बच्चों की कहानियां

कछुआ और खरगोश की कहानी l The Story Of Rabbit And Tortoise In Hindi

यह कहानी एक खरगोश की कहानी है जिसे अपने तेज दौड़ने के गुण पर बहुत घमंड था और इसी के चलते उसने एक कछुए को चुनौती दी ताकि वह उसका मजाक उड़ा सके। इस कहानी में एक खरगोश बड़बोला और घमंडी जबकि कछुआ शांत रहकर अपना काम करने वाला जानवर बताया गया है। कहानी का मूल यह है कि जब खरगोश कछुए की धीमी चाल मजाक उड़ाने के लिए उसे अपने साथ दौड़ लगाने को कहता है तो क्या होता है। खरगोश और कछुए की कहानी मूल रूप से लैटिन भाषा में लिखी गई ‘ईसप फेबल्स’ से ली गई है। ग्रीक कहानीकार ईसप ने 5वीं और 6वीं शताब्दी के बीच कई कहानियां लिखी थीं और यह उसी कहानी संग्रह से ली गई है।

कहानी के पात्र (Characters Of The Story)

इस कहानी में दो मुख्य पात्र हैं जो स्वभाव और व्यवहार में एक दूसरे के बिल्कुल विपरीत हैं –

  • खरगोश
  • कछुआ

कछुआ और खरगोश की कहानी (The Rabbit And The Tortoise Story In Hindi)

एक बार की बात है, एक जंगल में एक कछुआ रहता था वह शांत और अपने से मतलब रखने वाला जानवर था। उसी जंगल में एक खरगोश भी रहता था जो बहुत फुर्तीला और बातूनी था। वह कई बार दौड़ प्रतियोगिताएं जीत चुका था और उसे इस बात का बहुत घमंड भी था। वह दूसरे जानवरों से हमेशा अपने रेस जीतने के किस्सों के बारे में बात करता रहता था।

एक दिन जंगल के तालाब के पास कई जानवर थे, खरगोश वहां आया और हमेशा की तरह अपनी फुर्तीली चाल के बारे में बखान करने लगा। तभी उसने कछुए को देखा और उसे शैतानी सूझी। वह कछुए के पास गया और उससे कहने लगा –

खरगोश: “अरे कछुए, तुम तेज चलना क्यों नहीं सीखते? यदि तुम ऐसा करो, तो हम किसी दिन रेस लगा सकते हैं।”

कछुआ केवल उसे देखकर मुस्कुराया और आगे बढ़ गया। खरगोश कछुए को तंग करना चाहता था। अब हर दिन, वह कछुए के पास जाता और वही टिप्पणी करता। एक दिन, जब खरगोश ने उसे फिर से चुनौती दी, तो कछुए ने उत्तर दिया –

कछुआ: “ठीक है, मैं चुनौती स्वीकार करता हूँ।”

उसके ऐसा कहते ही पास खड़े बाकी जानवरों को बहुत आश्चर्य हुआ लेकिन कछुए की हिम्मत देखकर वे सब ताली बजाने लगे और उसका उत्साहवर्धन करने लगे।

कुछ दिनों बाद दौड़ का दिन आया। इस बड़ी चुनौती का परिणाम देखने के लिए जंगल के सारे जानवर इकट्ठा हुए थे। जब दौड़ शुरू हुई तो कुछ ही देर में खरगोश कछुए से बहुत आगे निकल गया। कुछ दूर दौड़ने के बाद खरगोश ने जब पीछे मुड़कर देखा कि वह कछुए को इतना पीछे छोड़ आया है कि वह दिख भी नहीं रहा तो उसने दौड़ना बंद कर दिया। उसने मन में सोचा कि कछुआ अपनी धीमी चाल से जब तक उस जगह तक पहुंचेगा तब तक तो वह आराम कर सकता है। ऐसा सोचते ही खरगोश किनारे एक बड़े से बरगद के पेड़ के नीचे लेट गया। पत्तों की छाया और ठंडी हवा से उसे तुरंत नींद लग गई।

दूसरी ओर कछुआ बिना हार माने अपनी धीमी गति से लगातार चल रहा था। कुछ समय बाद वह उसी जगह पहुंच गया जहां खरगोश सो रहा था। कछुआ उसके पास से गुजरते हुए उसी तरह से चलता रहा। कुछ ही समय में लगातार चलते-चलते वह अपने लक्ष्य तक पहुंच गया और दौड़ जीत गया। सारे जानवर कछुए की जीत देखकर जोर-जोर से तालियाँ बजाने लगे। जानवरों के शोर से खरगोश हड़बड़ाकर नींद से जागा लेकिन उसे एहसास नहीं हुआ कि क्या हुआ है। उसने आँखें मलीं और मन में सोचा कि कछुआ तो अभी भी उसी गति से चल रहा होगा। खरगोश उठा और दौड़ पड़ा। लेकिन वहां पहुंचने पर कछुए को वहां पहले से खड़ा देखकर खरगोश के होश उड़ गए। कछुआ के सिर पर जीत का ताज लगा हुआ था और दूसरे जानवर उसे बधाई दे रहे थे। कछुए ने दूर से खरगोश को देखा और धीरे से मुस्कुराया। खरगोश बहुत लज्जित हुआ। उसे अपने किए पर पछतावा होने लगा क्योंकि अपने बड़बोलेपन और घमंड के कारण वह जंगल के सबसे धीरे चलने वाले जानवर से दौड़ हार गया था।

कछुआ और खरगोश की कहानी से सीख (Moral of The Rabbit And The Tortoise Hindi Story)

कछुआ और खरगोश की कहानी की सीख यह है कि अति आत्मविश्वास और घमंड अच्छा नहीं होता है। खरगोश तेज दौड़ने के बावजूद रेस हार गया क्योंकि वह जरूरत से ज्यादा आत्मविश्वासी था और उसने प्रतियोगिता को गंभीरता से नहीं लिया। दूसरी ओर, कछुआ सबसे धीमा जानवर होकर भी उसने खरगोश से मुकाबला करते समय आत्मविश्वास नहीं खोया। हर किसी में समान प्रतिभा नहीं होती, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कोई कठिन लक्ष्य हासिल नहीं कर सकता। कड़ी मेहनत और लगन हमेशा अच्छा फल देती है।

कछुआ और खरगोश की कहानी का कहानी प्रकार (Story Type of The Rabbit And The Tortoise Hindi Story)

कछुए और खरगोश की यह कहानी नैतिक कहानियों में आती है। यह कहानी हमें सिखाती है कि हमारा व्यवहार और आचरण कैसा होना चाहिए।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. खरगोश और कछुआ की कहानी का नैतिक क्या है?

खरगोश और कछुए की कहानी में यह बताया गया है कि अपनी विशेषताओं पर कभी घमंड नहीं करना और साथ ही दूसरों को किसी बात में कम नहीं समझना चाहिए।

2. कछुआ और खरगोश की कहानी में खरगोश का स्वभाव कैसा है?

इस कहानी में खरगोश बेहद फुर्तीला लेकिन बड़बोला और अति आत्मविश्वासी स्वभाव का बताया गया है।

निष्कर्ष (Conclusion)

कुछ कहानियां कभी पुरानी नहीं होतीं और सैकड़ों साल पहले लिखी गई यह कहानी आज भी बच्चों को अच्छी लगती है। बच्चों को नैतिक शिक्षा देने के लिए बहुत छोटी उम्र से इस तरह की कहानियां सुनने की आदत डालनी चाहिए। पेरेंट्स अगर बच्चों को रोजाना रात में सोने के समय एक अच्छी सीख देने वाली और दिलचस्प कहानी सुनाएं तो वह समय दोनों के लिए बहुत मजेदार और यादगार हो सकता है।

श्रेयसी चाफेकर

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