In this Article
आज कल की तेज-तर्रार लाइफ ज्यादातर घरों में माँ और पिता, दोनों के कामकाजी होने के कारण वे अपने बच्चे को किसी न किसी डे केयर सेंटर भेजते हैं। हालांकि, ज्यादातर पेरेंट्स के मन में यह सवाल रहता है कि बच्चे को डे-केयर सेंटर में भेजने की सही उम्र क्या है? तो ये आर्टिकल आपको सही निर्णय लेने में मदद करेगा।
आपको अपने बच्चे को डे केयर में भेजना है या नहीं, यह आपकी अपनी पर्सनल चॉइस है। हालांकि, ज्यादातर मामलों में, यह आपके वर्क शेड्यूल पर निर्भर करता है और आपके बच्चे की क्या डिमांड है उस पर भी निर्भर करता है। इस विषय में कोई भी निर्णय लेने से पहले आप अपने आप से कुछ प्रश्न पूछें:
इन सवालों से आपको यह तय करने में मदद मिलेगी कि आपके बच्चे को डे केयर भेजना का फैसला सही रहेगा या नहीं। हालांकि, यदि आप ये जानना चाहती हैं कि बच्चे को चाइल्ड केयर सेंटर में भेजने के लिए उसकी मिनिमम एज क्या होनी चाहिए, तो यह हर सेंटर के अनुसार अलग-अलग हो सकता है। कुछ सेंटर में छोटे शिशुओं को भी लिए जाने की अनुमति होती जिसमें वे कुछ महीने के होते हैं, तो वहीं कुछ सेंटर टॉडलर और थोड़े बड़े बच्चे ही लिए उपयुक्त होते हैं। इसलिए, आपको एक ऐसा डे केयर सेंटर ढूंढना होगा जो आपके बच्चे की उम्र और उसकी अन्य आवश्यकताओं के लिए सबसे उपयुक्त हो।
एक माँ को अपने बच्चे की खातिर उसकी देखभाल करने में कोई कसर नहीं छोड़ती है। माँ अपने बच्चे से कभी दूर नहीं रहना चाहती है, लेकिन आज के समय में यह संभव नहीं है, क्योंकि ज्यादातर न्यूक्लियर फैमिली में दोनों पेरेंट्स वर्किंग होते हैं। ऐसी स्थिति में, घर पर रहना और बच्चे की देखभाल करना मुश्किल हो जाता है और माता-पिता के पास एक ही विकल्प बचता है कि वे अपने बच्चे को डे केयर में भेजें। हालांकि, अगर आपको अपने बच्चे को डे केयर सेंटर में भेजने को लेकर कोई डाउट है, तो आपको नीचे बताई गई बातों पर विचार करना चाहिए:
कुछ लोगों का मानना है कि डे केयर सेंटर टॉडलर्स और बड़े बच्चों के लिए उपयुक्त होते हैं, जबकि अन्य लोगों का मानना है कि फैमिली डे केयर में बच्चे को छोड़ना ज्यादा अच्छा होता है। आपका फैसला जो भी हो, अपने बच्चे की उम्र के अनुसार डे केयर सेंटर का चुनाव करने से पहले कुछ बातों को ध्यान में रखना जरूरी है:
यदि आप सोच रही हैं कि किस उम्र में शिशुओं के लिए डे केयर का विचार करना सही रहता है, तो आइए हम आपके डाउट क्लियर कर देते हैं। छोटे बच्चों को सिंगल केयर गिवर से वन टू वन केयर की जरूरत होती है, बेहतर यही है कि ये केयर घर पर ही दी जाए। हालांकि, कई डे केयर सेंटर हैं जहाँ छोटे बच्चों या शिशुओं के लिए ज्यादा पर्सनलाइज्ड फैसिलिटी ऑफर की जाती है। बच्चों को एक सुरक्षित और साफ माहौल की आवश्यकता होती है क्योंकि यही वह समय होता है जब वे अपने आसपास के वातावरण का अनुभव करना शुरू करते हैं। डे केयर सेंटर को ध्यान से चुनना और उसका चयन करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि बच्चों को अटैचमेंट डेवलप करने में और एडजस्ट होने में समय लगता है। बड़े बच्चों के लिए सेंटर बदलते रहने का सुझाव नहीं दिया जाता है।
टॉडलर के लिए एक डे केयर सेंटर की आवश्यकताएं कहीं न कहीं शिशुओं के समान ही होती हैं। टॉडलर्स थोड़ा ज्यादा एक्सप्लोर करना शुरू कर देते हैं, और उन्हें अपने पास किसी ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता है जो उन्हें खुद को एक्सप्लोर करने दे और उन्हें अच्छी तरह से समझे। टॉडलर्स की देखभाल करने वाले लोगों में धैर्य और एनर्जी का होना आवश्यक है। जिन चाइल्ड केयर सेंटर में केयरर और बच्चों का अनुपात कम होता है, वे ज्यादा बेहतर रूप से काम करते हैं और बच्चे की देखभाल करते हैं। अपने बच्चे को डे केयर में भेजने से जुड़ी सबसे अच्छी चीज यह है कि वह अपनी ही उम्र के बच्चों के साथ इंटरैक्ट करता है और सोशल होता है, जो घर पर रह कर नहीं कर सकता है।
इस एज ग्रुप के बच्चे लर्नर होते हैं और तेजी से लैंग्वेज, सोशल और अन्य स्किल सीख रहे होते हैं। इसलिए, यदि आप अपने 3-5 वर्षीय बच्चे के लिए किसी डे केयर सेंटर की तलाश कर रही हैं, तो एक ऐसी जगह का चुनाव करें, जहाँ वह न केवल सुरक्षित और कंफर्टेबल महसूस करे, बल्कि उसे नई स्किल भी सीखने को मिलती हों। अपने बच्चे के लिए ऐसा सेंटर चुने जहाँ ज्यादा से ज्यादा एक्टिविटीज करवाई जाती हों।
जहाँ तक अपने बच्चे को डे केयर में भेजने का सवाल है, हर माता-पिता की अलग-अलग आवश्यकताएं होती हैं। इस लेख में बताए गए ऑप्शन और टिप्स को ध्यान में रखिए और ये आपको एक सही निर्णय लेने में मदद करेंगे।
बच्चों को कोई भी भाषा सिखाते समय शुरुआत उसके अक्षरों यानी स्वर और व्यंजन की…
बच्चों का बुरा व्यवहार करना किसी न किसी कारण से होता है। ये कारण बच्चे…
हिंदी देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है, अंग्रेजी का उपयोग आज लगभग हर क्षेत्र…
हिंदी भाषा में हर अक्षर से कई महत्वपूर्ण और उपयोगी शब्द बनते हैं। ऐ अक्षर…
हिंदी भाषा में प्रत्येक अक्षर से कई प्रकार के शब्द बनते हैं, जो हमारे दैनिक…
हिंदी की वर्णमाला में "ऊ" अक्षर का अपना एक अनोखा महत्व है। यह अक्षर न…