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केला एक उत्तम फल है जो शिशु को स्तनपान छुड़वाने के साथ ही दिया जा सकता है। यह फल पोषक तत्वों से परिपूर्ण होने के कारण बच्चे के संपूर्ण विकास में मदद करता है। चूंकि यह मीठा और मलाईदार होता है, इसलिए बच्चे भी इसे खाना पसंद करते हैं।
केले में पोषक तत्वों की मात्रा (100 ग्राम), कुछ इस प्रकार है:
कई लोगों का कहना है कि, 4 से 6 महीनों के बीच शिशु को केला देना शुरू किया जा सकता है। हालांकि, चिकित्सक शिशु के 6 महीने की उम्र तक होने का इंतजार करने की सलाह देते हैं और इस समय तक अर्ध–ठोस पदार्थ देना शुरू किया जा सकता है। 6 महीने के बच्चे के लिए प्रतिदिन एक छोटा केला देना फायदेमंद है।
एक माँ जब अपने बच्चे को ठोस पदार्थ देना शुरू करती है तो निस्संदेह उसका सबसे पसंदीदा फल केला होता है। यह उन बच्चों के लिए सबसे अच्छा भोजन है, जिन्होंने अभी–अभी स्तनपान छोड़ना शुरू किया है। हालांकि सभी मांओं में एक सवाल आम है कि “क्या केले से बच्चों में कब्ज़ होता है?”
केले के कुछ लाभ निम्नलिखित हैं:
केला फलों में सबसे लोकप्रिय है। पोषक तत्वों से भरपूर यह फल पूरे वर्ष आसानी से उपलब्ध भी होता है। इसके अलावा बच्चे को खाने के लिए केले की प्रकृति एकदम सही है। उम्र के आधार पर शिशुओं को केला देने से संबंधित निम्नलिखित जानकारी दी गई है।
6 महीने के बच्चे को केले देना: केले को छीलें और टुकड़ों में काटकर मसल लें। ऐसा करने से केला अत्यधिक नर्म और प्यूरी के जैसा हो जाता है। इससे शिशु को केला निगलने में आसानी होती है।
9 महीने के शिशु को केला देना: 9वें महीने तक, एक बच्चा प्यूरी जैसे भोजन से लेकर छोटे ठोस निवाले खाने लगता है। इसलिए, आप केले को मसल कर या उसके छोटे टुकड़े करके बच्चे को दे सकती हैं।
1 साल के बच्चों को केला देना: आप बच्चे को सिर्फ आधा केला छील कर दे सकती हैं। इस तरह, शिशु अपने हाथ से फिसले बिना ही उस पर एक अच्छी पकड़ बना सकेगा। परन्तु, अतिरिक्त छिलके को कैंची से निकाल दें ताकि यह उसके मुंह के अंदर न जाए।
आप केले को छीलकर, इसे छोटे गोल टुकड़ों में काटकर अपने बच्चे को कांटे का उपयोग करके इसे खाने के लिए प्रोत्साहित कर सकती हैं।
बच्चे को केले खिलाते समय, आपको कुछ सावधानियां बरतने की जरुरत है, जिनमें शामिल है:
केले में विटामिन ‘बी6’ होता हैं, जो श्वसनी (ब्रोन्कियल) की मांसपेशियों के ऊतकों को आराम पहुँचा सकता है। केला प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार करने के लिए और खांसी–सर्दी को रोकने के लिए भी जाना जाता है। हालांकि यह फल श्लेष्मा बनाने वाला खाद्य पदार्थ है। ऐसे में, यह खांसी और सर्दी बढ़ा सकता है।
प्रतिदिन एक केला शिशु को कोई नुकसान नहीं पहुँचाता है किंतु किसी भी चीज का बहुत ज्यादा उपयोग, बुरा प्रभाव डाल सकता है। इसलिए शिशुओं को केले संतुलित मात्रा में ही देना चाहिए।
एक दिन में एक बच्चा कितने केले खा सकता है?
क्या बच्चों को रोज केले देना अच्छा है? इसका जवाब है, हाँ। यद्यपि, एक बच्चे को दिन में केवल एक छोटा केला देना चाहिए। एक साथ बहुत सारे केले खाने से बच्चे को स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं।
एक फल के रूप में खाने के अलावा, केले के विभिन्न व्यंजनों को भी तैयार किया जा सकता है। यहाँ आपके बच्चे के लिए केले के प्यूरी की पौष्टिक आहार विधियां बताई गई हैं, जिन्हें आप अपने घर पर ही तैयार कर सकती हैं।
यह पौष्टिक आहार लस (ग्लूटेन) से रहित और उच्च मात्रा में रेशायुक्त है।
सामग्री
विधि
फूड प्रोसेसर में सभी सामग्रियों को डालकर गाढ़ा मिश्रण तैयार कर लें।
इस स्मूदी में एंटी–ऑक्सीडेंट और फाइबर होता है, जो पाचन में मदद कर सकते है।
सामग्री
विधि
सभी सामग्रियों को एक साथ मिलाकर मिश्रण तैयार करें और तुरंत परोसें।
यदि आप अपने बच्चे को ग्लूटेन और लैक्टोज–मुक्त कुछ देना चाहती हैं तो, यह एक उत्तम विकल्प है।
सामग्री
विधि
इसमें कोलेस्ट्रॉल कम होता है और यह पाचन के लिए भी बेहतर होते हैं।
सामग्री
विधि
प्रोबायोटिक्स से भरपूर, यह आंत के समुचित कार्य में सहायता कर सकता है।
सामग्री
विधि
केले को छीलकर छोटे गोल आकार में काट लें। इसे दही के साथ मिलाएं और बस यह स्वास्थ्यकर व्यंजन परोसे जाने के लिए तैयार है।
माना जाता है कि बच्चे को अर्ध–ठोस पदार्थ देना शुरु करने के बाद सबसे पहले फल के रुप में केला दिया जाता है। इसका कारण यह है कि यह फल चिकना और मलाईदार होता है, जिससे शिशु को निगलने में आसानी होती है। इसमें मौजूदपोषक तत्व बच्चे की हड्डी के विकास में मदद करते हैं और प्रतिरक्षा प्रणाली व दृष्टी में सुधार करते हैं और यह सभी लाभ आपको बहुत कम कीमत में मिल सकते हैं!
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