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बच्चे का जन्म जीवन की सबसे बड़ी खुशियों में से एक होता है। पहली बार माता-पिता बने किसी भी कपल से पूछिए, वे इस बात की हामी भरेंगे। अपनी बाहों में पहली बार एक नवजात शिशु को पकड़ने की भावना अद्भुत होती है। उन पलों में उत्साह अपने चरम पर होता है। यदि आप हाल ही में माता-पिता बने हैं, तो हमें यकीन है कि आप समझ सकते हैं कि हम क्या कह रहे हैं।
दुर्भाग्यवश, कुछ जोड़े ऐसे होते हैं जो इस आनंद का अनुभव नहीं कर पाते। बार-बार कोशिश करने के बाद भी वे गर्भधारण करने में असमर्थ रहते हैं। बांझपन के कई कारण होते हैं लेकिन उसके लिए निदान व उपचार भी हैं। एचएसजी यानि हिस्टेरोसाल्पिंगोग्राम उनमें से ही एक है।
हिस्टेरोसाल्पिंगोग्राम जिसे आमतौर पर एचएसजी से जाना जाता है एक ऐसी प्रक्रिया है जो एक महिला के गर्भाशय की जांच करने के लिए एक्स-रे का उपयोग करती है और इसमें यह देखा जाता है कि क्या फैलोपियन ट्यूब क्लियर हैं। इस एक्स-रे प्रक्रिया में तस्वीर लेने के लिए गर्भाशय में सर्विक्स के माध्यम से एक आयोडीन डाई डाली जाती है। पूरी प्रक्रिया में 10 मिनट से भी कम समय लगता है और इसमें चिंता करने जैसा कुछ नहीं है।
एचएसजी टेस्ट में, आमतौर पर आयोडीन की डाई को सर्विक्स के माध्यम से महिला के गर्भाशय में इंजेक्ट किया जाता है और फिर एक्स-रे द्वारा फोटो लिए जाते हैं। डाई फैलोपियन ट्यूब तक पहुँचती है और डॉक्टर को एक्स-रे में स्पष्ट तस्वीरें देती है। इससे उन्हें अधिक सटीकता के साथ बांझपन के कारण को समझने में मदद मिलती है। यदि ट्यूब्स में कोई चोट या रुकावट होती है, तो यह बाद में ली गई तस्वीरों में दिखाई देती है। इससे बांझपन का कारण पता चलता है, और उसके हिसाब से इलाज किया जाता है।
जबकि एचएसजी टेस्ट मुख्य रूप से इसलिए किया जाता है कि बांझपन की समस्या का इलाज कैसे किया जाए, फिर भी यह देखा गया है कि यह टेस्ट करवाने से ही माँ न बन सकने वाली महिलाओं में स्वाभाविक रूप से गर्भवती होने की संभावना बढ़ जाती है। माना जाता है कि एचएसजी टेस्ट के बाद गर्भावस्था की दर उन महिलाओं की तुलना में लगभग 2 से 3 गुना अधिक हो जाती है, जिन्होंने पहले यह परीक्षण नहीं कराया था। यह परीक्षण स्वयं बांझपन का इलाज नहीं है; यह केवल बांझपन के कारणों को समझने के लिए किया जाता है। लेकिन कई महिलाएं इस टेस्ट को करवाने के बाद गर्भवती हो जाती हैं। हालांकि इसके पीछे क्या कारण है यह पता नहीं चला है। एचएसजी परीक्षण के बाद महिला का गर्भवती होना, केवल एक संयोग हो सकता है। यह टेस्ट करने की प्रक्रिया के दौरान किसी अज्ञात कारण से भी हो सकता है। यद्यपि एचएसजी परीक्षण किसी भी तरह से बांझपन का उपचार नहीं है, फिर भी महिलाओं में इस परीक्षण के बाद गर्भवती होने की संभावना ज्यादा होती है। इसलिए, निश्चित रूप से इसे एक बार करवाया जा सकता है।
टेस्ट के एक भाग में सर्विक्स के माध्यम से महिला के गर्भाशय में डाई इंजेक्ट करना शामिल है। ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि एक्स-रे स्पष्ट हो जाए और डॉक्टर सर्विक्स के भीतर होने वाले किसी भी संभावित नुकसान या चोट की पहचान कर सकें। टेक्निशन गर्भाशय में डाई इंजेक्ट करने के बाद गर्भाशय के आकार को और अधिक स्पष्ट रूप से देख पाएंगे। हालांकि, इस विपरीत एक और प्रक्रिया होती है, ट्यूबल फ्लशिंग। ट्यूबल फ्लशिंग का मतलब है कि इंजेक्ट की हुई डाई फैलोपियन ट्यूब के रास्ते में किसी भी रुकावट को साफ करने का काम भी करती है, जिससे शुक्राणु को अंडे तक पहुँचने के लिए तैरने में आसानी होती है। यह शुक्राणु को अंडे को निषेचित करने में मदद करता है और गर्भावस्था की संभावना को बढ़ाता है। यदि ट्यूबल फ्लशिंग को चिकित्सीय उपाय के रूप में किया जाता है, तो बाद में एक्स-रे लेने की आवश्यकता नहीं है। ट्यूबल फ्लशिंग को वॉटर सॉल्युबल, ऑयल सॉल्युबल, या संयुक्त कॉन्ट्रास्ट के साथ किया जा सकता है।
जब पानी में घुलनशील कॉन्ट्रास्ट या संयुक्त कॉन्ट्रास्ट का उपयोग किया जाता है तो गर्भवती होने की संभावना में कोई बहुत ज्यादा सुधार नहीं होता है। हालांकि, तेल में घुलनशील कॉन्ट्रास्ट का उपयोग करने से गर्भधारण हो सकता है। जिन जोड़ों ने इस तरीके से टेस्ट करवाया उनके गर्भधारण की संभावना में लगभग 25% की वृद्धि हुई।
यदि आपको इस प्रक्रिया से गुजरने के दौरान अपने गर्भाशय की सुरक्षा और स्वास्थ्य के बारे में संदेह है, तो हमने आमतौर पर जोड़ों को पड़ने वाले कुछ सामान्य सवालों के जवाब यहाँ दिए हैं। जानिए –
एक्स-रे किसी भी तरह से अंडों को प्रभावित नहीं करता है, क्योंकि निषेचन होने से पहले अंडे हमेशा परिपक्व होने की स्थिति में होते हैं। जब एक्स-रे किया जाता है, तो बहुत कम रेडिएशन होता है जो महिला के शरीर से होकर गुजरता है और यह किसी भी तरह से अंडों को नुकसान नहीं पहुँचाता है। यह बढ़ते भ्रूण को भी नुकसान नहीं पहुँचाता है।
गर्भावस्था के दौरान इंजेक्शन लगाने पर डाई भ्रूण यानि फीटस को नुकसान पहुँचा सकती है। हालांकि, यह किसी भी तरह से अंडे या एम्ब्र्यो को नुकसान नहीं पहुँचाती है। डाई को गर्भाशय से जल्दी से साफ भी किया जाता है ताकि एचएसजी परीक्षण के समय गर्भाशय में मौजूद भ्रूण को कोई नुकसान न हो।
एक महिला के गर्भाशय में डाई इंजेक्ट करने की प्रक्रिया का उद्देश्य महिला के गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब की एक्स-रे या छवियां प्राप्त करने में मदद करना है, लेकिन यह निषेचन में भी योगदान दे सकता है। जब डाई फैलोपियन ट्यूब में चली जाती है, तो यह वहाँ मौजूद किसी भी रुकावट को हटा देती है और शुक्राणु के फैलोपियन ट्यूब तक पहुँचने का रास्ता साफ करती है। इसे ट्यूबल फ्लशिंग कहा जाता है और यह गर्भधारण की संभावना को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
टेस्ट करने के बाद तीन महीने तक जोड़ों में गर्भधारण की संभावना लगभग 25% बढ़ जाती है। इसलिए, जोड़ों को परीक्षण के बाद 3 महीने तक गर्भवती होने की कोशिश करनी होगी। हालांकि यह टेस्ट ज्यादातर महिलाओं को गर्भवती होने में मदद करता है, लेकिन यह बांझपन का इलाज नहीं है। महिला को डॉक्टर से जांच करानी चाहिए कि कई दिनों और महीनों तक कोशिश करने के बाद भी वह गर्भवती क्यों नहीं हो पा रही है।
चूंकि इंजेक्ट की गई डाई गर्भाशय के भीतर रुकावटों को हटाने में सहायक होती है, तो यह शुक्राणु को अंडे तक पहुँचने के लिए एक आसान रास्ता बनाती है, जिससे गर्भावस्था की संभावना बढ़ जाती है।
इस प्रकार ट्यूबल फ्लशिंग निश्चित रूप से उन जोड़ों के लिए, जो गर्भधारण की कोशिश कर रहे हैं, एक अच्छा तरीका है। आप इस टेस्ट का विचार कर सकते हैं लेकिन अन्य विकल्पों को भी आजमा सकते हैं। एचएसजी टेस्ट किसी महिला में माँ न बन पाने की समस्या को समझने में डॉक्टरों की मदद करने के लिए एक डाइग्नोस्टिक उपकरण है और इससे गर्भधारण हो भी सकता है और नहीं भी। इसलिए यदि आप इस परीक्षण से गुजरने के बाद गर्भवती नहीं हुई हैं, तो उम्मीद न खोएं। फर्टिलिटी उपचार करवाने की कोशिश करें और जल्द ही आपकी बाहों में आपकी नन्ही से जान होगी!
स्रोत: verywellfamily
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