टॉडलर (1-3 वर्ष)

एचआईबी (हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी) वैक्सीन

जब कोई वैक्सीन आपके शरीर में प्रवेश करती है, तब शरीर बिल्कुल वैसे ही रिएक्ट करता है, जैसा उसी ऑर्गेनिज्म के द्वारा संक्रमित होने पर करता है। पर यहां पर फर्क यह है, कि वैक्सीन में मौजूद ऑर्गेनिज्म आपके शरीर को नुकसान पहुंचाने में सक्षम नहीं होते हैं। वैक्सीन में मौजूद जर्म्स की मात्रा बहुत ही कम होती है और वे केवल सौम्य रिएक्शन ही पैदा कर सकते हैं। 

वैक्सीनेशन के बाद चूंकि शरीर ऑर्गेनिज्म के संपर्क में आ चुका होता है, इम्यून सिस्टम अवगत हो जाता है और उसे पता होता है, कि उसी कीटाणु के द्वारा हमला होने पर उसे क्या करना है। इस प्रकार अगर जीवन में आगे चलकर आप इस जर्म के संपर्क में आते हैं, तो आपका इम्यून सिस्टम (आपके इम्यून सिस्टम में मौजूद मेमोरी टी सेल उस कीटाणु को याद रखने का काम करता है) एक्टिवेट हो जाता है और जर्म शरीर को कोई नुकसान पहुंचा सके इसके पहले ही उसे मार दिया जाता है। 

अगर इम्यून सिस्टम द्वारा समस्या का हल निकालने तक वैक्सीन न दी गई हो, तो जर्म्स से होने वाला नुकसान जानलेवा भी हो सकता है। तो फिर, कुछ मामलों में वैक्सीनेशन के बाद साइड इफेक्ट क्यों होते हैं? ऐसा इसलिए है, क्योंकि जैसा कि पहले बताया गया है, शरीर रिएक्ट करता है और इसके कारण ही साइड इफेक्ट होते हैं। ऐसे में आने वाला बुखार और कुछ नहीं, बल्कि ऑर्गेनिज्म से लड़ने के लिए शरीर का बढ़ाया हुआ तापमान होता है। यह जर्म के कारण नहीं होता है। 

एचआईबी वैक्सीन क्या है?

एचआईबी वैक्सीन एक इंजेक्शन होता है, जिसे हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप बी इंफेक्शन से सुरक्षा के रूप में दिया जाता है। इसमें मृत एच. इन्फ्लुएंजा बैक्टीरिया के कैप्सूल का एक हिस्सा होता है। एच. इन्फ्लुएंजा 6 प्रकार के होते हैं (जिन्हें ए, बी, सी, डी, ई, एफ का नाम दिया गया है), जो अलग-अलग बीमारियों का कारण बनते हैं। एचआईबी वैक्सीन विशेषकर टाइप बी बैक्टीरिया से लड़ता है और अन्य प्रकार के बैक्टीरिया से सुरक्षा नहीं देता है। एच. इन्फ्लुएंजा टाइप बी वैक्सीन एक कंजुगेटेड वैक्सीन होती है। 

एचआईबी वैक्सीन किसे लेनी चाहिए?

एचआईबी वैक्सीन को 5 साल से कम उम्र के हर बच्चे को रेकमेंड किया जाता है। इसके प्रभाव के लिए इसकी सभी खुराक लेना जरूरी होता है। बड़े बच्चे जिन्हें पहले वैक्सीन नहीं लगाई गई थी और हाई रिस्क वयस्क फिर चाहे उन्हें पहले वैक्सीन क्यों न दी गई हो, विशेष परिस्थितियों में उन्हें भी वैक्सीन दी जानी चाहिए। 

रेकमेंडेड एचआईबी वैक्सीन शेड्यूल

एचआईबी वैक्सीन मोनोवैलेंट वैक्सीन या अन्य वैक्सीन के कॉम्बिनेशन के रूप में उपलब्ध होती है।

1. रेकमेंडेड खुराक

एचआईबी वैक्सीन का रेकमेंडेड शेड्यूल, दो या तीन खुराक का होता है, जो कि इस बात पर निर्भर करता है, कि 2 महीने की उम्र में किस तरह के वैक्सीन से शुरुआत की गई है। हर खुराक को 8 सप्ताह की अवधि पर दिया जाता है। इन प्राइमरी एचआईबी वैक्सीन डोज के बाद 12 से 15 महीने की उम्र में बूस्टर डोज रेकमेंड किया जाता है और इसमें पिछली खुराक से कम से कम 8 सप्ताह का अंतर होना जरूरी है। 

2. रेकमेंडेड उम्र

वैक्सीन की खुराक किस प्रकार दी जाती है, उसके बारे में यहां दिया गया है: 

  • पहली खुराक: 2 महीने की उम्र में
  • दूसरी खुराक: 4 महीने की उम्र में
  • तीसरी खुराक: 6 महीने की उम्र में (जरूरत पड़ने पर)
  • अंतिम/बूस्टर खुराक: 12 से 15 महीने की उम्र में

भारत सरकार ने पेंटावेलेंट वैक्सीन (एलपीवी) के इस्तेमाल को रेकमेंड किया है, जो कि एचआईबी के साथ चार अन्य वैक्सीन का एक कॉम्बिनेशन होता है: 6 सप्ताह, 10 सप्ताह और 14 सप्ताह की उम्र में डीपीटी और हेप बी की तीन खुराक। 12 से 15 महीने की उम्र में एचआईबी के बूस्टर डोज को आईएपी (इंडियन एसोसिएशन ऑफ पीडियाट्रिक्स) द्वारा रेकमेंड किया जाता है। लेकिन इसे भारत सरकार के यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन शेड्यूल में शामिल नहीं किया गया है। 

एचआईबी वैक्सीन के क्या फायदे होते हैं?

एचआईबी एक गंभीर, आक्रामक और जानलेवा बीमारी है। इसके जर्म्स संक्रमित व्यक्ति के सेक्रेशन की ड्रॉपलेट्स के संपर्क के साथ बहुत आसानी से फैलते हैं। यानी कि एक संक्रमित व्यक्ति के पास केवल सांस लेने भर से आप संक्रमित हो सकते हैं और आपको पता भी नहीं चलता है। केवल नाक और कंठ में जर्म्स मौजूद होने पर आप बीमार नहीं होते हैं। यह तब होता है जब ये कीटाणु आपके फेफड़ों और खून तक पहुंच जाते हैं। इसका यह भी मतलब है, कि आपके पास बैठा व्यक्ति पूरी तरह से स्वस्थ हो सकता है और केवल उसकी एक छींक या खांसी संक्रामक हो सकती है। एचआईबी वैक्सीन संक्रमित होने के बावजूद एक आक्रामक संक्रमण से बचाती है। जब से एचआईबी वैक्सीन का इस्तेमाल शुरू हुआ है, तब से इस के मामलों में 99% तक की कमी आई है। अमेरिका में एचआईबी वैक्सीन से पहले 5 साल से कम उम्र के लगभग 20,000 बच्चे हर साल एचआईबी बीमारी से प्रभावित हुए, जिनमें से 3% से 6% बच्चों की मृत्यु हुई। 

क्या बच्चे को एचआईबी वैक्सीन जरूर देनी चाहिए?

5 साल से कम उम्र के सभी बच्चों को एचआईबी से संक्रमित होने का खतरा बहुत अधिक होता है। इस खतरनाक बैक्टीरिया के कारण मेनिनजाइटिस (मस्तिष्क और स्पाइनल कॉर्ड को ढकने वाली मेंब्रेन में इन्फ्लेमेशन) हो सकता है, जिसके कारण मस्तिष्क डैमेज हो सकता है और बहरेपन की समस्या आ सकती है। इसके कारण निमोनिया, एपिग्लोटाइटिस (कंठ में सूजन के कारण सांस लेने में कठिनाई), खून, जोड़ों, हड्डियों और हृदय के इंफेक्शन और मृत्यु भी हो सकती है। इसलिए इसमें कोई संदेह नहीं है, कि बचाव इलाज से बेहतर है। 

एचआईबी वैक्सीन लेने से किसे बचना चाहिए?

  • 6 सप्ताह से कम उम्र के बच्चे को एचआईबी वैक्सीन नहीं देनी चाहिए।
  • एक स्वस्थ वयस्क को एचआईबी वैक्सीन की जरूरत नहीं होती है।
  • अगर वैक्सीन या वैक्सीन में मौजूद किसी कंपोनेंट के कारण पहले ली गई खुराक के प्रति गंभीर एलर्जिक रिएक्शन दिखे हों, तो अपने डॉक्टर को बताएं। यह जानलेवा भी हो सकता है।
  • अगर वैक्सीनेशन वाले दिन बच्चा अस्वस्थ महसूस कर रहा हो, तो अपने डॉक्टर को बताएं। हल्की अस्वस्थता ठीक है, लेकिन मध्यम से गंभीर बीमारी की स्थिति में वैक्सीन नहीं लेनी चाहिए। ऐसे में बच्चे के स्वस्थ होने तक इंतजार करें।
  • एचआईबी वैक्सीन गर्भवती महिलाओं के लिए सी-कैटेगरी में आती है। अगर इसे लेना जरूरी हो, तो सावधानी के साथ इस्तेमाल करें।

एचआईबी वैक्सीन के क्या साइड इफेक्ट हो सकते हैं?

किसी भी वैक्सीनेशन से हल्के साइड इफेक्ट हो सकते हैं और एचआईबी वैक्सीन के साथ भी ऐसा ही है। वैक्सीन लगाने से पहले डॉक्टर एचआईबी वैक्सीन के खतरों और फायदों का मूल्यांकन करेंगे और इस पर विचार करेंगे। इसके गंभीर साइड इफेक्ट भले ही दुर्लभ हों, लेकिन संभव तो होते ही हैं। ज्यादातर मामलों में किसी भी तरह के साइड इफेक्ट का अनुभव नहीं होता है। हल्के साइड इफेक्ट में वैक्सीन वाली जगह पर दर्द, रेडनेस और सूजन एवं हल्का बुखार शामिल है। 

बच्चा चिड़चिड़ा हो सकता है और उसे नींद आ सकती है। एलर्जिक रिएक्शन सौम्य हो सकते हैं या फिर इतने गंभीर भी हो सकते हैं कि इमरजेंसी मेडिकल केयर की जरूरत पड़ जाए। ऐसे गंभीर रिएक्शन बहुत दुर्लभ होते हैं और यह एक मिलियन खुराक में से किसी एक में पाया जाता है। बड़े बच्चों या वयस्कों को चक्कर आ सकते हैं या सिरदर्द हो सकता है या फिर उन्हें उल्टी और डायरिया की समस्या हो सकती है 

आपको क्या सावधानी बरतनी चाहिए?

अगर बच्चा बीमार महसूस कर रहा हो, तब उसे वैक्सीन देने से बचें। अपने बच्चे के टीकाकरण रिकॉर्ड को मेंटेन करें और हर बार उसे अपडेट करें। स्कूल या डे केयर सेंटर को बच्चे के इंजेक्शन के बारे में जानकारी दें और किसी भी तरह के गंभीर संकेत दिखने पर अवगत कराने को कहें। किसी भी तरह के खतरनाक संकेत पर नजर रखें और जरूरत पड़ने पर तुरंत अपने डॉक्टर से परामर्श लें। 

आपको डॉक्टर से कब मिलना चाहिए?

नीचे दिए गए कोई भी संकेत, खासकर शुरुआती तीन-चार दिनों के अंदर दिखें, तो आपको तुरंत अपने डॉक्टर के पास जाना चाहिए: 

  • तेज बुखार
  • चेहरे या मुंह की सूजन
  • सांस लेने में कठिनाई
  • हाईव्स
  • कन्वल्जन या सीजर
  • फीकी रंगत
  • सुस्ती
  • कमजोरी
  • तेज हृदय गति
  • अन्य गंभीर समस्याएं

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1. एचआईबी वैक्सीन लेने के बाद भी क्या मेरे बच्चे को मेनिनजाइटिस हो सकता है?

इसकी थोड़ी संभावना तो होती है, खासकर यदि खुराक पूरे न किए गए हों तो। लेकिन एक पूरी तरह से वैक्सीनेटेड बच्चे में एचआईबी संक्रमण का हमला आमतौर पर नहीं देखा जाता है। साथ ही एचआईबी के अलावा अन्य कारणों से भी मेनिनजाइटिस होने की संभावना होती है। 

2. अगर मेरे बच्चे की एचआईबी वैक्सीन की कोई खुराक छूट जाए तो क्या होगा?

यदि पहली खुराक देने में एक महीने से अधिक समय की देर हो जाती है, तो यहां पर इसकी आपूर्ति के लिए एक कैच-अप शेड्यूल दिया गया है: 

  • 7 से 11 महीने की उम्र में पहली खुराक: 4 सप्ताह के बाद दूसरी खुराक: तीसरी खुराक छोड़ दें और बूस्टर खुराक सामान्य रूप से दें।
  • 12 से 14 महीने की उम्र में पहली खुराक: 8 सप्ताह के बाद दूसरी खुराक: इसके बाद और कोई खुराक नहीं दी जाती है।
  • 15 से 59 महीने की उम्र में पहली खुराक: इसके बाद कोई खुराक नहीं दी जाती है।
  • 5 वर्ष या इससे अधिक उम्र के बच्चों को अगर पहले खुराक न दी गई हो, तो उन्हें इसका अधिक खतरा नहीं होता है और उन्हें इस कैच-अप वैक्सीनेशन की जरूरत नहीं होती है।

3. क्या एचआईबी वैक्सीन को अन्य वैक्सीन के साथ दिया जा सकता है?

हां, कॉम्बिनेशन वैक्सीन उपलब्ध होती हैं, जहां अन्य वैक्सीन के साथ इसे भी दिया जाता है। 

निष्कर्ष

बच्चों और वयस्कों के लिए जानलेवा संक्रमण से सुरक्षा देने के लिए एचआईबी वैक्सीनेशन जरूरी है। इस बात का ध्यान रखें, कि अपने बच्चे के बेहतर स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए, रेकमेंडेड वैक्सीनेशन प्रोग्राम के अनुसार वैक्सीन लगवाती रहें और बच्चे को अपडेट रखें। 

यह भी पढ़ें:

बच्चों में वैक्सीनेशन के 5 कॉमन साइड इफेक्ट्स
बच्चों के लिए न्यूमोकोकल टीकाकरण – पूरी जानकारी
विभिन्न बीमारियों के लिए बचपन में लगाई जाने वाली वैक्सीन

पूजा ठाकुर

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