शिशु

क्या आप अपने बेबी को मूवी थिएटर में लेकर जा सकते हैं?

न्यूबॉर्न बच्चे के पेरेंट्स, जो कि कई हफ्तों से घर में बंद हों, वे घर से बाहर निकलने के लिए विचलित रहते हैं। थिएटर में अपने पसंदीदा एक्टर्स की एक फिल्म देखना मजेदार टाइम पास होता है। एक अच्छी प्लानिंग के साथ आप अपने बच्चे को मूवी थिएटर में अपने साथ लेकर जा सकते हैं। पर हमेशा याद रखें, कि कुछ लोगों को सिनेमा हॉल में पेरेंट्स का बच्चों को साथ लाना बिल्कुल पसंद नहीं होता है और बच्चे की एक छोटी सी हरकत पर भी वे आपको अजीब नजरों से घूर सकते हैं। इसलिए ऐसी स्थिति होने पर, यदि बच्चा रोने लगता है, तो उसे लेकर थिएटर से बाहर निकल जाना ही बेहतर होता है। 

न्यूबॉर्न बच्चे को मूवी थिएटर में लेकर जाना असुरक्षित क्यों है?

अपने छोटे बच्चे के साथ मूवी जाने की प्लानिंग करते समय, आपके मन में यह विचार आ सकता है, कि थिएटर में छोटे बच्चों को अनुमति होती है या नहीं। इसके कोई सख्त नियम नहीं होते हैं और आप कभी भी अपने बच्चों को थिएटर में लेकर जा सकते हैं। हालांकि नवजात शिशु सेंसिटिव होते हैं और मूवी थिएटर में होने वाली तेज आवाज या शोर उसके कान के पर्दों को खराब कर सकता है और उसके सुनने की शक्ति में कमी आ सकती है।  अमेरिकन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार 45 डेसिबल से अधिक की आवाज शिशुओं में सुनने की शक्ति को प्रभावित कर सकती हैं और कुछ फिल्मों में ध्वनि का स्तर 90 डेसीबल तक भी बढ़ सकता है। साथ ही, सिनेमा हॉल का वातावरण अंधेरा और ठंडा होता है, जो कि छोटे बच्चों के लिए असुविधाजनक हो सकता है, क्योंकि उन्हें इसकी आदत नहीं होती है। दूसरी बात यह है, कि छोटे बच्चों को इंफेक्शन का खतरा बहुत अधिक होता है, इसलिए उन्हें थिएटर जैसे सार्वजनिक स्थानों पर लेकर जाना खतरनाक हो सकता है, क्योंकि आपके पास वाली जगह पर बैठा व्यक्ति यदि बीमार हो, तो आपको पता भी नहीं चल पाता है। 

छोटे बच्चे मूवी थिएटर में कब जा सकते हैं?

अब शायद आप यह सोच रहे होंगे, कि मुझे अपने बच्चे को मूवी थिएटर में कब लेकर जाना चाहिए? हम आपको सलाह देंगे, कि अपने बच्चे को 2 साल की उम्र के बाद ही फिल्म देखने लेकर जाएं, ताकि यह आपके और बाकी के दर्शकों के लिए भी आसान हो। 2 साल की उम्र तक बच्चा म्यूजिक को समझने लगता है और मजेदार विजुअल्स को भी एंजॉय करने लगता है और साथ ही उसका इम्यून सिस्टम भी पहले की तुलना में मजबूत और विकसित हो चुका होता है। 

अपने बेबी को मूवी थियेटर में ले जाने से पहले ध्यान रखने वाली बातें

अगर आप अपने बच्चे को मूवी थियेटर में ले जाने के बारे में सोच रहे हैं, तो आपको निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए: 

  • चूंकि थिएटर का वातावरण ठंडा और अंधेरा होता है, आपके बच्चे को असुविधा हो सकती है और वह रो सकता है। ऐसे में आपको उसे लेकर बाहर चले जाना चाहिए और फिर वापस आकर दोबारा कोशिश करनी चाहिए। लेकिन अगर वह फिर भी रोने लगता है, तो आपको मूवी कैंसिल कर देनी चाहिए।
  • कभी-कभी अजनबी आपके बच्चे को छूना चाहते हैं। जहां उन्हें मना करना आपको असभ्य लग सकता है, वहीं आपको इसे लेकर सावधानी बरतनी चाहिए या फिर आप सभ्य तरीके से उन्हें मना कर सकते हैं।
  • ऐसी फिल्मों के बारे में पता करें, जिनकी गति धीमी हो या एक औसत ब्लॉकबस्टर की तुलना में उनकी अवधि कम हो। इसके लिए आप ट्रेलर देखकर और अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से फिल्म के बारे में रिव्यु लेकर उसका चुनाव बेहतर ढंग से कर सकते हैं। इससे आपको काफी मदद मिलेगी, क्योंकि बच्चे को लेकर लंबे समय तक चुपचाप बैठना बहुत मुश्किल होता है।
  • हमेशा याद रखें, कि हमेशा एग्जिट गेट या टॉयलेट के नजदीक वाली सीट बुक करें, क्योंकि आपको एक से अधिक बार बाहर निकलना पड़ सकता है।
  • फिल्म देखने के लिए वीक-डे में दिन के शो की बुकिंग करें, क्योंकि वीकेंड की तुलना में इस समय भीड़ कम होती है और लोग बच्चे के रोने को झेल पाते हैं।

छोटे बच्चों को मूवी थिएटर ले जाने के कुछ उपयोगी टिप्स

अब चूंकि, हम यह जान चुके हैं, कि बच्चे को मूवी थिएटर में लेकर जा सकते हैं या नहीं, तो अब कुछ टिप्स के ऊपर फोकस करते हैं। सही फिल्म का चुनाव करना बहुत जरूरी है, क्योंकि फिल्म किड्स फ्रेंडली होनी चाहिए और आप घर पर या किसी स्पेशल स्क्रीनिंग पर भी बच्चे को फिल्म देखने दे सकते हैं: 

  • अपने साथ कुछ बेबी सूदर और स्नैक्स रखें, ताकि आपको इन्हें खरीदने के लिए लंबी कतारों में न लगना पड़े।
  • बच्चे के लिए एक मुलायम और गर्म कंबल साथ रखें और उसे मोजे पहनाएं और उसके कानों को ढकें, इससे तेज आवाज के दौरान उसके कानों को सुरक्षा मिलेगी।
  • एक हैंड सैनिटाइजर और बेबी वाइप्स हमेशा साथ रखें, क्योंकि बच्चों को अपने आसपास की हर चीज को छूने की आदत होती है। इनकी मदद से आप उसके हाथों को साफ कर सकते हैं और कुर्सी के आर्म रेस्ट को पोंछ सकते हैं।
  • अगर बच्चा फिल्म के बीच में रोने लगता है, तो उसे लेकर थिएटर से बाहर निकल जाएं। जब वह शांत हो जाए और चुप हो जाए, तब आप वापस अपनी जगह लौट सकते हैं।
  • पता करें, कि आपके शहर में बेबी फ्रेंडली मूवी चल रही है या नहीं। कुछ थिएटर दूसरों की तुलना में बच्चों के लिए अधिक बेहतर होते हैं। कुछ ऐसे सिनेमा हॉल भी होते हैं, जहां पर स्ट्रोलर होते हैं या छोटे बच्चे के माता-पिता के लिए मदर एंड बेबी स्क्रीनिंग की जाती है।
  • 3डी, 4डी और डरावनी फिल्में देखने से बचें, क्योंकि इसके विजुअल बच्चे को डरा सकते हैं। अगर आपको लगता है, कि बेबी को डर लग रहा है, तो उसे गले लगाएं और जब तक वह सीन निकल नहीं जाता, तब तक थामे रहें।
  • अपने साथ एक एक्स्ट्रा डायपर कैरी करें और जरूरत पड़ने पर, इसके पहले कि बदबू फैल कर दूसरे दर्शकों को परेशान करे, उसे जल्दी से बदल दें।
  • अपने साथ एक ऐसा खिलौना रखें, जिसमें से कोई आवाज न आती हो। बच्चा खिलौने के साथ खेलते-खेलते सो भी सकता है।
  • अपने बच्चे को हमेशा अपनी बाहों में रखें। चूंकि थिएटर में बहुत अंधेरा होता है, उसे ऐसे ही छोड़ देने पर वह सीढ़ियों से नीचे गिर सकता है या किसी दुर्घटना का शिकार हो सकता है। इसलिए पूरी फिल्म के दौरान उस पर नजर बनाए रखें।
  • अंत में, अगर बच्चा रोता है या फिल्म के दौरान किसी को परेशान करता है, तो उस व्यक्ति से माफी मांगें और बच्चा जब तक शांत नहीं हो जाता, तब तक के लिए उसे लेकर थिएटर से बाहर निकल जाएं।

बच्चे को सिनेमा हॉल में लेकर जाना एक विवादास्पद मुद्दा है और अधिकतर पेरेंट्स यही मानते हैं, कि जब तक वे बड़े नहीं हो जाते, तब तक उन्हें वहां नहीं ले जाना चाहिए। अगर फिल्म से कोई नुकसान नहीं है और आप स्थिति को नियंत्रित कर सकते हैं, तो आप उचित सावधानी बरतकर, अपने बच्चे के साथ मूवी देखने का आनंद जरूर ले सकते हैं।

यह भी पढ़ें: 

शिशु के साथ फ्लाइट में सफर करने के 10 टिप्स
बेबी ट्रैवल चेकलिस्ट – सफर के दौरान बच्चे के लिए जरूरी सामान
किस उम्र में आपका बच्चा कार सीट में सामने की ओर चेहरा करके बैठ सकता है

पूजा ठाकुर

Recent Posts

मेरी पसंदीदा जगह पर निबंध (Essay On My Favourite Place In Hindi)

हर किसी के जीवन में एक ऐसी जगह होती है जो शांति, खुशी और अपनापन…

8 hours ago

मुझे अपने परिवार से प्यार है पर निबंध ( Essay On I Love My Family In Hindi)

परिवार किसी के लिए भी सबसे अनमोल होता है। यही वह पहली जगह है जहाँ…

8 hours ago

बस की यात्रा पर निबंध (Essay On Journey By Bus In Hindi)

बच्चों के लिए निबंध लिखना बहुत मजेदार और सीखने वाला काम है। यह उन्हें अपनी…

9 hours ago

एपीजे अब्दुल कलाम पर निबंध (APJ Abdul Kalam Essay In Hindi)

ऐसी शख्सियत बहुत कम होती है जिनके होने से देश को उन पर गर्व हो,…

2 days ago

गाय पर निबंध (Essay On Cow In Hindi)

निबंध लेखन किसी भी भाषा को सीखने में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। इससे…

2 days ago

मेरे पिता पर निबंध (Essay on My Father in Hindi)

माँ अगर परिवार का दिल है तो पिता उस दिल की धड़कन होते हैं। पिता…

2 days ago