In this Article
कुएं का पानी, ये कहानी बेहद मनोरंजक है और बहुत कुछ सिखाती है। ये कहानी एक गरीब किसान की है जो अपने खेत की सिंचाई करने के लिए पानी की तलाश कर रहा था। पानी की तलाश में उसे एक कुआं मिला, लेकिन उस कुएं के पानी लेने के लिए उसने बहुत बड़ी कीमत भी चुकाई। उसके बाद भी कुएं के मालिक ने अपनी चालाकी दिखाते हुए उसे पानी लेने से रोक दिया। लेकिन कुएं के मालिक की चालाकी बीरबल के आगे नहीं चल पाई। आप भी बीरबल का नाम सुन के हैरान हो गए होंगे कि आखिर इस कहानी में बीरबल कहा से आ गए। ये सब जानने के लिए कहानी को पूरा जरूर पढ़ें।
कहानी के पात्र (Characters Of Story)
- किसान
- कुआं बेचने वाला आदमी
- महाराज अकबर
- बीरबल
कुएं के पानी की कहानी | Water In The Well Story In Hindi
एक समय की बात है, एक किसान था, जिसे अपने खेतों को सींचने के लिए पानी की जरूरत थी और उसी की वजह से वो बेहद परेशान था। किसान कई दिनों से अपनी जमीन के आस-पास किसी कुएं को ढूंढ रहा था। ढूंढते-ढूंढते उसे एक कुआं नजर आया, वह कुआं उसके खेत के बहुत पास भी था। जिसे देखकर किसान बहुत खुश हो गया। उसे लगा कि अब उसकी समस्या खत्म हो जाएगी। यह सोचकर वो अपने घर को लौट गया।
अगली सुबह वह कुएं के पास गया और उससे पानी निकालने के लिए बाल्टी रखी, तभी वहां अचानक से एक आदमी आ गया। उसने किसान से कहा, ये कुआं मेरा है। तुम्हें इससे पानी नहीं मिलेगा और यदि तुम्हें पानी चाहिए, तो तुम्हें इस कुएं को खरीदना पड़ेगा।
पहले तो किसान उसकी बातें सुनता रहा और फिर सोचने लगा यदि वह इस कुएं को खरीद लेता है, तो उसे कभी भी पानी की समस्या नहीं होगी। उसके बाद दोनों के बीच कुएं की कीमत तय हुई। किसान के पास उतने पैसे नहीं थे, लेकिन वह कुएं को हाथ से जाने नहीं देना चाहता था। इसलिए उसने उस आदमी को अगली दिन पैसे देने के लिए बुलाया और घर लौट गया।
किसान को वो कुआं खरीदना था, इसलिए वह ये मौका बिलकुल नहीं छोड़ना चाहता था। घर पहुंचने के बाद किसान ने अपने सभी दोस्तों, रिश्तेदारों से इस बारे में बात की और कुएं की कीमत का जुगाड़ करने में लग गया। काफी कोशिशों के बाद किसान ने कुएं की तय हुई कीमत को जोड़ लिया। वह इस बात से संतुष्ट था कि अब उसे कुआं खरीदने से कोई नहीं रोक सकता है।
पैसे लेकर वह घर चला गया। किसान रात भर बेसब्री से सुबह का इंतजार कर रहा था, ताकि वह जल्दी जाकर कुआं खरीद सके और इसी वजह से वह पूरी रात सो नहीं पाया। अगली सुबह होते ही वह कुआं खरीदने निकल गया।
किसान उस आदमी के घर पहुंचा और उसको पैसे दे दिए और उससे कुआं खरीद लिया। अब वो कुआं किसान का हो गया था। किसान तुरंत उससे पानी निकालने पहुंचा और जैसे ही उसने बाल्टी डालने के लिए उठाई, तभी उस आदमी ने कहा रुको, तुम इस कुएं के पानी को नहीं ले सकते हो। मैंने तुमको कुआं बेचा है इसका पानी नहीं। किसान बेचारा उदास होकर राजा के दरबार उस आदमी की शिकायत करने और न्याय मांगने पहुंच गया।
क्या आप जानते हैं वह राजा कौन था? वह थें राजा अकबर। राजा अकबर ने किसान की पूरी बात सुनी और उसके बाद उस आदमी को अपने दरबार में बुलाया, जिसने कुआं किसान को बेचा था। राजा का बुलावा मिलते ही वह आदमी भागकर दरबार पहुंच गया। राजा अकबर ने उससे पूछा, जब तुमने अपना कुआं किसान को बेचा, तो उसके बाद उसे पानी लेने से मना क्यों कर रहे हो।
आदमी कहने लगा, महाराज मैंने सिर्फ कुआं बेचा था, कुएं के पानी नहीं। उसकी बात सुनने के बाद महाराज भी सोच में पड़ गए और कहने लगे कि ये बात तो सही कह रहा कि इसने कुआं बेचा है पानी नहीं। महाराज से जब इस समस्या का समाधान नहीं निकला, तब उन्होंने बीरबल को बुलाने का आदेश दिया।
बीरबल की बुद्धि बहुत तेज थी, इसी वजह से राजा अकबर कई मामलों मे बीरबल की सलाह जरूर लेते थे। बीरबल ने वहां आकर दोनों किसान और आदमी से समस्या पूछी।
पूरी जानकारी मिलने के बाद बीरबल ने उस आदमी से बोला – “ठीक है, तुमने किसान को कुआं बेचा, पानी नहीं। लेकिन फिर तुम्हारा पानी किसान के कुएं में क्या कर रहा है? कुआं अब तुम्हारा नहीं है, इसलिए तुरंत अपने पानी को बाहर निकाल लो।”
बीरबल की समझदारी देखकर वह आदमी समझ गया था कि अब उसकी चालाकी यहां नहीं चलने वाली है। उसने महाराज अकबर से तुरंत माफी मांगी और मान लिया कि कुएं के साथ-साथ उसके पानी पर भी किसान का हक है।
इसके बाद बादशाह अकबर ने बीरबल की होशियारी की प्रशंसा की और कुएं बेचने वाले आदमी पर धोखा करने के लिए जुर्माना भी लगाया।
कुएं के पानी की कहानी से सीख (Moral of Water In The Well Hindi Story)
कुएं के पानी की कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी खुद को दूसरों से अधिक चालक नहीं समझना चाहिए।
कुएं के पानी की कहानी का कहानी प्रकार (Story Type of Water In The Well Hindi Story)
यह कहानी अकबर-बीरबल की कहानियों के अंतर्गत आती है, जिसमें यह बताया गया है कि यदि आप खुद को चालाक समझ कर किसी के साथ धोखा कर रहे हैं, तो हो सकता है कोई व्यक्ति आप से भी ज्यादा बुद्धिमान हो और ऐसे में आपका धोखा पकड़ा जाए। अंत में आपका ही नुकसान होगा जैसे कुएं वाले का हुआ।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
1. कुएं के पानी की नैतिक कहानी क्या है?
कुएं के पानी कहानी की ये नैतिकता है कि हमें कभी भी अपनी चालाकी से किसी को परेशान नहीं करना चाहिए क्योंकि हो सकता कोई आपसे भी ज्यादा चालक व्यक्ति आपको खुद की ही बातों में फंसा दे, जिससे आपका नुकसान हो।
2. हमें किसी को धोखा क्यों नहीं देना चाहिए?
हमें कभी भी कोई भी काम धोखे के सहारे नहीं करना चाहिए, क्योंकि धोखे से किए गए काम का परिणाम हमेशा बुरा ही होता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
कुएं के पानी की कहानी हमें ये बताती है कि व्यक्ति को कभी भी खुद को दूसरे से अधिक बुद्धिमान या होशियार नहीं समझना चाहिए। यदि आप में धोखा देने की बुरी आदत है, तो उससे समय रहते खत्म करने की कोशिश करनी चाहिए। यदि आपकी धोखेबाजी किसी को पता चल गई तो उसके हानिकारक परिणाम आप को खुद ही झेलने पड़ेंगे। जिस तरह से कुआं बेचने वाले आदमी को झेलना पड़ा था।
यह भी पढ़ें:
बीरबल की खिचड़ी की कहानी (Birbal Ki Khichdi Story In Hindi)
अकबर-बीरबल की कहानी : सबसे बड़ा मनहूस कौन (The Unlucky Servant Story In Hindi)
अकबर-बीरबल की कहानी: जोरू का गुलाम (Akbar And Birbal Story: Wife’s Slave In Hindi)