क्या मोटापा इनफर्टिलिटी का कारण बन सकता है?

क्या मोटापा इनफर्टिलिटी का कारण बन सकता है?

मोटापा एक ऐसी समस्या है जो चाहे गर्भावस्था से पहले हो या उसके दौरान, बहुत सारी समस्याएं पैदा कर सकती है। लेकिन इस बात को ही सच मान लेना कि अधिक वजन होना इनफर्टिलिटी यानी बांझपन का एकमात्र कारण है यह सही नहीं है। मोटापे और फर्टिलिटी क्षमता के बीच में क्या संबंध है उसके बारे में अधिक जानने के लिए आगे पढ़ें।

महिलाओं को हमेशा से ही वजन घटाने का जुनून रहता है, खासकर वो महिलाएं जिनका वजन आम महिलाओं के मुकाबले ज्यादा होता है। जिस व्यक्ति के शरीर के टिश्यू का 30% से अधिक फैट से बना होता है उसे मोटा माना जाता है। हममें से ज्यादातर लोग जानते हैं कि मोटापा दिल के रोग और डायबिटीज जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है, लेकिन बहुत कम लोग ये जानते हैं कि महिलाओं में मोटापा उनके बांझपन का कारण भी हो सकता है। मोटापे की शिकार महिलाओं के गर्भवती होने की संभावना कम होने का कारण उनके ओवुलेशन से जुड़ा है, जिसमें अतिरिक्त फैट के कारण कभी-कभी बाधा पहुँचती है। यहां महिलाओं में मोटापे के कारण पैदा होने वाली इनफर्टिलिटी की समस्या से जुड़ी सभी जानकारी दी गई है।

मोटापे का फर्टिलिटी पर प्रभाव

अमेरिकी संस्था सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन सेंटर (सीडीसी) के अनुसार, बांझपन एक आम समस्या है। 15 से 44 साल की उम्र के बीच की 12% महिलाओं को गर्भवती होने या गर्भधारण करने में परेशानी होती है। ऐसे कई कारक हैं जो महिलाओं में इनफर्टिलिटी की समस्या को बढ़ाने का काम करते हैं, जैसे उम्र, पीरियड साइकिल, ओवुलेशन और यहां तक ​​कि वजन भी।

मोटापे का फर्टिलिटी पर प्रभाव

महिलाओं की फर्टिलिटी क्षमता पर वजन द्वारा पड़ने प्रभावों के बारे में नीचे बताया गया है।

  • कई स्टडीज से पता चला है कि 29 से अधिक बीएमआई (बॉडी मास इंडेक्स) यूनिट वाली महिलाओं के गर्भवती होने की संभावना कम होती है। 35 से 40 बीएमआई यूनिट वाली महिलाओं में 21 से 25 बीएमआई यूनिट वाली महिलाओं की तुलना में 23 से 43% तक गर्भधारण की कम संभावना होती है। 
  • मोटापा शरीर में हार्मोनल असंतुलन पैदा करता है, जिसका ज्यादातर महिलाओं की ओवुलेशन साइकिल पर सीधा प्रभाव पड़ता है। मासिक धर्म में अनियमितता और ओवुलेशन महिलाओं में बांझपन का एक प्रमुख कारण है।
  • कई महिलाओं के पेट में चर्बी जमा हो जाती है। पेट की चर्बी में एंड्रोजेनिक हार्मोन होते हैं, जो ओवुलेशन प्रक्रिया में रुकावट पैदा करते हैं। अनियमित ओवुलेशन से महिलाओं के लिए गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है। हालांकि यह अभी तक सिद्ध नहीं हुआ है कि औसत बीएमआई (18 से 25) प्राप्त करने के लिए वजन कम करने से महिलाओं में गर्भधारण की संभावना बढ़ सकती है, फिर भी स्टडीज से पता चलता है कि शरीर के फैट में केवल 5%-7% भी कम होने से ओवुलेशन की संभावना और पीरियड साइकिल नियमित होने में सुधर होता है।

मोटापे और फर्टिलिटी के बीच संबंध

अधिक वजन होने के कारण कई महिलाओं को इनफर्टिलिटी की समस्या पैदा हो सकती है लेकिन जरूरी नहीं है कि इसमें हर महिला शामिल हो। लेकिन गर्भधारण करने में असमर्थता के अलावा, मोटापे से और भी कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं जैसे:

1. अनियमित पीरियड साइकिल 

मोटापा आपके पीरियड साइकिल की नियमितता को प्रभावित करता है, क्योंकि आपका शरीर कई तरह के हार्मोनल बदलाव से गुजरता है जो मोटापे के साथ जुड़े होते हैं। एक बार जब पीरियड साइकिल अनियमित हो जाती है, तो ओवुलेशन के समय को ट्रैक नहीं किया जा सकता है, जिससे महिलाओं में इनफर्टिलिटी की संभावना बढ़ जाती है। इस प्रकार, मोटापा सीधे आपकी इनफर्टिलिटी से जुड़ा हुआ है।

2. इलाज का कम सफल होना

मोटापा आईवीएफ जैसे इलाज की सफलता दर को कम करता है और कई तरह की जटिलताओं को और बढ़ा देता है। यह आईवीएफ दवा के प्रति शरीर की प्रतिक्रिया को कम करता है, इस प्रकार फिर से हासिल किए गए अंडों की संख्या को कम कर देता है। प्रक्रिया के दौरान मोटापे से ग्रस्त महिलाओं को ब्लीडिंग और चोट लगने का अधिक खतरा होता है।

3. गर्भपात का खतरा बढ़ना

गर्भधारण करने की कोशिश करने से पहले, मोटापे से ग्रस्त महिलाओं को मिसकैरेज की संभावना को कम करने के लिए अपना वजन कम करना चाहिए। कुछ स्टडीज यह साबित करती हैं कि मोटापा महिलाओं के गर्भपात के जोखिम को दोगुना कर देता है।

4. जटिलताएं और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं 

  • मोटापे की शिकार महिलाएं गर्भवती हो सकती हैं, लेकिन यह गर्भावस्था अक्सर कई स्वास्थ्य समस्याओं को साथ ले आती है, जैसे डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर। गर्भावस्था के दौरान कोई भी बीमारी माँ और गर्भ में पल रहे बच्चे दोनों के लिए एक गंभीर समस्या बन जाती है, जो अक्सर नौ महीनों के दौरान और यहां तक ​​कि कभी-कभी डिलीवरी के समय भी कॉम्प्लिकेशन का कारण बनती है।
  • हमारे शरीर के फैट सेल्स एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन को स्टोर करते हैं और एस्ट्रियोल जैसे सेक्स हार्मोन का उत्पादन करते हैं।
  • हार्मोन का अधिक होना, ओवुलेटरी और मासिक धर्म से जुड़ी समस्याओं के कारण इनफर्टिलिटी का कारण बनता है।
  • 10% वजन कम करने से फर्टिलिटी भी बढ़ती है।
  • एक बार गर्भवती होने के बाद, मोटापे से ग्रस्त महिलाओं को मिस्ड मिसकैरेज, गर्भपात, समय से पहले प्रसव, प्री-एक्लेमप्सिया, हाई ब्लड प्रेशर और जेस्टेशनल डायबिटीज मेलिटस के विकास जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

मुख्य उपाय: वजन एक ऐसा कारक है जो पुरुषों और महिलाओं दोनों में ही समान रूप से फर्टिलिटी से जुड़ा हुआ है। आपको मोटापे के बारे में क्या पता होना चाहिए और यह आपके गर्भवती होने की संभावनाओं को कैसे प्रभावित करता है, इस बारे में आपको पूरी तरीके से जानकारी होना जरूरी है।

मोटापे के साथ गर्भवती कैसे हों?

गर्भावस्था और मोटापा का एक साथ जुड़ा होना सही नहीं माना जाता है। जैसा कि अब हम जानते हैं कि मोटापा गर्भावस्था में कई तरह की समस्याओं को पैदा  करने का कारण बनता है, साथ ही इसका आपके बच्चे के स्वास्थ्य और विकास पर भी प्रभाव पड़ता है। तो यहां कुछ तरीके दिए गए हैं जो आपको मोटापे के दौरान गर्भवती होने में मदद करेंगे।

1. पेट की चर्बी घटाएं

पेट के आसपास का वजन कम करना गर्भधारण का एक उपाय है क्योंकि इससे पेट की चर्बी के कारण होने वाले ओवुलेशन में रुकावट कम हो जाएगी। यह आपके ओवुलेशन साइकिल को नियमित करने में मदद करेगा, जिससे आपके गर्भधारण की संभावना बढ़ जाएगी।

2. अपने पीरियड साइकिल पर नजर रखें 

अगर आपके पीरियड्स नियमित हैं और आपकी उम्र 30 साल से कम है, तो आप खुद गर्भधारण करने की कोशिश कर सकती हैं। यह जानने के लिए कि आप कब ओवुलेट कर रही हैं उसके अनुसार संभोग की योजना बनाएं, घर पर किट का उपयोग करें। अनियमित पीरियड के मामले में, जल्द से जल्द अपने फर्टिलिटी विशेषज्ञ के पास जाना बेहतर रहेगा।

3. पीसीओएस के लिए टेस्ट

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) अनियमित पीरियड्स का सबसे आम कारण है जो महिलाओं में इनफर्टिलिटी की वजह बनता है। मोटापा या लगातार वजन बढ़ना भी पीसीओएस से जुड़ा हुआ है। इस समस्या से पीड़ित महिलाएं अपने अंडाशय में कई सिस्ट से पीड़ित होती हैं जो बड़ी मात्रा में एंड्रोजेनिक और एस्ट्रोजेनिक हार्मोन का उत्पादन करती हैं, जिससे ओवुलेशन रुक जाता है।

4. वजन कम करें

यदि आपका वजन आपको प्रेग्नेंट होने से रोक रहा है, तो आपको वजन घटाने को गंभीरता से लेना चाहिए। क्रैश डाइट और जिम में घंटों बिताना ही वजन कम करने का तरीका नहीं है। बस स्वस्थ खाने पर स्विच करें, बाहर के जंक फूड से बचें और हफ्ते में कम से कम तीन बार वॉकिंग या जॉगिंग शुरू करें। आप परिणाम जरूर देखेंगी। सिर्फ कुछ किलो वजन कम करने से आपकी फर्टिलिटी क्षमता में वृद्धि होना तय है।

5. एस्ट्रोजन के स्तर की जांच कराए 

शरीर में बहुत अधिक एस्ट्रोजन एक हार्मोनल असंतुलन का कारण बनता है जिसके परिणामस्वरूप ओवुलेशन अनियमित हो जाता है। फैट सेल्स को एस्ट्रोजन का उत्पादन करने के लिए जाना जाता है। तो आपके पास जितना अधिक फैट होगा, आपका शरीर उतना ही अधिक एस्ट्रोजन पैदा करेगा जिससे इनफर्टिलिटी की समस्या बढ़ेगी।

6. एलपीडी के लिए टेस्ट

ल्यूटियल फेज डिफेक्ट (एलपीडी) काफी हद तक इनफर्टिलिटी और गर्भपात से जुड़ा है। पीरियड्स और ओवुलेशन के बीच का सही समय 14 दिन है, जिससे औसत अवधि 12-16 दिन हो जाती है। ल्यूटियल फेज ओवुलेशन के बाद का फेज है जब गर्भाशय की परत एक संभावित गर्भावस्था की तैयारी के लिए मोटी हो जाती है। एलपीडी के साथ, ऐस नहीं हो पाता जिससे गर्भधारण करने करने में मुश्किल होती है।

7. किसी फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट के पास जाएं

यदि आप लंबे समय से गर्भधारण की कोशिश कर रही हैं और आपको कोई सफलता नहीं मिली है, तो फर्टिलिटी टेस्ट जरूर करवाएं। यह सलाह दी जाती है कि अपने पति का भी टेस्ट करवाएं ताकि डॉक्टर समस्या को सही रूप से पहचान सकें। ऐसे में डॉक्टर की सलाह लेना हमेशा फायदेमंद होता है।

अधिक वजन होने का मतलब यह नहीं है कि आप गर्भवती नहीं हो सकती हैं, बल्कि इसका मतलब है कि आपके शरीर को इस प्रक्रिया में कठिनाई का सामना करना पड़ेगा। यदि आप गर्भधारण करने की कोशिश कर रही हैं, तो ‘स्वस्थ वजन घटाने’ वाली योजना से चिपके रहना होगा, अपने डॉक्टर से मिलें और सबसे जरूरी बात यह है कि सकारात्मक रहें क्योंकि अच्छी चीजें लंबे इंतजार के बाद ही सही लेकिन पूरी जरूर होती हैं!

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