गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान आप और बच्चे पर स्ट्रेस (तनाव) का प्रभाव

किसी भी महिला के लिए उसके जीवन का सबसे अच्छा पल वो होता है जब उसे पता चलता है कि वो माँ बनने वाली है, लेकिन फिर प्रेगनेंसी के दौरान कभी-कभी वह स्ट्रेस और एंग्जाइटी का शिकार हो जाती हैं और इसके पीछे कई कारण हैं। अगर आपके साथ भी ऐसा कुछ है तो घबराए नहीं, यह सिर्फ आपके साथ नहीं हो रहा है, बल्कि ऐसा प्रेगनेंसी के दौरान होना कॉमन है, लेकिन अगर आप बहुत ज्यादा स्ट्रेस लेती हैं तो इससे आपके बच्चे को नुकसान पहुँच सकता है। एक तरह गर्भावस्था की खबर आपके जीवन की सबसे बड़ी खुशी में से एक होती है, तो वहीं इस दौरान आप फिजिकल, मेंटल और इमोशनल चेंजेस का भी सामना कर रही होती हैं। इन बदलावों में हार्मोन का बढ़ना, पीठ दर्द और मॉर्निंग सिकनेस जैसी समस्याएं भी शामिल हैं। इन सबके कारण, किसी को स्ट्रेस का अनुभव हो सकता है।

गर्भावस्था के दौरान स्ट्रेस होने के कारण

गर्भावस्था के दौरान स्ट्रेस होने के कई कारण हो सकते हैं। यह मुख्य रूप से शारीरिक और मानसिक तकलीफों के कारण होता है।

  • शारीरिक तनाव: यह उन फिजिकल इशू के कारण होता है, जिसमें गर्भवती महिलाओं को सुस्ती और शरीर में हो रहे दर्द का सामना करना पड़ता है।
  • हार्मोन: हार्मोनल चेंजेस के कारण मूड स्विंग होता है, जो किसी भी व्यक्ति को मेंटली प्रभावित कर सकता है। हालांकि यह स्ट्रेस का मुख्य कारण नहीं है, लेकिन यह एक महिला को तनाव के प्रति संवेदनशील बना सकता है।
  • घर और करियर दोनों को संभालना: जो महिलाएं नौकरी के साथ-साथ घर की भी जिम्मेदारी संभालती हैं उन्हें काफी ज्यादा स्ट्रेस का सामना करना पड़ता है। ऐसी स्थिति भी आ सकती है, जब आपको लगेगा कि चीजें ठीक नहीं कर पा रही हैं, इस प्रकार आपकी पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ दोनों ही प्रभावित होंगी। कई महिलाएं स्ट्रेस को दूर करने के लिए ज्यादा प्रयास नहीं करती हैं, वहीं कुछ महिलाओं स्ट्रेस की समस्या इतनी ज्यादा गंभीर हो जाती है कि वो डिप्रेशन में चली जाती हैं।
  • घरेलू हिंसा: ऐसी महिलाएं भी हैं जो गर्भावस्था के दौरान घरेलू समस्याओं और अन्य पर्सनल प्रॉब्लम का शिकार हो जाती हैं। इस तरह के इशू से आपका स्ट्रेस बढ़ सकता है। जो आपको और बच्चे को काफी नुकसान पहुँचा सकता है।

कितने प्रकार के स्ट्रेस आपकी गर्भावस्था में समस्या पैदा करते हैं

स्ट्रेस गर्भावस्था का एक हिस्सा है और यह तब तक ठीक है, तब तक कि आपको इससे कोई बड़ी समस्या का सामना नहीं करना पड़ रहा हो और आप इसे मैनेज कर पा रही हों। आपके लिए हमेशा इमोशनल स्ट्रेस को मैनेज कर पाना आसान नहीं होता है। प्रेगनेंसी के दौरान कई तरह के स्ट्रेस होते हैं, शांत हो कर उनसे निपटा जा सकता है, लेकिन कुछ ऐसे भी स्ट्रेस होते हैं जो आपकी प्रेगनेंसी पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं। उनमें से कुछ इस प्रकार से शामिल हैं

  • बुरी घटना हो जाना: जीवन में कोई ऐसी ट्रेजेडी हो जाती हैं जिनसे आपका बाहर निकल पाना मुश्किल हो जाता है जैसे परिवार में किसी का गंभीर रूप से बीमार पड़ जाना या अपने किसी करीबी को खो देना आदि, इससे आप बहुत ज्यादा स्ट्रेस में आ सकती हैं, जिससे जल्दी निकल पाना आपके लिए बहुत मुश्किल होता है।
  • आपदाएं: भूकंप, बाढ़, तूफान आदि प्राकृतिक आपदाएं या फिर इंसानों द्वारा लाई जाने वाली विपत्तियां जैसे आतंकवादी हमले, एक्सीडेंट आदि गर्भवती महिलाओं के मन पर गहरा प्रभाव छोड़ सकते हैं। इन घटनाओं की भयानक छवियों को दिमाग से मिटाना मुश्किल हो सकता है और यह मेंटल स्ट्रेस का कारण बन सकता है।
  • एक्यूट स्ट्रेस: यह एक ऐसी स्थिति है जो गर्भावस्था के दौरान या तो व्यक्तिगत समस्याओं जैसे कि पैसों की समस्या होना, रिश्ते की समस्या, घर में अशांति, शारीरिक शोषण या मानसिक शोषण के कारण पैदा हो सकती है। गर्भावस्था के दौरान स्ट्रेस के सबसे बुरे प्रभावों में से एक है डिप्रेशन, जो लंबे समय तक चल सकता है। कभी-कभी, यह गर्भावस्था के बाद भी जारी रहता है, जिसे पोस्टपार्टम  डिप्रेशन कहा जाता है।
  • गर्भावस्था से जुड़ी चिंताएं: गर्भावस्था से संबंधित चिंताओं के कारण कई महिलाएं स्ट्रेस से पीड़ित हो जाती हैं जैसे कि लेबर पेन को लेकर चिंता होना, बच्चे की हेल्थ को लेकर चिंतित होना, मिसकैरज होने का डर, अपनी जिम्मेदारियों को लेकर होने वाला स्ट्रेस आदि। इन सभी बातों को सोच कर आप बहुत ज्यादा स्ट्रेस में आ सकती हैं और डिप्रेशन का शिकार हो सकती हैं।

तनाव आपकी गर्भावस्था को कैसे प्रभावित कर सकता है?

गर्भावस्था का समय हर महिला के लिए एक नया अनुभव होता है, लेकिन कुछ ऐसी भी महिलाएं होती हैं जो इस दौरान अपने हर चरण को एंजॉय करना चाहती हैं खुश रहना चाहती हैं। मगर इस दौरान कई कारणों से उन्हें गंभीर रूप से स्ट्रेस का सामना करना पड़ता है। यहाँ तक कि स्ट्रेस और मिसकैरज का एक दूसरे से गहरा संबंध है। इसकी वजह से आपको सिरदर्द, अनिद्रा, थकावट आदि समस्याएं हो सकती हैं। भूख न लगना, पेचिश और मूड स्विंग स्ट्रेस होने के ऐसे कारण हैं जिनसे आपको प्रेगनेंसी के दौरान मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।

गर्भावस्था के दौरान स्ट्रेस के कई बुरे प्रभाव हो सकते हैं। लंबे समय तक, स्ट्रेस का इलाज न किए जाने से यह हाई ब्लड प्रेशर, जेस्टेशनल डायबिटीज और यहाँ तक ​​कि दिल का दौरा भी पड़ सकता है। स्टडी से पता चला है कि लंबे समय तक स्ट्रेस भी गंभीर रूप से डिप्रेशन का कारण बन सकता है।

स्ट्रेस का इलाज न किए जाने से आपकी प्रेगनेंसी को मुश्किलों से भारी हो सकती है। इसका मतलब है कि आप अपनी गर्भावस्था को एंजॉय नहीं कर पाएंगी और यह आपको डिलीवरी के बाद यह चीज आपको प्रभावित करेगी । प्रेगनेंसी के दौरान स्ट्रेस लेने से आपके बच्चे का विकास भी प्रभावित होता है जैसे ब्रेन डेवलपमेंट और बिहेवरियल प्रॉब्लमआदि।

स्ट्रेस आपके बच्चे को कैसे प्रभावित कर सकता है?

स्ट्रेस के कारण आपके गर्भ में पल रहे बच्चे पर कई तरह से प्रभाव पड़ सकता है। स्ट्रेस आपके शरीर के कई कार्यों को प्रभावित करता है जिससे बच्चे पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। जैसे स्ट्रेस के कारण आपकी इम्युनिटी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जो इन्फेक्शन और अन्य बीमारियों का कारण बन सकता है। यह समय से पहले जन्म का कारण बन सकता है।

जब आप इमोशन के कारण स्ट्रेस का अनुभव करती हैं, तो कोर्टिसोल हार्मोन आपके शरीर में रिलीज होता है और इसका लेवल आपके स्ट्रेस की गंभीरता के अनुसार बढ़ जाता है। कोर्टिसोल का लेवल ज्यादा होने से यह डिप्रेशन और मोटापे का कारण बन सकता है। यदि इसका लेवल लंबे समय तक ज्यादा रहता है, तो इससे हृदय रोग, मांसपेशियों में दर्द और ऑस्टियोपोरोसिस भी हो सकता है। कई स्टडी से यह साबित हुआ है कि तीसरी तिमाही के दौरान बहुत ज्यादा स्ट्रेस लेने वाली गर्भवती महिलाओं के बच्चे में कोर्टिसोल लेवल अधिक होता है। यह भी देखा गया कि 10 साल के बाद भी बच्चों में कोर्टिसोल लेवल बढ़ा हुआ रहता है, ऐसी कंडीशन में बच्चे की हेल्थ पर बुरा असर पड़ता है।

प्रीटर्म बर्थ तनाव का एक और नकारात्मक प्रभाव है।बच्चे का समय से पहले पैदा हो जाने से उसकी हेल्थ को लेकर कई इशू हो जाते हैं, इम्युनिटी कमजोर हो जाती है, रेस्पिरेटरी डिसऑर्डर हो जाता है, पाचन समस्याएं आदि शामिल हैं और गंभीर मामलों में मृत्यु हो जाने का भी खतरा होता है।

स्टडी से पता चला है कि स्ट्रेस में रहने वाली माओं के बच्चे अपने समय से पैदा होने के बाद भी अंडरवेट होते हैं। इससे बच्चा कमजोर हो जाता है और उसका इम्यून सिस्टम खराब हो जाता है जिससे बच्चा कई बीमारियों का शिकार हो जाता है। कम वजन वाले बच्चे भी हाइपोक्सिया से पीड़ित हो सकते हैं जिसका अर्थ है कि उन्हें जन्म के समय ऑक्सीजन की पर्याप्त सप्लाई नहीं मिलती है। यह बच्चे के लिए आगे चलकर उसके विकास में बाधा पैदा कर सकता है।

स्टडी से यह भी संकेत मिलता है कि स्ट्रेस में रहने वाली माँ द्वारा जन्म दिए गए बच्चे में अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर (एडीएचडी) होने की संभावना  बहुत ज्यादा होती है।

गर्भावस्था पर पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर के प्रभाव

पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (पीटीएसडी) एक ऐसी स्थिति है जब किसी भयानक घटना की वजह से आपको गंभीर रूप से स्ट्रेस हो जाता है। उस घटना का प्रभाव आप पर लगातार पड़ता रहता है, जिससे एंग्जाइटी, बुरे सपने, भय, अनिद्रा और बेचैनी का सामना करना पड़ता है। इससे अक्सर दिल की धडकनों का तेज हो जाना, पसीना, घबराहट जैसी परेशानी होने लगती है। ये सभी गंभीर रूप से होने वाले स्ट्रेस के कारण होता है जो गर्भ में बच्चे को भी प्रभावित करता है।

एक और हानिकारक कंडीशन है जिसमें स्ट्रेस का अनुभव होता है, जिसमें वो गर्भवती महिला जो पीटीएसडी से पीड़ित हैं वो स्ट्रेस दूर करने के लिए गलत तरीकों का सहारा ले सकती हैं। इस तरह की एक्टिविटी उनकी प्रेगनेंसी के लिए जोखिम पैदा कर सकती है, साथ ही पैदा होने वाले डेवलपमेंट इशू देखे जा सकते हैं। इससे मिसकैरज होने का भी खतरा होता है। इस प्रकार, पीटीएसडी के लक्षणों का जल्दी पता लगाना और इसे सही ट्रीटमेंट लेना बहुत जरूरी है।

गर्भावस्था के दौरान स्ट्रेस का इलाज कैसे करें

ज्यादातर समय में स्ट्रेस और गर्भावस्था साथ-साथ ही चलते हैं। हालांकि, गर्भावस्था के दौरान अनुभव किए जाने वाले स्ट्रेस को मैनेज किया जा सकता है, बशर्ते कि इसका जल्द पता लगाया जा सके और लापरवाही न बरती जाए। यदि आप तनाव महसूस करती हैं या यदि आप किसी भी चीज के बारे में चिंतित हैं, तो आपको इसके बारे में अपने परिवार के सदस्यों और अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए।        

स्ट्रेस से निपटने के लिए आपको यहाँ कुछ तरीके बताए गए हैं, जो कुछ इस प्रकार हैं:

  • अपने स्ट्रेस के बारे में बात करने से यह काफी हद तक कम हो जाएगा। खुद से ज्यादा कठोरता से पेश न आएं, आप उन एक्टिविटी में खुद को ज्यादा से ज्यादा शामिल जिसमें आप खुश रहती हैं और अपने आसपास किसी भी नेगटिव चीजों से दूर रहती हहैं।
  • पौष्टिक आहार लें।
  • अपने शरीर को थोड़ी बहुत एक्सरसाइज करने के लिए समय दें।
  • अपनी कोई भी पसंदीदा होबी को अपनाने का प्रयास करें, जैसे पढ़ना, बुनाई या ड्राइंग आदि। यह आपके दिमाग को स्ट्रेस से दूर रखने में मदद करेगा।
  • आप चाइल्ड बर्थ क्लास जॉइन कर सकती हैं, इसमें आपको प्रेगनेंसी के बारे में बहुत कुछ जानने को मिलेगा जैसे आराम करना, तकनीक और आपको कैसे प्रेगनेंसी एक्सरसाइज करना चाहिए।
  • समान विचारधारा वाली महिलाओं से मिलने के लिए गर्भवती महिलाओं के ग्रुप में शामिल हों, जब आप उनसे बात करेंगी तो आपको बेहतर महसूस होगा।
  • अपने दिमाग को स्ट्रेस से दूर रखने के लिए और जीवन में अच्छी चीजों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए आप मैडिटेशन एक्सरसाइज करें।
  • आप एक अच्छे काउंसलर क पास जा सकती हैं और उनसे अपनी फीलिंग्स साझा कर सकती हैं।
  • किसी भी तनावपूर्ण स्थितियों से बचें। यदि काम पर जाने के लिए ड्राइविंग से आपको स्ट्रेस होता है, तो ड्राइविंग से बचें और परिवार के किसी सदस्य से कहें कि वो आपको आपके ऑफिस छोड़ दे।
  • रिलैक्स रहे, आपका आधे से ज्यादा स्ट्रेस तो सिर्फ आराम करने से ही दूर हो जाता है।

स्ट्रेस एक ऐसी चीज है जो लगभग सभी गर्भवती महिलाओं को कभी न कभी जरूर अनुभव होता है। हालांकि, बहुत ज्यादा स्ट्रेस लेवल बढ़ने से न केवल यह होने ववाली माँ के लिए हानिकारक है बल्कि यह आपके बच्चे को भी प्रभावित करता है। ऊपर बताए गए टिप्स आपको स्ट्रेस मैनेज करने में मदद करेंगे, वरना यह आगे चलकर ज्यादा परेशानी पैदा कर सकते हैं।

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समर नक़वी

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