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विटामिन सी पानी में घुलने वाला विटामिन है और यह सभी के लिए एक बहुत जरूरी एंटीऑक्सीडेंट है। यह फल व सब्जियों में पाया जाता है। इससे शरीर के सेल्स सुरक्षित रहते हैं, यह आयरन को अब्सॉर्ब करने में मदद करता है और साथ ही चोट और टिश्यू को ठीक करने में मददगार होता है। शरीर में यह विटामिन उत्पन्न नहीं होता है इसलिए ऐसे फल व सब्जियों का सेवन करना चाहिए जिनमें इसकी मात्रा अधिक हो ताकि आपको इसके भी पूरे फायदे मिल सकें।
विटामिन सी कई समस्याओं और बीमारियों को ठीक करने में मदद करता है, जैसे थकान, इन्फेक्शन और यहाँ तक कि कैंसर। विटामिन सी की कमी से स्कर्वी रोग हो सकता है और इसका सेवन करने पर हमारे शरीर में किडनी इसकी मात्रा पर ध्यान देती है। ज्यादा मात्रा होने पर यह शरीर से निकाल दिया जाता है।
विटामिन सी, जिसे एस्कॉर्बिक एसिड के नाम से भी जाना जाता है और ब्रेस्टफीडिंग के मामले में भी इसके फायदे कुछ कम नहीं है। यह स्तनपान करने वाली मांओं की मदद कैसे करता है, आइए जानें;
वैसे तो सभी महिलाओं को स्तनों में दूध की आपूर्ति बढ़ने का अनुभव नहीं होता पर कुछ महिलाएं इसका अनुभव करती हैं। यदि आप नियमित रूप से सप्लीमेंट्स लेंगी तो इससे दूध का बहाव एक समान होगा। यदि आपको बच्चे के लिए दूध प्रोडक्शन में कठिनाई होती है तो डॉक्टर से विटामिन सी के सेवन के बारे में पूछें।
ब्रेस्टफीडिंग महिलाएं अक्सर बीमार होने से डरती हैं क्योंकि शरीर की परेशानियां बच्चे तक पहुँच सकती हैं पर यदि आप रोजाना विटामिन सी लेती हैं तो शरीर को इन्फेक्शन से लड़ने में मदद मिलती है। सिर्फ यही नहीं बल्कि इसके फायदे बच्चे तक भी पहुंचते हैं।
ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मांओं को दांतों व हड्डियों की समस्या पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए क्योंकि इससे बच्चे की देखभाल के दौरान आपकी क्षमता पर काफी असर पड़ सकता है। विटामिन सी दांतों व हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करता है विशेषकर तब जब विटामिन डी जैसे न्यूट्रिएंट साथ में काम करते हैं इसलिए आपको न्यूट्रिशनल आवश्यकताओं से सबंधित चिंता करने की जरूरत नहीं है।
यदि एक माँ अपनी डाइट में विटामिन सी शामिल करती है तो उसके ब्रेस्ट मिल्क में 30 मिनट के अंदर-अंदर विटामिन बढ़ जाता है। जो महिलाएं पहले से ही हेल्दी हैं उनमें ब्रेस्ट मिल्क की आपूर्ति बढ़ सकती है और इससे ब्रेस्ट मिल्क का बहाव सामान्य हो जाता है। विटामिन ई व विटामिन सी को साथ में लेने से ब्रेस्ट मिल्क पर सकारात्मक प्रभाव होते हैं क्योंकि इससे एंटीऑक्सीडेंट्स में सुधार होता है जो बच्चे तक भी पहुंचते हैं।
जो महिलाएं स्वस्थ व संतुलित आहार का सेवन करती हैं उन्हें अक्सर शरीर की जरूरतों के अनुसार सही मात्रा में विटामिन सी मिलता है। विटामिन सी के आम स्रोत कीवी, खट्टे फल, तरह-तरह की बेरी, काली मिर्च, टमाटर, हरी सब्जियां आदि हैं। इन चीजों को रोजाना डाइट में शामिल करने से आपको विटामिन सी की कमी की चिंता करने की जरूरत नहीं है।
विकसित देशों की महिलाओं के लिए कुपोषणता कोई भी समस्या नहीं है और जब तक डॉक्टर विटामिन सी प्रिस्क्राइब न करें उन्हें इसके सप्लीमेंट्स की जरूरत नहीं पड़ती है। हालांकि पिछड़े देशों या आर्थिक रूप से कमजोर महिलाएं जो बैलेंस्ड डायट बनाए नहीं रख पाती हैं उनके लिए विटामिन सी सप्लीमेंट्स लेना बहुत जरूरी है क्योंकि यह एक आवश्यक विटामिन है व स्वस्थ रहने और इसके फायदे बच्चे तक पहुंचाने के लिए विटामिन सी के सप्लीमेंट्स का सेवन करना जरूरी है।
क्या विटामिन सी ब्रेस्ट मिल्क में जा सकता है? क्या ब्रेस्टफीडिंग के दौरान विटामिन सी के सप्लीमेंट्स लेना सही है?
ये वो सवाल हैं जिनके बारे में एक स्तनपान कराने वाली माँ या पहली बार बनी माँ सोचती है। दोनों के लिए इसका जवाब हाँ है। विटामिन सी ब्रेस्ट मिल्क में जा सकता है और जिन मांओं में इसकी कमी होती है उनके लिए विटामिन सी के सप्लीमेंट्स लेना बहुत जरूरी है क्योंकि यह देखा गया है कि यदि वे ऐसा करेंगी तो ब्रेस्ट मिल्क में विटामिन की मात्रा दोगुनी हो जाती है।
आरडीए के अनुसार यह सलाह दी जाती है कि 18 साल या उससे कम उम्र की ब्रेस्टफीडिंग महिलाओं को एक दिन में 115 मिलीग्राम विटामिन सी लेना चाहिए और जो 19 साल या उससे ज्यादा हैं उन्हें लगभग 120 मिलीग्राम विटामिन सी प्रतिदिन लेना चाहिए। ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली 18 साल या उससे कम उम्र की महिलाएं एक दिन में ज्यादा से ज्यादा 1800 मिलीग्राम विटामिन सी ले सकती हैं और जो 19 साल या उस से ज्यादा उम्र की हैं वे एक दिन में लगभग 2000 मिलीग्राम विटामिन सी ले सकती हैं।
यदि आप ऊपर बताई हुई मात्रा से ज्यादा विटामिन सी लेती हैं तो आपको साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं।
यदि बेबी को दूध पिलाने के दौरान विटामिन सी की खुराक जरूरत से बहुत ज्यादा हो जाती है तो आपको निम्नलिखित साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, आइए जानें;
यहाँ ब्रेस्टफीडिंग के दौरान विटामिन सी लेने से संबंधित अक्सर पूछे गए सवालों के जवाब बताए गए हैं, आइए जानें;
हाँ, विटामिन सी लेने से मैस्टाइटिस की समस्या बहुत कम हो जाती हैं। मैस्टाइटिस एक ऐसी बीमारी है जो मिल्क डक्ट्स ब्लॉक्स होने से होती है और यह अपने आप ठीक नहीं होती है। स्टैफिलोकोकस ऑरियस क्रोनिक मैस्टाइटिस का कारण बनता है और ऐसी भी स्टडीज हैं जिनमें यह बताया गया है कि विटामिन सी स्टैफिलोकोकस ऑरियस को सीमित करता है जिस वजह से यह मैस्टाइटिस को ठीक करने में मदद करता है।
हाँ स्मोकिंग से ब्रेस्ट मिल्क में विटामिन सी की मात्रा कम हो जाती है इसलिए जो महिलाएं सिगरेट-बीड़ी पीती हैं उन्हें रोजाना थोड़ा ज्यादा या लगभग 35 मिलीग्राम ज्यादा विटामिन सी लेना चाहिए।
बड़ों की तरह ही बच्चों की डाइट में भी विटामिन सी की पर्याप्त मात्रा होने से वे हेल्दी रहते हैं, इम्युनिटी बढ़ती है और उनमें स्कर्वी जैसी अन्य बीमारियां भी नहीं होती हैं। जो बच्चे विटामिन सी की पर्याप्त मात्रा के साथ माँ का दूध पीते हैं उनमें एलर्जी होने की संभावना बहुत कम होती है। जो महिलाएं भोजन के प्रति हाइपरसेंसिटीव होती हैं उनके बच्चे में विटामिन सी की मात्रा कम होती है जिस वजह से उन्हें एलर्जी बहुत जल्दी होने लगती है।
वैसे तो सही मात्रा में विटामिन सी लेने से बच्चे को फायदे मिलते हैं पर यदि इसकी मात्रा बहुत ज्यादा हो जाती है तो इसके विपरीत प्रभाव भी पड़ सकते हैं। कुछ मामलों में विटामिन सी से ब्रेस्ट मिल्क ज्यादा उत्पन्न होता है पर जो मांएं बहुत ज्यादा सेंसिटिव होती हैं उनमें इसका विपरीत असर हो सकता है और ब्रेस्ट मिल्क की मात्रा कम हो सकती है क्योंकि कभी-कभी यह एंटी लैक्टोजेनिक के रूप में भी काम करता है।
हम सभी जानते हैं कि विटामिन सी से आपको और बच्चे को बहुत सारे फायदे मिलते हैं पर यदि इसकी मात्रा अधिक हो जाती है तो यह आप दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है। विटामिन सी लेते समय ब्रेस्टफीडिंग की सुरक्षा करना बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है। आपके लिए सप्लीमेंट्स के बजाय स्वस्थ आहार से विटामिन सी लेना ही सही है। हालांकि ऐसे भी मामले हैं जिनमें डॉक्टर आपको विटामिन सी के सप्लीमेंट्स लेने की सलाह दे सकते हैं।
ज्यादातर ऐसा इसकी कमी या कोई बीमारी होने से हो सकता है। चाहे जितना भी अच्छा हो पर यदि बात सप्लीमेंट्स या खुद से दवा लेने की हो तो आप अपनी व बच्चे की सेहत को खतरे में न डालें। कुछ भी शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें क्योंकि वे आपको इसकी जरूरत व संभावित कॉम्प्लिकेशंस के बारे में अच्छी तरह से बता सकते हैं।
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