In this Article
- केले में पोषक तत्वों की मात्रा
- शिशु को केला देना कब शुरू करें?
- केले से शिशु को होने वाले अद्भुत स्वास्थ्य लाभ
- अपने शिशु को केला कैसे दें?
- बच्चे को केले खिलाते समय बरती जाने वाली सावधानियां
- क्या ठंड और खांसी के दौरान केला बच्चों के लिए अच्छा है?
- क्या शिशु को केले देने के हानिकारक प्रभाव भी हैं?
- बच्चों के लिए केले के स्वादिष्ट व्यंजन
केला एक उत्तम फल है जो शिशु को स्तनपान छुड़वाने के साथ ही दिया जा सकता है। यह फल पोषक तत्वों से परिपूर्ण होने के कारण बच्चे के संपूर्ण विकास में मदद करता है। चूंकि यह मीठा और मलाईदार होता है, इसलिए बच्चे भी इसे खाना पसंद करते हैं।
केले में पोषक तत्वों की मात्रा
केले में पोषक तत्वों की मात्रा (100 ग्राम), कुछ इस प्रकार है:
- कैलोरी: 89
- कुल वसा: 0.3 ग्राम
- कोलेस्ट्रॉल: 0 मिलीग्राम
- सोडियम: 1 मिलीग्राम
- पोटेशियम: 358 मिलीग्राम
- कुल कार्बोहाइड्रेट: 23 ग्राम (फाइबर: 2.6 ग्राम, चीनी: 12 ग्राम)
- प्रोटीन: 1.1 ग्राम
- विटामिन ‘ए’: 1%
- विटामिन ‘सी’: 14%
- लौह तत्व: 1%
- विटामिन-’बी6’: 20%
- मैग्नीशियम: 6%
शिशु को केला देना कब शुरू करें?
कई लोगों का कहना है कि, 4 से 6 महीनों के बीच शिशु को केला देना शुरू किया जा सकता है। हालांकि, चिकित्सक शिशु के 6 महीने की उम्र तक होने का इंतजार करने की सलाह देते हैं और इस समय तक अर्ध–ठोस पदार्थ देना शुरू किया जा सकता है। 6 महीने के बच्चे के लिए प्रतिदिन एक छोटा केला देना फायदेमंद है।
केले से शिशु को होने वाले अद्भुत स्वास्थ्य लाभ
एक माँ जब अपने बच्चे को ठोस पदार्थ देना शुरू करती है तो निस्संदेह उसका सबसे पसंदीदा फल केला होता है। यह उन बच्चों के लिए सबसे अच्छा भोजन है, जिन्होंने अभी–अभी स्तनपान छोड़ना शुरू किया है। हालांकि सभी मांओं में एक सवाल आम है कि “क्या केले से बच्चों में कब्ज़ होता है?”
केले के कुछ लाभ निम्नलिखित हैं:
- अत्यधिक रेशा (फाइबर): इसमें रेशे की मात्रा उच्च स्तर पर होती है, जिससे लंबे समय तक पेट भरे रहने का एहसास होता है। इसके अलावा, रेशा पेट साफ करने में मदद करता है।
- मूत्र पथ संक्रमण के लिए अच्छा है: कहा जाता है कि केला आमतौर पर मूत्र पथ से सभी विषाक्त पदार्थों को साफ करके बच्चों में होने वाले किसी भी तरह के मूत्र पथ संक्रमण को ठीक कर देता है।
- पोषक तत्वों से भरपूर: केला पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, लौह तत्व, फोलेट, नियासिन और विटामिन ‘बी6’ जैसे पोषक तत्वों से भरपूर होता है इसलिए, यह फल बच्चों को वजन बढ़ाने में मदद करता है।
- हड्डियों के लिए लाभदायक: केले में मौजूद पोटेशियम और कैल्शियम हड्डियों की मजबूती को बढ़ाने में मदद करते हैं।
- रक्तहीनता (एनीमिया) से बचाव: केला लौह तत्व से भरपूर होता है, जो रक्त में हीमोग्लोबिन का उत्पादन करने के लिए आवश्यक है। यह आपके शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के संश्लेषण में भी मदद करता है।
- मानसिक शक्ति: केले में मौजूद फोलेट मस्तिष्क को विकसित करने में मदद करता है और याददाश्त में सुधार करता है, यह मस्तिष्क क्षति को भी रोकता है।
- आँखों की रोशनी में सुधार: केले में मौजूद विटामिन ‘ए’, दृष्टिपटल (रेटिना) की सुरक्षा करके आँखों की रोशनी बढ़ाने में मदद करता हैं।
- कब्ज को ठीक करता है: केले में उच्च मात्रा में फाइबर पाया जाता है। यह मल त्याग में मदद करके, शिशुओं में कब्ज़ की समयस्या को ठीक करता है।
अपने शिशु को केला कैसे दें?
केला फलों में सबसे लोकप्रिय है। पोषक तत्वों से भरपूर यह फल पूरे वर्ष आसानी से उपलब्ध भी होता है। इसके अलावा बच्चे को खाने के लिए केले की प्रकृति एकदम सही है। उम्र के आधार पर शिशुओं को केला देने से संबंधित निम्नलिखित जानकारी दी गई है।
6 महीने के बच्चे को केले देना: केले को छीलें और टुकड़ों में काटकर मसल लें। ऐसा करने से केला अत्यधिक नर्म और प्यूरी के जैसा हो जाता है। इससे शिशु को केला निगलने में आसानी होती है।
9 महीने के शिशु को केला देना: 9वें महीने तक, एक बच्चा प्यूरी जैसे भोजन से लेकर छोटे ठोस निवाले खाने लगता है। इसलिए, आप केले को मसल कर या उसके छोटे टुकड़े करके बच्चे को दे सकती हैं।
1 साल के बच्चों को केला देना: आप बच्चे को सिर्फ आधा केला छील कर दे सकती हैं। इस तरह, शिशु अपने हाथ से फिसले बिना ही उस पर एक अच्छी पकड़ बना सकेगा। परन्तु, अतिरिक्त छिलके को कैंची से निकाल दें ताकि यह उसके मुंह के अंदर न जाए।
आप केले को छीलकर, इसे छोटे गोल टुकड़ों में काटकर अपने बच्चे को कांटे का उपयोग करके इसे खाने के लिए प्रोत्साहित कर सकती हैं।
बच्चे को केले खिलाते समय बरती जाने वाली सावधानियां
बच्चे को केले खिलाते समय, आपको कुछ सावधानियां बरतने की जरुरत है, जिनमें शामिल है:
- बच्चों को कच्चा केला न दें क्योंकि यह आसानी से पचता नहीं है। अपने बच्चे को पीले रंग के और पके केले ही खाने को दें।
- हाल ही में हल्का ठोस आहार लेना शुरू करने वाले बच्चों को केला देते समय उसे अच्छी तरह से मसल लें ताकि वह उनके गले में न अटके।
क्या ठंड और खांसी के दौरान केला बच्चों के लिए अच्छा है?
केले में विटामिन ‘बी6’ होता हैं, जो श्वसनी (ब्रोन्कियल) की मांसपेशियों के ऊतकों को आराम पहुँचा सकता है। केला प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करने के लिए और खांसी–सर्दी को रोकने के लिए भी जाना जाता है। हालांकि यह फल श्लेष्मा बनाने वाला खाद्य पदार्थ है। ऐसे में, यह खांसी और सर्दी बढ़ा सकता है।
क्या शिशु को केले देने के हानिकारक प्रभाव भी हैं?
प्रतिदिन एक केला शिशु को कोई नुकसान नहीं पहुँचाता है किंतु किसी भी चीज का बहुत ज्यादा उपयोग, बुरा प्रभाव डाल सकता है। इसलिए शिशुओं को केले संतुलित मात्रा में ही देना चाहिए।
एक दिन में एक बच्चा कितने केले खा सकता है?
क्या बच्चों को रोज केले देना अच्छा है? इसका जवाब है, हाँ। यद्यपि, एक बच्चे को दिन में केवल एक छोटा केला देना चाहिए। एक साथ बहुत सारे केले खाने से बच्चे को स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं।
बच्चों के लिए केले के स्वादिष्ट व्यंजन
एक फल के रूप में खाने के अलावा, केले के विभिन्न व्यंजनों को भी तैयार किया जा सकता है। यहाँ आपके बच्चे के लिए केले के प्यूरी की पौष्टिक आहार विधियां बताई गई हैं, जिन्हें आप अपने घर पर ही तैयार कर सकती हैं।
1. केले और चावल का हलवा
यह पौष्टिक आहार लस (ग्लूटेन) से रहित और उच्च मात्रा में रेशायुक्त है।
सामग्री
- 1 कप ब्राउन राइस, पका हुआ
- ½ – ¼ कप गर्म दूध
- एक चुटकी दालचीनी
- एक चुटकी जायफल
- 1 छोटा केला
विधि
फूड प्रोसेसर में सभी सामग्रियों को डालकर गाढ़ा मिश्रण तैयार कर लें।
2. केला और स्ट्राबेरी स्मूदी
इस स्मूदी में एंटी–ऑक्सीडेंट और फाइबर होता है, जो पाचन में मदद कर सकते है।
सामग्री
- 2 पूरे पके केले (छिला और कटा हुआ)
- 1 कप ताजा स्ट्रॉबेरी
- दूध
विधि
सभी सामग्रियों को एक साथ मिलाकर मिश्रण तैयार करें और तुरंत परोसें।
3. रागी और केले का दलिया
यदि आप अपने बच्चे को ग्लूटेन और लैक्टोज–मुक्त कुछ देना चाहती हैं तो, यह एक उत्तम विकल्प है।
सामग्री
- 1 चम्मच रागी का आटा
- 1 छोटा केला
विधि
- एक पैन में, ¼ कप पानी उबालें।
- उबलने के बाद आंच धीमी करके, इसमें रागी का आटा डालें।
- इसे तब तक चलाते रहें जब तक दलिया थोड़ा गाढ़ा न हो जाए।
- मिश्रण को आंच से उतारें और दलिया को ठंडा होने दें।
- दलिया में मसला हुआ केला डालकर अच्छी तरह से मिलाएं।
- हो जाने के बाद, आप इसे अपने बच्चे को परोस सकती हैं।
4. फलों की टिक्की
इसमें कोलेस्ट्रॉल कम होता है और यह पाचन के लिए भी बेहतर होते हैं।
सामग्री
- आधा केला (मसला हुआ)
- 3-4 बड़े चम्मच पिसा हुआ ओट्स
विधि
- माइक्रोवेव को पहले से ही 180 डिग्री सेल्सियस पर गर्म कर लें।
- ओट्स को एक फ़ूड प्रोसेसर में पीस लें (इसे थोड़ा मोटा रखें)।
- फिर ओट्स को मसले हुए केले के साथ मिलाएं और गूंथ लें।
- इसके बाद इस मिश्रण की छोटी–छोटी टिक्की बनाएं।
- इन सभी ओट्स की टिक्की को हल्के घी लगे बेकिंग शीट पर रखें।
- इसे लगभग 10-15 मिनट तक सुनहरा भूरा होने तक पकाएं।
- ठंडा हो जाने के बाद परोसें।
5. केला और दही का मिश्रण
प्रोबायोटिक्स से भरपूर, यह आंत के समुचित कार्य में सहायता कर सकता है।
सामग्री
- 1 पका हुआ केला
- दही
विधि
केले को छीलकर छोटे गोल आकार में काट लें। इसे दही के साथ मिलाएं और बस यह स्वास्थ्यकर व्यंजन परोसे जाने के लिए तैयार है।
माना जाता है कि बच्चे को अर्ध–ठोस पदार्थ देना शुरु करने के बाद सबसे पहले फल के रुप में केला दिया जाता है। इसका कारण यह है कि यह फल चिकना और मलाईदार होता है, जिससे शिशु को निगलने में आसानी होती है। इसमें मौजूदपोषक तत्व बच्चे की हड्डी के विकास में मदद करते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली व दृष्टी में सुधार करते हैं और यह सभी लाभ आपको बहुत कम कीमत में मिल सकते हैं!