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शेखचिल्ली की ख्याली पुलाव की ये कहानी उन सभी लोगों के लिए एक अच्छा उदाहरण है, जो अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए मेहनत नहीं करते बल्कि अपने दिमाग में फालतू के ख्याल बनाते रहते हैं। उन्हें इससे यह सीखना चाहिए कि यदि आपको अच्छा जीवन जीना है तो आज पर विश्वास करें और सारा ध्यान उसपर ही लगाएं। क्योंकि काल्पनिक विचारों से कुछ हासिल नहीं होता है, बल्कि वास्तविक जीवन जीने में ही भलाई है।
एक बार मियां शेखचिल्ली सुबह बाजार गए और वहां से बहुत सारे अंडे खरीदकर, एक टोकरी में भर लिए। उसके बाद उस टोकरी को अपने सर पर रखकर घर की ओर बढ़ गए। रास्ते में चलते-चलते उसके दिमाग में ख्याली पुलाव बनने शुरू हो गए।
शेखचिल्ली अपने दिमाग में अजीबो-गरीब ख्याल बुनने लगा, उसने सोचा जब इन अंडों से चूजे निकलेंगे तो वह उनका ध्यान अच्छे से रखेगा। जब चूजे बड़े होकर मुर्गियां बन जाएंगे, तो वह अंडे दिया करेंगी। उसके बाद मैं उन अंडों को बाजार में अच्छे पैसे में बेचकर पैसे कमाऊंगा और इतने पैसे से मैं बहुत जल्द अमीर भी हो जाऊंगा। उन पैसों से मैं अपने लिए एक नौकर रखूंगा। जो मेरे सारे काम भी करेंगे। इतना अमीर हो जाऊंगा कि उसके बाद एक बहुत बड़ा घर बनाऊंगा और उस महल जैसे घर में सारी सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
मेरे आलिशान घर में सारे कमरे अलग-अलग होंगे। एक कमरा सिर्फ खाना खाने के लिए होगा, एक कमरा आराम करने का और एक कमरा सबके बैठने के लिए होगा। जब सारी सुख-सुविधाएं व्यवस्थित हो जाएंगी तो मैं फिर एक सुंदर लड़की से शादी का लूंगा। मेरी पत्नी के लिए भी एक नौकर रहेगा और उसका बहुत सारे कपड़े व जेवर लाकर दिया करूंगा। शादी करने के बाद मेरे 5-6 बच्चे भी होंगे, जिनसे मैं बेहद प्यार करूंगा और उनका ध्यान रखूंगा। जैसे ही वह बड़े होंगे उनकी अच्छे घर में शादी करवाऊंगा। मेरे बच्चों के भी बच्चे होंगे और मैं उनके साथ दिनभर खेला करूंगा।
जब शेखचिल्ली इन ख्यालों में डूबे हुए चलता जा रहा था तभी उसका पैर रस्ते में पड़े एक पत्थर पर टकरा गया और अंडों से भरी टोकरी जमीन पर गिर गई और सारे अंडे फूट गए। अंडों के फूटते ही शेखचिल्ली के ख्याली पुलाव में चल रहा सपना भी टूटकर बिखर गया।
शेखचिल्ली के ख्याली पुलाव की इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि सिर्फ दिमाग में ख्याली पुलाव पकाने या सपने देखने से कुछ नहीं होता, बल्कि मेहनत करना भी जरूरी है। साथ ही पूरा ध्यान आपको वर्तमान समय पर रखना चाहिए, वरना शेखचिल्ली की तरह सिर्फ ख्याली पुलाव बनाने से हमेशा नुकसान ही होता है। ।
ख्याली पुलाव की यह कहानी शेखचिल्ली की कहानी के अंतर्गत आती है। इस हमें नैतिक शिक्षा भी मिलती है जिसमें यह बताया गया है कि केवल सोचने से और मन में अपनी कहानी बनाने से कुछ नहीं होता हर कार्य को कर्म से पूरा किया जा सकता है।
शेखचिल्ली के ख्याली पुलाव की नैतिक कहानी ये है कि हमे वास्तविक जीवन में जीना चाहिए, न की काल्पनिक चीजों के पीछे भागना चाहिए।
हमें हमेशा मौजूदा स्थित्ति के हिसाब से कार्य करना चाहिए और यदि किसी चीज को हासिल करना है तो मेहनत करें। कड़ी मेहनत से ही आपको मनचाहा मकान हासिल होगा न की दिमाग ख्याली पुलाव पकने से।
शेखचिल्ली के ख्याली पुलाव की कहानी का मकसद सिर्फ इतना है कि आप सभी दिमाग में बेमतलब के ख्याली पुलाव नहीं पकाने चाहिए या फिर यूं कह लें फालतू के सपने नहीं देखना चाहिए, इन सब से कुछ हासिल नहीं होता है। बल्कि आपको वर्तमान में रहकर काम करना चाहिए और अपनी मेहनत से मनचाहा मुकाम हासिल करें।
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