ने जब हाथी का दुखी चेहरा देखा, तो उससे पूछा- “तुमने इतना विशाल शरीर पाया है और तुम ताकतवर भी हो, फिर क्या वजह है कि तुम उदास हो? आखिर तुम्हें क्या समस्या हो सकती है?” हाथी को दुखी देखकर शेर सोचा कि मैं भी अपना दुःख हाथी के साथ बांट लूं। शेर हाथी से पूछता है कि – “क्या तुम्हें जंगल में कभी किसी जानवर से जलन महसूस हुई है?”
हाथी जवाब देता है – “इस जंगल का सबसे छोटा जानवर भी मेरे जैसे विशाल शरीर वाले जानवर को परेशान कर सकता है।”
शेर ने पूछा- “आखिर वो जानवर कौन है जरा मुझे भी तो बताना?”
हाथी ने उत्तर देते हुए कहा- राजा शेर, वो जानवर कोई और नहीं बल्कि चींटी है। वो मेरे कान में घुसकर मुझे बहुत परेशान कर देती है।
शेर हाथी की बात सुनकर सोचने लगा कि मोर ने मुझे चींटी की तरह कभी भी परेशान नहीं किया, फिर मुझे उससे इतनी जलन क्यों होती है? हम सभी जानवरों को ऊपर वाले ने कुछ खूबियों और कुछ खामियों के साथ इस धरती पर भेजा है। इसलिए हर जानवर सिर्फ खूबी वाला नहीं हो सकता है।
शेर को अब अपनी गलती का अहसास हो चुका था और जो आत्मविश्वास वो अपने से खोता जा रहा था अब वो लौट आया था।
हाथी और शेर की इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें किसी के अंदर पाई जाने वाली अच्छाई या खूबी को देखकर जलन नहीं महसूस करना चाहिए।
यह कहानी पंचतंत्र की कहानियों के अंतर्गत आती जो बहुत बेहद रोचक कहानियों में से एक है।
हाथी और शेर की नैतिक कहानी ये है कि दूसरे की प्रशंसा होते देख कभी जलन भाव अपने अंदर नहीं लाना चाहिए, ईश्वर ने सबको अलग बनाया है और अलग हुनर दिया। इसलिए खुद दूसरे से कम भी न समझे। जैसे हम एक दूसरे से अलग दिखते हैं वैसे हर किसी के अंदर एक अलग खूबी और खामी पाई जाती है।
हाथी को दुखी देखकर शेर ने सोचा मैं भी अपना दुख हाथी के साथ बांट लेता हूँ, लेकिन जब हाथी ने बताया की एक छोटी सी चींटी ने उसे कितना परेशान किया है, तो शेर को अपनी सोच पर शर्मिंदगी होती है।
इस कहानी का तात्पर्य यह है कि अगर हम इस बात पर ज्यादा ध्यान देंगे कि हमारे पास जो है वो कम है और दूसरों के पास जो है वो ज्यादा है तो हम हमेशा दुखी रहेंगे। हमेशा ईश्वर का शुक्र करें कि उन्होंने सबको अलग हुनर के साथ इस दुनिया में भेजा है, तो काम जयादा नहीं हैं बल्कि हर कोई एक दूसरे से अलग है। इसलिए किसी से ईर्ष्या न करें। बच्चों को ऐसी ही मजेदार कहानियों को सुनाने का सिलसिला जारी रखें।
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