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हेपरिन एक एंटीकोगुलेंट है, जो ब्लड क्लॉटिंग को होने से रोकता है। यह अक्सर सर्जरी से पहले ब्लड क्लॉटिंग को रोकने के लिए उपयोग किया जाता है। गर्भावस्था के दौरान हेपरिन का उपयोग काफी समय से किया जा रहा है। हालांकि, कुछ एक्सपर्ट गर्भावस्था के दौरान हेपरिन के इफेक्ट को लेकर विपरीत राय रखते हैं। गर्भावस्था के दौरान हेपरिन का उपयोग सुरक्षित है या नहीं, यह जानने के लिए पढ़ना जारी रखें।
हेपरिन, जिसे मेडिकली अनफ्रैक्शनेटेड हेपरिन (यूएफएच) के रूप में जाना जाता है, एक एंटीकोगुलेंट है जो ब्लड क्लॉटिंग को रोकने के लिए उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग ब्लड वेसल्स, हृदय और फेफड़ों से संबंधित बीमारियों और समस्याओं का इलाज करने के लिए किया जाता है और यह उन रोगियों में ब्लड क्लॉटिंग को रोकने का काम करता है जिन्हें लंबे समय तक के लिए बिस्तर पर आराम करने की जरूरत होती है। गर्भावस्था के दौरान, हेपरिन लेने से ब्लड क्लॉटिंग की संभावना से बचा जा सकता है और इसके अलावा ब्लड क्लॉटिंग से होने वाले गंभीर कॉम्प्लिकेशन को रोका जा सकता है, जैसे कि प्री-एक्लेमप्सिया, लो बर्थ वेट, प्लेसेंटा का अलग हो जाना और बच्चे को खो देना।
एक और प्रकार का हेपरिन होता है, जो हाल ही में डॉक्टरों द्वारा गर्भवती महिलाओं दिया जाने लगा है जो सामान्य रूप से ब्लड क्लॉटिंग रोकने के लिए दिया जाता है। इसे लो मॉलिक्यूलर वेट हेपरिन (एलएमडब्ल्यूएच) के रूप में जाना जाता है।
सामान्य तौर पर, गर्भावस्था के दौरान लो मॉलिक्यूलर वेट हेपरिन के उपयोग से माँ और बच्चे से जुड़े जोखिम न के बराबर हैं। हालांकि, दूसरे ब्लड थिनर जैसे कि वारफारिन और अनफ्रैक्शनेटेड हेपरिन (वह प्रकार जो पहले इस्तेमाल किया जाता था) का उपयोग करने से माँ के साथ साथ बच्चे की हेल्थ के लिए भी खतरा पैदा हो सकता है। हालांकि, लो मॉलिक्यूलर वेट हेपरिन को गर्भावस्था के संबंध में उपयोग करने के लिए सुरक्षित माना जाता है, इससे पहले इस्तेमाल किए गए अनफ्रैक्शनेटेड हेपरिन वर्जन का सेवन करने से कई हेल्थ रिस्क जुड़ी थीं। इसलिए, किसी भी ब्लड थिनर का उपयोग करने से पहले सावधानी बरती जानी चाहिए, खासकर यदि आप गर्भवती हैं।
जिन महिलाओं को उनके ब्लड क्लॉटिंग की प्रॉब्लम के बारे में पता है, उन्हें यह सलाह दी जाती है कि वो पहले अपने डॉक्टरों से जांच कराएं, इसके बाद प्रेसक्राइब्ड दवाओं का ठीक से सेवन करें। ब्लड क्लॉटिंग इशू का समय पर इलाज न करने से मिसकैरज या बच्चे को खो देने की जैसी घटना का सामना आपको करना पड़ता है। आपको लो मॉलिक्यूलर वेट हेपरिन लेने की ज्यादातर सलाह दी जाती है, क्योंकि यह प्लेसेंटा के जरिए बच्चे तक नहीं पहुँचती है और इसलिए बच्चे को इससे कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है। महिलाओं को बच्चे के जन्म के बाद लो मॉलिक्यूलर वेट हेपरिन लेने की सलाह दी जाती है क्योंकि जन्म के पहले छह हफ्तों के दौरान ब्लड क्लॉटिंग का जोखिम ज्यादा होता है। महिलाओं के लिए लो मॉलिक्यूलर वेट हेपरिन इंजेक्शन को ब्रेस्टफीडिंग के दौरान सुरक्षित माना जाता है।
जबकि गर्भावस्था के दौरान लो मॉलिक्यूलर वेट हेपरिन के बहुत ही कम साइड इफेक्ट्स के मामले आए हैं, लेकिन अनफ्रैक्शनेटेड हेपरिन के कारण महिलाओं को कॉम्प्लिकेशन का सामना करना पड़ा है। गर्भावस्था के दौरान हेपरिन के कुछ कॉमन साइड इफेक्ट्स इस प्रकार हैं:
गर्भावस्था के दौरान हेपरिन इंजेक्शन आमतौर पर ब्लड क्लॉटिंग को कंट्रोल करने के लिए दिया जाता है। कुछ महिलाएं पहले से ही इंजेक्शन ले रही होती हैं, और कुछ गर्भावस्था के दौरान इसे लेना शुरू करती हैं। चूंकि लो मॉलिक्यूलर वेट हेपरिन प्लेसेंटा के जरिए बच्चे तक नहीं पहुँचती है और न ही इससे बच्चे को कोई साइड इफेक्ट होता है, इसलिए एक्सपर्ट इसे लेने की सलाह देते हैं। इसके अलावा, हेपरिन आमतौर पर आपके पेट के उस हिस्से के आसपास दी जाती है जहाँ फैट लेयर ज्यादा हो और इससे बच्चे को कोई नुकसान न हो। गर्भावस्था के दौरान और बाद के चरणों में बहुत ज्यादा ब्लड लॉस होने का खतरा होता है, ऐसे में हेपरिन ब्लड क्लॉटिंग को रोकने में काफी प्रभावी रूप से काम करता है।
ऐसे स्टडीज की गई हैं, जिनका निष्कर्ष यह निकलता है कि आमतौर पर प्रेगनेंसी के दौरान हेपरिन का उपयोग करना माँ और बच्चे दोनों के लिए ही हानिकारक है। रिसर्च के जरिए जानवरों पर इसके कई एक्सपेरिमेंट किए गए। हालांकि, हेपरिन का जितने भी साइड इफेक्ट्स होते हैं, वो केवल अनफ्रैक्शनेटेड हेपरिन या दूसरे ब्लड थिनर के कारण होते हैं। लो मॉलिक्यूलर वेट हेपरिन की खोज उन माओं के लिए की गई थी जो ब्लड क्लॉटिंग की समस्या से पीड़ित हैं और प्रेगनेंसी के दौरान यह बेहतरीन रूप से कार्य करती है। लेकिन प्रेगनेंसी के दौरान कोई भी दवा लेने से पहले आपको अपने डॉक्टर से पूछ लेना चाहिए।
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