बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

क्या लॉकडाउन के वजह से बच्चों के टीकाकरण में देरी करनी चाहिए?

हर पेरेंट्स अपने बच्चे को स्वस्थ रखने का प्रयास करते हैं। बच्चों या शिशु को समय से टीका दिलवा के होने वाले रोगों व इन्फेक्शन को खत्म किया जा सकता है। दुनिया की अलग-अलग जगहों में वैक्सीन का शेड्यूल भी अलग हो सकता है। आज के पेरेंट्स के लिए अपने बच्चे के टीकाकरण का शेड्यूल पूरी तरह से जानना बहुत जरूरी है ताकि वे बच्चे को किसी भी रोग से बचा सकें। हालांकि कभी-कभी पेरेंट्स कई कारणों से बच्चे को वैक्सीन नहीं लगवाते हैं या इसमें देरी कर देते हैं। खैर यदि आप जानना चाहते हैं कि बच्चे को समय पर वैक्सीन लगवाना क्यों जरूरी है, क्या वैक्सीनेशन शेड्यूल में देरी करने से कॉम्प्लीकेशंस हो सकती हैं, पेरेंट्स बच्चों को देरी से वैक्सीन क्यों लगवाते हैं और इससे संबंधित अन्य विषयों के बारे में यहाँ चर्चा की गई है, जानने के लिए पूरा आर्टिकल पढ़ें। 

पेरेंट्स बच्चों को टीका दिलाने में देरी क्यों करते हैं?

वैक्सीन से बच्चे व शिशु को गंभीर इन्फेक्शन और रोगों से सुरक्षा मिलती है और यदि ऐसा है तो फिर पेरेंट्स वैक्सीनेशन में देरी क्यों करते हैं। इसके कुछ कारण निम्नलिखित हैं, आइए जानें;

1. पिछली बार लगाई गई वैक्सीन के रिएक्शन को देखकर

कभी-कभी शिशु या बच्चों में वैक्सीन से एलर्जिक रिएक्शन भी हो जाता है। जिससे पेरेंट्स काफी चिंतित हो सकते हैं और वे अपने बच्चे को उस प्रकार की वैक्सीन लगवाने से बचते हैं ताकि पहले हुई कॉम्प्लिकेशन दोबारा से न हो। 

2. वैक्सीन से सेफ्टी के लिए

ज्यादातर पेरेंट्स शिशु के लिए वैक्सीन की सुरक्षा के बारे में चिंतित होते हैं। यदि बच्चा या शिशु किसी भी बीमारी से ग्रसित है, जैसे एलर्जी, जुकाम या कोई भी गंभीर समस्या तो आपकी यह चिंता बढ़ सकती है। 

3. जिन बच्चों में लंग्स या अस्थमा से संबंधित समस्याएं होती हैं

शिशु को फ्लू या अस्थमा का इंजेक्शन लगवाना भी उतना ही जरूरी है क्योंकि फ्लू के लक्षण इस समस्या को बढ़ाते हैं। हालांकि पेरेंट्स फ्लू की वैक्सीन को नाक से लगवाने से बचते हैं क्योंकि यह प्रोसेस जीवित वायरस को कमजोर करता है और इंजेक्शन वायरस को नष्ट कर देता है। 

4. यदि बच्चा स्टेरॉयड ड्रग्स ले रहा है

कुछ समस्याएं जैसे अस्थमा को रोकने के लिए अक्सर थोड़े समय तक स्टेरॉइड्स की ज्यादा डोज लेनी पड़ती है। लगभग कुछ सप्ताह या जब तक बच्चे में स्टेरॉयड का प्रभाव खत्म न हो जाए तब तक इंतजार करें क्योंकि वायरल इन्फेक्शन को खत्म करने के लिए स्टेरॉयड लेने से से इम्यून सिस्टम पर प्रभाव पड़ता है। हालांकि स्टेरॉयड की कम डोज लेने से वैक्सीन पर कोई भी प्रभाव नहीं पड़ेगा। 

5. यदि बच्चा एचआईवी पॉजिटिव है

जो बच्चा या शिशु एचआईवी पॉजिटिव है तो उसे तभी वैक्सीन लगानी चाहिए जब तक इम्यून सिस्टम पर गंभीर रूप से प्रभाव न पड़े। हालांकि पेरेंट्स को एचआईवी पॉजिटिव बच्चे के टी-सेल लिमिट का ध्यान रखना चाहिए जिसका अर्थ है कि जब तक संभव हो सिर्फ तब तक उसे वायरस की वैक्सीन लगवाएं पर यदि संभव नहीं है तो ऐसा बिलकुल भी न करें। 

6. यदि बच्चे की कीमोथेरेपी चल रही है

यदि बच्चे या शिशु की कीमोथेरेपी हो रही है तो उसका इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर होगा और इसे ऐसे बच्चों या शिशु को वैक्सीन लगवाना ठीक नहीं है।

7. यदि बच्चे को तेज बुखार है

यदि शिशु को 101 डिग्री से अधिक बुखार है तो पेरेंट्स ज्यादातर बच्चे को वैक्सीन लगवाने से बचते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह समझ पाना कठिन है कि बुखार इन्फेक्शन की वजह से है या किसी वैक्सीन के साइड-इफेक्ट्स की वजह से है। 

8. यदि बच्चे या शिशु को अंडे से एलर्जी है

मीजल और फ्लू की वैक्सीन को एगशेल में विकसित किया जाता है। यह वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित होती है क्योंकि डॉक्टर एलर्जी फैक्टर को ध्यान में रखते हुए शिशु को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में वैक्सीन लगाते हैं ताकि अन्य कोई कॉम्प्लिकेशन न हो। पर कभी-कभी पेरेंट्स छोटे बच्चे को एलर्जी से बचाने के लिए वैक्सीन लगवाने से बचते हैं। 

बच्चे का टीकाकरण में देरी करने से संभावित जोखिम

बच्चे या शिशु को किसी भी रोग से बचाए रखने के उसे टीका दिलाना जरूरी है। जन्म से बड़े होने तक शुरू से ही पेरेंट्स को बच्चे के टीकाकरण शेड्यूल का ध्यान रखना चाहिए पर कभी-कभी इसमें भी देरी हो जाती है जिससे उन्हें संभावित जोखिम भी हो सकते हैं। वैक्सीनेशन में देरी होने पर कुछ निम्नलिखित कॉम्प्लिकेशन हो सकती हैं, आइए जानें; 

1. छोटे बच्चों में बढ़ते जोखिम

बच्चों या शिशु के लिए वैक्सीनेशन शेड्यूल को इस प्रकार से डिजाइन किया जाता है कि इससे इम्युनिटी को ज्यादा से ज्यादा फायदे मिल सकें। किसी भी प्रकार की देरी से बच्चों को गंभीर रोग होने का खतरा ज्यादा होता है। बच्चों या शिशु में कुछ निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं, आइए जानें;

  • मेनिन्जाइटिस से दिमाग पूरी तरह से डैमेज हो सकता है या बोलने की क्षमता खत्म हो सकती है।
  • पोलियो से बच्चा हमेशा के लिए अपंग हो सकता है।
  • मीजल्स से बच्चे के दिमाग में सूजन आती है और कुछ मामलों में उसकी मृत्यु भी हो सकती है।

2. अन्य लोगों के लिए जोखिम

बच्चे को इम्युनाइज्ड न करने से उसमें स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं बढ़ने का खतरा होता है पर इससे अन्य लोगों को भी हानि हो सकती है, जैसे;

  • न्यूबॉर्न बेबी जिन्हें ज्यादातर वैक्सीन नहीं दी जाती है।
  • वे बुजुर्ग जिन्हें रोग से कॉम्प्लीकेशंस होने का खतरा बढ़ सकता है।
  • वो लोग जिनका दवा लेने या हेल्थ कॉम्प्लिकेशन से इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है।

3. अन्य जोखिम

बच्चे या शिशु को अन्य जोखिम भी हो सकते हैं, जैसे;

  • टिटनेस या लॉकजॉ के मामलों में वैक्सीन ही एक मात्र समाधान है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह समस्या एक से दूसरे में नहीं फैलती है जिसका अर्थ है कि इस मामले में लोगों की इम्युनिटी काम नहीं करेगी। इस मामले में यदि बच्चे को वैक्सीन नहीं लगाया गया है तो खतरा बढ़ सकता है। एक छोटा सा कट या चोट भी बच्चे के लिए खतरनाक हो सकता है।
  • अन्य देशों में ट्रैवल करने पर बच्चे को वैक्सीन से ठीक होने वाले रोग होने का खतरा बढ़ता है।
  • कम्युनिटी से फैलने वाले रोग के मामले में बच्चे को बिलकुल भी बाहर न निकालें और उसे कुछ सप्ताह या बीमारी खत्म होने तक स्कूल न भेजें।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

पेरेंट्स के पास छोटे बच्चों या शिशु के लिए इम्यूनाइजेशन, वैक्सीनेशन बढ़ाने और इससे संबंधित अन्य कई सवाल होना बहुत आम है। यहाँ पर बच्चों को वैक्सीन लगाने से संबंधित कई अक्सर पूछे जाने वाले सवालों के जवाब दिए हुए हैं, आइए जानें;

1. क्या बच्चे के टीकाकरण में देरी करने के कोई फायदे हैं?

यदि आप सोचती हैं कि छोटे बच्चों को इम्युनाइज करने में देरी के क्या फायदे हो सकते हैं तो खैर उन्हें इंजेक्शन से बचाने के अलावा वैक्सीन में देरी करने के कोई भी फायदे नहीं हैं। वैक्सीन में किसी भी प्रकार की देरी का मतलब है बच्चे को बीमारी और इन्फेक्शन के खतरे में डालना। 

2. यदि मैं अपने बच्चे को सभी वैक्सीन लगवाना चाहती हूँ तो कुछ वैक्सीन्स में देरी क्यों नहीं कर सकती?

शिशु और छोटे बच्चों को गंभीर बीमारियां आसानी से हो सकती हैं जिसकी वजह से उन्हें हॉस्पिटल में एडमिट करना पड़ सकता है और यहाँ तक कि कुछ मामलों में मृत्यु भी हो सकती है। यदि बच्चे की वैक्सीन के डोज में देरी या बढ़ाने के बारे में सोच रही हैं तो इससे बच्चा असुरक्षित रहेगा और उससे इंफेक्शन और बीमारी होने का खतरा बढ़ता है। 

3. यदि शिशु ब्रेस्टफीडिंग करता है तो भी क्या उसे वैक्सीन लगाने की जरूरत है?

इसमें कोई शक नहीं है कि ब्रेस्टफीडिंग से बच्चे की इम्युनिटी बढ़ती है। हालांकि ब्रेस्ट मिल्क हर तरीके के इन्फेक्शन और बीमारियों के लिए इम्युनिटी प्रदान नहीं करता है। इसका यही अर्थ है कि वैक्सीन से बच्चे को खतरनाक बीमारियों से सुरक्षा मिलती है और वह लंबे समय तक सुरक्षित भी रहता है। 

4. चूंकि बच्चा या शिशु अब तक डे केयर में नहीं जाता है तो क्या मैं उसे वैक्सीन लगवाने में देरी कर सकती हूँ?

बिलकुल भी नहीं, चूंकि शिशु या बच्चा घर में है या डे केयर में जाता है पर उसे किसी से भी और कहीं भी इन्फेक्शन हो सकता है। बच्चे को गंभीर रोगों से बचाने के लिए उसे शेड्यूल के अनुसार इम्युनाइज्ड करें। 

5. क्या अलटरनेट वैक्सीनेशन सीडीसी के द्वारा मंजूर की जाती हैं?

स्पेसिंग और वैक्सीन में देरी करना पर्सनल चॉइस है जो अक्सर पेरेंट्स बच्चों और शिशु को एक बार में या थोड़े समय के बाद कई इंजेक्शन लगवाने से बचते हैं। हालांकि सीडीसी द्वारा मंजूर वैक्सीन का कोई भी फॉर्मल अल्टेरनेटिव मौजूद नहीं है। 

6. मैंने अपने बच्चे को वैक्सीन नहीं लगवाई थी पर अब मैं लगवाने की सोच रही हूँ। क्या करना चाहिए?

अच्छी बात यह है कि यदि छोटे बच्चे या शिशु को वैक्सीन लगवाने से संबंधित आपका कोई भी निर्णय बदला है तो ज्यादातर वैक्सीन के लिए कभी भी देरी नहीं होती है। बच्चे को जल्दी से जल्दी ज्यादा सुरक्षा देने के लिए डॉक्टर वैक्सीन का शेड्यूल बनाने में आपकी मदद करेंगे। 

7. यदि बेबी को सर्दी जुकाम है या वह एंटीबायोटिक ले रहा है तो क्या उसे वैक्सीन लगवानी चाहिए?

हाँ, यदि बच्चे को बुखार है या वह एंटीबायोटिक ले रहा है तो बच्चे को वैक्सीन लगवाने में कोई परेशानी नहीं है। यदि आपको इससे संबंधित कोई भी चिंता या सवाल है तो आप डॉक्टर से सलाह जरूर लें। 

8. यदि एक अपॉइंटमेंट छूट गई है तो क्या शिशु को फिर से सारी वैक्सीन लगवानी होंगी?

नहीं, आप शिशु को दोबारा से सभी वैक्सीन न लगवाएं। यदि आप से एक अपॉइंटमेंट या वैक्सीन छूट गई है तो आप वहीं से शुरू करें जहाँ से छोड़ा था। हालांकि यह जरूरी है कि बेहतर सुरक्षा के लिए प्रिस्क्राइब किए हुए शेड्यूल को ही फॉलो करें। 

छोटे बच्चों को खतरनाक इन्फेक्शन या बीमारी से बचाने के लिए उन्हें वैक्सीन लगवाना बहुत जरूरी है। इम्यूनाइजेशन के शेड्यूल में देरी करने से संबंधित कोई भी निर्णय लेने से पहले आप डॉक्टर से सलाह लें। 

यह भी पढ़ें:

बच्चों को वैक्सीन लगाने के बाद बुखार आना
बच्चों में वैक्सीनेशन के 5 कॉमन साइड इफेक्ट्स
बच्चों के टीकाकरण से जुड़े 15 आम सवाल और जवाब

सुरक्षा कटियार

Recent Posts

अभय नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Abhay Name Meaning in Hindi

नाम हर व्यक्ति की पहली पहचान होता है, और इसलिए बच्चे के जन्म लेने से…

2 weeks ago

दृश्या नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Drishya Name Meaning in Hindi

क्या आपके घर में बेटी का जन्म हुआ है या आपके घर में छोटा मेहमान…

2 weeks ago

अरहम नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Arham Name Meaning in Hindi

हमारे देश में कई धर्मों के लोग रहते हैं और हर धर्म के अपने रीति-रिवाज…

2 weeks ago

ज्योत्सना नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Jyotsna Name Meaning in Hindi

हर किसी के लिए नाम बहुत मायने रखता है। जब आप अपनी बेटी का नाम…

2 weeks ago

सारा नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Sara Name Meaning in Hindi

इन दिनों लड़कियों के कई ऐसे नाम हैं, जो काफी ट्रेंड कर रहे हैं। अगर…

2 weeks ago

उर्मिला नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Urmila Name Meaning in Hindi

बच्चों के प्रति माता-पिता का प्यार और भावनाएं उनकी हर छोटी-छोटी बात से जुड़ी होती…

2 weeks ago